10-11-2021, 01:24 PM
अपडेट-25
मैं वापिस थोड़ा नीचे को हुआ ऑर फिर से उसकी पीठ को चूसने चाटने ऑर काटने लगा जिससे फिर से उसके मुँह से ससस्स ससस्स निकल रहा था... अब मैं साइड से हाथ नीचे ले जाकर उसके मम्मों को भी दबा रहा था ऑर उसकी कमर पर अपने होंठ उपर नीचे फिरा रहा था साथ ही अब मैं नीचे की तरफ जा रहा था जिससे शायद उसका मज़ा बढ़ता जा रहा था इसलिए वो बार-बार अपनी गान्ड की पहाड़ियो को कभी सख़्त कर रही थी कभी उपर को उठा रही थी... तभी मैने सोचा क्यो ना इसकी गान्ड पर चूम कर देखूं मैं एक बार उसकी गान्ड पर चूम लिया जिससे उसे एक झटका सा लगा ऑर उसके मुँह तेज़ सस्स्स्सस्स निकल गया उसने पलटकर एक बार मुझे देखा फिर बिना कुछ बोले वापिस तकिये पर सिर रख दिया ऑर आँखें बंद कर ली शायद वो भी देखना चाहती थी कि मैं आगे क्या करता हूँ कुछ देर मैं ऐसे ही उसकी गान्ड को चूमता रहा फिर अचानक मैने अपना मुँह खोल कर एक बार हल्के से उसकी गान्ड की पहाड़ी को हल्का सा चूस कर काट लिया जिससे उसको इंतहाई मज़ा आया ओर उसने अपने दोनो हाथ पीछे ले-जाकर मेरा चेहरा पकड़ लिया...
फ़िज़ा: आआहह... जाअंणन्न्...
मैं: क्या हुआ अच्छा नही लगा
फ़िज़ा: बहुत अच्छा लगा तभी तो बर्दाश्त नही कर पाई...
मैं: फिर हाथ हटाओ अपने
फ़िज़ा बिना कुछ बोला उसने मेरे चेहरे के आगे से अपने हाथ हटा दिए ऑर मैं वापिस उसकी गान्ड की पहाड़ियो की चूसने ऑर काटने लगा वो बस मज़े से अपना सिर बार-बार तकिये पर मार रही थी ऑर मज़े से ऊओ... आआहह... सस्स्स्स्सस्स... सस्स्स्स्स्सस्स... कर रही थी... अचानक मैने उसकी दोनो गान्ड की पहाड़ियो को खोला ऑर उसमे अपना मुँह डालकर उसकी गान्ड की छेद पर अपनी ज़ुबान की नोक लगाई ऑर फॉरन सस्स्स्स्सस्स आआअहह करते हुए पलट गई ऑर मेरा चेहरा अपने हाथो से पकड़ लिया...
फ़िज़ा: जान क्या कर रहे थे पागल हो गये हो वो गंदी जगह होती है
मैं: तुमको मज़ा नही आया
फ़िज़ा: बात मज़े की नही है लेकिन सिर्फ़ मेरे मज़े के लिए तुम ऐसी जगह मुझे प्यार करो तो मुझे आपके लिए बुरा लगेगा
मैं: मैने क्या पूछा है तुमको मज़ा आया या नही... सिर्फ़ हाँ या ना मे जवाब दो
फ़िज़ा: (हाँ मे सिर हिलाते हुए)
मैं: बस फिर वापिस उल्टी होके लेट जाओ
फ़िज़ा: ठीक है अच्छा आप उंगली से कर लो बॅस लेकिन ज़ुबान नही डालना वहाँ वो गंदी जगह है आपको मेरी कसम है...
मैं: अच्छा ठीक है अब लेट तो जाओ ना...
फ़िज़ा बिना कुछ बोले वापिस उल्टी होके लेट गई ऑर मैं अपनी उंगली को अपने मुँह मे डालकर गीली करके वापिस उसकी गान्ड को खोल कर अपनी उंगली उसके छेद पर उपर नीचे घुमाने लगा जिससे उसको फिर से मज़ा आने लगा...
मैं: जान अच्छा लग रहा है?
फ़िज़ा: हमम्म्म
मैं ऐसे ही काफ़ी देर फ़िज़ा की गान्ड के छेद पर उंगली फेरता रहा ऑर उसकी गान्ड के मोटे-मोटे पहाड़ो को उपर से चूमता रहा जिसके लिए फ़िज़ा ने भी मुझे मना नही किया वो अपनी आँखें बंद किए बस ससस्स ससस्स ऑर आहह ऊओ कर रही थी... ये मज़ा हम दोनो के लिए एक दम नया था... मैं जब भी फ़िज़ा की गान्ड के छेद पर अपनी उंगली फेरता तो कभी वो अपने छेद को सख्ती से बंद कर लेती कभी खोल देती जिसको देखकर मुझे भी अच्छा लग रहा था तभी मैने सोचा क्यो ना इसके अंदर उंगली डाल दूँ इसलिए मैने छेद के खुलने का इंतज़ार किया ऑर जैसे ही उसने अपने छेद को थोड़ा सा ढीला किया तो मैने अपने नाख़ून तक उंगली उसकी गान्ड के छेद मे डाल दी जिससे शायद उससे भी मज़ा आया था उसने ज़ोर आआहह किया ऑर फिर तेज़-तेज़ साँस लेने लगी...
मैं: जान दर्द तो नही हो रही
फ़िज़ा: बहुत मज़ा आ रहा है जान उंगली को हल्का-हल्का दबाओ अच्छा लगता है ऐसे करते हो तो...
मैं उसके बोले मुताबिक अपनी उंगली को हल्के-हल्के दबाने लगा जिससे मेरी उंगली ऑर अंदर तक जाने लगी गीली होने की वजह से मेरी आधी उंगली उसकी गान्ड के अंदर थी जिसको मैं बार-बार अंदर बाहर कर रहा था तभी मुझे लगा जैसे वो नीचे अपना हाथ लेजा कर अपनी चूत मस्सल रही है शायद इसलिए उसको मज़ा आ रहा था... फिर मैं वापिस उसके उपर लेट गया ऑर उसकी गान्ड से अपनी उंगली बाहर निकाल ली...
मैं वापिस थोड़ा नीचे को हुआ ऑर फिर से उसकी पीठ को चूसने चाटने ऑर काटने लगा जिससे फिर से उसके मुँह से ससस्स ससस्स निकल रहा था... अब मैं साइड से हाथ नीचे ले जाकर उसके मम्मों को भी दबा रहा था ऑर उसकी कमर पर अपने होंठ उपर नीचे फिरा रहा था साथ ही अब मैं नीचे की तरफ जा रहा था जिससे शायद उसका मज़ा बढ़ता जा रहा था इसलिए वो बार-बार अपनी गान्ड की पहाड़ियो को कभी सख़्त कर रही थी कभी उपर को उठा रही थी... तभी मैने सोचा क्यो ना इसकी गान्ड पर चूम कर देखूं मैं एक बार उसकी गान्ड पर चूम लिया जिससे उसे एक झटका सा लगा ऑर उसके मुँह तेज़ सस्स्स्सस्स निकल गया उसने पलटकर एक बार मुझे देखा फिर बिना कुछ बोले वापिस तकिये पर सिर रख दिया ऑर आँखें बंद कर ली शायद वो भी देखना चाहती थी कि मैं आगे क्या करता हूँ कुछ देर मैं ऐसे ही उसकी गान्ड को चूमता रहा फिर अचानक मैने अपना मुँह खोल कर एक बार हल्के से उसकी गान्ड की पहाड़ी को हल्का सा चूस कर काट लिया जिससे उसको इंतहाई मज़ा आया ओर उसने अपने दोनो हाथ पीछे ले-जाकर मेरा चेहरा पकड़ लिया...
फ़िज़ा: आआहह... जाअंणन्न्...
मैं: क्या हुआ अच्छा नही लगा
फ़िज़ा: बहुत अच्छा लगा तभी तो बर्दाश्त नही कर पाई...
मैं: फिर हाथ हटाओ अपने
फ़िज़ा बिना कुछ बोला उसने मेरे चेहरे के आगे से अपने हाथ हटा दिए ऑर मैं वापिस उसकी गान्ड की पहाड़ियो की चूसने ऑर काटने लगा वो बस मज़े से अपना सिर बार-बार तकिये पर मार रही थी ऑर मज़े से ऊओ... आआहह... सस्स्स्स्सस्स... सस्स्स्स्स्सस्स... कर रही थी... अचानक मैने उसकी दोनो गान्ड की पहाड़ियो को खोला ऑर उसमे अपना मुँह डालकर उसकी गान्ड की छेद पर अपनी ज़ुबान की नोक लगाई ऑर फॉरन सस्स्स्स्सस्स आआअहह करते हुए पलट गई ऑर मेरा चेहरा अपने हाथो से पकड़ लिया...
फ़िज़ा: जान क्या कर रहे थे पागल हो गये हो वो गंदी जगह होती है
मैं: तुमको मज़ा नही आया
फ़िज़ा: बात मज़े की नही है लेकिन सिर्फ़ मेरे मज़े के लिए तुम ऐसी जगह मुझे प्यार करो तो मुझे आपके लिए बुरा लगेगा
मैं: मैने क्या पूछा है तुमको मज़ा आया या नही... सिर्फ़ हाँ या ना मे जवाब दो
फ़िज़ा: (हाँ मे सिर हिलाते हुए)
मैं: बस फिर वापिस उल्टी होके लेट जाओ
फ़िज़ा: ठीक है अच्छा आप उंगली से कर लो बॅस लेकिन ज़ुबान नही डालना वहाँ वो गंदी जगह है आपको मेरी कसम है...
मैं: अच्छा ठीक है अब लेट तो जाओ ना...
फ़िज़ा बिना कुछ बोले वापिस उल्टी होके लेट गई ऑर मैं अपनी उंगली को अपने मुँह मे डालकर गीली करके वापिस उसकी गान्ड को खोल कर अपनी उंगली उसके छेद पर उपर नीचे घुमाने लगा जिससे उसको फिर से मज़ा आने लगा...
मैं: जान अच्छा लग रहा है?
फ़िज़ा: हमम्म्म
मैं ऐसे ही काफ़ी देर फ़िज़ा की गान्ड के छेद पर उंगली फेरता रहा ऑर उसकी गान्ड के मोटे-मोटे पहाड़ो को उपर से चूमता रहा जिसके लिए फ़िज़ा ने भी मुझे मना नही किया वो अपनी आँखें बंद किए बस ससस्स ससस्स ऑर आहह ऊओ कर रही थी... ये मज़ा हम दोनो के लिए एक दम नया था... मैं जब भी फ़िज़ा की गान्ड के छेद पर अपनी उंगली फेरता तो कभी वो अपने छेद को सख्ती से बंद कर लेती कभी खोल देती जिसको देखकर मुझे भी अच्छा लग रहा था तभी मैने सोचा क्यो ना इसके अंदर उंगली डाल दूँ इसलिए मैने छेद के खुलने का इंतज़ार किया ऑर जैसे ही उसने अपने छेद को थोड़ा सा ढीला किया तो मैने अपने नाख़ून तक उंगली उसकी गान्ड के छेद मे डाल दी जिससे शायद उससे भी मज़ा आया था उसने ज़ोर आआहह किया ऑर फिर तेज़-तेज़ साँस लेने लगी...
मैं: जान दर्द तो नही हो रही
फ़िज़ा: बहुत मज़ा आ रहा है जान उंगली को हल्का-हल्का दबाओ अच्छा लगता है ऐसे करते हो तो...
मैं उसके बोले मुताबिक अपनी उंगली को हल्के-हल्के दबाने लगा जिससे मेरी उंगली ऑर अंदर तक जाने लगी गीली होने की वजह से मेरी आधी उंगली उसकी गान्ड के अंदर थी जिसको मैं बार-बार अंदर बाहर कर रहा था तभी मुझे लगा जैसे वो नीचे अपना हाथ लेजा कर अपनी चूत मस्सल रही है शायद इसलिए उसको मज़ा आ रहा था... फिर मैं वापिस उसके उपर लेट गया ऑर उसकी गान्ड से अपनी उंगली बाहर निकाल ली...