10-11-2021, 01:19 PM
अपडेट-23
फिर हम तीनो खामोश हो गये ऑर चुप-चाप खाना खाने लगे... तभी मुझे कुछ रेंगता हुआ अपने लंड पर चढ़ता महसूस हुआ मेरी फॉरन नज़र नीचे चली गई तो एक गोरा सा पैर मुझे अपने लंड पर पड़ा हुआ महसूस हुआ जो मेरे लंड को दबा रहा था मेरी नज़र फॉरन उपर को गई तो फ़िज़ा खाना खा रही थी ऑर साथ मे मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी... मैं समझ गया कि ये पैर फ़िज़ा का ही है जो मेरी ही हरकत मुझ पर दोहरा रही है...
कुछ देर बाद मुझे उसका दूसरे पर भी अपने उपर महसूस हुआ अब वो दोनो पैर से मेरे लंड को रगड़ रही थी ऑर दबा रही थी... मुझे मज़ा भी आ रहा था ऑर दर्द भी हो रहा था क्योंकि हीना काफ़ी देर लंड पर गान्ड रखकर बैठी रही थी अब फ़िज़ा भी लंड को दबा रही थी इसलिए मैने उसके दोनो पैर वहाँ से हटा दिए ऑर उसकी तरफ देखकर नही मे सिर हिलाया... उसको लगा शायद मैं अब तक रात को उसके ना आने की वजह से नाराज़ हूँ इसलिए उसने फिर से अपने एक कान पर हाथ लगाए ऑर मिन्नत भरी नज़रों से मुझे देखा जिसका मैने बिना कोई जवाब दिए नज़रें खाने की प्लेट पर कर ली ऑर खाना खाने लगा... थोड़ी देर हम ऐसे ही खाना खा रहे थे कि फ़िज़ा ने चमच नीचे गिरा दिया...
फ़िज़ा: नीर मेरा चमच गिर गया ज़रा उठाके देना
मैं: अच्छा रूको देता हूँ...
मैं जैसे ही नीचे झुका मुझे फ़िज़ा का हाथ नज़र आया जो उसने अपनी गोद मे रखा हुआ था उसने मेरे नीचे झुकते ही कमीज़ को एक तरफ किया ऑर अपनी दोनो टांगे चौड़ी कर ली ऑर मुझे उंगली से पास बुलाने लगी मैं जैसे ही पास गया तो उसने मेरे बालो को पकड़ लिया ऑर मेरा मुँह अपनी चूत पर दबा दिया ऑर अपनी दोनो टांगे बंद कर ली... उसकी चूत की खुश्बू मुझे मेरी सांसो मे जाती महसूस हुई ऑर मैं मदहोश होने लगा मेरा लंड एक बार फिर से सिर उठाने लगा लेकिन तभी उसने मेरा मुँह हटा दिया ऑर मेरे बाल छोड़ दिए... मैने उसका गिराया हुआ चमच उठाया ओर वापिस उपर आके बैठ गया...
मैं: ये लो तुम्हारा चम्मच
फ़िज़ा: मिल गया था ना (मुस्कुराते हुए आँख मार कर)
मैं: हमम्म
मैं वापिस खाना खाने मे लग गया तभी फ़िज़ा ने फिर से मेरे आधे खड़े लंड पर अपने दोनो पैर रख दिए ऑर पैरो से मेरे लंड को पकड़ लिया ऑर उपर नीचे करने लगी ये मज़ा मेरे लिए एक दम नया था इसलिए मेरा लंड उसके इस तरह करने से एक दम खड़ा हो गया जिससे फ़िज़ा अपने पैरो की मदद से बार-बार उपर नीचे कर रही थी... मुझे बहुत मज़ा आ रहा था इसलिए मैं मुस्कुरा कर फ़िज़ा को देख रहा था साथ मे खाना खा रहा था इस पूरे अमल मे हम तीनो खामोश थे तभी नाज़ी बोली...
नाज़ी: भाभी मैं सोच रही थी क्यो ना मेरा कमरा हम नीर को दे-दें वैसे भी मैं तो आपके पास सोती हूँ रात को...
फ़िज़ा: (एक दम अपने पैर मेरे लंड से हटाते हुए) हम्म ठीक है... तुमको कोई ऐतराज़ तो नही (मेरी तरफ सवालिया नज़रों से देखते हुए)
मैं: नही जैसा आप दोनो ठीक समझो मुझे तो सोना है कही भी सो जाउन्गा मेरे लिए तो ये कोठरी भी अच्छी थी... (मुस्कुराते हुए)
फ़िज़ा: ठीक है कल फिर जब तुम खेत चले जाओगे तो मैं तुम्हारे लिए नाज़ी वाला कमरा तेयार कर दूँगी...
नाज़ी: मैं अभी कर देती हूँ ना खाना खाने के बाद वैसे भी मेरे पास काम ही क्या है...
फ़िज़ा: नही अभी बहुत रात हो गई है कल मैं तुम्हारे पिछे से सब कर दूँगी...
नाज़ी: ठीक है जैसे आपकी मर्ज़ी... (मुस्कुराते हुए)
उसके बाद हम तीनो ने अपना खाना ख़तम किया ऑर फ़िज़ा ने भी कोई हरकत नही की मेरे साथ शायद वो नाज़ी के एक दम बोलने से डर गई थी... खाने के बाद मैं बाबा के पास चला गया ऑर उसके पैर दबाने लगा ऑर नाज़ी ऑर फ़िज़ा रसोई मे अपना बाकी काम ख़तम करने लग गई... थोड़ी देर बाद नाज़ी कमरे मे आ गई मेरा बिस्तर करने के लिए तब तक बाबा भी सो चुके थे ऑर मैने भी कमरे से बाहर निकलने की सोची आज मेरा लंड मुझे काफ़ी परेशान कर रहा था इसलिए मैने सोचा क्यो ना जब तक नाज़ी मेरा बिस्तर करती है थोड़े से फ़िज़ा के साथ मज़े लिए जाए इसलिए वहाँ से मैं जाने लगा तो नाज़ी ने मुझे रोक लिया...
नाज़ी: कहाँ जा रहे हो
मैं: ऐसे ही कहीं नही ज़रा बाहर टहलने जा रहा था
नाज़ी: मेरे पास ही बैठो ना बाते करते हैं
मैं: हमम्म ठीक है (मैं फ़िज़ा के पास जाना चाहता था लेकिन नाज़ी ने मुझे वही बिठा लिया इसलिए मैं बाहर नही जा सका...)
नाज़ी: जानते हो तुम बहुत अच्छे हो सबके बारे मे सोचते हो...
मैं: तुम भी बहुत अच्छी हो...
नाज़ी: अच्छा जी मुझे तो पता ही नही था... (हँसते हुए)
मैं: तुमको बुरा तो नही लगा आज (मैं खेत मे चूमने के बारे मे पूछ रहा था)
नाज़ी: (ना मे सिर हिलाते हुए) उउउहहुउ...
मैं: फिर से कर लूँ (हँसते हुए)
नाज़ी: थप्पड़ खाना है... (मुस्कुराते हुए)
मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म
नाज़ी: (सिर हिलाके पास आने का इशारा करते हुए)
मैं नाज़ी के सामने जाके खड़ा हो गया ऑर उसका एक हाथ खुद ही पकड़ कर अपने गाल पर मारने लगा जिसे नाज़ी ने दूसरे हाथ से पकड़ लिया ऑर ना मे सिर हिलाया फिर मेरा मुँह एक हाथ से पकड़कर मेरी गाल को चूम लिया लेकिन बहुत हल्के से...
नाज़ी: अब खुश...
मैं: मज़ा नही आया (अपने गाल को सहला कर ना मे सिर हिलाते हुए)
नाज़ी: बाकी कल... ठीक है (मुस्कुराते हुए)
मैं: और आज का क्या...
नाज़ी: आज का हो चुका है अगर याद हो तो... (मुस्कुराते हुए) चलो अब बाहर जाओ मुझे काम करने दो कब्से तंग कर रहे हो...
मैं: तुमने ही कहा था मेरे पास बैठो बातें करते हैं...
नाज़ी: तो मैने बात करने का बोला था वो सब नही... गंदे (मुँह बनाते हुए)
फिर हम तीनो खामोश हो गये ऑर चुप-चाप खाना खाने लगे... तभी मुझे कुछ रेंगता हुआ अपने लंड पर चढ़ता महसूस हुआ मेरी फॉरन नज़र नीचे चली गई तो एक गोरा सा पैर मुझे अपने लंड पर पड़ा हुआ महसूस हुआ जो मेरे लंड को दबा रहा था मेरी नज़र फॉरन उपर को गई तो फ़िज़ा खाना खा रही थी ऑर साथ मे मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी... मैं समझ गया कि ये पैर फ़िज़ा का ही है जो मेरी ही हरकत मुझ पर दोहरा रही है...
कुछ देर बाद मुझे उसका दूसरे पर भी अपने उपर महसूस हुआ अब वो दोनो पैर से मेरे लंड को रगड़ रही थी ऑर दबा रही थी... मुझे मज़ा भी आ रहा था ऑर दर्द भी हो रहा था क्योंकि हीना काफ़ी देर लंड पर गान्ड रखकर बैठी रही थी अब फ़िज़ा भी लंड को दबा रही थी इसलिए मैने उसके दोनो पैर वहाँ से हटा दिए ऑर उसकी तरफ देखकर नही मे सिर हिलाया... उसको लगा शायद मैं अब तक रात को उसके ना आने की वजह से नाराज़ हूँ इसलिए उसने फिर से अपने एक कान पर हाथ लगाए ऑर मिन्नत भरी नज़रों से मुझे देखा जिसका मैने बिना कोई जवाब दिए नज़रें खाने की प्लेट पर कर ली ऑर खाना खाने लगा... थोड़ी देर हम ऐसे ही खाना खा रहे थे कि फ़िज़ा ने चमच नीचे गिरा दिया...
फ़िज़ा: नीर मेरा चमच गिर गया ज़रा उठाके देना
मैं: अच्छा रूको देता हूँ...
मैं जैसे ही नीचे झुका मुझे फ़िज़ा का हाथ नज़र आया जो उसने अपनी गोद मे रखा हुआ था उसने मेरे नीचे झुकते ही कमीज़ को एक तरफ किया ऑर अपनी दोनो टांगे चौड़ी कर ली ऑर मुझे उंगली से पास बुलाने लगी मैं जैसे ही पास गया तो उसने मेरे बालो को पकड़ लिया ऑर मेरा मुँह अपनी चूत पर दबा दिया ऑर अपनी दोनो टांगे बंद कर ली... उसकी चूत की खुश्बू मुझे मेरी सांसो मे जाती महसूस हुई ऑर मैं मदहोश होने लगा मेरा लंड एक बार फिर से सिर उठाने लगा लेकिन तभी उसने मेरा मुँह हटा दिया ऑर मेरे बाल छोड़ दिए... मैने उसका गिराया हुआ चमच उठाया ओर वापिस उपर आके बैठ गया...
मैं: ये लो तुम्हारा चम्मच
फ़िज़ा: मिल गया था ना (मुस्कुराते हुए आँख मार कर)
मैं: हमम्म
मैं वापिस खाना खाने मे लग गया तभी फ़िज़ा ने फिर से मेरे आधे खड़े लंड पर अपने दोनो पैर रख दिए ऑर पैरो से मेरे लंड को पकड़ लिया ऑर उपर नीचे करने लगी ये मज़ा मेरे लिए एक दम नया था इसलिए मेरा लंड उसके इस तरह करने से एक दम खड़ा हो गया जिससे फ़िज़ा अपने पैरो की मदद से बार-बार उपर नीचे कर रही थी... मुझे बहुत मज़ा आ रहा था इसलिए मैं मुस्कुरा कर फ़िज़ा को देख रहा था साथ मे खाना खा रहा था इस पूरे अमल मे हम तीनो खामोश थे तभी नाज़ी बोली...
नाज़ी: भाभी मैं सोच रही थी क्यो ना मेरा कमरा हम नीर को दे-दें वैसे भी मैं तो आपके पास सोती हूँ रात को...
फ़िज़ा: (एक दम अपने पैर मेरे लंड से हटाते हुए) हम्म ठीक है... तुमको कोई ऐतराज़ तो नही (मेरी तरफ सवालिया नज़रों से देखते हुए)
मैं: नही जैसा आप दोनो ठीक समझो मुझे तो सोना है कही भी सो जाउन्गा मेरे लिए तो ये कोठरी भी अच्छी थी... (मुस्कुराते हुए)
फ़िज़ा: ठीक है कल फिर जब तुम खेत चले जाओगे तो मैं तुम्हारे लिए नाज़ी वाला कमरा तेयार कर दूँगी...
नाज़ी: मैं अभी कर देती हूँ ना खाना खाने के बाद वैसे भी मेरे पास काम ही क्या है...
फ़िज़ा: नही अभी बहुत रात हो गई है कल मैं तुम्हारे पिछे से सब कर दूँगी...
नाज़ी: ठीक है जैसे आपकी मर्ज़ी... (मुस्कुराते हुए)
उसके बाद हम तीनो ने अपना खाना ख़तम किया ऑर फ़िज़ा ने भी कोई हरकत नही की मेरे साथ शायद वो नाज़ी के एक दम बोलने से डर गई थी... खाने के बाद मैं बाबा के पास चला गया ऑर उसके पैर दबाने लगा ऑर नाज़ी ऑर फ़िज़ा रसोई मे अपना बाकी काम ख़तम करने लग गई... थोड़ी देर बाद नाज़ी कमरे मे आ गई मेरा बिस्तर करने के लिए तब तक बाबा भी सो चुके थे ऑर मैने भी कमरे से बाहर निकलने की सोची आज मेरा लंड मुझे काफ़ी परेशान कर रहा था इसलिए मैने सोचा क्यो ना जब तक नाज़ी मेरा बिस्तर करती है थोड़े से फ़िज़ा के साथ मज़े लिए जाए इसलिए वहाँ से मैं जाने लगा तो नाज़ी ने मुझे रोक लिया...
नाज़ी: कहाँ जा रहे हो
मैं: ऐसे ही कहीं नही ज़रा बाहर टहलने जा रहा था
नाज़ी: मेरे पास ही बैठो ना बाते करते हैं
मैं: हमम्म ठीक है (मैं फ़िज़ा के पास जाना चाहता था लेकिन नाज़ी ने मुझे वही बिठा लिया इसलिए मैं बाहर नही जा सका...)
नाज़ी: जानते हो तुम बहुत अच्छे हो सबके बारे मे सोचते हो...
मैं: तुम भी बहुत अच्छी हो...
नाज़ी: अच्छा जी मुझे तो पता ही नही था... (हँसते हुए)
मैं: तुमको बुरा तो नही लगा आज (मैं खेत मे चूमने के बारे मे पूछ रहा था)
नाज़ी: (ना मे सिर हिलाते हुए) उउउहहुउ...
मैं: फिर से कर लूँ (हँसते हुए)
नाज़ी: थप्पड़ खाना है... (मुस्कुराते हुए)
मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म
नाज़ी: (सिर हिलाके पास आने का इशारा करते हुए)
मैं नाज़ी के सामने जाके खड़ा हो गया ऑर उसका एक हाथ खुद ही पकड़ कर अपने गाल पर मारने लगा जिसे नाज़ी ने दूसरे हाथ से पकड़ लिया ऑर ना मे सिर हिलाया फिर मेरा मुँह एक हाथ से पकड़कर मेरी गाल को चूम लिया लेकिन बहुत हल्के से...
नाज़ी: अब खुश...
मैं: मज़ा नही आया (अपने गाल को सहला कर ना मे सिर हिलाते हुए)
नाज़ी: बाकी कल... ठीक है (मुस्कुराते हुए)
मैं: और आज का क्या...
नाज़ी: आज का हो चुका है अगर याद हो तो... (मुस्कुराते हुए) चलो अब बाहर जाओ मुझे काम करने दो कब्से तंग कर रहे हो...
मैं: तुमने ही कहा था मेरे पास बैठो बातें करते हैं...
नाज़ी: तो मैने बात करने का बोला था वो सब नही... गंदे (मुँह बनाते हुए)