10-11-2021, 04:30 PM
ऑर फिर हम दोनो तेयार होके हेडक्वॉर्टर्स चले गये... नाश्ता भी हमने रास्ते मे ही किया...
हेड क्वॉर्टर जाते ही ख़ान मेरे सामने अपने सवालो की दुकान खोले खड़ा हो गया...
ख़ान: आ गये जनाब रात को क्या हुआ था यार
रिज़वाना: कुछ नही घरवाले याद आ रहे थे जनाब को मैने समझा दिया है अब सब सेट है...
ख़ान: देख लो अगर कोई समस्या है तो मेरे साथ तुम रह सकते हो...
मैं: नही कोई समस्या नही वो मुझे बस घरवालो की याद आ रही थी...
ख़ान: (रिज़वाना को देखते हुए) ये तुमको क्या हुआ पैर मे चोट लगी है क्या
रिज़वाना: हाँ रात को लाइट चली गई थी मैं मोमबत्ती लेने गई तो वहाँ सब्जी पर पैर स्लिप हो गया ऑर पैर मे मोच आ गई... नीर नही होता तो मैं उठ भी नही सकती थी...
ख़ान: अपना ख्याल रखा करो यार ऑर तुमको मैने कितनी बार बोला है कोई नौकरानी रख लो...
रिज़वाना: अर्रे अकेली तो हूँ मैं अब एक इंसान के लिए क्या नौकरानी रखू...
ख़ान: चलो जाओ डॉक्टर साहिबा पहले अपना इलाज करो तब तक मैं थोड़ा नीर साहब से बात कर लूँ...
रिज़वाना: हमम्म... (मेरी तरफ देखते हुए) जब तुम्हारा काम ख़तम हो जाए तो मेरे पास क्लिनिक मे आ जाना ठीक है...
मैं: अच्छा जी
उसके बाद ख़ान मुझे एक अजीब सी जगह ले गया जहाँ बहुत सारी मशीन्स पड़ी थी मेरे लिए ये जगह एक दम नयी थी इसलिए मैं चारो तरफ बड़े गौर से देख रहा था वहाँ काफ़ी सारे लोग हाथ मे छोटी-छोटी मशीन्स पकड़े बैठे थे ऑर उसके साथ कुछ ना कुछ कर रहे थे...
मैं: ख़ान साहब हम यहाँ क्यो आए हैं
ख़ान: यहाँ मैं तुमको हर क़िस्म का स्पाइ डिवाइस इस्तेमाल करना सिखाउन्गा जो आगे जाके तुम्हारे काम आएगा... ऑर इनकी मदद से तुम मुझ तक उस गॅंग की इन्फर्मेशन भी भेज सकते हो...
मैं: अच्छा...
उसके बाद पूरा दिन वो मुझे अलग-अलग क़िस्म की छोटी-छोटी मशीन्स के बारे मे बताता रहा ऑर मुझे उनको इस्तेमाल करना भी सीखाता रहा मैं हर चीज़ को बड़े ध्यान से समझ रहा था ऑर उसको अपने दिमाग़ मे बिताने की कोशिश कर रहा था... वहाँ बैठे लोग मुझे उन औज़ारो को इस्तेमाल करना भी सीखा रहे थे ऑर मेरी ज़रूरत के मुताबिक़ मुझे वो समान दे भी रहे थे जिसको मैं खुद एक बार इस्तेमाल करके देख रहा था ऑर फिर मैं एक छोटे से बॅग मे वो तमाम समान को डाल रहा था...
मेरा पूरा दिन वही डिवाइसस को देखने ऑर वो कैसे काम करते हैं उसको समझने मे ही गुज़रा
उसके बाद शाम को मैं ऑर रिज़वाना घर आ गये... आते ही रिज़वाना मुझ पर किसी भूखे जानवर की तरह टूट पड़ी ऑर हम फिर से चुदाई मे लग गये...
अब ये हमारा रोज़ का रुटीन सा हो गया था कि दिन मे मैं ख़ान से ट्रैनिंग लेता ऑर शाम से लेकर सुबह तक हम को बस बहाना चाहिए था चुदाई करने का अब रिज़वाना मेरे बिना एक पल भी नही रहती थी...
कुछ ही दिन मे वो मुझ से बहुत ज़्यादा जूड सी गई थी ओर मुझे बे-पनाह प्यार करने लगी थी... अक्सर जब भी मैं ख़ान से ट्रैनिंग ले रहा होता तो रिज़वाना किसी ना किसी बहाने से मेरे पास आ जाती...
मुझे पता ही नही चला कि 15 दिन कैसे गुज़र गये ऑर मेरी ट्रनिंग भी मुकम्मल हो गई
आखरी दिन ख़ान ने ऐसे ही मुझे अपने कॅबिन मे बुलाया वहाँ उसके पास एक आदमी बैठा था जो मुझे देखते ही खड़ा हो गया ऑर हैरानी से घूर्ने लगा...
ख़ान: बैठो-बैठो यार अब ये अपना ही आदमी है इससे डरने की ज़रूरत नही...
मैं: ख़ान साहब आपने मुझे बुलाया था...
ख़ान: हाँ नीर अब तुम्हारी ट्रैनिंग तो पूरी हो ही गई है इसलिए मैने सोचा तुम्हारे जाने का इंतज़ाम भी कर दूं...
मैं: (चोन्कते हुए) जाने का... कहाँ जाना है मुझे...
ख़ान: अर्रे भाई तुमको तुम्हारे गॅंग तक नही पहुँचना क्या...
मैं: ओह्ह्ह अच्छा हाँ... तो बताइए कब जाना है
ख़ान: कल जाना है
मैं: (कुर्सी से खड़ा होते हुए) कलल्ल्ल... इतनी जल्दी...
ख़ान: क्यो क्या हुआ कल जाने मे कोई परेशानी है क्या...
मैं: जी नही एस बात नही है बस मैं एक बार वहाँ जाने से पहले अपने घरवालो से मिलना चाहता था...
ख़ान: ठीक है फिर तुम आज ही अपने गाव हो आओ ऑर अपने घरवालो से मिल आओ लेकिन सुबह तक वापिस आ जाना क्योंकि मुझे खबर मिली है कि कल रात को तुम्हारे पुराने साथी लाला, गानी ऑर सूमा शहर मे आ रहे हैं ड्रूग्स की डील करने के लिए ऑर तुमको उनकी नज़रों के सामने लाना ज़रूरी है... तभी तुम उस गॅंग तक पहुँच पाओगे...
मैं: जी अच्छा... लेकिन मैं उनके सामने पहुँचुँगा कैसे...
ख़ान: इसलिए तो तुमको यहाँ बुलाया है इनसे मिलो ये है राणा (सामने कुर्सी पर बैठे उस आदमी की तरफ इशारा करते हुए)
राणा: सलाम शेरा भाई (मुझसे हाथ मिलाते हुए)
मैं: वालेकुम... सलाम जनाब...
ख़ान: ये पेशे से एक ड्रग डीलर है ऑर हमारा खबरी भी है... तुम इसके साथ वहाँ डील करने जाओगे ऑर वहाँ उनके लोगो का माल लूटोगे ऑर उनके आदमियो को ख़तम करोगे बाकी सब काम मैने इसको समझा दिया है...
मैं: जी ठीक है...
ख़ान: अब तुम गाव चले जाओ ऑर अपने घरवालो से मिल आओ...
मैं: ठीक है...
ख़ान: ऑर सुनो... हमारे पास वक़्त नही है इसलिए सुबह तक याद से वापिस आ जाना क्योंकि सुबह होते ही तुमको राणा के साथ जाना है...
मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) जी अच्छा...
उसके बाद वो दोनो कमरे मे बैठे रहे ऑर मैं बाहर आ गया... मुझे ये सब इतने जल्दी होने की उम्मीद नही थी मैने तो सोचा था कुछ दिन ऑर मैं अपने घरवालो के पास रह लूँगा लेकिन यहाँ तो ख़ान ने मुझे बस एक रात का ही वक़्त दिया है ऑर अब तो रिज़वाना भी है जो मुझे बे-इंतेहा मुहब्बत करती है उसको मैं कैसे सम्झाउन्गा... मैं अपनी इन्ही सोचो मे था कि मेरे कदम खुद ही रिज़वाना के कॅबिन की तरफ मुझे ले गये...