10-11-2021, 01:28 PM
तभी एक पोलीस वाला दौड़ता हुआ आया ऑर मुझ पर हमला कर दिया ख़ान ने जल्दी से नाज़ी को अपनी तरफ खींच लिया जो मेरा हाथ पकड़े चल रही थी... मुझे समझ नही आ रहा था कि ये क्या हुआ उस पोलिसेवाले ने लातें ऑर मुक्के मुझ पर बरसाने शुरू कर दिए मैं कुछ देर ज़मीन पर लेटा रहा ऑर मार ख़ाता रहा फिर जाने मुझे क्या हुआ मैने उस पोलिसेवाले का पैर पकड़ लिया ऑर ज़ोर से घुमा दिया वो हवा मे पलट गया ऑर धडाम से ज़मीन पर गीरा फिर मैने अपनी दोनो टांगे हवा मे उठाई ऑर झटके से दोनो पैरो पर खड़ा हो गया इतने मे 3 पोलीस वाले मेरी ओर लपके जिसमे से एक ने मुझे पिछे से पकड़ लिया बाकी जो 2 सामने से आए उनको मैने गले से पकड़ रखा था मैने सामने वाले दोनो आदमियो की दीवार की तरफ धक्का दिया ऑर पिछे वाले के मुँह पर ज़ोर से अपना सिर मारा जिससे वो अपना नाक पकड़कर वही बैठ गया तभी एक ऑर पोलीस वाला भागता हुआ आया जिसके हाथ मे लोहे का सरिया था जैसे ही वो मुझे सरिये से मारने लगा मैने सरिया पकड़ लिया ऑर घूमकर उसके कंधे पर वही सरिया ज़ोर से मारा इतने मे एक पोलीस वाला जो ज़मीन पर गिरा पड़ा था वो उठा ऑर उसने एक काँच के बर्तन जैसा कुछ उठा लिया ऑर पिच्चे से मेरे सिर मे मारा... मैं फॉरन उस ओर पलट गया ऑर गुस्से से उसको देखने लगा तभी मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मेरे सिर से खून निकल रहा है मैने अपने सिर पर हाथ लगाया ऑर अपने खून को उंगलियो पर लगाकर उसका मुक्का बना लिया ऑर ज़ोर से उस आदमी के मुँह पर मारा फिर उसको कंधे पर उठाकर अलमारी पर फेंक दिया जिससे अलमारी के दोनो दरवाज़े अंदर को धँस गये फिर मैने पास पड़ी एक चेयर उठाई ऑर सामने गिरे हुए दोनो पोलीस वालो को खड़ा करके उनके सिर वो चेयर मारी जिससे चेयर टूट गई ऑर मेरे हाथ मे उसका एक टूटा हुआ डंडा सा रह गया अब मैने चारो तरफ देखा लेकिन मुझ पर हमला करने वाले तमाम लोग ज़मीन पर गिरे पड़े थे ऑर दर्द से कराह रहे थे मैं हाथ मे कुर्सी की टूटी हुई टाँग पकड़े ऑर आदमियो के आने का इंतज़ार करने लगा कि अब कौन आएगा लेकिन तभी पूरा कमरा तालियो की गड़-गड़ाहट से गूँज उठा मैने पलटकर देखा तो ये ख़ान था जो मुझे देखकर खुश हो रहा था ऑर तालियाँ ब्जा रहा था...
ख़ान: वाहह क्या बात है लोहा आज भी गरम है...
मैं: ख़ान साहब ये कौन लोग है जिन्होने मुझ पर हमला किया...
ख़ान: ये मेरे लोग है इनको मैने ही तुम पर हमला करने को कहा था...
मैं: लेकिन क्यो (गुस्से मे)
ख़ान: (अपने नाख़ून देखते हुए) कुछ नही मैने शेरा की ताक़त के बारे मे सुना था देखना चाहता था बस इसलिए... (मुस्कुराकर)
मैं: (गुस्से से ख़ान को देखते हुए) हहुूहह ये कोई तरीका है किसी की ताक़त आज़माने का...
नाज़ी: (ख़ान से अपना हाथ छुड़ा कर चिल्लाते हुए) तुम एक दम पागल हो कल बाबा ने कहा था ना कि ये पहले जैसे नही है अब बदल गये हैं फिर भी तुमने इन पर हमला करवाया देखो सिर से खून आ रहा है इनके (अपने दुपट्टे से मेरा सिर का खून सॉफ करते हुए) हमें कोई इलाज नही करवाना नीर चलो यहाँ से ये सब के सब लोग पागल है...
ख़ान: देखिए माफी चाहता हूँ लेकिन इसको आज़माना ज़रूरी था अब ऐसा नही होगा मैं वादा करता हूँ चलिए आइए मेरे साथ...
इतना कहकर वो एक कमरे मे चला गया ऑर हाथ से हम को भी पिछे आने का इशारा किया हम बिना कुछ बोले उसके पिछे चले गये नाज़ी ने अपना दुपट्टा मेरे सिर पर ही पकड़कर रख लिया ऑर दूसरे हाथ से मेरा हाथ पकड़ लिया ऑर हम दोनो ख़ान के पिछे चले गये जहाँ बड़ी-बड़ी मशीन पड़ी थी... तभी एक औरत मुस्कुराते हुए मेरे पास आई जिसने सफेद कोट पहना था ऑर देखने मे डॉक्टर जैसी लग रही थी...
डॉक्टर: हल्लो माइ सेल्फ़ डॉक्टर रेहाना करिशी... (अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए)
मैं: जी क्या
डॉक्टर: माफी चाहती हूँ मैं भूल गई थी आपको अँग्रेज़ी नही आती मेरा नाम डॉक्टर रेहाना है ऑर आप...
मैं: (हाथ मिलाते हुए) नीर अली...
डॉक्टर: (कुर्सी की तरफ इशारा करते हुए) बैठिए जनाब...
मैं: (बिना कुछ बोले कुर्सी पर बैठ ते हुए) आप मेरा इलाज करेंगी?
डॉक्टर: (मेरा चेहरा पकड़कर मेरे सिर का ज़ख़्म देखते हुए) हमम्म हंजी मैं ही करूँगी लेकिन पहले आपके ज़ख़्म का इलाज कर दूं खून निकल रहा है (मुस्कुराते हुए)
फिर डॉक्टर रेहाना ने मेरे जखम पर पट्टी बाँधी ओर मैं बस बैठा उसको देखता रहा वो मुझे देखकर लगातार मुस्कुरा रही थी ऑर मैं उसकी बड़ी-बड़ी नीली आँखो मे देख रहा था एक अजीब सी क़शिष थी उसके चेहरे मे मैं बस उसके चेहरे को ही लगा तार देखे जा रहा था... फिर उसने मेरी बाजू पकड़ी ऑर एक इंजेक्षन सा लगा दिया जो मुझे लगा शायद मेरे सिर के दर्द के लिए होगा लेकिन इंजेक्षन के लगते ही मुझ पर एक अजीब सा नशा छाने लगा ऑर मेरी आँखो के आगे अंधेरा छाने लगा मुझे बहुत तेज़ नींद आने लगी जैसे मैं कई रातो से सोया ही नही हूँ... उसके बाद मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया ऑर मुझे जब होश आया तो मैं एक बेड पर लेटा हुआ था मेरे पास मेरा हाथ पकड़कर नाज़ी बैठी हुई थी ऑर रेहाना ऑर ख़ान मेरे सामने खड़े मुस्कुरा रहे थे...
मैं: मैं यहाँ कैसे आया मैं तो कुर्सी पर बैठा था ना...
ख़ान: माफी नीर जी माफी आप सच कह रहे थे लाइ डिटेक्टोर टेस्ट के बाद हम को भरोसा हो गया जनाब (हाथ जोड़कर) लेकिन क्या करे भाई हमारी भी ड्यूटी है शक़ करने की बीमारी सी पड़ गई है अच्छा तुम अब रेस्ट करो कुछ चाहिए हो तो डॉक्टर रहना को बोल देना ठीक है...
फिर ख़ान तेज़ कदमो के साथ कमरे से बाहर निकल गया ऑर हम सब उसको देखते रहे... फिर मैने बिस्तर से खड़े होने की कोशिश की लेकिन मेरे हाथ पैर जवाब दे रहे थे जैसे उनमे कोई जान ही ना हो मैं चाह कर भी उठ नही पा रहा था इसलिए मैने सबसे एक के बाद एक सवाल पुच्छने शुरू कर दिए...
मैं: लाइ डिटेक्टोर टेस्ट हो भी गये ऑर मुझे पता भी नही चला... ऑर अब मैं कहा हूँ ऑर यहाँ आया कैसे?
रेहाना: आपको हमारे लोग यहाँ लाए हैं आप घबरईए नही आप एक दम महफूस है (मुस्कुराते हुए)
मैं: क्या अब मैं घर जा सकता हूँ (बिस्तर से उठ ते हुए)
रहना: अर्रे लेटे रहिए अभी दवा का असर है तो कुछ देर बॉडी मे कमज़ोरी रहेगी हो सकता है चक्कर आए लेकिन थोड़ी देर मे ठीक हो जाओगे तो आप घर चले जाना...
मैं: (नाज़ी का हाथ पकड़ते हुए) तुम ठीक हो
नाज़ी: (मुस्कुरा कर हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म
मैं: हम कितनी देर से यहाँ है
नाज़ी: सुबह से
मैं: अब वक़्त क्या हुआ है
नाज़ी: शाम होने वाली है
मैं: क्या मैं इतनी देर सोया रहा...
रेहाना: बाते बाद मे कर लेना पहले कुछ खा लो (मुस्कुराते हुए) बताओ क्या खाओगे
मैं: (नाज़ी की तरफ देखते हुए) तुमने खाना खाया
नाज़ी: नही तुम्हारे साथ खाउन्गी...
रेहाना: आप बाते करो मैं आपके लिए कुछ खाने को भेजती हूँ
फिर रेहाना चली गई ऑर मैं उसको जाते हुए देखता रहा तभी नाज़ी को जाने क्या हुआ वो अपनी जगह से खड़ी हुई ऑर बेड पर मेरे उपर आके लेट गई ऑर मुझे गले से लगा लिया...
मैं: नाज़ी क्या हुआ
नाज़ी: (ना मे सिर हिलाते हुए) कुछ नही बस तुमको गले लगाने का दिल कर रहा था सो लगा लिया...
मैं: वो तो ठीक है लेकिन वो डॉक्टरनी आ गई तो...
नाज़ी: एम्म्म बस थोड़ी देर फिर सही होके बैठ जाउन्गी...
मैं: नाज़ी एक पप्पी दो ना
नाज़ी: (मेरी छाती पर थप्पड़ मारते हुए) खड़ा हुआ नही जा रहा फिर भी सुधरते नही बदमाश...
मैं: (हँसते हुए) लो यार अब तुमसे नही तो क्या डॉक्टरनी से पप्पी मांगू...
नाज़ी: (मेरा गला दबाते हुए) माँगकर तो दिखाओ किसी ऑर से पप्पी... तुम्हारा गला नही दबा दूँगी बड़े आए डॉक्टर से पप्पी माँगने वाले (मुस्कुराते हुए)
मैं: तो फिर पप्पी दो ना
नाज़ी: म्म्म्मीम ठीक है लेकिन सिर्फ़ एक...
मैं: हाँ ठीक है एक ही दे दो बाकी घर जाके ले लूँगा... (मुस्कुराते हुए)
नाज़ी: तुम सुधर नही सकते ना (हँसते हुए)
मैं: (ना मे सिर हिलाते हुए ऑर मुस्कुराते हुए) उउउहहुउऊ
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