10-11-2021, 01:39 PM
मेरे 2-3 दिन ऐसे ही गुज़रे बाबा ने मुझे खेत पर भी नही जाने दिया ऑर मैं सारा दिन घर पर ही बैठा रहता... लेकिन नाज़ी से अब मैं दूरी बनाके रखने लगा था वो हर वक़्त मुझसे बात करने की कोशिश करती लेकिन मैं हर बार उसकी बात को अनसुना कर देता...
हाँ इतना ज़रूर था कि रोज़ शाम को हीना मेरा पता लेने आती ऑर मेरे साथ थोड़ा वक़्त गुज़ारती मेरी वजह से वो नयी गाड़ी लेने भी नही गई क्योंकि वो चाहती थी कि मैं ठीक होके उसके साथ शहर चल सकूँ... जितने दिन मैं खेत नही गया उतने दिन हीना ने अपने मुलाज़िमो को मेरे खेत मे लगाए रखा ताकि मेरी गैर-मोजूदगी मे वो लोग मेरे खेत का ख्याल रखे...
मुझे अब घर मे पड़े हुए 3 दिन हो गये थे ऑर फिर अगली सुबह डॉक्टर रिज़वाना आ गई मेरा चेक-अप करने के लिए... उस वक़्त बाबा सैर करने गये हुए थे इसलिए फ़िज़ा ने ऑर नाज़ी ने आते ही उसको सुनानी शुरू करदी... मैं भी उस वक़्त सो रहा था लेकिन फ़िज़ा ऑर नाज़ी की ऊँची आवाज़ से मेरी नींद खुल गई ऑर मैं उठकर अपने कमरे से बाहर चला गया तो वहाँ फ़िज़ा ऑर नाज़ी डॉक्टर रिज़वाना से झगड़ रही थी ऑर रिज़वाना नज़रे झुकाकर सब सुन रही थी...
मैं: क्या हुआ शोर क्यो मचा रखा है... (आँखें मलते हुए)
फ़िज़ा: तुम अंदर जाओ नीर मुझे बात करने दो... (गुस्से मे)
रिज़वाना: अब आप कैसे हैं...
मैं: अर्रे डॉक्टर आप... जी मैं एक दम ठीक हूँ... (मुस्कुराते हुए)
फ़िज़ा: ये झूठी हम-दरदी अगर आप ना दिखाए तो ही अच्छा है अगर आपको नीर की इतनी ही फिकर होती तो आप उसको कभी ग़लत दवाई ना देती... हमने आप पर ऑर इनस्पेक्टर ख़ान पर इतना भरोसा किया ऑर आपने हमारे साथ कितना फरेब किया... कभी आपने सोचा अगर आपकी ग़लत दवाई से इनको कुछ हो जाता तो...
रिज़वाना: जी कुछ नही होता इनको... आप लोग एक बार मेरी बात सुन लीजिए...
नाज़ी: हमे अब आपकी कोई बात नही सुननी मेहरबानी करके आप यहाँ से चली जाओ...
रिज़वाना: (परेशान होके अपने पर्स से मोबाइल निकलते हुए) अच्छा ठीक है मैं चली जाउन्गी लेकिन एक बार मेरी बात सुन लीजिए प्लज़्ज़्ज़...
नाज़ी: अब क्या झूठी कहानी सुननी है...
रिज़वाना: (फोन पर नंबर डायल करते हुए) बस 2 मिंट दीजिए मुझे...
रिज़वाना: (फोन पर) कहाँ हो तुम... जल्दी से शेरा के घर आओ... मुझे नही पता... हाँ ठीक है... अच्छा... ओके (फोन रखते हुए)
फ़िज़ा, नाज़ी ऑर मैं हम तीनो रिज़वाना के जवाब का इंतज़ार कर रहे थे ऑर सवालिया नज़रों से उसकी तरफ देख रहे थे...
रिज़वाना: देखिए मैने कोई भी काम ग़लत नही किया मैने वही किया जो मुझे इनस्पेक्टर ख़ान ने कहा... नीर जैसा अब है वैसा ही सारी उम्र रहे इसलिए इसकी पुरानी याददाश्त मिटनी ज़रूरी थी क्योंकि अगर इसकी यादशत वापिस आती है तो फिर ये आज जैसा नही रहेगा मुमकिन है फिर ये नीर भी ना रहे ऑर फिर से शेरा बन जाए... क्योंकि इसकी पुरानी जिंदगी मे ये एक बहुत बड़ा अपराधी है... ख़ान को भी इसकी ऐसे ही ज़रूरत है वो पुराने शेरा पर भरोसा नही कर सकता लेकिन नीर पर कर सकता है क्योंकि वो इसको एक ऐसे मिशन पर भेजना चाहता है जहाँ ये जाएगा शेरा बनकर लेकिन होगा नीर ही...
फ़िज़ा: मेरी तो कुछ समझ नही आ रहा आप क्या कह रही है... (परेशान होते हुए)
रिज़वाना: नीर आज एक नेक़-दिल इंसान है इसमे कोई शक़ नही मैने ही इसका लाइ डिटेक्टर टेस्ट किया था उसमे इसने मुझे वही सब बताया जो आप लोगो ने ख़ान को बताया था... लेकिन इसके दिमाग़ की स्कॅनिंग करके मुझे पता चला कि इसकी याददाश्त वापिस आ सकती है अगर इसको इसकी पुरानी जिंदगी याद करवाई जाए तो ऑर आज भी इसके दिमाग़ के सिर्फ़ एक हिस्से से याददाश्त ख़तम हुई है अगर इसको इसकी पुरानी जिंदगी मे वापिस लेके जाया जाए तो इसकी वो याददाश्त वापिस आ सकती है ऑर इसी वजह से आज भी इसको अपनी पुरानी जिंदगी की काफ़ी चीज़े आज ही याद है ऑर इसके दिमाग़ के इंटर्नल मेमोरी मे स्टोर है इसलिए आज भी ये लड़ाई करना, गाड़ी चलाना, हथियार चलाना ऑर बाकी काम जो ये बचपन से करता आया है इसको आज भी याद है ऑर आज भी ये वैसे ही बहुत महारत के साथ सब काम कर लेता है अगर ये वहाँ जाके शेरा बन गया तो फिर ये हमारे किसी का काम नही रहेगा...
फ़िज़ा: इनको भेजना कहाँ है (सवालिया नज़रों से)
रिज़वाना: वही तो मैं बता रही हूँ कि ख़ान इसको इसके गॅंग तक पहुँचा देगा जहाँ ये ख़ान का इनफॉर्मर बनकर इसके गॅंग की खबर हम तक पहुँच जाए... इससे ख़ान इसके सारे गॅंग को ख़तम कर सकता है...
अभी रिज़वाना बात ही कर रही थी कि घर के सामने एक जीप आके रुकी ऑर सब लोग एक साथ दरवाज़े के बाहर देखने लगे... जीप मे से ख़ान उतरा ऑर सीधा घर के अंदर आ गया फ़िज़ा ऑर नाज़ी अब भी उससे गुस्से से देख रही थी...
रिज़वाना: अच्छा हुआ तुम आ गये इनको दवाई के ऑर मिशन के बारे मे बताओ... (गुस्से से)
ख़ान: माफ़ कीजिए मैने आपसे कुछ बाते राज़ रखी लेकिन मैने आपके बाबा को सब बता दिया था ऑर उनकी इजाज़त से ही इसको याददाश्त की दवाई दिलवाई थी...
फ़िज़ा: (हैरानी से) बाबा जानते थे ग़लत दवाई के बारे मे...
ख़ान: जी जानते थे... मैने ही उनको मना किया था कि अभी किसी से कुछ ना कहे...
नाज़ी: आने दो बाबा को भी इनसे तो हम बात करेंगी पहले तुम ये बताओ ये डॉक्टरनी क्या कह रही है नीर के बारे मे इनको कहाँ भेजना है तुमने...
ख़ान: मैने आपसे पहले ही कहा था कि आज नीर कुछ भी है लेकिन इसके पुराने पाप इसको इतनी आसानी से नही छोड़ेंगे इसको क़ानून की मदद करनी पड़ेगी तभी ये आज़ाद हो सकता है...
मैं: (जो इतनी देर से खामोश सबकी बाते सुन रहा था) क्या करना होगा मुझे...
ख़ान: हमारी मदद करनी होगी तुम्हारे गॅंग का सफ़ाया करने मे...
मैं: गॅंग कौनसा गॅंग
ख़ान: (अपने कोट का बटन बंद करते हुए) ये लोग हर बुरा काम करते हैं ड्रग्स बेचने से लेके हथियार बेचने तक हर गुनाह मे इनका नाम है... इनके नाम अन-गिनत केस हैं लेकिन कोई सबूत नही है इसलिए हमेशा बरी हो जाते हैं...
मैं: तो आप मुझसे क्या चाहते हैं...
ख़ान: मुझे सबूत चाहिए जो मुझे सिर्फ़ तुम ही लाके दे सकते हो...
मैं: मैं ही क्यो आपके पास तो इतने लोग है किसी को भी शामिल कर दीजिए उन लोगो मे...
ख़ान: क्योंकि तुम इनके पुराने आदमी हो तुम पर वो लोग आसानी से भरोसा कर लेंगे नये आदमी को वो अपने पास तक नही आने देते... तुम अपनी पुरानी जिंदगी मे शेख साहब या तुम्हारे लिए बाबा के राइट-हॅंड थे इसलिए जहाँ तुम पहुँच सकते हो मेरा कोई आदमी नही पहुँच सकता...
मैं: ठीक है लेकिन उसके लिए मेरी याददाश्त ख़तम करने क़ी क्या ज़रूरत थी मैं तो वैसे भी आपका काम करने के लिए तैयार था...
रिज़वाना: क्योंकि तुम्हारे दिमाग़ की स्क़ेनिंग करके मुझे पता चला कि अगर तुमको तुम्हारी पुरानी ज़िंदगी मे लेके जाया जाए तो तुम्हारी याददाश्त लौट सकती है फिर ना तुम नीर रहोगे ना ही ये तुम्हारे घरवाले... मतलब सॉफ है फिर तुम उन लोगो मे जाके हमारी मदद नही करोगे अपनी पुरानी जिंदगी मे ही लौट जाओगे बस इसलिए तुम्हारी पुरानी याददाश्त मिटा रहे थे ताकि तुमको तुम्हारे ये घरवाले ओर तुम्हारी नेक़ी याद रहे...
ख़ान: सीधी सी बात है हम को नीर पर ऐतबार है शेरा पर नही...
हाँ इतना ज़रूर था कि रोज़ शाम को हीना मेरा पता लेने आती ऑर मेरे साथ थोड़ा वक़्त गुज़ारती मेरी वजह से वो नयी गाड़ी लेने भी नही गई क्योंकि वो चाहती थी कि मैं ठीक होके उसके साथ शहर चल सकूँ... जितने दिन मैं खेत नही गया उतने दिन हीना ने अपने मुलाज़िमो को मेरे खेत मे लगाए रखा ताकि मेरी गैर-मोजूदगी मे वो लोग मेरे खेत का ख्याल रखे...
मुझे अब घर मे पड़े हुए 3 दिन हो गये थे ऑर फिर अगली सुबह डॉक्टर रिज़वाना आ गई मेरा चेक-अप करने के लिए... उस वक़्त बाबा सैर करने गये हुए थे इसलिए फ़िज़ा ने ऑर नाज़ी ने आते ही उसको सुनानी शुरू करदी... मैं भी उस वक़्त सो रहा था लेकिन फ़िज़ा ऑर नाज़ी की ऊँची आवाज़ से मेरी नींद खुल गई ऑर मैं उठकर अपने कमरे से बाहर चला गया तो वहाँ फ़िज़ा ऑर नाज़ी डॉक्टर रिज़वाना से झगड़ रही थी ऑर रिज़वाना नज़रे झुकाकर सब सुन रही थी...
मैं: क्या हुआ शोर क्यो मचा रखा है... (आँखें मलते हुए)
फ़िज़ा: तुम अंदर जाओ नीर मुझे बात करने दो... (गुस्से मे)
रिज़वाना: अब आप कैसे हैं...
मैं: अर्रे डॉक्टर आप... जी मैं एक दम ठीक हूँ... (मुस्कुराते हुए)
फ़िज़ा: ये झूठी हम-दरदी अगर आप ना दिखाए तो ही अच्छा है अगर आपको नीर की इतनी ही फिकर होती तो आप उसको कभी ग़लत दवाई ना देती... हमने आप पर ऑर इनस्पेक्टर ख़ान पर इतना भरोसा किया ऑर आपने हमारे साथ कितना फरेब किया... कभी आपने सोचा अगर आपकी ग़लत दवाई से इनको कुछ हो जाता तो...
रिज़वाना: जी कुछ नही होता इनको... आप लोग एक बार मेरी बात सुन लीजिए...
नाज़ी: हमे अब आपकी कोई बात नही सुननी मेहरबानी करके आप यहाँ से चली जाओ...
रिज़वाना: (परेशान होके अपने पर्स से मोबाइल निकलते हुए) अच्छा ठीक है मैं चली जाउन्गी लेकिन एक बार मेरी बात सुन लीजिए प्लज़्ज़्ज़...
नाज़ी: अब क्या झूठी कहानी सुननी है...
रिज़वाना: (फोन पर नंबर डायल करते हुए) बस 2 मिंट दीजिए मुझे...
रिज़वाना: (फोन पर) कहाँ हो तुम... जल्दी से शेरा के घर आओ... मुझे नही पता... हाँ ठीक है... अच्छा... ओके (फोन रखते हुए)
फ़िज़ा, नाज़ी ऑर मैं हम तीनो रिज़वाना के जवाब का इंतज़ार कर रहे थे ऑर सवालिया नज़रों से उसकी तरफ देख रहे थे...
रिज़वाना: देखिए मैने कोई भी काम ग़लत नही किया मैने वही किया जो मुझे इनस्पेक्टर ख़ान ने कहा... नीर जैसा अब है वैसा ही सारी उम्र रहे इसलिए इसकी पुरानी याददाश्त मिटनी ज़रूरी थी क्योंकि अगर इसकी यादशत वापिस आती है तो फिर ये आज जैसा नही रहेगा मुमकिन है फिर ये नीर भी ना रहे ऑर फिर से शेरा बन जाए... क्योंकि इसकी पुरानी जिंदगी मे ये एक बहुत बड़ा अपराधी है... ख़ान को भी इसकी ऐसे ही ज़रूरत है वो पुराने शेरा पर भरोसा नही कर सकता लेकिन नीर पर कर सकता है क्योंकि वो इसको एक ऐसे मिशन पर भेजना चाहता है जहाँ ये जाएगा शेरा बनकर लेकिन होगा नीर ही...
फ़िज़ा: मेरी तो कुछ समझ नही आ रहा आप क्या कह रही है... (परेशान होते हुए)
रिज़वाना: नीर आज एक नेक़-दिल इंसान है इसमे कोई शक़ नही मैने ही इसका लाइ डिटेक्टर टेस्ट किया था उसमे इसने मुझे वही सब बताया जो आप लोगो ने ख़ान को बताया था... लेकिन इसके दिमाग़ की स्कॅनिंग करके मुझे पता चला कि इसकी याददाश्त वापिस आ सकती है अगर इसको इसकी पुरानी जिंदगी याद करवाई जाए तो ऑर आज भी इसके दिमाग़ के सिर्फ़ एक हिस्से से याददाश्त ख़तम हुई है अगर इसको इसकी पुरानी जिंदगी मे वापिस लेके जाया जाए तो इसकी वो याददाश्त वापिस आ सकती है ऑर इसी वजह से आज भी इसको अपनी पुरानी जिंदगी की काफ़ी चीज़े आज ही याद है ऑर इसके दिमाग़ के इंटर्नल मेमोरी मे स्टोर है इसलिए आज भी ये लड़ाई करना, गाड़ी चलाना, हथियार चलाना ऑर बाकी काम जो ये बचपन से करता आया है इसको आज भी याद है ऑर आज भी ये वैसे ही बहुत महारत के साथ सब काम कर लेता है अगर ये वहाँ जाके शेरा बन गया तो फिर ये हमारे किसी का काम नही रहेगा...
फ़िज़ा: इनको भेजना कहाँ है (सवालिया नज़रों से)
रिज़वाना: वही तो मैं बता रही हूँ कि ख़ान इसको इसके गॅंग तक पहुँचा देगा जहाँ ये ख़ान का इनफॉर्मर बनकर इसके गॅंग की खबर हम तक पहुँच जाए... इससे ख़ान इसके सारे गॅंग को ख़तम कर सकता है...
अभी रिज़वाना बात ही कर रही थी कि घर के सामने एक जीप आके रुकी ऑर सब लोग एक साथ दरवाज़े के बाहर देखने लगे... जीप मे से ख़ान उतरा ऑर सीधा घर के अंदर आ गया फ़िज़ा ऑर नाज़ी अब भी उससे गुस्से से देख रही थी...
रिज़वाना: अच्छा हुआ तुम आ गये इनको दवाई के ऑर मिशन के बारे मे बताओ... (गुस्से से)
ख़ान: माफ़ कीजिए मैने आपसे कुछ बाते राज़ रखी लेकिन मैने आपके बाबा को सब बता दिया था ऑर उनकी इजाज़त से ही इसको याददाश्त की दवाई दिलवाई थी...
फ़िज़ा: (हैरानी से) बाबा जानते थे ग़लत दवाई के बारे मे...
ख़ान: जी जानते थे... मैने ही उनको मना किया था कि अभी किसी से कुछ ना कहे...
नाज़ी: आने दो बाबा को भी इनसे तो हम बात करेंगी पहले तुम ये बताओ ये डॉक्टरनी क्या कह रही है नीर के बारे मे इनको कहाँ भेजना है तुमने...
ख़ान: मैने आपसे पहले ही कहा था कि आज नीर कुछ भी है लेकिन इसके पुराने पाप इसको इतनी आसानी से नही छोड़ेंगे इसको क़ानून की मदद करनी पड़ेगी तभी ये आज़ाद हो सकता है...
मैं: (जो इतनी देर से खामोश सबकी बाते सुन रहा था) क्या करना होगा मुझे...
ख़ान: हमारी मदद करनी होगी तुम्हारे गॅंग का सफ़ाया करने मे...
मैं: गॅंग कौनसा गॅंग
ख़ान: (अपने कोट का बटन बंद करते हुए) ये लोग हर बुरा काम करते हैं ड्रग्स बेचने से लेके हथियार बेचने तक हर गुनाह मे इनका नाम है... इनके नाम अन-गिनत केस हैं लेकिन कोई सबूत नही है इसलिए हमेशा बरी हो जाते हैं...
मैं: तो आप मुझसे क्या चाहते हैं...
ख़ान: मुझे सबूत चाहिए जो मुझे सिर्फ़ तुम ही लाके दे सकते हो...
मैं: मैं ही क्यो आपके पास तो इतने लोग है किसी को भी शामिल कर दीजिए उन लोगो मे...
ख़ान: क्योंकि तुम इनके पुराने आदमी हो तुम पर वो लोग आसानी से भरोसा कर लेंगे नये आदमी को वो अपने पास तक नही आने देते... तुम अपनी पुरानी जिंदगी मे शेख साहब या तुम्हारे लिए बाबा के राइट-हॅंड थे इसलिए जहाँ तुम पहुँच सकते हो मेरा कोई आदमी नही पहुँच सकता...
मैं: ठीक है लेकिन उसके लिए मेरी याददाश्त ख़तम करने क़ी क्या ज़रूरत थी मैं तो वैसे भी आपका काम करने के लिए तैयार था...
रिज़वाना: क्योंकि तुम्हारे दिमाग़ की स्क़ेनिंग करके मुझे पता चला कि अगर तुमको तुम्हारी पुरानी ज़िंदगी मे लेके जाया जाए तो तुम्हारी याददाश्त लौट सकती है फिर ना तुम नीर रहोगे ना ही ये तुम्हारे घरवाले... मतलब सॉफ है फिर तुम उन लोगो मे जाके हमारी मदद नही करोगे अपनी पुरानी जिंदगी मे ही लौट जाओगे बस इसलिए तुम्हारी पुरानी याददाश्त मिटा रहे थे ताकि तुमको तुम्हारे ये घरवाले ओर तुम्हारी नेक़ी याद रहे...
ख़ान: सीधी सी बात है हम को नीर पर ऐतबार है शेरा पर नही...