10-11-2021, 01:22 PM
लेकिन आज मुझे उसकी कमीज़ के बीच मे कुछ चुभ रहा था...
मैं: (अपना मुँह उसके मुँह से अलग करते हुए) जान ये क्या है हाथ पर चुभ रहा है
फ़िज़ा: ज़िप्प है जान आज मैने आपके लिए नया सूट पहना है (मुस्कुराते हुए) खोल दो परेशानी हो रही है तो... (वापिस मेरे होंठों पर अपने होंठ रखते हुए)
हम फिर से एक दूसरे के होंठ चूसने लगे मैं अपना हाथ लगातार उपर की तरफ ले जा रहा था ताकि मुझे ज़िप्प का जोड़ मिल सके तभी मेरा हाथ फ़िज़ा के गले पर पहुँचा तो मुझे उसका जोड़ मिल गया जिसको मैं खींचता हुआ नीचे तक ले गया अब उसकी पूरी पीठ एक दम बे-परदा थी ऑर मेरे हाथो का अहसास उसे अपनी नंगी पीठ पर होते ही उसने एक ठंडी आअहह भारी ऑर फिर से मेरे मुँह से अपना मुँह जोड़ दिया मैं अब लगातार उसकी पीठ पर हाथ फेर रहा था लेकिन बार-बार उसकी ब्रा का स्टाप मेरे हाथो से टकरा रहा था इसलिए मैने उसको भी खोल दिया अब फ़िज़ा की पीठ एक दम नंगी थी जो एक दम चिकनी थी उस पर अपने हाथ ऑर अपनी उंगालिया फेरते हुए ऐसे लग रहा था जैसे किसी मखमल पर हाथ फेर रहा हूँ... उसको गले लगाते हुए मेरी उंगालिया उसके जिस्म मे धँस रही थी जिससे उससे इंतहाई मज़ा आ रहा था...
फ़िज़ा: जान जब आप मेरी पीठ पर उंगालिया गढ़ाते हो तो इंतहाई मज़ा आता है ऑर करो...
मैं: हमम्म ऐसा करो तुम उल्टी होके लेट जाओ आज मैं तुमको प्यार करूँगा तुम बस लेटी देखती रहना ठीक है
फ़िज़ा: (मेरे उपर से हटकर मेरे साथ उल्टी होके लेट ती हुई) हमम्म
अब वो उल्टी होके लेटी थी ऑर मेरे सामने उसकी दूध जैसी नरम ऑर नाज़ुक पीठ थी... मैं उसके उपर आके लेट गया ऑर उसके गले के पीछे चूमने लगा वो बस आँखें बंद किए लेटी थी मैं कभी उसके गले पर चूस रहा था कभी काट रहा था मेरे बार-बार काटने पर वो ससस्स ससस्स कर रही थी लेकिन उसने मुझे एक बार भी काटने से नही रोका शायद उसको भी मेरे इस तरह करने से मज़ा आ रहा था फिर मैं धीरे-धीरे नीचे आने लगा ऑर उसकी पीठ को चूस-चूस कर काटने लगा उसकी पूरी पीठ मेरी थूक से गीली हो गई थी लेकिन वो बस खामोश होके लेटी थी ओर मज़े से आंखँ बंद किए...
फ़िज़ा: जान अपनी ऑर मेरी कमीज़ उतार दो ना मुझे इनसे उलझल हो रही है मैं आपका जिस्म अपने जिस्म के साथ जुड़ा हुआ महसूस करना चाहती हूँ...
मैं: ठीक है रूको (मैं जल्दी से खड़ा हुआ ऑर अपने सारे कपड़े जल्दी से उतारने लगा)
फ़िज़ा: (गर्दन पीछे करके मुझे कपड़े उतारता हुआ देखती हुई) जान तुम्हारा बदन दिनो-दिन ओर भी सख़्त होता जा रहा है... (मुस्कुराते हुए)
मैं: वो खेत मे काम करता हूँ ना इसलिए...
फ़िज़ा: जानते हो अब पहले से भी ज़्यादा मज़ा आता है (मुस्कुरकर आँखें दुबारा बंद करते हुए)
मैने जैसे ही अपने सारे कपड़े उतारे ऑर फ़िज़ा के उपर लेटा तो फ़िज़ा बोली...
फ़िज़ा: जान मेरे भी आप ही उतार दो ना मुझमे अब हिम्मत नही है
मैने जल्दी से उसको सीधा करके बिस्तर पर ही उठाके बिठाया ऑर उसकी कमीज़ उतारने लगा उसने भी मेरी मदद के लिए अपनी दोनो बाहें हवा मे उठा दी... क्योंकि मैने पहले ही उसकी ब्रा का स्ट्रॅप खोल दिया था इसलिए उसकी कमीज़ के साथ उसकी ब्रा भी उतर गई ऑर उसके बड़े-बड़े ओर सख़्त मम्मे उछल्कर बाहर आ गये उसके निपल अंगूर की तरह एक दम सख़्त ऑर खड़े थे... जिसे मैं घूर-घूर कर देखने लगा मुझे इस तरफ घूरता देखकर उसके अपने दोनो हाथ अपने मम्मों पर रख लिए...
फ़िज़ा: जान ऐसे मत देखा करो मुझे शरम आती है (मुँह नीचे करके मुस्कुराते हुए)
मैं: कमाल है... मुझसे भी शरम आती है (गौर से उसका चेहरा देखते हुए)
फ़िज़ा: अच्छा लो बसस्स खुश (अपने दोनो हाथ हवा मे उठाकर)
मैं: हमम्म चलो अब लेट जाओ
फ़िज़ा: जान ये भी उतार दो ना तंग कर रही है (बच्चों जैसी मुस्कान के साथ अपनी सलवार की तरफ इशारा करते हुए)
मैने जल्दी से उसकी सलवार भी उतार दी ऑर वो जल्दी से वापिस उल्टी होके लेट गई शायद वो फिर से वही से शुरू करवाना चाहती थी जहाँ से मैने बंद किया था... इसलिए मैं भी बिना कुछ बोले उसके उपर ऐसे ही लेट गया... इस तरह बिना कपड़े के एक दूसरे के साथ जुड़ते ही हम दोनो के बदन को एक झटका सा लगा जिससे हम दोनो के मुँह से एक साथ आअहह निकल गई उसकी गान्ड बेहद नाज़ुक ऑर मुलायम थी जिसका मुझे पहली बार अहसास हुआ था... क्योंकि पहले मैं हमेशा उसके उपर की तरफ ही लेट ता था जब वो सीधी होके लेटी हुई होती थी इसलिए ये अहसास मेरे लिए नया था...
मैं: तुम्हारी गान्ड बहुत मुलायम है किसी गद्दे की तरह
फ़िज़ा: (आँखें बंद किए ही हँसते हुए) मेरा सब कुछ ही आपका है जान जो चाहे करो...
मैं: (अपना मुँह उसके मुँह से अलग करते हुए) जान ये क्या है हाथ पर चुभ रहा है
फ़िज़ा: ज़िप्प है जान आज मैने आपके लिए नया सूट पहना है (मुस्कुराते हुए) खोल दो परेशानी हो रही है तो... (वापिस मेरे होंठों पर अपने होंठ रखते हुए)
हम फिर से एक दूसरे के होंठ चूसने लगे मैं अपना हाथ लगातार उपर की तरफ ले जा रहा था ताकि मुझे ज़िप्प का जोड़ मिल सके तभी मेरा हाथ फ़िज़ा के गले पर पहुँचा तो मुझे उसका जोड़ मिल गया जिसको मैं खींचता हुआ नीचे तक ले गया अब उसकी पूरी पीठ एक दम बे-परदा थी ऑर मेरे हाथो का अहसास उसे अपनी नंगी पीठ पर होते ही उसने एक ठंडी आअहह भारी ऑर फिर से मेरे मुँह से अपना मुँह जोड़ दिया मैं अब लगातार उसकी पीठ पर हाथ फेर रहा था लेकिन बार-बार उसकी ब्रा का स्टाप मेरे हाथो से टकरा रहा था इसलिए मैने उसको भी खोल दिया अब फ़िज़ा की पीठ एक दम नंगी थी जो एक दम चिकनी थी उस पर अपने हाथ ऑर अपनी उंगालिया फेरते हुए ऐसे लग रहा था जैसे किसी मखमल पर हाथ फेर रहा हूँ... उसको गले लगाते हुए मेरी उंगालिया उसके जिस्म मे धँस रही थी जिससे उससे इंतहाई मज़ा आ रहा था...
फ़िज़ा: जान जब आप मेरी पीठ पर उंगालिया गढ़ाते हो तो इंतहाई मज़ा आता है ऑर करो...
मैं: हमम्म ऐसा करो तुम उल्टी होके लेट जाओ आज मैं तुमको प्यार करूँगा तुम बस लेटी देखती रहना ठीक है
फ़िज़ा: (मेरे उपर से हटकर मेरे साथ उल्टी होके लेट ती हुई) हमम्म
अब वो उल्टी होके लेटी थी ऑर मेरे सामने उसकी दूध जैसी नरम ऑर नाज़ुक पीठ थी... मैं उसके उपर आके लेट गया ऑर उसके गले के पीछे चूमने लगा वो बस आँखें बंद किए लेटी थी मैं कभी उसके गले पर चूस रहा था कभी काट रहा था मेरे बार-बार काटने पर वो ससस्स ससस्स कर रही थी लेकिन उसने मुझे एक बार भी काटने से नही रोका शायद उसको भी मेरे इस तरह करने से मज़ा आ रहा था फिर मैं धीरे-धीरे नीचे आने लगा ऑर उसकी पीठ को चूस-चूस कर काटने लगा उसकी पूरी पीठ मेरी थूक से गीली हो गई थी लेकिन वो बस खामोश होके लेटी थी ओर मज़े से आंखँ बंद किए...
फ़िज़ा: जान अपनी ऑर मेरी कमीज़ उतार दो ना मुझे इनसे उलझल हो रही है मैं आपका जिस्म अपने जिस्म के साथ जुड़ा हुआ महसूस करना चाहती हूँ...
मैं: ठीक है रूको (मैं जल्दी से खड़ा हुआ ऑर अपने सारे कपड़े जल्दी से उतारने लगा)
फ़िज़ा: (गर्दन पीछे करके मुझे कपड़े उतारता हुआ देखती हुई) जान तुम्हारा बदन दिनो-दिन ओर भी सख़्त होता जा रहा है... (मुस्कुराते हुए)
मैं: वो खेत मे काम करता हूँ ना इसलिए...
फ़िज़ा: जानते हो अब पहले से भी ज़्यादा मज़ा आता है (मुस्कुरकर आँखें दुबारा बंद करते हुए)
मैने जैसे ही अपने सारे कपड़े उतारे ऑर फ़िज़ा के उपर लेटा तो फ़िज़ा बोली...
फ़िज़ा: जान मेरे भी आप ही उतार दो ना मुझमे अब हिम्मत नही है
मैने जल्दी से उसको सीधा करके बिस्तर पर ही उठाके बिठाया ऑर उसकी कमीज़ उतारने लगा उसने भी मेरी मदद के लिए अपनी दोनो बाहें हवा मे उठा दी... क्योंकि मैने पहले ही उसकी ब्रा का स्ट्रॅप खोल दिया था इसलिए उसकी कमीज़ के साथ उसकी ब्रा भी उतर गई ऑर उसके बड़े-बड़े ओर सख़्त मम्मे उछल्कर बाहर आ गये उसके निपल अंगूर की तरह एक दम सख़्त ऑर खड़े थे... जिसे मैं घूर-घूर कर देखने लगा मुझे इस तरफ घूरता देखकर उसके अपने दोनो हाथ अपने मम्मों पर रख लिए...
फ़िज़ा: जान ऐसे मत देखा करो मुझे शरम आती है (मुँह नीचे करके मुस्कुराते हुए)
मैं: कमाल है... मुझसे भी शरम आती है (गौर से उसका चेहरा देखते हुए)
फ़िज़ा: अच्छा लो बसस्स खुश (अपने दोनो हाथ हवा मे उठाकर)
मैं: हमम्म चलो अब लेट जाओ
फ़िज़ा: जान ये भी उतार दो ना तंग कर रही है (बच्चों जैसी मुस्कान के साथ अपनी सलवार की तरफ इशारा करते हुए)
मैने जल्दी से उसकी सलवार भी उतार दी ऑर वो जल्दी से वापिस उल्टी होके लेट गई शायद वो फिर से वही से शुरू करवाना चाहती थी जहाँ से मैने बंद किया था... इसलिए मैं भी बिना कुछ बोले उसके उपर ऐसे ही लेट गया... इस तरह बिना कपड़े के एक दूसरे के साथ जुड़ते ही हम दोनो के बदन को एक झटका सा लगा जिससे हम दोनो के मुँह से एक साथ आअहह निकल गई उसकी गान्ड बेहद नाज़ुक ऑर मुलायम थी जिसका मुझे पहली बार अहसास हुआ था... क्योंकि पहले मैं हमेशा उसके उपर की तरफ ही लेट ता था जब वो सीधी होके लेटी हुई होती थी इसलिए ये अहसास मेरे लिए नया था...
मैं: तुम्हारी गान्ड बहुत मुलायम है किसी गद्दे की तरह
फ़िज़ा: (आँखें बंद किए ही हँसते हुए) मेरा सब कुछ ही आपका है जान जो चाहे करो...