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Adultery अहसान... complete
#71
अपडेट-32

उसके बाद नाज़ी रसोई मे चली गई ऑर फ़िज़ा अपना बिस्तर करने लगी मैं भी अपने नये कमरे मे जाके लेट गया ऑर सोने की कोशिश करने लगा ऑर दिन भर हुए सारे कामो के बारे मे सोचने लगा... थोड़ी देर मैं ऐसे ही बिस्तर पर लेटा करवटें बदलता रहा लेकिन मुझे नींद नही आ रही थी... कुछ देर बाद नाज़ी भी दूध का लेके मेरे कमरे मे आ गई...

नाज़ी: सो गये क्या...

मैं: नही जाग रहा हूँ क्या हुआ

नाज़ी: ये दवाई वाला दूध लाई हूँ आपके लिए पी लो...





मैने बिना कुछ बोले दूध पकड़ लिया ऑर पीने लगा... ऑर नाज़ी ऐसे ही मेरे पास खड़ी मुझे देखती रही ऑर मुस्कुराती रही...

मैं: लो जी ये दूध तो हो गया अब आपके दूध की बारी है...

नाज़ी: (चोन्कते हुए) मेरा कौनसा दूध

मैं: पास आओ

नाज़ी: (ना मे सिर हिलाते हुए) अब कोई शरारत मत करना भाभी जाग ना जाए...

मैं: जाके देख कर आओ अगर वो सो गई तो वापिस आ जाना... (मुस्कुराते हुए)

नाज़ी: मैं अभी देखकर आई हूँ भाभी तो कब की सो गई है

मैने जल्दी से नाज़ी की बाजू पकड़कर अपनी तरफ खींचा जिससे वो खुद को संभाल नही सकी ऑर मेरे उपर आके गिरी जिसको मैने अपनी दोनो बाजू मे थाम लिए...

नाज़ी: क्या कर रहे हो छोड़ो मुझे भाभी जाग जाएगी...

मैं: नही जागेगी अभी तुम खुद ही तो देखकर आई हो...

नाज़ी: फिर भी जाग गई तो... मुझे डर लगता है छोड़ो ना

मैं: अच्छा मुँह मीठा करवाओ फिर जाने दूँगा...

नाज़ी: लेकिन सिर्फ़ एक ठीक है...

मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हम्म...

नाज़ी मेरे उपर लेटी हुई थी ऑर उसने भी अपनी सहमति मे आँखें बंद कर ली फिर मैने उसके चेहरे को अपने हाथ से पकड़ा ऑर अपने होंठ उसके नाज़ुक ऑर रसीले होंठों पर रख दिए... मेरे होंठ उसके होंठों के साथ मिलते ही उसने अपना पूरा बदन ढीला छोड़ दिया जिससे मैने उसके होंठ चूस्ते हुए अपने दोनो हाथ उसकी कमर पर रख दिए ऑर सख्ती से उसको अपनी बाजू मे क़ैद कर लिया अब मैं कभी उसके नीचे वाला होंठ चूस रहा था कभी उसके उपर वाला होंठ चूस रहा था वो बस अपनी आँखें बंद किए हुए मेरे उपर लेटी हुई थी ऑर अपने दोनो हाथ मेरी छाती पर रखे हुए थे... मुझे उसका नाज़ुक ऑर नरम बदन मदहोश सा करता जा रहा था जिससे मैं खुद पर काबू नही कर पा रहा था इसलिए मैने उसके होंठ चूस्ते हुए ही उसको पलटाया ऑर बिस्तर की दूसरी तरफ गिरा दिया ऑर खुद उसके उपर आ गया उसकी साँस लगातार तेज़ चल रही थी ऑर अब वो भी मेरी पीठ पर अपने हाथ फेर रही थी... मैं हीना के साथ हुई चुदाई से वैसे ही गरम था उस पर मुझे नाज़ी जैसा नाज़ुक बदन फिर से मिल गया इसलिए मैं बहुत जल्दी गरम हो गया...

अब मेरा एक हाथ नाज़ी की गर्दन पर घूम रहा था ऑर दूसरा हाथ उसके सिर के नीचे था जिससे मैने उसके सिर को उपर उठा रखा था ताकि होंठ चूसने मे आसानी रहे... नीचे मेरा लंड भी पूरी तरह खड़ा हो चुका था जो नाज़ी की टाँगो के बीच मे फसा हुआ था अब मैने अपने एक हाथ जो उसकी गर्दन पर था उससे नीचे ले जाना शुरू किया ऑर उसके एक मम्मे को पकड़ लिया जिसे नाज़ी ने फॉरन अपने हाथ से झटक दिया मैने फिर से अपना हाथ उपर ले जाकर दुबारा उसके मम्मे को थाम लिया ऑर दबाने लगा जिसे एक बार फिर नाज़ी ने पकड़ लिया ऑर नीचे को झटक दिया साथ ही आँखें खोल कर मेरी आँखो मे देखा ऑर ना मे इशारा किया लेकिन मैं उस वक़्त इतना गरम हो गया था कि कुछ भी समझने की हालत मे नही था इसलिए मैने एक बार फिर नाज़ी के मम्मे को सख्ती से थाम लिया इस बार नाज़ी ने कुछ नही कहा ऑर मेरी आँखों मे देखकर मुझे ना इशारा करती रही...

फिर मैने अपना हाथ नीचे ले जाकर नाज़ी की कमीज़ ज़रा उपर की ऑर अपना हाथ अंदर डालने की कोशिश करना लगा जिससे नाज़ी ने अपने होंठ मेरे होंठों से अलग किए ऑर अपने दोनो हाथो से मेरा हाथ पकड़ लिया...

नाज़ी: मत करो ना

मैं: कुछ नही होता मेरा दिल है...
उसके बाद मैने नाज़ी के दोनो हाथो को अपने एक हाथ से पकड़ लिया ऑर उपर कर दिया साथ ही दूसरा हाथ नीचे लेजा कर ज़बरदस्ती उसकी कमीज़ मे डाल दिया ऑर उसके पेट पर फेरने लगा साथ ही दुबारा उसके होंठ चूसने लगा... मेरा हाथ जैसे ही उसकी ब्रा तक पहुँचा उसने अपना एक हाथ छुड़ा लिया ऑर मेरे मुँह पर थप्पड़ मार दिया साथ ही डर कर अपना एक हाथ अपने मुँह पर रख लिया...

नाज़ी: नीर माफ़ कर दो मैने जान-बूझकर नही मारा वो ग़लती से हाथ उठ गया...

मैं: (नाज़ी के उपर से हट ते हुए) जाओ यहाँ से...

नाज़ी: नीर माफ़ कर दो मैने जान बूझकर नही मारा...

मैं: (गुस्से मे) मैने बोला ना जाओ यहाँ से...

इतना बोलने के साथ ही मैने उसकी बाजू पकड़ी ऑर अपने बिस्तर से उसको खड़ा कर दिया...

नाज़ी: नीर ज़्यादा ज़ोर से लगा क्या...

मैं: जाओ यहाँ से ग़लती मेरी थी जो तुम पर अपना हक़ जाता रहा था...

नाज़ी: (रोते हुए) ऐसा मत बोलो नीर ग़लती तो मुझसे हो गई माफ़ कर दो... (मेरा हाथ पकड़ते हुए) मुझे वहाँ किसीने कभी छुआ नही इसलिए ग़लती से हाथ उठ गया... अब कुछ भी कर लो मैं कुछ नही कहूँगी...

मैं: मुझे बहुत नींद आई है तुम जाओ ऑर जाके सो जाओ मुझे अब कुछ नही करना जो मिला इतना काफ़ी है... (अपना हाथ नाज़ी के हाथ से झटकते हुए)

उसके बाद मैं वापिस अपने बिस्तर पर लेट गया ऑर नाज़ी रोती हुई कमरे से चली गई... मुझे उस वक़्त सच मे बहुत गुस्सा आ गया था क्योंकि मैने नाज़ी से ऐसे-कुछ की कभी उम्मीद नही की थी लेकिन उसके इस तरह मुझ पर हाथ उठाने से जाने क्यो मुझे बहुत बुरा लगा...

 
कुछ देर ऐसे ही मैं बिस्तर पर लेटा रहा ओर फिर थोड़ी ही देर मे मुझे नींद आ गई लेकिन आधी रात को अचानक मुझे अजीब बैचैनि सी महसूस होने लगी ऑर मेरी नींद खुल गई मेरा पूरा बदन पसीने से भीगा पड़ा था मेरे सिर मे बहुत तेज़ दर्द हो रहा था जैसे अभी फॅट जाएगा ऑर मुझे बहुत तेज़ चक्कर भी आ रहे थे ऐसा लग रहा था जैसे पूरा कमरा घूम रहा हो... मेरा पूरा बदन टूटने लगा मैं हिम्मत करके उठा लड़खड़ाते हुए पास पड़े मटके से थोड़ा सा पानी पी लिया ऑर कुछ अपने सिर मे भी डाल लिया
 
थोड़ी देर बार मुझे एक उल्टी आई तो थोड़ा सुकून आया उसके बाद मैं आके फिर से बिस्तर पर लेट गया... पानी पीने से मुझे कुछ सुकून मिला ऑर कुछ ही देर मे मुझे फिर से नींद आ गई...

सुबह किसी के हिलाने से मेरी नींद खुली तो देखा फ़िज़ा मुझे उठा रही थी मेरे सिर मे अब भी तेज़ बहुत दर्द था ऑर मेरा पूरा बदन टूट रहा था मुझसे आँखें खोली नही जा रही थी ओर उनमे तेज़ जलन हो रही थी... जब मैने आँखें खोली तो बाबा नाज़ी ऑर फ़िज़ा मेरे पास ही खड़े थे... वो तीनो बड़ी फिकर-मंदी से मुझे देख रहे थे...

फ़िज़ा: नीर तुम्हे तो बहुत तेज़ बुखार है

मैं: पता नही हो गया होगा मेरे सिर मे भी बहुत दर्द हो रहा है...

फ़िज़ा: ये लो दवाई खा लो ठीक हो जाओगे...

नाज़ी: मैं सिर दबा दूँ...

मैं: ज़रूरत नही है...

बाबा: आज बेटा खेत नही जाना ऑर घर पर ही आराम करना...

मैं: जी बाबा...

उसके बाद मैने दवाई खाई ऑर सबने मुझे खेत नही जाने दिया ऑर घर मे ही आराम करने का बोल दिया... इसलिए अब मैं बाहर नही जा सकता था ओर दिन भर घर मे अपने कमरे मे ही बैठा रहा...

 
कुछ देर फ़िज़ा मेरा सिर अपनी गोद मे रखकर दबाती रही जिससे मुझे काफ़ी आराम मिल रहा था फिर जब मुझे थोड़ा सुकून मिला तो मैने फ़िज़ा को रोक दिया ऑर वो भी बाहर चली गई ऑर घर के बाकी कामो मे लग गई...
 
नाज़ी बार-बार मेरे सामने आ रही थी ऑर अपने कान पकड़कर माफी माँग रही थी लेकिन रात का वाक़या याद आते ही मेरे चेहरे पर उसके लिए गुस्सा आ जाता ऑर मैं उसकी तरफ देखता भी नही था...
 
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