10-11-2021, 04:17 PM
ऐसे ही मैं अपनी सोचो मे गुम्म बैठा हुआ तस्वीर देख रहा था कि मुझे पता ही नही चला कब डॉक्टर रिज़वाना मेरे पास आके बैठ गई...
रिज़वाना: कहाँ खो गये जनाब... (मेरे मुँह के सामने चुटकी बजाते हुए)
मैं: जी कही नही बस वो मैं अपनी पुरानी जिंदगी के बारे मे याद करने की कोशिश कर रहा था लेकिन कुछ भी याद नही आ रहा...
रिज़वाना: कोई बात नही जैसे-जैसे तुम अपने बारे मे जानोगे तुमको याद आता जाएगा... वैसे तुमको सच मे तुम्हारे घरवालो के बारे मे भी कुछ नही याद...
मैं: (मुस्कुरा कर ना मे सिर हिलाते हुए) आपके घर मे कौन-कौन है...
रिज़वाना: कोई भी नही मेरे अम्मी अब्बू की कार आक्सिडेंट मे डेथ हो गई थी तब से अकेली ही हूँ (मुस्कुरा कर)
मैं: कोई भी नही है... मेरा मतलब पति या बचे...
रिज़वाना: नही... (मुस्कुरा कर) इन सब चीज़ो के लिए वक़्त तब ही मिल सकता है जब ड्यूटी से फ़ुर्सत मिले यहाँ तो सारा दिन हेड क्वॉर्टर मे लोगो का इलाज करने मे ही वक़्त निकल जाता है...
मैं: हाँ जब आपके लोग ऐसे ही किसी पर हमला करेंगे तो इलाज तो करना ही पड़ेगा उनका...
रिज़वाना: अच्छा वो... हाहहहाहा नही ऐसी बात नही है वो तो ख़ान ने तुम्हारा टेस्ट लेना था बस इसलिए... ऑर वैसे भी तुमने कौनसी कसर छोड़ी थी...
मैं: मैने क्या किया मैं तो बस हल्का फूलका उनको दूर किया था खुद से... (मुस्कुरा कर)
रिज़वाना: रहने दो... रहने दो... उस दिन हेड क्वॉर्टर्स मे तुमने हमारे लोगो की क्या हालत की थी पता है मुझे... मैने ही इलाज किया था उनका बिचारे 5 लोगो के तो फ्रेक्चर तक आ गये थे बॉडी मे... ऐसा भी कोई किसी को मारता है...
मैं: (नज़रे नीचे करके मुस्कुरा कर) वो एक दम मुझ पर हमला हुआ तो मुझे कुछ समझ नही आया कि क्या करूँ इसलिए मैने भी हमला कर दिया...
रिज़वाना: हंजी... ऑर जो हाथ मे आया उठा के मार दिया... हाहहहहहाहा
मैं: (बिना कुछ बोले मुस्कुरा दिया)
रिज़वाना: चलो तुम बैठो मैं कुछ खाने के लिए लाती हूँ...
मैं: आप क्यो... कोई नौकर नही है यहाँ पर...
रिज़वाना: जी नही आपके ख़ान साहब को किसी पर भरोसा भी तो नही है इसलिए सारा काम मुझे ही करना पड़ेगा (रोने जैसा मुँह बनाके)
मैं: कोई बात नही मैं हूँ ना मैं आपकी मदद कर दूँगा...
रिज़वाना: (हैरान होते हुए) तुमको खाना बनाना आता है...
मैं: जी फिलहाल तो खाना ही आता है लेकिन आप सिखाएँगी तो बनाना भी सीख जाउन्गा...
रिज़वाना: हाहहहहाहा रहने दो तुम खाते हुए ही अच्छे लगोगे बना मैं खुद लूँगी...
उसके बाद रिज़वाना रसोई की तरफ चली गई ऑर मैं उसको जाते हुए देखता था... लेकिन मेरी शैतानी नज़र का मैं क्या करूँ जो ना चाहते हुए भी ग़लत वक़्त पर ग़लत चीज़ देखती है... रिज़वाना को जाते हुए देखकर मेरी नज़र सीधा उसकी गान्ड पर पड़ी जो उसके चलने से उपर नीचे हो रही थी उसकी जीन्स की फीटिंग से गान्ड की गोलाई के उभार ऑर भी वजह तोर पर नज़र आ रहे थे... जिससे मेरे लंड मे भी हरकत होने लगी ऑर वो जागने लगा... मैने अपने दोनो हाथो से अपने लंड को थाम लिया ऑर एक थप्पड़ मारा की साले हर जगह मुँह उठाके घुसने को तेयार मत हो जाया कर वो डॉक्टर हैं हीना या फ़िज़ा नही जिसकी गहराई मे तू जब चाहे उतर जाए... लेकिन मेरा लंड था कि बैठने का नाम ही नही ले रहा था मेरी नज़रों के सामने बार-बार रिज़वाना की गान्ड की तस्वीर आ रही थी ऑर मेरा दिल चाह रहा था कि उसकी खूबसूरत उभरी हुई गान्ड के दीदार मैं एक बार फिर से करूँ... इसलिए ना चाहते हुए भी मैं खड़ा होके रसोई की तरफ चला गया ताकि चुपके से रिज़वाना की मोटी सी ऑर बाहर को निकली हुई गान्ड को जी-भरकर देख सकूँ...
रिज़वाना: कहाँ खो गये जनाब... (मेरे मुँह के सामने चुटकी बजाते हुए)
मैं: जी कही नही बस वो मैं अपनी पुरानी जिंदगी के बारे मे याद करने की कोशिश कर रहा था लेकिन कुछ भी याद नही आ रहा...
रिज़वाना: कोई बात नही जैसे-जैसे तुम अपने बारे मे जानोगे तुमको याद आता जाएगा... वैसे तुमको सच मे तुम्हारे घरवालो के बारे मे भी कुछ नही याद...
मैं: (मुस्कुरा कर ना मे सिर हिलाते हुए) आपके घर मे कौन-कौन है...
रिज़वाना: कोई भी नही मेरे अम्मी अब्बू की कार आक्सिडेंट मे डेथ हो गई थी तब से अकेली ही हूँ (मुस्कुरा कर)
मैं: कोई भी नही है... मेरा मतलब पति या बचे...
रिज़वाना: नही... (मुस्कुरा कर) इन सब चीज़ो के लिए वक़्त तब ही मिल सकता है जब ड्यूटी से फ़ुर्सत मिले यहाँ तो सारा दिन हेड क्वॉर्टर मे लोगो का इलाज करने मे ही वक़्त निकल जाता है...
मैं: हाँ जब आपके लोग ऐसे ही किसी पर हमला करेंगे तो इलाज तो करना ही पड़ेगा उनका...
रिज़वाना: अच्छा वो... हाहहहाहा नही ऐसी बात नही है वो तो ख़ान ने तुम्हारा टेस्ट लेना था बस इसलिए... ऑर वैसे भी तुमने कौनसी कसर छोड़ी थी...
मैं: मैने क्या किया मैं तो बस हल्का फूलका उनको दूर किया था खुद से... (मुस्कुरा कर)
रिज़वाना: रहने दो... रहने दो... उस दिन हेड क्वॉर्टर्स मे तुमने हमारे लोगो की क्या हालत की थी पता है मुझे... मैने ही इलाज किया था उनका बिचारे 5 लोगो के तो फ्रेक्चर तक आ गये थे बॉडी मे... ऐसा भी कोई किसी को मारता है...
मैं: (नज़रे नीचे करके मुस्कुरा कर) वो एक दम मुझ पर हमला हुआ तो मुझे कुछ समझ नही आया कि क्या करूँ इसलिए मैने भी हमला कर दिया...
रिज़वाना: हंजी... ऑर जो हाथ मे आया उठा के मार दिया... हाहहहहहाहा
मैं: (बिना कुछ बोले मुस्कुरा दिया)
रिज़वाना: चलो तुम बैठो मैं कुछ खाने के लिए लाती हूँ...
मैं: आप क्यो... कोई नौकर नही है यहाँ पर...
रिज़वाना: जी नही आपके ख़ान साहब को किसी पर भरोसा भी तो नही है इसलिए सारा काम मुझे ही करना पड़ेगा (रोने जैसा मुँह बनाके)
मैं: कोई बात नही मैं हूँ ना मैं आपकी मदद कर दूँगा...
रिज़वाना: (हैरान होते हुए) तुमको खाना बनाना आता है...
मैं: जी फिलहाल तो खाना ही आता है लेकिन आप सिखाएँगी तो बनाना भी सीख जाउन्गा...
रिज़वाना: हाहहहहाहा रहने दो तुम खाते हुए ही अच्छे लगोगे बना मैं खुद लूँगी...
उसके बाद रिज़वाना रसोई की तरफ चली गई ऑर मैं उसको जाते हुए देखता था... लेकिन मेरी शैतानी नज़र का मैं क्या करूँ जो ना चाहते हुए भी ग़लत वक़्त पर ग़लत चीज़ देखती है... रिज़वाना को जाते हुए देखकर मेरी नज़र सीधा उसकी गान्ड पर पड़ी जो उसके चलने से उपर नीचे हो रही थी उसकी जीन्स की फीटिंग से गान्ड की गोलाई के उभार ऑर भी वजह तोर पर नज़र आ रहे थे... जिससे मेरे लंड मे भी हरकत होने लगी ऑर वो जागने लगा... मैने अपने दोनो हाथो से अपने लंड को थाम लिया ऑर एक थप्पड़ मारा की साले हर जगह मुँह उठाके घुसने को तेयार मत हो जाया कर वो डॉक्टर हैं हीना या फ़िज़ा नही जिसकी गहराई मे तू जब चाहे उतर जाए... लेकिन मेरा लंड था कि बैठने का नाम ही नही ले रहा था मेरी नज़रों के सामने बार-बार रिज़वाना की गान्ड की तस्वीर आ रही थी ऑर मेरा दिल चाह रहा था कि उसकी खूबसूरत उभरी हुई गान्ड के दीदार मैं एक बार फिर से करूँ... इसलिए ना चाहते हुए भी मैं खड़ा होके रसोई की तरफ चला गया ताकि चुपके से रिज़वाना की मोटी सी ऑर बाहर को निकली हुई गान्ड को जी-भरकर देख सकूँ...