10-11-2021, 04:18 PM
अभी मैं रसोई के गेट तक ही पहुँचा था कि अचानक रिज़वाना हाथ मे खाने की ट्रे लेके बाहर आ गई ऑर मुझसे टकरा गई जिससे सारी सब्जी की ग्रेवी मुझ पर ऑर रिज़वाना पर गिर गई ऑर कुछ बर्तन भी ज़मीन पर गिरने से टूट गये... सब्जी की ग्रेवी उसके ऑर मेरी दोनो की कमीज़ पर गिर गई थी... वो मेरे सामने प्लेट लेके अब भी खड़ी थी... हम दोनो ही इस अचानक टकराव के लिए तेयार नही थे इसलिए जल्दबाज़ी मे मैने उसके सीने से ग्रेवी सॉफ करने के लिए अपने दोनो हाथ उसकी छाती पर रख दिए ऑर वहाँ से हाथ फेर कर सॉफ करने लगा... मेरे एक दम वहाँ हाथ लगाने से रिज़वाना को जैसे झटका सा लगा ऑर पिछे हो गई साथ ही उसने अपने दोनो हाथ से ट्रे भी छोड़ दी जो सीधा मेरे पैर पर आके गिरी... ये सब इतना अचानक हुआ कि हम दोनो ही कुछ समझ नही पाए...
रिज़वाना: आपको लगी तो नही... (फिकर्मन्दि से)
मैं: जी नही मैं ठीक हूँ माफ़ कीजिए वो मैने आप पर सब्जी गिरा दी...
रिज़वाना: कोई बात नही... (अपने हाथ से अपने टॉप से ग्रेवी झाड़ते हुए) लेकिन आप यहाँ क्या करने आए थे...
मैं: जी वो मैने सोचा आपकी मदद कर दूं इसलिए आ रहा था (नज़रे झुका कर)
रिज़वाना: (मुस्कुराते हुए) कोई बात नही... इसलिए मैने आपको कहा था आप खाते हुए ही अच्छे लगेंगे... खाना तो सारा गिर गया अब क्या करे...
मैं: आप कोई फल खा लीजिए मैं तो पानी पीकर भी सो जाउन्गा... (मुस्कुराते हुए)
रिज़वाना: पानी पी कर क्यो सो जाओगे... अब इतनी गई गुज़री भी नही हूँ कि खाना दुबारा नही बना सकती...
मैं: रहने दो रिज़वाना जी दुबारा मेहनत करनी पड़ेगी आपको...
रिज़वाना: खाना तो खाना ही है ना नीर क्या कर सकते हैं... (कुछ सोचते हुए) म्म्म्माम चलो ऐसा करते हैं बाहर चलते हैं
खाने के लिए फिर तो ठीक है... (मुस्कुरा कर)
मैं: जैसी आपकी मर्ज़ी (मुस्कुराकर)
रिज़वाना: चलो फिर तुम भी कपड़े बदल लो मैं भी चेंज करके आती हूँ...
मैं: अच्छा जी...
उसके बाद हम दोनो कपड़े पहनकर तेयार हो गये ऑर मैं बाहर हॉल मे बैठकर रिज़वाना का इंतज़ार करने लगा... कुछ देर बाद रिज़वाना भी तेयार होके आ गई... उसने सफेद कलर का सूट पहन रखा था जिसमे वो किसी परी से कम नही लग रही थी जैसे ही वो मेरे सामने आके खड़ी हुई तो उसके बदन सी निकलने वाले खुश्बू ने मुझे मदहोश सा कर दिया...
रिज़वाना: मैं कैसी लग रही हूँ... (मुस्कुरा कर)
मैं: एक दम परी जैसी (मुस्कुरा कर)
रिज़वाना: हाहहहाहा शुक्रिया... अर्रे तुमने फिर से वही गाववाले कपड़े पहन लिए...
मैं: जी मेरे पास यही कपड़े हैं
रिज़वाना: (अपने माथे पर हाथ रखते हुए) ओह्ह मैं तो भूल ही गई थी कि तुमको नये कपड़े भी लेके देने हैं...
मैं: नये कपड़ो की क्या ज़रूरत है मैं ऐसे ही ठीक हूँ...
रिज़वाना: नीर अब तुम शेरा हो ऑर शेरा ऐसे कपड़े नही पहनता ख़ान ने मुझे बोला भी था तुम्हारे कपड़ो के लिए लेकिन मैं भूल ही गई... चलो पहले तुम्हारे लिए कपड़े ही लेते हैं उसके बाद हम खाना खाने जाएँगे ठीक है...
मैं: ठीक है...
फिर हम दोनो रिज़वाना की कार मे बैठ कर बाज़ार चले गये पूरे रास्ते मैं बस रिज़वाना को ही देख रहा... उसके बदन की खुश्बू ने पूरी कार को महका दिया था... उस खुश्बू ने मुझे काफ़ी गरम कर दिया था इसलिए मैं पूरे रास्ते अपने लंड को अपनी टाँगो मे दबाए बैठा रहा ताकि रिज़वाना की नज़र मेरे खड़े लंड पर ना पड़ जाए... अब मुझे रिज़वाना के साथ बैठे हुए हीना के साथ बिताए लम्हे याद आ रहे थे जब मैं उसको कार चलानी सीखाता था...
थोड़ी देर बाद हम बाज़ार आ गये ऑर वहाँ रिज़वाना ने पार्किंग मे गाड़ी खड़ी की ऑर फिर वो मुझे एक बड़ी सी दुकान (शोरुम) मे ले गई जहाँ उसने मेरे लिए बहुत सारे कपड़े खरीदे... रिज़वाना के ज़िद करने पर मैने बारी-बारी सब कपड़े पहन कर देखे ऑर रिज़वाना को भी अपना ये नया बदला हुआ रूप दिखाया जिसको देखकर शायद रिज़वाना की भी आँखें खुली की खुली ही रह गई... मैं भी अपने इस नये रूप से बहुत हैरान था क्योंकि अब तक मैने गाँव के सीधे-शाधे कपड़े ही पहने थे... लेकिन खुद को आज ऐसे बदला हुआ देखकर मुझे एक अजीब सी खुशी का अहसास हो रहा था ऑर मैं बार-बार खुद को शीशे मे देख रहा था ऑर खुद ही मुस्कुरा भी रहा था...
मैं: कैसा लगा रहा हूँ रिज़वाना जी...
रिज़वाना: (मुस्कुरा कर मेरी जॅकेट का कलर ठीक करते हुए) ये हुई ना बात अब लग रहा है कि शेरा अपने रंग मे आया है...
मैं: ये भी आपका ही कमाल है (मुस्कुरा कर)
रिज़वाना: चलो अब खाना खाने चलते हैं...
मैं: हंजी चलिए... वैसे भी बहुत भूख लगी है
रिज़वाना: भूख लगी है... पहले क्यो नही बताया चलो चलें...
रिज़वाना: आपको लगी तो नही... (फिकर्मन्दि से)
मैं: जी नही मैं ठीक हूँ माफ़ कीजिए वो मैने आप पर सब्जी गिरा दी...
रिज़वाना: कोई बात नही... (अपने हाथ से अपने टॉप से ग्रेवी झाड़ते हुए) लेकिन आप यहाँ क्या करने आए थे...
मैं: जी वो मैने सोचा आपकी मदद कर दूं इसलिए आ रहा था (नज़रे झुका कर)
रिज़वाना: (मुस्कुराते हुए) कोई बात नही... इसलिए मैने आपको कहा था आप खाते हुए ही अच्छे लगेंगे... खाना तो सारा गिर गया अब क्या करे...
मैं: आप कोई फल खा लीजिए मैं तो पानी पीकर भी सो जाउन्गा... (मुस्कुराते हुए)
रिज़वाना: पानी पी कर क्यो सो जाओगे... अब इतनी गई गुज़री भी नही हूँ कि खाना दुबारा नही बना सकती...
मैं: रहने दो रिज़वाना जी दुबारा मेहनत करनी पड़ेगी आपको...
रिज़वाना: खाना तो खाना ही है ना नीर क्या कर सकते हैं... (कुछ सोचते हुए) म्म्म्माम चलो ऐसा करते हैं बाहर चलते हैं
खाने के लिए फिर तो ठीक है... (मुस्कुरा कर)
मैं: जैसी आपकी मर्ज़ी (मुस्कुराकर)
रिज़वाना: चलो फिर तुम भी कपड़े बदल लो मैं भी चेंज करके आती हूँ...
मैं: अच्छा जी...
उसके बाद हम दोनो कपड़े पहनकर तेयार हो गये ऑर मैं बाहर हॉल मे बैठकर रिज़वाना का इंतज़ार करने लगा... कुछ देर बाद रिज़वाना भी तेयार होके आ गई... उसने सफेद कलर का सूट पहन रखा था जिसमे वो किसी परी से कम नही लग रही थी जैसे ही वो मेरे सामने आके खड़ी हुई तो उसके बदन सी निकलने वाले खुश्बू ने मुझे मदहोश सा कर दिया...
रिज़वाना: मैं कैसी लग रही हूँ... (मुस्कुरा कर)
मैं: एक दम परी जैसी (मुस्कुरा कर)
रिज़वाना: हाहहहाहा शुक्रिया... अर्रे तुमने फिर से वही गाववाले कपड़े पहन लिए...
मैं: जी मेरे पास यही कपड़े हैं
रिज़वाना: (अपने माथे पर हाथ रखते हुए) ओह्ह मैं तो भूल ही गई थी कि तुमको नये कपड़े भी लेके देने हैं...
मैं: नये कपड़ो की क्या ज़रूरत है मैं ऐसे ही ठीक हूँ...
रिज़वाना: नीर अब तुम शेरा हो ऑर शेरा ऐसे कपड़े नही पहनता ख़ान ने मुझे बोला भी था तुम्हारे कपड़ो के लिए लेकिन मैं भूल ही गई... चलो पहले तुम्हारे लिए कपड़े ही लेते हैं उसके बाद हम खाना खाने जाएँगे ठीक है...
मैं: ठीक है...
फिर हम दोनो रिज़वाना की कार मे बैठ कर बाज़ार चले गये पूरे रास्ते मैं बस रिज़वाना को ही देख रहा... उसके बदन की खुश्बू ने पूरी कार को महका दिया था... उस खुश्बू ने मुझे काफ़ी गरम कर दिया था इसलिए मैं पूरे रास्ते अपने लंड को अपनी टाँगो मे दबाए बैठा रहा ताकि रिज़वाना की नज़र मेरे खड़े लंड पर ना पड़ जाए... अब मुझे रिज़वाना के साथ बैठे हुए हीना के साथ बिताए लम्हे याद आ रहे थे जब मैं उसको कार चलानी सीखाता था...
थोड़ी देर बाद हम बाज़ार आ गये ऑर वहाँ रिज़वाना ने पार्किंग मे गाड़ी खड़ी की ऑर फिर वो मुझे एक बड़ी सी दुकान (शोरुम) मे ले गई जहाँ उसने मेरे लिए बहुत सारे कपड़े खरीदे... रिज़वाना के ज़िद करने पर मैने बारी-बारी सब कपड़े पहन कर देखे ऑर रिज़वाना को भी अपना ये नया बदला हुआ रूप दिखाया जिसको देखकर शायद रिज़वाना की भी आँखें खुली की खुली ही रह गई... मैं भी अपने इस नये रूप से बहुत हैरान था क्योंकि अब तक मैने गाँव के सीधे-शाधे कपड़े ही पहने थे... लेकिन खुद को आज ऐसे बदला हुआ देखकर मुझे एक अजीब सी खुशी का अहसास हो रहा था ऑर मैं बार-बार खुद को शीशे मे देख रहा था ऑर खुद ही मुस्कुरा भी रहा था...
मैं: कैसा लगा रहा हूँ रिज़वाना जी...
रिज़वाना: (मुस्कुरा कर मेरी जॅकेट का कलर ठीक करते हुए) ये हुई ना बात अब लग रहा है कि शेरा अपने रंग मे आया है...
मैं: ये भी आपका ही कमाल है (मुस्कुरा कर)
रिज़वाना: चलो अब खाना खाने चलते हैं...
मैं: हंजी चलिए... वैसे भी बहुत भूख लगी है
रिज़वाना: भूख लगी है... पहले क्यो नही बताया चलो चलें...