10-11-2021, 01:26 PM
अपडेट-26
अगली सुबह मैं उठा ओर रोज़ की तरह तैयार होके खेत चला गया आज मैं अकेला ही खेत मे था क्योंकि नाज़ी की नींद देर से खुली थी रात की दवाई की वजह से इसलिए मैने उसे अपना साथ खेत पर लाना मुनासिब नही समझा ऑर उसको घर पर ही छोड़ आया ताकि वो ऑर फ़िज़ा मिलकर मेरा कमरा तैयार कर सके ऑर नाज़ी भी घर मे रहकर फ़िज़ा के कामो मे मदद कर सके... आज खेत मे मुझे भी कोई खास काम नही था बस नयी फसल उगाने के लिए खेत को पानी लगाने का काम था जो मैने दुपेहर तक मुकम्मल पूरा कर दिया ऑर अब मैं खाली बैठा था इसलिए मैने भी घर वापिस जाने का मन बना लिया ऑर मैं भी जल्दी ही घर आ गया... अभी मैं घर आ ही रहा था कि मुझे दूर से घर के बाहर कुछ गाड़िया खड़ी नज़र आई... जाने क्यो लेकिन उन गाडियो का काफिला देखकर मुझे एक अजीब सी बेचैनी होने लगी ऑर मैं तेज़ कदमो के साथ घर की तरफ बढ़ गया... घर मे जाते ही मुझे कुर्सी पर कुछ लोग बैठे नज़र आए...
(दोस्तो यहाँ से मैं एक न्यू कॅरक्टर का थोड़ा सा इंट्रोडक्षन आप सब से करवाना चाहूँगा ताकि आपको कहानी मुकम्मल तोर पर समझ आती रहे...)
नाम: इनस्पेक्टर... वहीद ख़ान (ख़ान) एज: 43 साल, हाइट: 5... 11
एक ईमानदार पोलीस वाला जो ज़ुर्म ऑर मुजरिम से सख़्त नफ़रत करता है इसकी जिंदगी का मकसद सिर्फ़ ऑर सिर्फ़ ज़ुर्म को ख़तम करना है...
ख़ान: (मुझे देखकर) आइए जनाब हमारी तो आँखें तरस गई आपके दीदार के लिए ऑर आप यहाँ डेरा डाले बैठे हैं...
मैं: (कुछ ना समझने वाले अंदाज़ मे) जी आप लोग कौन है ऑर यहाँ क्या कर रहे हैं...
ख़ान: (कुर्सी से खड़े होते हुए) अर्रे क्या यार शेरा अपने पुराने दोस्त को इतनी जल्दी भूल गये ऑर ये क्या मूछे क्यो सॉफ करदी तुमने... चलो अच्छा है ऐसे भी अच्छे दिखते हो... (मुस्कुराते हुए आँख मारकर)
मैं: जी कौन शेरा किसका दोस्त मैं तो आपको नही जानता
ख़ान: हमम्म तो तुम शेरा नही हो फिर ये कौन है... (टेबल पर पड़ी तस्वीरो की तरफ इशारा करते हुए)
मैं: (बिना कुछ बोले तस्वीरे उठाके देखते हुए) ये तो एक दम मेरे जैसा दिखता है (हैरान होते हुए ऑर अपने चेहरे पर हाथ फेरते हुए)
ख़ान: अच्छा ये नया नाटक शुरू कर दिया... ये तुम जैसा नही दिखता तुम ही हो समझे अब अपना ड्रामा बंद करो...
बाबा: साहब जी मैने कहा ना ये मेरा बेटा नीर है कोई शेरा नही है आपने जो तस्वीरे दिखाई है वो बस मेरे बेटे का हम शक़ल है ऑर कुछ नही ये मासूम बहुत सीधा-साधा हैं कोई अपराधी नही है ये...
ख़ान: आप चुप रहिए (उंगली दिखाते हुए) मैने आपसे नही पूछा
मैं: (ख़ान का कलर पकड़ते हुए) ओये तमीज़ से बात कर समझा... अगली बार मेरे बाबा को उंगली दिखाई तो हाथ तोड़ दूँगा तेरा...
ख़ान: (हँसते हुए) अर्रे इतना गुस्सा अच्छा भाई नही कहते कुछ आपके बाबा को... देखो फ़ारूख़ तेवर देखो इसके वही गुस्सा वही नशीली आँखें... ऑर ये लोग कहते हैं ये शेरा नही है
बाबा: नीर हाथ नीचे करो ये बड़े साहब है तमीज़ से पेश आओ (गुस्से से)
मैं: जी माफ़ कर दीजिए (नज़रे झुका कर हाथ कॉलर से हटा ते हुए)
ख़ान कभी बाबा को ऑर कभी मुझे बड़ी हैरानी से बार-बार देख रहा था ऑर मुस्कुरा रहा था... लेकिन मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था...
ख़ान: वाह भाई क्या रौब है वो भी शेरा पर... (हैरान होते हुए) क्योंकि मैने तो सुना था वो आदमी पैदा नही हुआ जो शेरा को झुका सके (अपने साथ वाले पोलीस वाले को देखते हुए)
मैं: (अपने हाथ जोड़ते हुए) देखिए जनाब मेरे बाबा की तबीयत ठीक नही है आप मेहरबानी करके यहाँ से जाइए...
ख़ान: चले जाएँगे मेरी जान इतनी भी क्या जल्दी है पहले तसल्ली तो कर लूँ
मैं: कैसी तसल्ली
ख़ान: अगर तुम शेरा नही हो तो अपनी कमीज़ उतारो क्योंकि हम जानते हैं कि शेरा के कंधे के पिछे एक शेर का टट्टू गुदा हुआ है...
मैं: अगर नही हुआ तो फिर आप यहाँ से चले जाएँगे
ख़ान: जी बिल्कुल हज़ूर आप बस हमारी तसल्ली करवा दे फिर हम आपको चेहरा तक नही दिखाएँगे...
मैं: ठीक है (कमीज़ उतारते हुए) देख लीजिए ऑर तसल्ली कर लीजिए... (मैं नही जानता था कि मेरी पीठ पर इस क़िस्म का कोई निशान है भी या नही इसलिए मैने ख़ान के कहने पर फॉरन कमीज़ उतार दी)
ख़ान: (चारो तरफ मेरे गोल-गोल घूमते हुए) हमम्म (मेरे कंधे पर हाथ रखकर) तू शातिर तो बहुत है लेकिन आज फँस गया बच्चे तेरा शेर ही तुझे मरवा गया... हाहहहहहाहा (तालियाँ बजाते हुए)
मैं: जी क्या मतलब (घूमकर ख़ान की तरफ देखते हुए)
ख़ान: तूने मुझे भी इन भोले गाँव वालो की तरह चूतिया समझा है जो तेरी बातो मे आ जाउन्गा
मैं: मैं आपका मतलब नही समझा आप कहना क्या चाहते हैं...
ख़ान: मतलब तो हवालात मे मैं तुझे अच्छे से सम्झाउन्गा
बाबा: (खड़े होते हुए) देखिए जनाब ये मेरा बेटा नीर ही है सिर्फ़ शक़ल एक जैसी हो जाने से करम एक जैसे नही होते हैं ये बिचारा तो खेत मे मेहनत करता है बहुत सीधा लड़का है कभी किसी से ऊँची आवाज़ मे बात भी नही करता मेरी हर बात मानता है आप गाँव मे किसी से भी पूछ लीजिए बहुत भला लड़का है इसने कोई गुनाह नही किया...
ख़ान: (मुझे कंधो से पकड़कर घूमाते हुए) ये देखिए जनाब आप जिसे अपना बेटा कह रहे थे वो एक अंडरवर्ल्ड का मोस्ट वांटेड गॅंग्स्टर शेरा है इसने बहुत से लोगो का क़त्ल किया है ये इतना शातिर है किसी इंसान की जान लेने के लिए इसको किसी हथियार की भी ज़रूरत नही हर तरह का हथियार चला लेता है ये इसका सटीक निशाना इसकी अंडर्वर्ड मे पहचान है... अब इस टॅटू ऑर ये गोलियों के निशान को देखकर तो आपको तसल्ली हो गई होगी कि ये आपका बेटा नीर नही बल्कि शेरा है जिसको हम इतने महीनो से ढूँढ रहे हैं...
बाबा: देखिए साहब मैं आपको सब सच-सच बता दूँगा लेकिन आपको वादा करना होगा कि आप ये बात किसी को नही बताएँगे...
ख़ान: (कुर्सी पर वापिस बैठ ते हुए) मैं सुन रहा हूँ कहिए क्या कहना है आपको...
जब बाबा ने इनस्पेक्टर ख़ान को मेरे बारे मे बताना शुरू किया तो मैं भी उनके पास ही कमीज़ पहनकर बैठ गया... क्योंकि अक्सर मैं जब भी नाज़ी ऑर फ़िज़ा से अपने बारे मे कुछ भी पुछ्ता तो वो अक्सर टाल जाती ऑर मुझे मेरे बारे मे सच नही बताती ऑर मेरे सीने पर जो निशान थे वो गोलियो के थे ये बात भी मुझे आज ही पता चली थी क्योंकि नाज़ी ऑर फ़िज़ा ने मुझे यही बताया था कि मुझे आक्सिडेंट मे चोट लगने से ये सीने पर निशान मिले थे...
अब आख़िर मुझे भी अपने जानना था कि मैं कौन हूँ ऑर मेरा सच क्या है... तभी बाबा ने पहले फ़िज़ा को ऑर फिर नाज़ी को एक साथ आवाज़ देकर बाहर बुलाया दोनो मुँह को ढक कर बाहर आ गई ऑर जहाँ मैं बैठा था मेरे पिछे आके चुप-चाप खड़ी हो गई... मैने पलटकर दोनो को एक नज़र देखा ऑर फिर सीधा होके बैठ गया...
बाबा: बेटा इनस्पेक्टर साहब को नीर के बारे मे सब सच-सच बता दो...
फ़िज़ा: लेकिन बाबा वो... मैं... वो... (कुछ सोचते हुए)
ख़ान: जी आप घबरईए नही खुलकर बताइए मैं जानना चाहता हूँ कि आप मुझे क्या सच बताना चाहती है...
फ़िज़ा: (एक लंबी साँस छोड़ते हुए) ठीक है साहब लेकिन वादा कीजिए कि उसके बाद आप नीर को कुछ नही कहेंगे...
ख़ान: (अपना कोट सही करते हुए) मैं कोई वादा नही करूँगा लेकिन हाँ अगर ये बे-गुनाह है तो इससे कुछ नही होगा...
फ़िज़ा: ठीक है ख़ान साब... नाज़ी जाओ वो बॅग ले आओ जो हमने छुपा कर रखा था...
अगली सुबह मैं उठा ओर रोज़ की तरह तैयार होके खेत चला गया आज मैं अकेला ही खेत मे था क्योंकि नाज़ी की नींद देर से खुली थी रात की दवाई की वजह से इसलिए मैने उसे अपना साथ खेत पर लाना मुनासिब नही समझा ऑर उसको घर पर ही छोड़ आया ताकि वो ऑर फ़िज़ा मिलकर मेरा कमरा तैयार कर सके ऑर नाज़ी भी घर मे रहकर फ़िज़ा के कामो मे मदद कर सके... आज खेत मे मुझे भी कोई खास काम नही था बस नयी फसल उगाने के लिए खेत को पानी लगाने का काम था जो मैने दुपेहर तक मुकम्मल पूरा कर दिया ऑर अब मैं खाली बैठा था इसलिए मैने भी घर वापिस जाने का मन बना लिया ऑर मैं भी जल्दी ही घर आ गया... अभी मैं घर आ ही रहा था कि मुझे दूर से घर के बाहर कुछ गाड़िया खड़ी नज़र आई... जाने क्यो लेकिन उन गाडियो का काफिला देखकर मुझे एक अजीब सी बेचैनी होने लगी ऑर मैं तेज़ कदमो के साथ घर की तरफ बढ़ गया... घर मे जाते ही मुझे कुर्सी पर कुछ लोग बैठे नज़र आए...
(दोस्तो यहाँ से मैं एक न्यू कॅरक्टर का थोड़ा सा इंट्रोडक्षन आप सब से करवाना चाहूँगा ताकि आपको कहानी मुकम्मल तोर पर समझ आती रहे...)
नाम: इनस्पेक्टर... वहीद ख़ान (ख़ान) एज: 43 साल, हाइट: 5... 11
एक ईमानदार पोलीस वाला जो ज़ुर्म ऑर मुजरिम से सख़्त नफ़रत करता है इसकी जिंदगी का मकसद सिर्फ़ ऑर सिर्फ़ ज़ुर्म को ख़तम करना है...
ख़ान: (मुझे देखकर) आइए जनाब हमारी तो आँखें तरस गई आपके दीदार के लिए ऑर आप यहाँ डेरा डाले बैठे हैं...
मैं: (कुछ ना समझने वाले अंदाज़ मे) जी आप लोग कौन है ऑर यहाँ क्या कर रहे हैं...
ख़ान: (कुर्सी से खड़े होते हुए) अर्रे क्या यार शेरा अपने पुराने दोस्त को इतनी जल्दी भूल गये ऑर ये क्या मूछे क्यो सॉफ करदी तुमने... चलो अच्छा है ऐसे भी अच्छे दिखते हो... (मुस्कुराते हुए आँख मारकर)
मैं: जी कौन शेरा किसका दोस्त मैं तो आपको नही जानता
ख़ान: हमम्म तो तुम शेरा नही हो फिर ये कौन है... (टेबल पर पड़ी तस्वीरो की तरफ इशारा करते हुए)
मैं: (बिना कुछ बोले तस्वीरे उठाके देखते हुए) ये तो एक दम मेरे जैसा दिखता है (हैरान होते हुए ऑर अपने चेहरे पर हाथ फेरते हुए)
ख़ान: अच्छा ये नया नाटक शुरू कर दिया... ये तुम जैसा नही दिखता तुम ही हो समझे अब अपना ड्रामा बंद करो...
बाबा: साहब जी मैने कहा ना ये मेरा बेटा नीर है कोई शेरा नही है आपने जो तस्वीरे दिखाई है वो बस मेरे बेटे का हम शक़ल है ऑर कुछ नही ये मासूम बहुत सीधा-साधा हैं कोई अपराधी नही है ये...
ख़ान: आप चुप रहिए (उंगली दिखाते हुए) मैने आपसे नही पूछा
मैं: (ख़ान का कलर पकड़ते हुए) ओये तमीज़ से बात कर समझा... अगली बार मेरे बाबा को उंगली दिखाई तो हाथ तोड़ दूँगा तेरा...
ख़ान: (हँसते हुए) अर्रे इतना गुस्सा अच्छा भाई नही कहते कुछ आपके बाबा को... देखो फ़ारूख़ तेवर देखो इसके वही गुस्सा वही नशीली आँखें... ऑर ये लोग कहते हैं ये शेरा नही है
बाबा: नीर हाथ नीचे करो ये बड़े साहब है तमीज़ से पेश आओ (गुस्से से)
मैं: जी माफ़ कर दीजिए (नज़रे झुका कर हाथ कॉलर से हटा ते हुए)
ख़ान कभी बाबा को ऑर कभी मुझे बड़ी हैरानी से बार-बार देख रहा था ऑर मुस्कुरा रहा था... लेकिन मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था...
ख़ान: वाह भाई क्या रौब है वो भी शेरा पर... (हैरान होते हुए) क्योंकि मैने तो सुना था वो आदमी पैदा नही हुआ जो शेरा को झुका सके (अपने साथ वाले पोलीस वाले को देखते हुए)
मैं: (अपने हाथ जोड़ते हुए) देखिए जनाब मेरे बाबा की तबीयत ठीक नही है आप मेहरबानी करके यहाँ से जाइए...
ख़ान: चले जाएँगे मेरी जान इतनी भी क्या जल्दी है पहले तसल्ली तो कर लूँ
मैं: कैसी तसल्ली
ख़ान: अगर तुम शेरा नही हो तो अपनी कमीज़ उतारो क्योंकि हम जानते हैं कि शेरा के कंधे के पिछे एक शेर का टट्टू गुदा हुआ है...
मैं: अगर नही हुआ तो फिर आप यहाँ से चले जाएँगे
ख़ान: जी बिल्कुल हज़ूर आप बस हमारी तसल्ली करवा दे फिर हम आपको चेहरा तक नही दिखाएँगे...
मैं: ठीक है (कमीज़ उतारते हुए) देख लीजिए ऑर तसल्ली कर लीजिए... (मैं नही जानता था कि मेरी पीठ पर इस क़िस्म का कोई निशान है भी या नही इसलिए मैने ख़ान के कहने पर फॉरन कमीज़ उतार दी)
ख़ान: (चारो तरफ मेरे गोल-गोल घूमते हुए) हमम्म (मेरे कंधे पर हाथ रखकर) तू शातिर तो बहुत है लेकिन आज फँस गया बच्चे तेरा शेर ही तुझे मरवा गया... हाहहहहहाहा (तालियाँ बजाते हुए)
मैं: जी क्या मतलब (घूमकर ख़ान की तरफ देखते हुए)
ख़ान: तूने मुझे भी इन भोले गाँव वालो की तरह चूतिया समझा है जो तेरी बातो मे आ जाउन्गा
मैं: मैं आपका मतलब नही समझा आप कहना क्या चाहते हैं...
ख़ान: मतलब तो हवालात मे मैं तुझे अच्छे से सम्झाउन्गा
बाबा: (खड़े होते हुए) देखिए जनाब ये मेरा बेटा नीर ही है सिर्फ़ शक़ल एक जैसी हो जाने से करम एक जैसे नही होते हैं ये बिचारा तो खेत मे मेहनत करता है बहुत सीधा लड़का है कभी किसी से ऊँची आवाज़ मे बात भी नही करता मेरी हर बात मानता है आप गाँव मे किसी से भी पूछ लीजिए बहुत भला लड़का है इसने कोई गुनाह नही किया...
ख़ान: (मुझे कंधो से पकड़कर घूमाते हुए) ये देखिए जनाब आप जिसे अपना बेटा कह रहे थे वो एक अंडरवर्ल्ड का मोस्ट वांटेड गॅंग्स्टर शेरा है इसने बहुत से लोगो का क़त्ल किया है ये इतना शातिर है किसी इंसान की जान लेने के लिए इसको किसी हथियार की भी ज़रूरत नही हर तरह का हथियार चला लेता है ये इसका सटीक निशाना इसकी अंडर्वर्ड मे पहचान है... अब इस टॅटू ऑर ये गोलियों के निशान को देखकर तो आपको तसल्ली हो गई होगी कि ये आपका बेटा नीर नही बल्कि शेरा है जिसको हम इतने महीनो से ढूँढ रहे हैं...
बाबा: देखिए साहब मैं आपको सब सच-सच बता दूँगा लेकिन आपको वादा करना होगा कि आप ये बात किसी को नही बताएँगे...
ख़ान: (कुर्सी पर वापिस बैठ ते हुए) मैं सुन रहा हूँ कहिए क्या कहना है आपको...
जब बाबा ने इनस्पेक्टर ख़ान को मेरे बारे मे बताना शुरू किया तो मैं भी उनके पास ही कमीज़ पहनकर बैठ गया... क्योंकि अक्सर मैं जब भी नाज़ी ऑर फ़िज़ा से अपने बारे मे कुछ भी पुछ्ता तो वो अक्सर टाल जाती ऑर मुझे मेरे बारे मे सच नही बताती ऑर मेरे सीने पर जो निशान थे वो गोलियो के थे ये बात भी मुझे आज ही पता चली थी क्योंकि नाज़ी ऑर फ़िज़ा ने मुझे यही बताया था कि मुझे आक्सिडेंट मे चोट लगने से ये सीने पर निशान मिले थे...
अब आख़िर मुझे भी अपने जानना था कि मैं कौन हूँ ऑर मेरा सच क्या है... तभी बाबा ने पहले फ़िज़ा को ऑर फिर नाज़ी को एक साथ आवाज़ देकर बाहर बुलाया दोनो मुँह को ढक कर बाहर आ गई ऑर जहाँ मैं बैठा था मेरे पिछे आके चुप-चाप खड़ी हो गई... मैने पलटकर दोनो को एक नज़र देखा ऑर फिर सीधा होके बैठ गया...
बाबा: बेटा इनस्पेक्टर साहब को नीर के बारे मे सब सच-सच बता दो...
फ़िज़ा: लेकिन बाबा वो... मैं... वो... (कुछ सोचते हुए)
ख़ान: जी आप घबरईए नही खुलकर बताइए मैं जानना चाहता हूँ कि आप मुझे क्या सच बताना चाहती है...
फ़िज़ा: (एक लंबी साँस छोड़ते हुए) ठीक है साहब लेकिन वादा कीजिए कि उसके बाद आप नीर को कुछ नही कहेंगे...
ख़ान: (अपना कोट सही करते हुए) मैं कोई वादा नही करूँगा लेकिन हाँ अगर ये बे-गुनाह है तो इससे कुछ नही होगा...
फ़िज़ा: ठीक है ख़ान साब... नाज़ी जाओ वो बॅग ले आओ जो हमने छुपा कर रखा था...