10-11-2021, 04:25 PM
ऑर अपना बॅग पॅक करने लगा साथ ही जल्दी से अपने गाँव वाले थैले मे से इनस्प्टेक्टर ख़ान का कार्ड निकाला ऑर बेड के पास पड़े फोन से ख़ान का नंबर डायल कर दिया...
ख़ान: हेलो... हाँ रिज़वाना बोलो इस वक़्त कैसे फोन किया...
मैं: जी मैं नीर बोल रहा हूँ...
ख़ान: हाँ नीर बोलो क्या हुआ कुछ चाहिए क्या...
मैं: जी आप मेरे रहने का इंतज़ाम कहीं ओर कर देंगे तो बेहतर होगा...
ख़ान: अर्रे क्या हुआ रिज़वाना ने कुछ कह दिया क्या...
मैं: जी नही उन्होने कुछ नही कहा बस मेरा यहाँ दिल नही लग रहा आप ऐसा करे मुझे मेरे गाँव ही भिजवा दे तो बेहतर होगा यहाँ बड़े लोगो मे मुझे अजीब सा लगता है मैं ठहरा ज़ाहील-गवार भला मेरा यहाँ क्या काम...
ख़ान: कैसी बच्चों जैसी बात कर रहे हो मैने वहाँ तुमको इसलिए रखा है कि कल से तुम्हारी ट्रैनिंग करवा सकूँ ना की तुमको वहाँ छुट्टियाँ बिताने के लिए समझे...
मैं: जी मुझे आपकी हर बात मंज़ूर है लेकिन अब यहाँ नही रहना चाहता आप चाहे तो मैं आपके दफ़्तर मे सोफे पर सो जाउन्गा लेकिन यहाँ मुझे नही रहना...
ख़ान: तुम रिज़वाना से बात कर्वाओ मेरी...
मैं: जी वो अपने कमरे मे सो रही है...
ख़ान: ठीक है फिर सुबह होते ही उसको बोलना मुझसे बात करे... ऑर नीर यार आज की रात तुम कैसे भी वहाँ गुज़ार लो कल मैं तुम्हारा कही ऑर इंतज़ाम कर दूँगा ठीक है...
मैं: जी शुक्रिया...
उसके बाद मैने फोन रख दिया ऑर वही सोफे पर बैठा गर्दन नीचे किए आँखें बंद करके अपनी ग़लती पर पछटाने लगा कि मैं यहाँ आया ही क्यो था... तभी मुझे कुछ गीलापन अपने पैर पर महसूस हुआ मैने आँखें खोलकर देखा तो रिज़वाना मेरे पैरो के पास मुँह नीचे करके बैठी थी ऑर शायद रो रही थी इसलिए उसके आँसू मेरे पैरो पर गिर रहे थे...
मैं: अर्रे रिज़वाना जी आप... आप रो रही है... देखिए मैं अपनी ग़लती पर शर्मिंदा हूँ आगे से ऐसी ग़लती नही होगी...
रिज़वाना: (रोते हुए) हाँ ग़लती होगी भी कैसे मुझे छोड़कर जो जा रहे हो...
मैं: जीिीइ... क्या
रिज़वाना: मैने सब सुन लिया है जो तुम ख़ान को बोल रहे थे...
मैं: जी मेरी ग़लती थी इसलिए मेरा यहाँ रहना सही नही है... मुनासिब होगा मैं यहाँ से चला जाउ... आप रोइए मत अगर आप कहेंगी तो मैं अभी चला जाउन्गा लेकिन आप रोइए मत...
रिज़वाना: जाके भी दिखाओ... (मेरे दोनो हाथ मज़बूती से पकड़ते हुए) मुझे माफ़ नही कर सकते नीर (रोते हुए मेरे घुटने पर अपने चेहरा रखते हुए)
मैं: (कुछ ना समझने वाले अंदाज़ मे) जी आप क्या कह रही है मुझे कुछ समझ नही आ रहा...
रिज़वाना: मैं एक दम घबरा गई थी नीर ऑर उसी चक्कर मे तुम पर गुस्सा हो गई... तुमसे पहले कोई मेरे इतना करीब नही आया कभी इसलिए अचानक जब तुम पास आए तो मैं डर गई थी ओर सब कुछ भूलकर तुम पर गुस्सा हो गई...
मैं: कोई बात नही वैसे भी ग़लती मेरी थी (मुस्कुराते हुए) आप नीचे क्यो बैठी है पहले आप उपर आके बैठो ऑर रोना बंद करो
रिज़वाना: (मेरे साथ बैठते हुए ऑर बिना कुछ बोले मुझे गले लगाते हुए) आम सॉरी नीर मैं अपनी ग़लती पर शर्मिंदा हूँ मुझे तुम पर इस तरह चिल्लाना नही चाहिए था...
मैं: कोई बात नही... वैसे मैं आपसे नाराज़ नही हूँ रिज़वाना जी...
रिज़वाना: फिर मुझे छोड़कर क्यो जाना चाहते हो...
मैं: (रिज़वाना की बाजू अपने गले से निकालते हुए) ताकि वो ग़लती दुबारा ना हो...
रिज़वाना: अगर कोई अब तुम्हारे बिना ना रह सकता हो तो... ऑर अब तुम कुछ भी कर लो मैं मना नही करूँगी मैं डर गई थी सॉरी...
मैं: कोई किसी के बिना नही मरता रिज़वाना जी... ऑर आपने ठीक किया... मेरे जैसा अनपढ़-गवार आपके किसी काम का नही...
रिज़वाना: (फिर से मुझे गले लगाते हुए) मुझे नही पता तुम मे ऐसा क्या है लेकिन अब मैं तुमसे दूर नही रह सकती... 1 दिन मे जाने तुमने मुझ पर क्या जादू कर दिया है... मुझे छोड़कर मत जाओ प्लीज़...
मैं: लेकिन अब तो मैने ख़ान को बोल दिया है
रिज़वाना: उसकी फिकर तुम मत करो मैं हूँ ना ख़ान को मैं देख लूँगी बस कल तुम नही जाओगे समझे... यही रहोगे मेरे पास...
मैं: जैसी आपकी मर्ज़ी... लेकिन आज के बाद मैं आपके कमरे मे नही आउन्गा...
रिज़वाना: ठीक है मत आना अब मैं भी उस कमरे मे नही जाउन्गी वही रहूंगी जहाँ तुम रहोगे... चलो अब मेरी कसम खाओ मुझे छोड़कर नही जाओगे...
मैं: आप जब जानती है कि जो चीज़ हो नही सकती फिर उसके लिए कसम क्यो दे रही है...
रिज़वाना: तुम ख़ान का काम कर दो फिर तुम आज़ाद हो उसके बाद हम दोनो रह सकते हैं यहाँ हमेशा के लिए...
मैं: जी नही मैं यहाँ नही रह सकता काम होने के बाद मैं मेरे घर चला जाउन्गा मेरे गाँव मे मेरी ये जिंदगी अब उनकी दी हुई है... आज अगर मैं ज़िंदा हूँ तो ये उनका ''अहसान" है मुझ पर...
रिज़वाना: क्या मैं भी उस परिवार का हिस्सा नही बन सकती... मैं तुम्हारे लिए अपना सब कुछ छोड़ने को तेयार हूँ...
मैं: (हँसते हुए) कहना बहुत आसान है रिज़वाना जी लेकिन करना बहुत मुश्किल...
रिज़वाना: ठीक है फिर तुम ख़ान का काम कर दो उसके बाद मैं भी ये नौकरी छोड़ दूँगी जहाँ तुम रखोगे जिस हाल मैं रखोगे मैं रहने को तैयार हूँ... ऑर आज के बाद खुद को अनपढ़-गवार मत कहना...
ख़ान: हेलो... हाँ रिज़वाना बोलो इस वक़्त कैसे फोन किया...
मैं: जी मैं नीर बोल रहा हूँ...
ख़ान: हाँ नीर बोलो क्या हुआ कुछ चाहिए क्या...
मैं: जी आप मेरे रहने का इंतज़ाम कहीं ओर कर देंगे तो बेहतर होगा...
ख़ान: अर्रे क्या हुआ रिज़वाना ने कुछ कह दिया क्या...
मैं: जी नही उन्होने कुछ नही कहा बस मेरा यहाँ दिल नही लग रहा आप ऐसा करे मुझे मेरे गाँव ही भिजवा दे तो बेहतर होगा यहाँ बड़े लोगो मे मुझे अजीब सा लगता है मैं ठहरा ज़ाहील-गवार भला मेरा यहाँ क्या काम...
ख़ान: कैसी बच्चों जैसी बात कर रहे हो मैने वहाँ तुमको इसलिए रखा है कि कल से तुम्हारी ट्रैनिंग करवा सकूँ ना की तुमको वहाँ छुट्टियाँ बिताने के लिए समझे...
मैं: जी मुझे आपकी हर बात मंज़ूर है लेकिन अब यहाँ नही रहना चाहता आप चाहे तो मैं आपके दफ़्तर मे सोफे पर सो जाउन्गा लेकिन यहाँ मुझे नही रहना...
ख़ान: तुम रिज़वाना से बात कर्वाओ मेरी...
मैं: जी वो अपने कमरे मे सो रही है...
ख़ान: ठीक है फिर सुबह होते ही उसको बोलना मुझसे बात करे... ऑर नीर यार आज की रात तुम कैसे भी वहाँ गुज़ार लो कल मैं तुम्हारा कही ऑर इंतज़ाम कर दूँगा ठीक है...
मैं: जी शुक्रिया...
उसके बाद मैने फोन रख दिया ऑर वही सोफे पर बैठा गर्दन नीचे किए आँखें बंद करके अपनी ग़लती पर पछटाने लगा कि मैं यहाँ आया ही क्यो था... तभी मुझे कुछ गीलापन अपने पैर पर महसूस हुआ मैने आँखें खोलकर देखा तो रिज़वाना मेरे पैरो के पास मुँह नीचे करके बैठी थी ऑर शायद रो रही थी इसलिए उसके आँसू मेरे पैरो पर गिर रहे थे...
मैं: अर्रे रिज़वाना जी आप... आप रो रही है... देखिए मैं अपनी ग़लती पर शर्मिंदा हूँ आगे से ऐसी ग़लती नही होगी...
रिज़वाना: (रोते हुए) हाँ ग़लती होगी भी कैसे मुझे छोड़कर जो जा रहे हो...
मैं: जीिीइ... क्या
रिज़वाना: मैने सब सुन लिया है जो तुम ख़ान को बोल रहे थे...
मैं: जी मेरी ग़लती थी इसलिए मेरा यहाँ रहना सही नही है... मुनासिब होगा मैं यहाँ से चला जाउ... आप रोइए मत अगर आप कहेंगी तो मैं अभी चला जाउन्गा लेकिन आप रोइए मत...
रिज़वाना: जाके भी दिखाओ... (मेरे दोनो हाथ मज़बूती से पकड़ते हुए) मुझे माफ़ नही कर सकते नीर (रोते हुए मेरे घुटने पर अपने चेहरा रखते हुए)
मैं: (कुछ ना समझने वाले अंदाज़ मे) जी आप क्या कह रही है मुझे कुछ समझ नही आ रहा...
रिज़वाना: मैं एक दम घबरा गई थी नीर ऑर उसी चक्कर मे तुम पर गुस्सा हो गई... तुमसे पहले कोई मेरे इतना करीब नही आया कभी इसलिए अचानक जब तुम पास आए तो मैं डर गई थी ओर सब कुछ भूलकर तुम पर गुस्सा हो गई...
मैं: कोई बात नही वैसे भी ग़लती मेरी थी (मुस्कुराते हुए) आप नीचे क्यो बैठी है पहले आप उपर आके बैठो ऑर रोना बंद करो
रिज़वाना: (मेरे साथ बैठते हुए ऑर बिना कुछ बोले मुझे गले लगाते हुए) आम सॉरी नीर मैं अपनी ग़लती पर शर्मिंदा हूँ मुझे तुम पर इस तरह चिल्लाना नही चाहिए था...
मैं: कोई बात नही... वैसे मैं आपसे नाराज़ नही हूँ रिज़वाना जी...
रिज़वाना: फिर मुझे छोड़कर क्यो जाना चाहते हो...
मैं: (रिज़वाना की बाजू अपने गले से निकालते हुए) ताकि वो ग़लती दुबारा ना हो...
रिज़वाना: अगर कोई अब तुम्हारे बिना ना रह सकता हो तो... ऑर अब तुम कुछ भी कर लो मैं मना नही करूँगी मैं डर गई थी सॉरी...
मैं: कोई किसी के बिना नही मरता रिज़वाना जी... ऑर आपने ठीक किया... मेरे जैसा अनपढ़-गवार आपके किसी काम का नही...
रिज़वाना: (फिर से मुझे गले लगाते हुए) मुझे नही पता तुम मे ऐसा क्या है लेकिन अब मैं तुमसे दूर नही रह सकती... 1 दिन मे जाने तुमने मुझ पर क्या जादू कर दिया है... मुझे छोड़कर मत जाओ प्लीज़...
मैं: लेकिन अब तो मैने ख़ान को बोल दिया है
रिज़वाना: उसकी फिकर तुम मत करो मैं हूँ ना ख़ान को मैं देख लूँगी बस कल तुम नही जाओगे समझे... यही रहोगे मेरे पास...
मैं: जैसी आपकी मर्ज़ी... लेकिन आज के बाद मैं आपके कमरे मे नही आउन्गा...
रिज़वाना: ठीक है मत आना अब मैं भी उस कमरे मे नही जाउन्गी वही रहूंगी जहाँ तुम रहोगे... चलो अब मेरी कसम खाओ मुझे छोड़कर नही जाओगे...
मैं: आप जब जानती है कि जो चीज़ हो नही सकती फिर उसके लिए कसम क्यो दे रही है...
रिज़वाना: तुम ख़ान का काम कर दो फिर तुम आज़ाद हो उसके बाद हम दोनो रह सकते हैं यहाँ हमेशा के लिए...
मैं: जी नही मैं यहाँ नही रह सकता काम होने के बाद मैं मेरे घर चला जाउन्गा मेरे गाँव मे मेरी ये जिंदगी अब उनकी दी हुई है... आज अगर मैं ज़िंदा हूँ तो ये उनका ''अहसान" है मुझ पर...
रिज़वाना: क्या मैं भी उस परिवार का हिस्सा नही बन सकती... मैं तुम्हारे लिए अपना सब कुछ छोड़ने को तेयार हूँ...
मैं: (हँसते हुए) कहना बहुत आसान है रिज़वाना जी लेकिन करना बहुत मुश्किल...
रिज़वाना: ठीक है फिर तुम ख़ान का काम कर दो उसके बाद मैं भी ये नौकरी छोड़ दूँगी जहाँ तुम रखोगे जिस हाल मैं रखोगे मैं रहने को तैयार हूँ... ऑर आज के बाद खुद को अनपढ़-गवार मत कहना...