10-11-2021, 04:31 PM
मैं: क्या मैं अंदर आ सकता हूँ डॉक्टरनी साहिबा...
रिज़वाना: (मुस्कुराते हुए) अर्रे तुम आज इतनी जल्दी फ्री हो गये... ऑर ये क्या तुमको अंदर आने के लिए मुझसे इजाज़त लेने की ज़रूरत कब से पड़ने लग गई... चलो अंदर आओ...
मैं: वैसे ही सोचा तुम कोई काम कर रही होगी...
रिज़वाना: (अपनी कुर्सी से खड़े होके मेरे पिछे आते हुए) मेरी जान तुम्हारे लिए तो वक़्त ही वक़्त है बताओ क्या खिदमत करू मेरी जान की... (पिछे से मेरी गाल चूमते हुए)
मैं: मुझे तुमसे कुछ कहना है...
रिज़वाना: क्या हुआ तुम परेशान लग रहे हो सब ठीक तो है...
मैं: मैं आज गाव जा रहा हूँ उसके बाद कल सुबह मुझे मिशन के लिए निकलना है...
रिज़वाना: (मेरी कुर्सी को अपनी तरफ घूमाते हुए) क्या... इतनी जल्दी...
मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हम्म...
उसके बाद हम दोनो खामोश हो गये ऑर रिज़वाना वापिस अपनी जगह पर जाके बैठ गई ऑर अपना समान समेटने लगी... मुझे उसका इस तरह का बर्ताव अजीब सा लगा...
मैं: क्या हुआ नाराज़ हो...
रिज़वाना: नही... नाराज़ क्यो होना है बस थोड़ी सी उदास हूँ सोचा नही था तुम इतनी जल्दी चले जाओगे...
मैं: उदास क्यो हो... अर्रे मैं जल्दी वापिस आ जाउन्गा ना...
रिज़वाना: मैने सोचा था तुम कुछ दिन मेरे पास ही रुकोगे...
मैं: ख़ान ने आज ही मुझे बताया मैं भी क्या करू...
रिज़वाना: (अपना सारा समान अपने बॅग मे डालते हुए) चलो चलें...
मैं: कहाँ चलें
रिज़वाना: घर मे तुम्हारी पॅकिंग करने ऑर कहाँ
मैं: ऑर तुम्हारा काम...
रिज़वाना: आज कोई काम नही बस आज मैं तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ...
उसके बाद रिज़वाना ने जल्दी छुट्टी लेली ऑर हम दोनो घर के लिए निकल गये... रिज़वाना पूरे रास्ते खामोश ऑर उदास ही बैठी थी जो मुझे सच मे अच्छा नही लग रहा था...
मैं: क्या हुआ है रिज़वाना अब ऐसे उदास मत बैठो यार...
रिज़वाना: मैं ठीक हूँ (मेरे कंधे पर अपना सिर रखते हुए)
मैं: एक बात बोलू...
रिज़वाना: हमम्म्म
मैं: तुम ऐसे उदास बैठी अच्छी नही लगती
रिज़वाना: तो क्या तुम्हारे जाने की खुशियाँ मनाऊ...
मैं: तुमको पता है तुम जब हँसती हो तो बहुत सेक्सी लगती हो मेरी तो नियत ही खराब हो जाती है...
रिज़वाना: (हँसते हुए) उूुउउ... तंग मत करो ना नीर ... एक तो पहले मूड खराब कर दिया अब हंसा रहे हो...
मैं: मैने क्या किया यार ये तो ख़ान ने ही मुझे जो बोला मैने तुमको बता दिया...
रिज़वाना: (रोने जैसा मुँह बनाते हुए) मत जाओ ना... नीर ...
मैं: जाना तो पड़ेगा क्या करे मजबूरी है...
रिज़वाना: मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूंगी कभी सोचा है...
मैं: एम्म्म चलो एक काम करते हैं तुम भी मेरे साथ ही चलो...
रिज़वाना: कहाँ चलु...
मैं: मेरे गाव ऑर कहाँ... रात वहाँ ही रहेंगे ऑर सुबह तक वापिस आ जाएँगे...
रिज़वाना: मैं... मैं कैसे...
मैं: क्यो गाँव जाने मे क्या परेशानी है
रिज़वाना: परेशानी वाली बात नही है तुम्हारे घरवाले मुझे पसंद नही करते इसलिए उनको शायद मेरा वहाँ रहना अच्छा ना लगे...
मैं: अर्रे वो लोग बहुत अच्छे हैं यार तुम फिकर मत करो कोई कुछ नही कहेगा...
रिज़वाना: लेकिन...
मैं: लेकिन-वेकीन कुछ नही तुम साथ आ रही हो... मतलब आ रही हो... वैसे भी मेरे पास एक ही दिन बचा है कल सुबह को तो मिशन के लिए निकलना है ऑर मैं चाहता हूँ मैं अपना ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त अपने चाहने वालो के साथ गुज़ारु जिनमे अब तुम भी हो...
रिज़वाना: (मुस्कुरकर मेरी गाल चूमते हुए) अच्छा... ठीक है मैं भी चलती हूँ...
मैं: ये हुई ना बात
रिज़वाना: तुमको पता है तुम बहुत ज़िद्दी हो...
मैं: हाँ हूँ... कोई ऐतराज़
रिज़वाना: (मुस्कुरा कर ना मे सिर हिलाते हुए) उुउऊहहुउऊ...
मैं: अच्छा रिज़वाना मैं सोच रहा था जाने से पहले घरवालो के लिए थोड़ा समान खरीद लू तो क्या हम पहले बाज़ार चलें अगर तुमको ऐतराज़ ना हो तो...
रिज़वाना: हाँ-हाँ ज़रूर क्यो नही वैसे भी इतने दिन बाद घर जा रहे हो खाली हाथ थोड़ी ना जाओगे...
उसके बाद कोई खास बात नही हुई हम हेड-क्वॉर्टर से सीधा मार्केट चले गये वहाँ मैने नाज़ी,फ़िज़ा ऑर बाबा के लिए बहुत सारा समान खरीदा...
फिर हम घर आ गये ऑर आते ही रिज़वाना मुझ पर टूट पड़ी ऑर पागलो की तरह मुझे चूमने लगी फिर हमने एक बार सेक्स किया ऑर उसके बाद मैं थक कर सो गया लेकिन रिज़वाना मेरी ओर अपनी पॅकिंग करने लगी रही...
शाम को जब मैं सो कर उठा तो रिज़वाना ने सब कुछ रेडी कर दिया था उसके बाद मैं भी नहा कर तेयार हुआ ऑर फिर हम दोनो गाव के लिए निकल पड़े...