10-11-2021, 04:20 PM
अचानक मुझे ख़याल आया...
मैं: रिज़वाना जी...
रिज़वाना: हमम्म
मैं: उन कमीनो के चक्कर मे खाना लेना तो भूल ही गये (मुस्कुरा कर)
रिज़वाना: अरे हाँ... आपको तो भूख भी लगी थी... कोई बात नही यहाँ से लेफ्ट मोड़ लो यहाँ भी एक अच्छा रेस्टोरेंट है वहाँ से ले लेंगे...
मैं: ठीक है...
उसके बाद मैं ऑर रिज़वाना रेस्टोरेंट चले गये जहाँ से हमने खाना पॅक करवा लिया ऑर फिर हम वापिस घर की तरफ चले गये... घर आके मैने पहले सारा समान कमरे मे रखा ऑर फिर रिज़वाना से मेडिकल बॉक्स लेकर उसके कमरे मे ही उसके जखम पर दवाई लगाने लगा... रिज़वाना मुझे बस देख कर मुस्कुराती रही... फिर हम दोनो ने साथ खाना खाया... खाने के बाद रिज़वाना मेरे साथ बैठकर टीवी देखने की ज़िद्द करने लगी इसलिए मैं भी उसके पास ही बैठकर टीवी देखने लगा... रिज़वाना ऑर मैं हम दोनो साथ मे बैठे टीवी देख रहे थे लेकिन कोई भी ढंग का प्रोग्राम नही आ रहा था इसलिए हमने कुछ देर टीवी देखने के बाद बंद कर दिया...
रिज़वाना: तुमको नींद आ रही है क्या...
मैं: (ना मे सिर हिलाते हुए) आपको आ रही है...
रिज़वाना: नही... चलो फिर बाते करते हैं...
मैं: अच्छा... जैसी आपकी मर्ज़ी...
रिज़वाना: (कुछ सोचते हुए) तुमको डॅन्स आता है
मैं: (ना मे सिर हिलाते हुए) मुझे एक ही तरीके से हाथ पैर चलाना आता है वो अभी आप कुछ देर पहले देख ही चुकी है...
रिज़वाना: चलो मैं सिखाती हूँ दूसरे तरीके से भी हाथ पैर हिलाए जा सकते हैं... (मुस्कुराते हुए)
उसके बाद रिज़वाना ने एक म्यूज़िक चला दिया ऑर मुझे अपने सामने खड़ा कर लिया फिर मेरा एक हाथ अपनी कमर पर रख दिया ऑर दूसरा हाथ अपने हाथ मे थाम लिया ऑर उसने अपने एक हाथ मेरे कंधे पर रख लिया ऑर रिज़वाना ने मुझे धीरे-धीरे हिलाना शुरू कर दिया मैं भी जैसे वो मुझे हिला रही थी हिलना शुरू हो गया...
जब रिज़वाना मेरे साथ मुझसे चिपक कर खड़ी थी तब मुझे डॅन्स का नही उसके जिस्म का मेरे जिस्म के साथ जुड़े होना ज़्यादा मज़ा दे रहा था... वो बड़े प्यार मेरे कंधे पर हाथ फेर रही ऑर मेरा हाथ खुद-ब-खुद उसकी कमर को सहला रहा था मज़े से मेरी आँखें बंद हो गई थी ऑर मैने उसे कमर से पकड़ कर अपने ऑर करीब कर लिया जिससे उसके नुकीले मम्मे मुझे अपनी छाती पर चुभते हुए महसूस होने लगे इससे मुझे भी मेरी जीन्स पॅंट मे हलचल सी महसूस होने लगी लेकिन जीन्स इतनी टाइट थी कि मेरा लंड सही से खड़ा नही हो पा रहा था बस जीन्स के अंदर ही मचल रहा था ऑर बाहर आने का रास्ता तलाश कर रहा था... कुछ देर हम ऐसे ही एक दूसरे का हाथ थामे नाचते रहे फिर उसने मेरा हाथ छोड़ दिया ऑर अपनी दोनो बाजू मेरे गले मे किसी हार की तरह डाल दी ऐसे ही मेरी आँखों मे देखती हुई अपना ऑर मेरा बदन धीरे-धीरे हिलाने लगी...
रिज़वाना: एक बात बोलूं
मैं: हमम्म
रिज़वाना: तुम्हारी आँखें बहुत अच्छी है नशीली सी... (मुस्कुराते हुए)
मैं: मुझे तो आपकी आँखें पसंद है कितनी बड़ी-बड़ी है जैसे किसी हिरनी की आँखें हो...
रिज़वाना: (शर्मा कर नज़रें झुकाते हुए) शुक्रिया
फिर कुछ देर के लिए हम दोनो खामोश हो गये ऑर ऐसे ही डॅन्स करते रहे... डॅन्स तो उसके लिए था मैं तो उसके जिस्म की गर्मी का मज़ा ले रहा था... हम दोनो एक दूसरे से एक दम चिपके हुए थे बस हम दोनो के चेहरे कुछ इंच के फ़ासले पर थे लेकिन फिर भी हम एक दूसरे की साँसों की गरमी अपने चेहरे पर महसूस कर रहे थे... अब मुझसे भी ऑर बर्दाश्त नही हो रहा था इसलिए मैं आगे बढ़ने का सोच की रहा था कि अचानक लाइट चली गई ऑर पूरे कमरे मे अंधेरा हो गया जिससे हम दोनो का ध्यान एक दूसरे से हटकर अंधेरे की तरफ गया इसलिए मेरे ना चाहते हुए भी रिज़वाना मुझसे अलग हो गई...
रिज़वाना: ओह्हुनो फिर से लाइट चली गई... तुम रूको मैं रोशनी के लिए कुछ लेके आती हूँ
मैं: रहने दो ना ऐसे ही ठीक है अंधेरे मे क्या नज़र आएगा
रिज़वाना: मुझे अंधेरे मे डर लगता है... बस 2 मिंट मे आ रही हूँ
मैं: ठीक है जल्दी आना...
रिज़वाना: बस 2 मिंट ऐसे गई ऑर ऐसे आई...
मैं क्या सोच रहा था ऑर क्या हो गया जैसे किसी ने मेरे अरमानो पर पानी फेर दिया हो मैं अपने दिल मे बिजली वालो को गालियाँ निकाल रहा था कि हरामखोरो ने अभी लाइट बंद करनी थी कुछ देर रुक जाते तो इनके बाप का क्या जाता था... पूरे कमरे मे चारो तरफ अंधेरा था बस खिड़की से हल्की सी चाँद की रोशनी कमरे के अंदर आ रही थी... वो भी बहुत कम क्योंकि खिड़की के आगे परदा लगा हुआ था... मैने सोचा कि कमरे मे गरमी हो रही है इसलिए खिड़की से परदा हटा दूं ताकि ताज़ी हवा भी आ सके ऑर रोशनी भी...
मैं: रिज़वाना जी...
रिज़वाना: हमम्म
मैं: उन कमीनो के चक्कर मे खाना लेना तो भूल ही गये (मुस्कुरा कर)
रिज़वाना: अरे हाँ... आपको तो भूख भी लगी थी... कोई बात नही यहाँ से लेफ्ट मोड़ लो यहाँ भी एक अच्छा रेस्टोरेंट है वहाँ से ले लेंगे...
मैं: ठीक है...
उसके बाद मैं ऑर रिज़वाना रेस्टोरेंट चले गये जहाँ से हमने खाना पॅक करवा लिया ऑर फिर हम वापिस घर की तरफ चले गये... घर आके मैने पहले सारा समान कमरे मे रखा ऑर फिर रिज़वाना से मेडिकल बॉक्स लेकर उसके कमरे मे ही उसके जखम पर दवाई लगाने लगा... रिज़वाना मुझे बस देख कर मुस्कुराती रही... फिर हम दोनो ने साथ खाना खाया... खाने के बाद रिज़वाना मेरे साथ बैठकर टीवी देखने की ज़िद्द करने लगी इसलिए मैं भी उसके पास ही बैठकर टीवी देखने लगा... रिज़वाना ऑर मैं हम दोनो साथ मे बैठे टीवी देख रहे थे लेकिन कोई भी ढंग का प्रोग्राम नही आ रहा था इसलिए हमने कुछ देर टीवी देखने के बाद बंद कर दिया...
रिज़वाना: तुमको नींद आ रही है क्या...
मैं: (ना मे सिर हिलाते हुए) आपको आ रही है...
रिज़वाना: नही... चलो फिर बाते करते हैं...
मैं: अच्छा... जैसी आपकी मर्ज़ी...
रिज़वाना: (कुछ सोचते हुए) तुमको डॅन्स आता है
मैं: (ना मे सिर हिलाते हुए) मुझे एक ही तरीके से हाथ पैर चलाना आता है वो अभी आप कुछ देर पहले देख ही चुकी है...
रिज़वाना: चलो मैं सिखाती हूँ दूसरे तरीके से भी हाथ पैर हिलाए जा सकते हैं... (मुस्कुराते हुए)
उसके बाद रिज़वाना ने एक म्यूज़िक चला दिया ऑर मुझे अपने सामने खड़ा कर लिया फिर मेरा एक हाथ अपनी कमर पर रख दिया ऑर दूसरा हाथ अपने हाथ मे थाम लिया ऑर उसने अपने एक हाथ मेरे कंधे पर रख लिया ऑर रिज़वाना ने मुझे धीरे-धीरे हिलाना शुरू कर दिया मैं भी जैसे वो मुझे हिला रही थी हिलना शुरू हो गया...
जब रिज़वाना मेरे साथ मुझसे चिपक कर खड़ी थी तब मुझे डॅन्स का नही उसके जिस्म का मेरे जिस्म के साथ जुड़े होना ज़्यादा मज़ा दे रहा था... वो बड़े प्यार मेरे कंधे पर हाथ फेर रही ऑर मेरा हाथ खुद-ब-खुद उसकी कमर को सहला रहा था मज़े से मेरी आँखें बंद हो गई थी ऑर मैने उसे कमर से पकड़ कर अपने ऑर करीब कर लिया जिससे उसके नुकीले मम्मे मुझे अपनी छाती पर चुभते हुए महसूस होने लगे इससे मुझे भी मेरी जीन्स पॅंट मे हलचल सी महसूस होने लगी लेकिन जीन्स इतनी टाइट थी कि मेरा लंड सही से खड़ा नही हो पा रहा था बस जीन्स के अंदर ही मचल रहा था ऑर बाहर आने का रास्ता तलाश कर रहा था... कुछ देर हम ऐसे ही एक दूसरे का हाथ थामे नाचते रहे फिर उसने मेरा हाथ छोड़ दिया ऑर अपनी दोनो बाजू मेरे गले मे किसी हार की तरह डाल दी ऐसे ही मेरी आँखों मे देखती हुई अपना ऑर मेरा बदन धीरे-धीरे हिलाने लगी...
रिज़वाना: एक बात बोलूं
मैं: हमम्म
रिज़वाना: तुम्हारी आँखें बहुत अच्छी है नशीली सी... (मुस्कुराते हुए)
मैं: मुझे तो आपकी आँखें पसंद है कितनी बड़ी-बड़ी है जैसे किसी हिरनी की आँखें हो...
रिज़वाना: (शर्मा कर नज़रें झुकाते हुए) शुक्रिया
फिर कुछ देर के लिए हम दोनो खामोश हो गये ऑर ऐसे ही डॅन्स करते रहे... डॅन्स तो उसके लिए था मैं तो उसके जिस्म की गर्मी का मज़ा ले रहा था... हम दोनो एक दूसरे से एक दम चिपके हुए थे बस हम दोनो के चेहरे कुछ इंच के फ़ासले पर थे लेकिन फिर भी हम एक दूसरे की साँसों की गरमी अपने चेहरे पर महसूस कर रहे थे... अब मुझसे भी ऑर बर्दाश्त नही हो रहा था इसलिए मैं आगे बढ़ने का सोच की रहा था कि अचानक लाइट चली गई ऑर पूरे कमरे मे अंधेरा हो गया जिससे हम दोनो का ध्यान एक दूसरे से हटकर अंधेरे की तरफ गया इसलिए मेरे ना चाहते हुए भी रिज़वाना मुझसे अलग हो गई...
रिज़वाना: ओह्हुनो फिर से लाइट चली गई... तुम रूको मैं रोशनी के लिए कुछ लेके आती हूँ
मैं: रहने दो ना ऐसे ही ठीक है अंधेरे मे क्या नज़र आएगा
रिज़वाना: मुझे अंधेरे मे डर लगता है... बस 2 मिंट मे आ रही हूँ
मैं: ठीक है जल्दी आना...
रिज़वाना: बस 2 मिंट ऐसे गई ऑर ऐसे आई...
मैं क्या सोच रहा था ऑर क्या हो गया जैसे किसी ने मेरे अरमानो पर पानी फेर दिया हो मैं अपने दिल मे बिजली वालो को गालियाँ निकाल रहा था कि हरामखोरो ने अभी लाइट बंद करनी थी कुछ देर रुक जाते तो इनके बाप का क्या जाता था... पूरे कमरे मे चारो तरफ अंधेरा था बस खिड़की से हल्की सी चाँद की रोशनी कमरे के अंदर आ रही थी... वो भी बहुत कम क्योंकि खिड़की के आगे परदा लगा हुआ था... मैने सोचा कि कमरे मे गरमी हो रही है इसलिए खिड़की से परदा हटा दूं ताकि ताज़ी हवा भी आ सके ऑर रोशनी भी...