10-11-2021, 04:36 PM
ख़ान: कुछ भी समझ नही आया तो फिर से पूछ लो लेकिन वहाँ जाके कोई गड़बड़ मत करना तुम नही जानते तुम पर मैं कितना बड़ा दाव खेल रहा हूँ अगर तुमने कोई ग़लती की तो मेरी जान भी ख़तरे मे आ जाएगी क्योंकि उन लोगो की पहुँच का तुमको अंदाज़ा नही है यहाँ मेरे स्टाफ मे भी उन लोगो ने अपने कुछ कुत्ते पल रखे हैं इसलिए मैने तुम्हारी ट्रैनिंग को एक दम टॉप सीक्रेट ऑर सिर्फ़ अपने भरोसे के आदमियो के साथ पूरा करवाया है...
मैं: आप फिकर ना करें सब वैसे ही होगा जैसा आप चाहते हैं मुझे पर भरोसा किया है तो भरोसा रखिए ऑर मेरे पिछे से मेरे घरवालो को कोई तक़लीफ़ नही होनी चाहिए...
ख़ान: उनकी फिकर तुम मत करो मैं खुद उनका ख्याल रखूँगा ऑर देखूँगा कि उनको किसी भी चीज़ की कमी ना हो...
मैं: जी शुक्रिया...
उसके बाद मैं ओर ख़ान वापिस ख़ान के कॅबिन मे चले गये जहाँ राणा मेरा इंतज़ार कर रहा था...
मैं: ख़ान साहब मैं एक मिंट आया जाने से पहले एक बार डॉक्टर साहिबा से मिल आउ...
ख़ान: जाओ लेकिन जल्दी आना...
उसके बाद मैं रिज़वाना के कॅबिन मे चला गया जहाँ वो शायद मेरा ही इंतज़ार कर रही थी मेरे कॅबिन मे आते ही उसने दरवाज़ा अंदर से बंद किया ऑर मुझे गले लगा लिया...
रिज़वाना: जा रहे हो...
मैं: हमम्म बस तुमको मिलने के लिए ही आया था...
रिज़वाना: कहाँ जा रहे हो...
मैं: पता नही ख़ान ने मुझे भी नही बताया बस इतना पता है राणा के साथ जाना है...
रिज़वाना: ठीक है कोई बात नही... वहाँ अपना ख़याल रखना ऑर अगर मुमकिन हो तो मुझे फोन कर लेना जब भी मोक़ा मिले...
मैं: अच्छा... ठीक है अब मैं जाउ...
रिज़वाना: हम्म जाओ
मैं: मुझे छोड़ॉगी तो जाउन्गा
रिज़वाना: रुक जाओ 2 मिंट ढंग से गले भी नही लगाने देते... (कुछ देर मुझे गले से लगा कर) हमम्म अब ठीक है अब जाओ (मेरे होंठ चूमते हुए)
मैं: तुम भी अपना ख्याल रखना ऑर रोना मत...
रिज़वाना: (मुस्कुरा कर हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म
उसके बाद मैं ऑर रिज़वाना ख़ान के कॅबिन तक आ गये ऑर ख़ान के कॅबिन तक मुझे छोड़कर रिज़वाना हाथ हिलाकर मुझे अलविदा कहती हुई वापिस अपने कॅबिन की तरफ चली गई... मेन गेट खोल कर ख़ान के कॅबिन मे चला गया...
ख़ान: तुम्हारा मिलना-मिलना हो गया...
मैं (हँसते हुए) जी हो गया जनाब...
ख़ान: शूकर है... (हाथ जोड़ते हुए) चल भाई राणा खड़ा हो जा ऑर लग जा कम पर इसको मैने सब समझा दिया है ऑर तू भी कोई लफडा मत करना...
राणा: जनाब आगे कभी गड़-बड हुई है जो अब होगी...
ख़ान: पहले तू अकेला होता था इस बार ये भी तेरे साथ है...
राणा: फिकर ना करे जनाब मैं साथ हूँ ना सब संभाल लूँगा...
ख़ान: इसको वहाँ पहुँचने के बाद मुझे फोन कर देना ऑर मुझे इसके पल-पल की खबर चाहिए समझा...
राणा: (अपना दायां हाथ सिर पर रखते हुए) ओके बॉस... चलो भाई शेरा आपको आपकी मंज़िल तक पहुंचाता हूँ...