10-11-2021, 01:38 PM
दुपहर को हीना मुझसे मिलने घर आ गई जिसे फ़िज़ा ने सीधा मेरे कमरे मे ही भेज दिया...
हीना: क्या हुआ नीर आज खेत नही गये आप मैं तो आपको दवाई देने खेत गई थी...
मैं: कुछ नही वो ज़रा बुखार आ गया था इसलिए...
हीना: क्या... ओर आपने मुझे बताना भी ज़रूरी नही समझा...
मैं: अर्रे इसमे बताने जैसा क्या था हल्का सा बुखार था शाम तक ठीक हो जाएगा...
हीना: दवाई ली?
मैं: हाँ सुबह फ़िज़ा ने दे दी थी...
हीना: अच्छा आप आराम करो शाम को मैं फिर आउन्गि... (मेरे हाथ पर अपना हाथ रखते हुए)
उसके बाद हीना चली गई ऑर मैं उसको कमरे से बाहर निकलते हुए देखता रहा... सारा दिन ऐसे ही कमरे मे गुज़र गया ऑर शाम को हीना अपने वादे के मुताबिक़ फिर आ गई लेकिन इस बार उसके साथ एक डॉक्टर भी था... कुछ देर वो लोग बाहर बाबा के पास बैठे रहे ऑर फिर डॉक्टर , हीना, ऑर फ़िज़ा कमरे मे आ गये... ये वही डॉक्टर था जिसके पास हीना मुझे शहर मे दिखाने के लए लेके गई थी जिसको मैने देखते ही पहचान लिया... डॉक्टर ने आते ही पहले मेरा चेक-अप किया ऑर फिर मुझ दी हुई दवाई के बारे मे पुच्छने लगा जो डॉक्टर रिज़वाना ने मुझे रोज़ खिलाने के लिए दी थी...
डॉक्टर: आपको ये दवाइयाँ किसने दी है...
फ़िज़ा: जी शहर से इनके एक दोस्त आए थे उनके साथ एक डॉक्टर आई थी उसने दी है... क्यो क्या हुआ...
डॉक्टर: आप जानती है ये दवाई किस काम के लिए हैं...
फ़िज़ा: हंजी डॉक्टर ने इनकी याददाश्त के लिए इन्हे ये दवाइयाँ दी है ये हर बात भूल जाते हैं इसलिए...
डॉक्टर: (मुस्कुराते हुए) ये दवाइयाँ याददाश्त वापस लाने के लिए नही बल्कि दिमाग़ की तमाम याददाश्त को ख़तम करने के लिए है...
फ़िज़ा: (चोन्कते हुए) क्या...
डॉक्टर: ये तो अच्छा हुआ कि इनके ब्लड मे शराब इतनी ज़्यादा है जिस वजह से जब इन्होने दवाई खाई तो दवाई इनको सूट नही हुई ऑर इनकी तबीयत खराब हो गई नही तो ये अगर रोज़ ऐसे ही ये दवाई लेते रहते तो इनको जो अब थोड़ा बहुत याद है वो भी सॉफ हो जाना था...
ये बात हम सब के लिए किसी झटके से कम नही थी... सबके दिमाग़ मे एक ही बात थी कि क्यो डॉक्टर रिज़वाना ने मुझे ग़लत दवाई दी... आख़िर क्यो ख़ान जैसा नेक़ ऑर ईमानदार इंसान मेरे साथ ऐसा कर रहा है... अब मेरी समझ मे आ रहा था कि रात को मुझे इतनी बचैनि क्यो हुई आख़िर क्यो मेरे सिर मे इतना जबरदस्त दर्द हुआ ये सब डॉक्टर रिज़वाना की दी हुई दवाई का ही कमाल था... अभी मैं इसी बात पर सोच ही रहा था कि हीना की आवाज़ आई...
हीना: ये कौन्से बेफ़्कूफ़ डॉक्टर के पास लेके गये थे आप लोग नीर को अगर इन्हे कुछ हो जाता तो कभी सोचा है...
फ़िज़ा: (परेशान होते हुए) मुझे तो खुद कुछ समझ नही आ रहा नही तो इनका बुरा तो हम सोच भी नही सकते...
डॉक्टर: कोई बात नही अभी तो सिर्फ़ एक ही डोज अंदर गई थी इसलिए ज़्यादा कुछ असर नही हुआ... ये मैं आपको कुछ दवाई लिखकर देता हूँ आप लोग ले आइए ऑर इन्हे देना शुरू कर दीजिए ऑर बाकी ये वाली दवाई इन्हे दुबारा मत देना...
हीना: (दवाई की पर्ची पकड़कर हाँ मे सिर हिलाते हुए) कोई बात नही मैं किसी को भेज कर अभी शहर से मंगवा लेती हूँ...
फ़िज़ा: हमें माफ़ कर दो नीर हमे नही पता था कि उस खबीज ने तुमको ग़लत दवाई दी है हम तो उससे नेक़ इंसान समझकर भरोसा कर बैठे...
मैं: कोई बात नही इसमे आपका क्या कसूर है... अब जवाब तो ख़ान को देना है...
फ़िज़ा: अब घर मे घुसकर तो दिखाए कमीना टांगे तोड़ दूँगी उसकी...
मैं: कोई कुछ नही बोलेगा उसको... अभी मुझे ये बात जानने दो कि उसने ऐसा क्यो किया...
फिर डॉक्टर ने मुझे एक इंजेक्षन लगाया जिससे कुछ ही देर मे मेरा बुखार भी उतर गया उसके बाद हीना ने भी अपने ड्राइवर को डॉक्टर को शहर छोड़ने के लिए भेज दिया साथ ही वो दवाई की पर्ची भी उसको दे दी... जब तक ड्राइवर नही आया हीना ऑर फ़िज़ा मेरे पास ही बैठी रही लेकिन नाज़ी कमरे के बाहर ही खड़ी रही उसको सब अंदर बुलाते रहे लेकिन वो अंदर नही आई बस दरवाज़े पर खड़ी मुझे देखती रही...
मेरे दिमाग़ मे बस इनस्पेक्टर ख़ान ऑर डॉक्टर रिज़वाना का ही ख़याल था मेरे दिमाग़ मे इस वक़्त एक साथ कई सवाल चल रहे थे... फिर अचानक इस डॉक्टर की कही हुई बात याद आई कि मुझे मेरे खून मे मिली शराब ने बचाया... लेकिन मैं तो शराब पीता ही नही फिर मेरे खून मे शराब कैसे आई... ऐसे ही कई सवाल थे जिनके जवाब मुझे चाहिए थे मुझे सिर्फ़ एक ही इंसान पता था जो मेरी बीती हुई जिंदगी के बारे मे जानता था जिससे मैं अपने बारे मे जान सकता था कि मैं कौन हूँ ओर मेरी असलियत क्या है इसलिए मैने सोच लिया था कि अब इनस्पेक्टर ख़ान से ही अपनी असलियत पता करूँगा...
हीना ऑर फ़िज़ा मेरे पास बैठी रही ऑर मेरे बारे मे ही बाते करती रही लेकिन मैं बस अपने ही ख्यालो मे गुम था ऑर आने वाले वक़्त के बारे मे सोच रहा था... जाने कब मुझे नींद आ गई ऑर मैं सो गया मुझे पता ही नही चला...
हीना: क्या हुआ नीर आज खेत नही गये आप मैं तो आपको दवाई देने खेत गई थी...
मैं: कुछ नही वो ज़रा बुखार आ गया था इसलिए...
हीना: क्या... ओर आपने मुझे बताना भी ज़रूरी नही समझा...
मैं: अर्रे इसमे बताने जैसा क्या था हल्का सा बुखार था शाम तक ठीक हो जाएगा...
हीना: दवाई ली?
मैं: हाँ सुबह फ़िज़ा ने दे दी थी...
हीना: अच्छा आप आराम करो शाम को मैं फिर आउन्गि... (मेरे हाथ पर अपना हाथ रखते हुए)
उसके बाद हीना चली गई ऑर मैं उसको कमरे से बाहर निकलते हुए देखता रहा... सारा दिन ऐसे ही कमरे मे गुज़र गया ऑर शाम को हीना अपने वादे के मुताबिक़ फिर आ गई लेकिन इस बार उसके साथ एक डॉक्टर भी था... कुछ देर वो लोग बाहर बाबा के पास बैठे रहे ऑर फिर डॉक्टर , हीना, ऑर फ़िज़ा कमरे मे आ गये... ये वही डॉक्टर था जिसके पास हीना मुझे शहर मे दिखाने के लए लेके गई थी जिसको मैने देखते ही पहचान लिया... डॉक्टर ने आते ही पहले मेरा चेक-अप किया ऑर फिर मुझ दी हुई दवाई के बारे मे पुच्छने लगा जो डॉक्टर रिज़वाना ने मुझे रोज़ खिलाने के लिए दी थी...
डॉक्टर: आपको ये दवाइयाँ किसने दी है...
फ़िज़ा: जी शहर से इनके एक दोस्त आए थे उनके साथ एक डॉक्टर आई थी उसने दी है... क्यो क्या हुआ...
डॉक्टर: आप जानती है ये दवाई किस काम के लिए हैं...
फ़िज़ा: हंजी डॉक्टर ने इनकी याददाश्त के लिए इन्हे ये दवाइयाँ दी है ये हर बात भूल जाते हैं इसलिए...
डॉक्टर: (मुस्कुराते हुए) ये दवाइयाँ याददाश्त वापस लाने के लिए नही बल्कि दिमाग़ की तमाम याददाश्त को ख़तम करने के लिए है...
फ़िज़ा: (चोन्कते हुए) क्या...
डॉक्टर: ये तो अच्छा हुआ कि इनके ब्लड मे शराब इतनी ज़्यादा है जिस वजह से जब इन्होने दवाई खाई तो दवाई इनको सूट नही हुई ऑर इनकी तबीयत खराब हो गई नही तो ये अगर रोज़ ऐसे ही ये दवाई लेते रहते तो इनको जो अब थोड़ा बहुत याद है वो भी सॉफ हो जाना था...
ये बात हम सब के लिए किसी झटके से कम नही थी... सबके दिमाग़ मे एक ही बात थी कि क्यो डॉक्टर रिज़वाना ने मुझे ग़लत दवाई दी... आख़िर क्यो ख़ान जैसा नेक़ ऑर ईमानदार इंसान मेरे साथ ऐसा कर रहा है... अब मेरी समझ मे आ रहा था कि रात को मुझे इतनी बचैनि क्यो हुई आख़िर क्यो मेरे सिर मे इतना जबरदस्त दर्द हुआ ये सब डॉक्टर रिज़वाना की दी हुई दवाई का ही कमाल था... अभी मैं इसी बात पर सोच ही रहा था कि हीना की आवाज़ आई...
हीना: ये कौन्से बेफ़्कूफ़ डॉक्टर के पास लेके गये थे आप लोग नीर को अगर इन्हे कुछ हो जाता तो कभी सोचा है...
फ़िज़ा: (परेशान होते हुए) मुझे तो खुद कुछ समझ नही आ रहा नही तो इनका बुरा तो हम सोच भी नही सकते...
डॉक्टर: कोई बात नही अभी तो सिर्फ़ एक ही डोज अंदर गई थी इसलिए ज़्यादा कुछ असर नही हुआ... ये मैं आपको कुछ दवाई लिखकर देता हूँ आप लोग ले आइए ऑर इन्हे देना शुरू कर दीजिए ऑर बाकी ये वाली दवाई इन्हे दुबारा मत देना...
हीना: (दवाई की पर्ची पकड़कर हाँ मे सिर हिलाते हुए) कोई बात नही मैं किसी को भेज कर अभी शहर से मंगवा लेती हूँ...
फ़िज़ा: हमें माफ़ कर दो नीर हमे नही पता था कि उस खबीज ने तुमको ग़लत दवाई दी है हम तो उससे नेक़ इंसान समझकर भरोसा कर बैठे...
मैं: कोई बात नही इसमे आपका क्या कसूर है... अब जवाब तो ख़ान को देना है...
फ़िज़ा: अब घर मे घुसकर तो दिखाए कमीना टांगे तोड़ दूँगी उसकी...
मैं: कोई कुछ नही बोलेगा उसको... अभी मुझे ये बात जानने दो कि उसने ऐसा क्यो किया...
फिर डॉक्टर ने मुझे एक इंजेक्षन लगाया जिससे कुछ ही देर मे मेरा बुखार भी उतर गया उसके बाद हीना ने भी अपने ड्राइवर को डॉक्टर को शहर छोड़ने के लिए भेज दिया साथ ही वो दवाई की पर्ची भी उसको दे दी... जब तक ड्राइवर नही आया हीना ऑर फ़िज़ा मेरे पास ही बैठी रही लेकिन नाज़ी कमरे के बाहर ही खड़ी रही उसको सब अंदर बुलाते रहे लेकिन वो अंदर नही आई बस दरवाज़े पर खड़ी मुझे देखती रही...
मेरे दिमाग़ मे बस इनस्पेक्टर ख़ान ऑर डॉक्टर रिज़वाना का ही ख़याल था मेरे दिमाग़ मे इस वक़्त एक साथ कई सवाल चल रहे थे... फिर अचानक इस डॉक्टर की कही हुई बात याद आई कि मुझे मेरे खून मे मिली शराब ने बचाया... लेकिन मैं तो शराब पीता ही नही फिर मेरे खून मे शराब कैसे आई... ऐसे ही कई सवाल थे जिनके जवाब मुझे चाहिए थे मुझे सिर्फ़ एक ही इंसान पता था जो मेरी बीती हुई जिंदगी के बारे मे जानता था जिससे मैं अपने बारे मे जान सकता था कि मैं कौन हूँ ओर मेरी असलियत क्या है इसलिए मैने सोच लिया था कि अब इनस्पेक्टर ख़ान से ही अपनी असलियत पता करूँगा...
हीना ऑर फ़िज़ा मेरे पास बैठी रही ऑर मेरे बारे मे ही बाते करती रही लेकिन मैं बस अपने ही ख्यालो मे गुम था ऑर आने वाले वक़्त के बारे मे सोच रहा था... जाने कब मुझे नींद आ गई ऑर मैं सो गया मुझे पता ही नही चला...