10-11-2021, 04:32 PM
अपडेट-39
पूरे रास्ते मैं अपनी गाव की लाइफ ऑर गाव वालों के बारे मे रिज़वाना को बताता रहा... कुछ ही घंटे मे हम मेरे गाव मे आ चुके थे आज इतने दिन बाद अपने गाव मे आके मुझे बहुत खुशी हो रही थी... वैसे तो ये गाव मेरा नही था लेकिन जाने क्यो अब इस गाव से भी प्यार हो गया था इसकी मिट्टी की खुश्बू मुझे एक अजीब सा सुकून देती थी...
कुछ ही देर मे मैने मेरे घर के सामने गाड़ी रोकदी जहाँ नाज़ी घर के बाहर बँधे पशुओ को चारा डालने मे मसरूफ़ थी... मैने जल्दी से कार बंद की ऑर एक मुस्कुराहट के साथ गाड़ी का दरवाज़ा खोला...
पहले तो नाज़ी मुझे गौर से देखती रही ऑर जब उससे यक़ीन हो गया कि ये मैं ही हूँ तो वो चारे का टोकरा वही फेंक कर मेरी तरफ भागने लगी ऑर आके मुझे गले से लगा लिया... नाज़ी को गले लगाके मैं भी ये भूल गया कि मैं नाज़ी से नाराज़ था... आज तो बस दिल खोलकर सबसे मिलना चाहता था...
नाज़ी: तुम कहाँ से टपक पड़े... इतने दिन बाद कहाँ से याद आ गई हमारी...
मैं: अर्रे पागल लड़की आस-पास भी देख लिया कर...
नाज़ी: (रिज़वाना को देखकर जल्दी से मुझसे अलग होती हुई) ओह्ह्ह माफ़ कीजिए डॉक्टरनी जी... मैने आपको देखा नही...
रिज़वाना: (हँसते हुए) कोई बात नई... जब कोई अपना बहुत दिन बाद मिलता है तो काबू नही रहता खुद पर मैं समझ सकती हूँ...
मैं: अब सारी बातें यही करनी है या अंदर भी जाने दोगि...
नाज़ी: (अपने सिर पर हाथ मारते हुए) ओह्ह मैं तो भूल ही गई चलो अंदर आओ...
उसके बाद हम तीनो घर के अंदर आ गये ऑर नाज़ी का शोर सुनकर सबसे पहले फ़िज़ा बाहर आई तो उसकी भी हालत कुछ नाज़ी जैसी ही थी... मुझे देखते ही उसका चेहरा खुशी से खिल उठा जैसे ही वो मेरे पास आने लगी तो मेरे साथ खड़ी रिज़वाना को देखकर उसने अपने कदम वही रोक लिए ऑर डोर से ही मुझे ओर रिज़वाना को सलाम किया... हम-दोनो ने भी फ़िज़ा को अदब से सलाम किया ऑर इतना मे नाज़ी कमरे के अंदर भाग गई जहाँ बाबा होते थे... मैने भी जल्दी से नाज़ी के पीछे-पीछे ही कमरे मे चला गया बाबा से मिलने के लिए... मुझे देखते ही बाबा का चेहरा भी खुशी से खिल उठा मैं अब उनके पास जाके बैठ गया ऑर अदब से उनको सलाम किया उन्होने ने भी मेरे माथे को चूम लिया...
मैं: कैसे हैं आप बाबा...
बाबा: बेटा अब तुम आ गये हो तो अब तंदुरुस्त हो गया हूँ... तुम क्या आ गये ऐसा लगता है घर मे रौनक आ गई... हमने तुमको बहुत याद किया बेटा...
मैं: (मुस्कुराते हुए) इस घर की रौनक तो आप से है बाबा... मैने भी आप सब को बहुत याद किया... ऐसा एक भी दिन नही गया जब आपकी याद ना आई हो...
बाबा: बेटा हमारा तो घर ही सूना हो गया था तुम्हारे जाने के बाद... वो पगली नाज़ी तो दरवाज़ा नही बंद करने देती थी कि नीर ही ना आ जाए...
नाज़ी: क्या बात है आते ही बाबा के पास बैठ गये हो बाहर नही आना क्या जनाब... हम भी आपके इंतज़ार मे हैं...
मैं: हां बस... बाबा को मिलकर आता हूँ...
बाबा: चलो बेटा मैं भी तुम्हारे साथ बाहर ही चलता हूँ...
मैं: जी बाबा चलिए (बाबा को उठाते हुए)
बाबा: क्या बात है बेटा काम बहुत जल्दी ख़तम हो गया तुम्हारा... ख़ान साहब भी आए हैं क्या...
मैं: जी नही बाबा ख़ान साहब नही आए... ऑर वो इतने दिन तो मैं ट्रैनिंग के लिए गया हुआ था... कल मुझे मेरे असल काम पर भेजा जा रहा था तो मैने सोचा जाने से पहले आप सब से मिलकर जाउ... वैसे भी आप - सब की बहुत याद आ रही थी...
बाबा: (उदास होते हुए) अच्छा किया बेटा जो मिलने आ गये... कल फिर से जा रहे हो बेटा...
मैं: जी बाबा