10-11-2021, 01:20 PM
मुझे लेटे हुए काफ़ी देर हो गई थी ऑर मुझे पता नही चला कि कितनी देर से मैं सो रहा था लेकिन अचानक किसी के गाल थप-थपाने से मेरी आँख खुल गई अंधेरा होने की वजह से मैं देख नही पा रहा था कि ये कौन है तभी मुझे एक मीठी सी आवाज़ आई...
फ़िज़ा: जान सो गये थे क्या
मैं: हाँ आँख लग गई थी शायद नाज़ी सो गई क्या
फ़िज़ा: हाँ आज तो सुला ही दिया उसको... मुझे लग ही रहा था तुम सो गये होगे क्योंकि मैं कितनी देर से खड़ी तुमको बाहर से बुलाने की कोशिश कर रही थी लेकिन तुम कोई जवाब ही नही दे रहे थे... खैर जाने दो ये बताओ नींद आई है क्या?
मैं: नही अब तो मैं जाग गया हूँ... तुम खड़ी क्यो हो बैठो ना
फ़िज़ा: उऊहहुउ मैं बैठने नही आई चलो बाहर कहीं बाबा भी ना जाग जाए...
मैं: रुक जाओ पहले अपनी जान को गले तो लगा लून (फ़िज़ा की बाजू पकड़कर ज़ोर से अपनी तरफ खींचा जिससे वो मेरे उपर धडाम से गिर गई)
फ़िज़ा: ऑह्हूनो जान मैं मना तो नही कर रही हूँ... लेकिन यहाँ नही बाहर चलो ना... (मेरी गाल को सहलाते हुए)
मैं: अच्छा चलो...
हम दोनो एक दूसरे का हाथ पकड़कर बाहर आ गये लेकिन फिर फ़िज़ा ने कमरे से बाहर आके मुझे हाथ से रुकने का इशारा किया ऑर वापिस कमरे मे अंदर चली गई ऑर बाबा के बिस्तर के पास खड़ी होके उनको देखने लगी शायद वो ये तसल्ली कर रही थी कि बाबा सोए या नही फिर वो मुझे लेके अपने कमरे की तरफ गई ऑर मुझे बाहर खड़ा करके अंदर चली गई ऑर नाज़ी जो उसके ही बेड पर सोई हुई थी उसको अच्छे से देखकर आई फिर वापिस आके अपने कमरे को बाहर से बंद किया ऑर कुण्डी लगा दी ऑर मेरी तरफ पलटकर मुस्कुराने लगी साथ ही अपनी दोनो बाजू हवा मे उठा दी... मैने भी आगे बढ़कर उसको अपने गले से लगा लिया ऑर हमेशा की तरह उसको गले से लगाकर सीधा खड़ा हो गया जिससे उसके पैर हवा मे झूल गये उसने भी अपनी दोनो बाजू मेरे गले हार की तरह डाल रखी थी ऑर मेरी गर्दन पर लटकी सी हुई थी मैने उसको उसकी कमर से पकड़ रखा था ऑर हम ऐसे ही चल भी रहे थे ऑर एक दूसरे के गाल भी चूम रहे थे... पहले मैने उससे हमारे खाना खाने वाली टेबल पर बिठा दिया वो अब भी मुझे वैसे ही पकड़ी हुई थी ऑर बार-बार मेरे दोनो गालो को चूम रही थी...
फ़िज़ा: जान सो गये थे क्या
मैं: हाँ आँख लग गई थी शायद नाज़ी सो गई क्या
फ़िज़ा: हाँ आज तो सुला ही दिया उसको... मुझे लग ही रहा था तुम सो गये होगे क्योंकि मैं कितनी देर से खड़ी तुमको बाहर से बुलाने की कोशिश कर रही थी लेकिन तुम कोई जवाब ही नही दे रहे थे... खैर जाने दो ये बताओ नींद आई है क्या?
मैं: नही अब तो मैं जाग गया हूँ... तुम खड़ी क्यो हो बैठो ना
फ़िज़ा: उऊहहुउ मैं बैठने नही आई चलो बाहर कहीं बाबा भी ना जाग जाए...
मैं: रुक जाओ पहले अपनी जान को गले तो लगा लून (फ़िज़ा की बाजू पकड़कर ज़ोर से अपनी तरफ खींचा जिससे वो मेरे उपर धडाम से गिर गई)
फ़िज़ा: ऑह्हूनो जान मैं मना तो नही कर रही हूँ... लेकिन यहाँ नही बाहर चलो ना... (मेरी गाल को सहलाते हुए)
मैं: अच्छा चलो...
हम दोनो एक दूसरे का हाथ पकड़कर बाहर आ गये लेकिन फिर फ़िज़ा ने कमरे से बाहर आके मुझे हाथ से रुकने का इशारा किया ऑर वापिस कमरे मे अंदर चली गई ऑर बाबा के बिस्तर के पास खड़ी होके उनको देखने लगी शायद वो ये तसल्ली कर रही थी कि बाबा सोए या नही फिर वो मुझे लेके अपने कमरे की तरफ गई ऑर मुझे बाहर खड़ा करके अंदर चली गई ऑर नाज़ी जो उसके ही बेड पर सोई हुई थी उसको अच्छे से देखकर आई फिर वापिस आके अपने कमरे को बाहर से बंद किया ऑर कुण्डी लगा दी ऑर मेरी तरफ पलटकर मुस्कुराने लगी साथ ही अपनी दोनो बाजू हवा मे उठा दी... मैने भी आगे बढ़कर उसको अपने गले से लगा लिया ऑर हमेशा की तरह उसको गले से लगाकर सीधा खड़ा हो गया जिससे उसके पैर हवा मे झूल गये उसने भी अपनी दोनो बाजू मेरे गले हार की तरह डाल रखी थी ऑर मेरी गर्दन पर लटकी सी हुई थी मैने उसको उसकी कमर से पकड़ रखा था ऑर हम ऐसे ही चल भी रहे थे ऑर एक दूसरे के गाल भी चूम रहे थे... पहले मैने उससे हमारे खाना खाने वाली टेबल पर बिठा दिया वो अब भी मुझे वैसे ही पकड़ी हुई थी ऑर बार-बार मेरे दोनो गालो को चूम रही थी...