10-11-2021, 01:39 PM
तभी बाबा भी घर आ गये...
बाबा: अर्रे ख़ान साहब आप कब आए...
ख़ान: (अदब से सलाम करते हुए) जी बस अभी वो थोड़ा समस्या हो गया था...
नाज़ी: बाबा आपको सब पता था तो हम को क्यो नही बताया (गुस्से से)
बाबा: बेटी मैने जो किया इसके भले के लिए किया मैं नही चाहता था कि ये भी क़ासिम की तरह जैल मे अपनी जिंदगी गुज़ारे...
मैं: बाबा आपने जो किया ठीक किया लेकिन मुझे इस दवाई की ज़रूरत नही है मैं आपका बेटा हूँ ऑर आपका ही बेटा रहूँगा ऑर यक़ीन कीजिए मैं ख़ान का हर हालत मे साथ दूँगा...
ख़ान: सोच लो... तुम पर मैं बहुत बड़ा दाव खेलने जा रहा हूँ कुछ गड़बड़ हुई तो...
मैं: (बीच मे बोलते हुए) आप को मुझ पर भरोसा करना होगा...
ख़ान: ठीक है... वैसे भी मेरे पास ऑर कोई रास्ता है भी नही...
मैं: तो कब जाना है मुझे फिर...
ख़ान: अर्रे इतनी जल्दी भी क्या है तुम अभी इस लायक़ नही हो कि वहाँ तक भेज दूँ उसके लिए पहले तुमको ट्रेंड करना पड़ेगा हर चीज़ सीखनी पड़ेगी...
रिज़वाना: क्यो ना आप कुछ दिन के लिए हमारे पास शहर आ जाए वहाँ हम आपको सब कुछ सिखा भी देंगे...
फ़िज़ा: कितने दिन का काम है... (परेशान होते हुए)
ख़ान: ज़्यादा नही बस कुछ ही दिन की बात है...
बाबा: ख़ान साहब आपको हम से एक वादा करना होगा
ख़ान: (सवालिया नज़रों से बाबा को देखते हुए) कैसा वादा जनाब...
बाबा: यही कि आपका मिशन पूरा हो जाने के बाद आप सही सलामत नीर को वापिस भेज देंगे... अब ये हमारी अमानत है आपके पास...
ख़ान: जी बे-फिकर रहिए मेरा काम होते ही मैं खुद इसे आज़ाद कर दूँगा ऑर यहाँ तक कि पोलीस रेकॉर्ड्स से इसका नाम भी मिटा दूँगा... उसके बाद पोलीस रेकॉर्ड्स मे शेरा मर जाएगा ऑर फिर ये नीर बनके अपनी सारी जिंदगी चैन से आप सब के साथ गुज़ार सकता है...
बाबा: ठीक है...
ख़ान: कुछ दिन के लिए नीर को मेरे पास भेज दीजिए ताकि इसको मैं इसका काम सीखा सकूँ उसके बाद इसको मैं मिशन पर भेज दूँगा...
मैं: मेरे जाने के बाद इनका ख्याल कौन रखेगा...
ख़ान: तुम इनकी बिल्कुल फिकर ना करो ये अब मेरी ज़िम्मेदारी है इनको किसी चीज़ की कमी नही होगी ये मैं वादा करता हूँ...
मैं: ठीक है फिर मैं कल ही आ जाता हूँ
ख़ान: जैसा तुम ठीक समझो... अच्छा जनाब (बाबा की तरफ देखते हुए) अब इजाज़त दीजिए...
बाबा: अच्छा ख़ान साहब...
उसके बाद डॉक्टर रिज़वाना ऑर ख़ान दोनो चले गये ऑर मैं दोनो को जाते हुए देखता रहा... बाबा एक दम शांत होके कुर्सी पर बैठे थे जैसे वो किसी गहरी सोच मे हो...
मैं: क्या हुआ बाबा
बाबा: बेटा मुझे समझ नही आ रहा कि तुमको ऐसी ख़तरनाक जगह पर भेजू या नही...
मैं: अर्रे बाबा आप फिकर क्यो करते हैं अपने बेटे पर भरोसा रखिए कुछ नही होगा...
बाबा: एक तुम पर ही तो भरोसा है बेटा... लेकिन तुम्हारी फिकर भी है कही तुमको कुछ हो गया तो मुझ ग़रीब के पास क्या बचेगा...
मैं: कुछ नही होगा बाबा...
फ़िज़ा: बाबा आपको इतने ख़तरनाक काम के लिए ख़ान को हाँ नही बोलना चाहिए था जाने वो लोग कैसे होंगे...
बाबा: शायद तुम ठीक कह रही हो बेटी लेकिन मैं भी क्या करता एक बेटा आगे ही जैल मे बैठा है दूसरे को भी जैल कैसे भेज देता इसलिए मजबूर होके मैने हाँ कहा था...
नाज़ी: लेकिन बाबा अगर वहाँ नीर को कुछ हो गया तो...
फ़िज़ा: (बीच मे बोलते हुए) ऐसी बाते ना करो नाज़ी वैसे ही मुझे डर लग रहा है...
मैं: अर्रे आप सब तो ऐसे ही घबरा रहे हो कुछ नही होगा... मुझे बस आप लोगो की ही फिकर है...
बाबा: तुम बस अपना ख्याल रखना बेटा... हमें ऑर कुछ नही चाहिए (मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए)
ऐसे ही हम काफ़ी देर तक बाते करते रहे शाम को हीना फिर से मेरा पता लेने आ गई मैने उससे कुछ दिन इलाज करवाने का बता कर शहर जाने का बहाना बना दिया जिस पर पहले वो नाराज़ हुई लेकिन फिर वो मान गई ऑर कुछ वक़्त उसके साथ बिताने के बाद वो भी चली गई...
बाबा: अर्रे ख़ान साहब आप कब आए...
ख़ान: (अदब से सलाम करते हुए) जी बस अभी वो थोड़ा समस्या हो गया था...
नाज़ी: बाबा आपको सब पता था तो हम को क्यो नही बताया (गुस्से से)
बाबा: बेटी मैने जो किया इसके भले के लिए किया मैं नही चाहता था कि ये भी क़ासिम की तरह जैल मे अपनी जिंदगी गुज़ारे...
मैं: बाबा आपने जो किया ठीक किया लेकिन मुझे इस दवाई की ज़रूरत नही है मैं आपका बेटा हूँ ऑर आपका ही बेटा रहूँगा ऑर यक़ीन कीजिए मैं ख़ान का हर हालत मे साथ दूँगा...
ख़ान: सोच लो... तुम पर मैं बहुत बड़ा दाव खेलने जा रहा हूँ कुछ गड़बड़ हुई तो...
मैं: (बीच मे बोलते हुए) आप को मुझ पर भरोसा करना होगा...
ख़ान: ठीक है... वैसे भी मेरे पास ऑर कोई रास्ता है भी नही...
मैं: तो कब जाना है मुझे फिर...
ख़ान: अर्रे इतनी जल्दी भी क्या है तुम अभी इस लायक़ नही हो कि वहाँ तक भेज दूँ उसके लिए पहले तुमको ट्रेंड करना पड़ेगा हर चीज़ सीखनी पड़ेगी...
रिज़वाना: क्यो ना आप कुछ दिन के लिए हमारे पास शहर आ जाए वहाँ हम आपको सब कुछ सिखा भी देंगे...
फ़िज़ा: कितने दिन का काम है... (परेशान होते हुए)
ख़ान: ज़्यादा नही बस कुछ ही दिन की बात है...
बाबा: ख़ान साहब आपको हम से एक वादा करना होगा
ख़ान: (सवालिया नज़रों से बाबा को देखते हुए) कैसा वादा जनाब...
बाबा: यही कि आपका मिशन पूरा हो जाने के बाद आप सही सलामत नीर को वापिस भेज देंगे... अब ये हमारी अमानत है आपके पास...
ख़ान: जी बे-फिकर रहिए मेरा काम होते ही मैं खुद इसे आज़ाद कर दूँगा ऑर यहाँ तक कि पोलीस रेकॉर्ड्स से इसका नाम भी मिटा दूँगा... उसके बाद पोलीस रेकॉर्ड्स मे शेरा मर जाएगा ऑर फिर ये नीर बनके अपनी सारी जिंदगी चैन से आप सब के साथ गुज़ार सकता है...
बाबा: ठीक है...
ख़ान: कुछ दिन के लिए नीर को मेरे पास भेज दीजिए ताकि इसको मैं इसका काम सीखा सकूँ उसके बाद इसको मैं मिशन पर भेज दूँगा...
मैं: मेरे जाने के बाद इनका ख्याल कौन रखेगा...
ख़ान: तुम इनकी बिल्कुल फिकर ना करो ये अब मेरी ज़िम्मेदारी है इनको किसी चीज़ की कमी नही होगी ये मैं वादा करता हूँ...
मैं: ठीक है फिर मैं कल ही आ जाता हूँ
ख़ान: जैसा तुम ठीक समझो... अच्छा जनाब (बाबा की तरफ देखते हुए) अब इजाज़त दीजिए...
बाबा: अच्छा ख़ान साहब...
उसके बाद डॉक्टर रिज़वाना ऑर ख़ान दोनो चले गये ऑर मैं दोनो को जाते हुए देखता रहा... बाबा एक दम शांत होके कुर्सी पर बैठे थे जैसे वो किसी गहरी सोच मे हो...
मैं: क्या हुआ बाबा
बाबा: बेटा मुझे समझ नही आ रहा कि तुमको ऐसी ख़तरनाक जगह पर भेजू या नही...
मैं: अर्रे बाबा आप फिकर क्यो करते हैं अपने बेटे पर भरोसा रखिए कुछ नही होगा...
बाबा: एक तुम पर ही तो भरोसा है बेटा... लेकिन तुम्हारी फिकर भी है कही तुमको कुछ हो गया तो मुझ ग़रीब के पास क्या बचेगा...
मैं: कुछ नही होगा बाबा...
फ़िज़ा: बाबा आपको इतने ख़तरनाक काम के लिए ख़ान को हाँ नही बोलना चाहिए था जाने वो लोग कैसे होंगे...
बाबा: शायद तुम ठीक कह रही हो बेटी लेकिन मैं भी क्या करता एक बेटा आगे ही जैल मे बैठा है दूसरे को भी जैल कैसे भेज देता इसलिए मजबूर होके मैने हाँ कहा था...
नाज़ी: लेकिन बाबा अगर वहाँ नीर को कुछ हो गया तो...
फ़िज़ा: (बीच मे बोलते हुए) ऐसी बाते ना करो नाज़ी वैसे ही मुझे डर लग रहा है...
मैं: अर्रे आप सब तो ऐसे ही घबरा रहे हो कुछ नही होगा... मुझे बस आप लोगो की ही फिकर है...
बाबा: तुम बस अपना ख्याल रखना बेटा... हमें ऑर कुछ नही चाहिए (मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए)
ऐसे ही हम काफ़ी देर तक बाते करते रहे शाम को हीना फिर से मेरा पता लेने आ गई मैने उससे कुछ दिन इलाज करवाने का बता कर शहर जाने का बहाना बना दिया जिस पर पहले वो नाराज़ हुई लेकिन फिर वो मान गई ऑर कुछ वक़्त उसके साथ बिताने के बाद वो भी चली गई...