10-11-2021, 01:30 PM
जब हम घर आए तो फ़िज़ा बाहर ही खड़ी थी जो शायद हमारा ही इंतज़ार कर रही थी जीप को देखते ही उसका चेहरा खुशी से खिल उठा ऑर जीप के रुकते ही वो तेज़ कदमो के साथ हमारी तरफ आई ऑर जीप के अंदर देखने लगी... फिर हम सब घर के अंदर चले गये जहाँ बाबा हॉल मे ही कुर्सी पर बैठे थे शायद वो भी मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे...
बाबा: आ गये बेटा... (ख़ान की तरफ देखते हुए हाथ जोड़कर) ख़ान साहब आपका बहुत-बहुत शुक्रिया जो आपने मुझे मेरा बेटा वापिस कर दिया...
ख़ान: बाबा जी आप बुजुर्ग है शर्मिंदा ना करे हाथ जोड़कर (बाबा के हाथो को पकड़ते हुए) मैने आपसे कहा ही था कि अगर ये बे-गुनाह है तो इसे कुछ नही होगा...
फ़िज़ा: ख़ान साहब आप बैठिए मैं चाय लेके आती हूँ (नाज़ी को इशारे से बुलाते हुए)
फिर मैं बाबा ओर ख़ान वही हॉल मे ही कुर्सियो पर बैठ गये ऑर ख़ान मेरे बारे मे बाबा से पुछ्ता रहा...
ख़ान: बाबा जी मुझे आपसे अकेले मे कुछ बात करनी है...
बाबा: जी ज़रूर... (मेरी तरफ देखते हुए) बेटा जाके देखो चाय का क्या हुआ...
मैं: जी बाबा (ऑर मैं उठकर रसोई मे चला गया)
ख़ान ऑर बाबा मे क्या बात हुई मुझे नही पता लेकिन रसोई मे घुसते ही फ़िज़ा फिकर्मन्दि से मेरा मुँह पकड़कर मेरे सिर की चोट देखने लगी उसको शायद आते ही नाज़ी ने सब कुछ बता दिया था इसलिए उसके चेहरे पर भी मेरे लिए फिकर सॉफ झलक रही थी...
फ़िज़ा: ये ख़ान कितना कमीना है देखो कितनी चोट लग गई...
मैं: अर्रे तुम तो ऐसे ही घबरा जाती हो कुछ नही हुआ मैं एक दम ठीक हूँ ज़रा सी खराश है ठीक हो जाएगी...
फ़िज़ा: ऑर कही तो चोट नही लगी...
मैं: (मुस्कुराकर ना मे सिर हिलाते हुए) उऊहहुउ...
फिर हम कुछ देर ऐसे ही रसोई मे खड़े रहे ऑर नाज़ी दिन भर क्या-क्या हुआ वो सब फ़िज़ा को बताती रही मैं बस पास खड़ा दोनो की बाते सुनता रहा ऑर मुस्कुराता रहा तभी मुझे बाबा की आवाज़ आई तो मैं फॉरन बाहर चला गया जहाँ बाबा ऑर ख़ान बैठे थे...
बाबा: बेटा ख़ान साहब कह रहे हैं कि अब तुम आज़ाद हो लेकिन जब भी इनको तुम्हारी मदद की ज़रूरत होगी तो तुमको जाना पड़ेगा तुमको कोई ऐतराज़ तो नही है...
मैं: बाबा आप हुकुम कीजिए आप जो कहेंगे वही मेरी मर्ज़ी होगी...
बाबा: ठीक है बेटा... देखिए ख़ान साहब मैने कहा था ना आपसे... (मुस्कुराकर)
ख़ान: जी जनाब आप सही थे... मैं सोच भी नही सकता था कि शेरा जैसा इंसान इतना बदल सकता है आज सच मे मुझे बेहद खुशी है कि ये एक नेक़ इंसान की जिंदगी गुज़ार रहा है...
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बाबा: आ गये बेटा... (ख़ान की तरफ देखते हुए हाथ जोड़कर) ख़ान साहब आपका बहुत-बहुत शुक्रिया जो आपने मुझे मेरा बेटा वापिस कर दिया...
ख़ान: बाबा जी आप बुजुर्ग है शर्मिंदा ना करे हाथ जोड़कर (बाबा के हाथो को पकड़ते हुए) मैने आपसे कहा ही था कि अगर ये बे-गुनाह है तो इसे कुछ नही होगा...
फ़िज़ा: ख़ान साहब आप बैठिए मैं चाय लेके आती हूँ (नाज़ी को इशारे से बुलाते हुए)
फिर मैं बाबा ओर ख़ान वही हॉल मे ही कुर्सियो पर बैठ गये ऑर ख़ान मेरे बारे मे बाबा से पुछ्ता रहा...
ख़ान: बाबा जी मुझे आपसे अकेले मे कुछ बात करनी है...
बाबा: जी ज़रूर... (मेरी तरफ देखते हुए) बेटा जाके देखो चाय का क्या हुआ...
मैं: जी बाबा (ऑर मैं उठकर रसोई मे चला गया)
ख़ान ऑर बाबा मे क्या बात हुई मुझे नही पता लेकिन रसोई मे घुसते ही फ़िज़ा फिकर्मन्दि से मेरा मुँह पकड़कर मेरे सिर की चोट देखने लगी उसको शायद आते ही नाज़ी ने सब कुछ बता दिया था इसलिए उसके चेहरे पर भी मेरे लिए फिकर सॉफ झलक रही थी...
फ़िज़ा: ये ख़ान कितना कमीना है देखो कितनी चोट लग गई...
मैं: अर्रे तुम तो ऐसे ही घबरा जाती हो कुछ नही हुआ मैं एक दम ठीक हूँ ज़रा सी खराश है ठीक हो जाएगी...
फ़िज़ा: ऑर कही तो चोट नही लगी...
मैं: (मुस्कुराकर ना मे सिर हिलाते हुए) उऊहहुउ...
फिर हम कुछ देर ऐसे ही रसोई मे खड़े रहे ऑर नाज़ी दिन भर क्या-क्या हुआ वो सब फ़िज़ा को बताती रही मैं बस पास खड़ा दोनो की बाते सुनता रहा ऑर मुस्कुराता रहा तभी मुझे बाबा की आवाज़ आई तो मैं फॉरन बाहर चला गया जहाँ बाबा ऑर ख़ान बैठे थे...
बाबा: बेटा ख़ान साहब कह रहे हैं कि अब तुम आज़ाद हो लेकिन जब भी इनको तुम्हारी मदद की ज़रूरत होगी तो तुमको जाना पड़ेगा तुमको कोई ऐतराज़ तो नही है...
मैं: बाबा आप हुकुम कीजिए आप जो कहेंगे वही मेरी मर्ज़ी होगी...
बाबा: ठीक है बेटा... देखिए ख़ान साहब मैने कहा था ना आपसे... (मुस्कुराकर)
ख़ान: जी जनाब आप सही थे... मैं सोच भी नही सकता था कि शेरा जैसा इंसान इतना बदल सकता है आज सच मे मुझे बेहद खुशी है कि ये एक नेक़ इंसान की जिंदगी गुज़ार रहा है...
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