10-11-2021, 01:16 PM
हीना: अब चलें या सारी रात यही खड़े रहना है
मैं: हाँ... हाँ... चलो
अब हीना का ड्राइवर चला गया ऑर मैं ड्राइविंग सीट पर बैठ गया ऑर मेरे साथ हीना बैठ गई ऑर पिछे नाज़ी बैठी थी... मैने कार मे बैठ ते ही कार के तमाम हिस्सो के बारे मे हीना को बताना शुरू कर दिया ऑर वो बड़े ध्यान से बैठी सुन रही थी साथ मे नाज़ी भी मुँह आगे करके बड़े गौर से मेरी बाते सुन रही थी... फिर मैने कार स्टार्ट की ऑर स्टारिंग को संभालने के बारे मे हीना को बताने लगा...
हीना: थोडा सा मैं भी चलाऊ
मैं: हां ज़रूर ये लो अब तुम सम्भालो ऑर कार संभालने की कोशिश करो...
नाज़ी: तुम सच मे कार बहुत अच्छी चला लेते हो
मैं: शुक्रिया (मुस्कुराते हुए)
तभी हीना अपनी सीट पर बैठी हुई ही टेढ़ी सी होके स्टारिंग संभालने लगी जिससे गाड़ी एक तरफ को जाने लगी इसलिए मैने फॉरन स्टारिंग खुद संभाल लिया ऑर गाड़ी को सही तरफ चलाने लगा मैने फिर से हीना को संभालने के लिए कहा तो वो फिर से नही संभाल पाई ऑर उसने कार को एक तरफ घुमा दिया जिससे कार सड़क से नीचे उतरने ही वाली थी मैने फिर से स्टारिंग संभाला ऑर कार को वापिस रोड पर ले आया...
हीना: (झल्लाकर) नही संभाला जा रहा
मैं: अर्रे अभी तो पहला दिन है पहले दिन नही संभाल पाओगी कुछ दिन कोशिश करो फिर सीख जाओगी फिकर मत करो...
कुछ देर मैं ऐसे ही हीना को कार चलानी सीखाता रहा फिर ह्मारा घर आ गया तो मैने घर के सामने कार रोकदी... नाज़ी कार से उतरी ऑर मेरे पास आके खड़ी हो गई मैने कार का शीशा नीचे किया तो नाज़ी ने खिड़की मे से मुँह अंदर किया ऑर बोली...
नाज़ी: जल्दी आ जाना ज़्यादा दूर मत जाना मैं खाने पर तुम्हारा इंतज़ार करूँगी (मुस्कुराते हुए)
मैं: हाँ बस थोड़ी देर मे आ जाउन्गा फिर खाना साथ मे ही खाएँगे
हीना: आपकी बाते हो गई हो तो चलें...
मैं: हाँ... हाँ... ज़रूर...
नाज़ी: अंदर भी नही आओगे
मैं: बस थोड़ी देर मे ही आ रहा हूँ तुम जाओ ऑर बाबा को बता देना नही तो फिकर करेंगे ठीक है
नाज़ी: हमम्म... अच्छा...
नाज़ी मुस्कुराते हुए अंदर चली गई ऑर मैने कार फिर से स्टार्ट की ऑर हीना की तरफ देखते हुए...
मैं: हंजी हीना जी अब कहाँ चलें बताइए...
हीना: मुझे क्या पता आप बताओ कहाँ सिख़ाओगे
मैं: कोई खुला मैदान है आस-पास
हीना: हाँ है ना गाँव के बाहर जहाँ अक्सर बच्चे खेलने जाते हैं इस वक़्त वहाँ कोई नही होगा वहाँ मैं आराम से सीख सकती हूँ (मुस्कुराते हुए)
मैं: ठीक है फिर वही चलते हैं...
कुछ ही देर मे कार गाँव के बाहर आ गई ऑर वहाँ से दो रास्ते निकलते थे एक पतला रास्ता जो आगे जाके पक्की सड़क से मिलता था ऑर दूसरा रास्ता काफ़ी उबड़-खाबड़ सा था जो आगे जाके मैदान मे खुलता था... मुझे हीना ने बताया कि मुझे इसी टूटे रास्ते पर कार लेके जानी है फिर मैदान आ जाएगा तो मैने उसके कहने के मुताबिक कार उसी रास्ते पर दौड़ा दी... रास्ता टूटा होने की वजह से हम दोनो कार के साथ अपनी सीट पर बैठे उछल रहे थे कुछ सामने अंधेरा होने की वजह से मुझे आगे का कोई भी खड्डाे दिखाई नही दे रहा था बस हेड लाइट की रोशनी से थोड़ा बहुत दिखाई दे रहा था... झटको की वजह से से हीना के गोल-गोल मम्मे भी उछल रहे थे जिस पर बार-बार मेरी नज़र पड़ रही थी हीना ने मुझे कंधे से पकड़ रखा था ताकि वो सामने शीशे से ना टकरा जाए... कुछ ही देर मे हम मैदान मे आ गये...
मैं: लो जी आपका मैदान आ गया अब आप मेरी सीट पर आके बैठो ओर मैं आपकी सीट पर बैठूँगा फिर आप कार चलाना ऑर मैं देखूँगा...
हीना: मैं कैसे चलाऊ मुझे तो आती ही नही कुछ गड़-बॅड हो गई तो...
मैं: अर्रे डरती क्यो हो मैं हूँ ना संभाल लूँगा वैसे भी तुम चलाओगी नही तो सीखोगी कैसे...
हीना: अच्छा ठीक है...
मैं: अब तुम मेरी सीट पर आके बैठो फिर मैं जैसे-जैसे तुमको बताउन्गा तुम वैसे-वैसे चलाना ठीक है...
हीना: हमम्म