10-11-2021, 01:16 PM
अपडेट-21
तभी उस कार का हॉर्न एक बार फिर से सुनाई दिया... हालाकी जहाँ हम दोनो थे वहाँ अंधेरा था इसलिए हम को कोई देख नही सकता था मैने जल्दी से खड़े होके अपने कपड़े झाड़े जिस पर मिट्टी लग गई थी ओर फिर मैं ऑर नाज़ी खेत के फाटक की तरफ बढ़ने लगे...
वहाँ हमे एक कार नज़र आई जिसके पास एक लड़की खड़ी थी... मैने पास जाके देखा तो ये हीना थी जो मुझे देख कर हाथ हिला रही थी ऑर मुस्कुरा रही थी...
नाज़ी: आप उससे बात करो मैं खेत का बाकी समान सही से रखकर आती हूँ...
मैं: अच्छा
नाज़ी वापिस चली गई ओर मैं कार की तरफ बढ़ने लगा मुझे देखते ही हीना के चेहरे पर मुस्कान आ गई ऑर मुझे डोर से देखकर ही बोली...
हीना: आ गये जनाब... वक़्त मिल गया हमारे लिए
मैं: जी वो मैं काम मे मसरूफ़ था... कहिए कैसे आना हुआ
हीना: अर्रे इतनी जल्दी भूल गये (आँखें दिखाते हुए)
मैं: क्या भूल गया?
हीना: कल अब्बू आपके घर आए थे ना कुछ वादा किया था आपने उनके साथ याद आया...
मैं: अच्छा हाँ याद आ गया... गाड़ी चलानी सीखनी है तुमको...
हीना: जी हुज़ूर बड़ी मेहरबानी याद करने के लिए
मैं: (मुस्कुराते हुए) यार ज़रूरी है क्या आपके साथ ये ड्राइवर तो आया ही है इसी से सीख लो ना...
हीना: जी नही... मुझे आपसे ही सीखनी है ऑर आप ही सिख़ाओगे... ये तो बस मुझे यहाँ तक छोड़ने के लिए आया है...
मैं: ऊहह अच्छा...
इतने मे नाज़ी भी वहाँ आ गई...
नाज़ी: (मुझे मुस्कुरा कर देखते हुए) सब काम हो गया अब घर चलें...
मैं: हमम्म चलते हैं (मुस्कुरा कर नाज़ी को देखते हुए)
हीना: ओह्ह्ह मेडम... आपको जाना है तो जाओ नीर नही जाएँगे
नाज़ी: (गुस्से से हीना को देखते हुए) क्यों... तुम होती कौन हो इनको रोकने वाली ये मेरे साथ ही जाएँगे समझी सरपंच की बेटी हो इसका मतलब ये नही कि सारा गाँव तुम्हारा गुलाम है...
हीना: औकात मे रहकर बात करो समझी...
नाज़ी गुस्से मे उसको कुछ बोलने वाली थी तभी मुझे बीच मे बोलना पड़ा दोनो को शांत करने के लिए क्योंकि दोनो ही झगड़े पर उतारू थी जिसको मुझे रोकना था...
मैं: यार दोनो चुप हो जाओ क्यो लड़ाई कर रही हो... नाज़ी तुम हीना को ग़लत मत समझो ये सिर्फ़ कार चलानी सीखने आई है ऑर कुछ नही इसलिए घर जाने के लिए मना कर रही थी...
नाज़ी: तो हर बात कहने का तरीका होता है ये क्या बात हुई
हीना: तो मैने क्या ग़लत बोला जो तुम मुझसे लड़ाई करने पर आमादा हो गई...
मैं: दोनो एक दम चुप हो जाओ अब कोई नही बोलेगा नही तो ना मैं तुम्हारे साथ जाउन्गा ना तुम्हारे समझी... (दोनो की तरफ उंगली करते हुए)
हीना और नाज़ी: (दोनो हाँ मे सिर हिलाते हुए)
मैं: नाज़ी कल बाबा ने वादा किया था सरपंच जी को इसलिए मुझे जाना होगा लेकिन पहले मैं तुमको घर छोड़ देता हूँ ठीक है...
नाज़ी: नही मैं चली जाउन्गी आप जाओ इनके साथ
हीना: चलो नीर चलें
मैं: नही... नाज़ी मेरे साथ आई थी मेरे साथ ही जाएगी रात होने वाली है इस वक़्त इसका अकेले जाना ठीक नही...
हीना: अर्रे तुम तो बेकार मे ही घबरा रहे हो ये कोई बच्ची थोड़ी है चलो एक काम करते हैं इसको मेरा ड्राइवर घर छोड़ आएगा फिर तो ठीक है...
मैं: मैने बोला ना मेरे साथ ही जाएगी तुम कार मे हमारे घर की तरफ चलो हम पैदल आ रहे हैं...
हीना: जब कार है तो पैदल क्यो जाओगे चलो पहले इसको कार मे घर छोड़ देते हैं फिर हम कार सीखने चलेंगे...
मैं: (नाज़ी की तरफ सवालिया नज़रों से देखते हुए) ठीक है...
नाज़ी: (हाँ मे सिर हिलाके मुझे मुस्कुरकर देखते हुए) हमम्म ठीक है...
हीना: (अपने ड्राइवर से) बशीर तुम जाओ मुझे नीर घर छोड़ देंगे अब्बू पुच्छे तो कह देना मैं 2-3 घंटे तक घर आ जाउन्गी... (मुझे देखते हुए) इतना वक़्त काफ़ी होगा ना
मैं: हमम्म काफ़ी है...
नाज़ी: (हैरान होते हुए) 2-3 घंटे... तो फिर नीर खाना कब खाएँगे...
मैं: अर्रे फिकर मत करो मैं जल्दी ही वापिस आ जाउन्गा तब साथ मे ही खाएँगे रोज़ जैसे ठीक है (मुस्कुरा कर नाज़ी को देखते हुए)
नाज़ी: अच्छा... लेकिन ज़्यादा देर मत करना ऑर अपना ख्याल रखना...
तभी उस कार का हॉर्न एक बार फिर से सुनाई दिया... हालाकी जहाँ हम दोनो थे वहाँ अंधेरा था इसलिए हम को कोई देख नही सकता था मैने जल्दी से खड़े होके अपने कपड़े झाड़े जिस पर मिट्टी लग गई थी ओर फिर मैं ऑर नाज़ी खेत के फाटक की तरफ बढ़ने लगे...
वहाँ हमे एक कार नज़र आई जिसके पास एक लड़की खड़ी थी... मैने पास जाके देखा तो ये हीना थी जो मुझे देख कर हाथ हिला रही थी ऑर मुस्कुरा रही थी...
नाज़ी: आप उससे बात करो मैं खेत का बाकी समान सही से रखकर आती हूँ...
मैं: अच्छा
नाज़ी वापिस चली गई ओर मैं कार की तरफ बढ़ने लगा मुझे देखते ही हीना के चेहरे पर मुस्कान आ गई ऑर मुझे डोर से देखकर ही बोली...
हीना: आ गये जनाब... वक़्त मिल गया हमारे लिए
मैं: जी वो मैं काम मे मसरूफ़ था... कहिए कैसे आना हुआ
हीना: अर्रे इतनी जल्दी भूल गये (आँखें दिखाते हुए)
मैं: क्या भूल गया?
हीना: कल अब्बू आपके घर आए थे ना कुछ वादा किया था आपने उनके साथ याद आया...
मैं: अच्छा हाँ याद आ गया... गाड़ी चलानी सीखनी है तुमको...
हीना: जी हुज़ूर बड़ी मेहरबानी याद करने के लिए
मैं: (मुस्कुराते हुए) यार ज़रूरी है क्या आपके साथ ये ड्राइवर तो आया ही है इसी से सीख लो ना...
हीना: जी नही... मुझे आपसे ही सीखनी है ऑर आप ही सिख़ाओगे... ये तो बस मुझे यहाँ तक छोड़ने के लिए आया है...
मैं: ऊहह अच्छा...
इतने मे नाज़ी भी वहाँ आ गई...
नाज़ी: (मुझे मुस्कुरा कर देखते हुए) सब काम हो गया अब घर चलें...
मैं: हमम्म चलते हैं (मुस्कुरा कर नाज़ी को देखते हुए)
हीना: ओह्ह्ह मेडम... आपको जाना है तो जाओ नीर नही जाएँगे
नाज़ी: (गुस्से से हीना को देखते हुए) क्यों... तुम होती कौन हो इनको रोकने वाली ये मेरे साथ ही जाएँगे समझी सरपंच की बेटी हो इसका मतलब ये नही कि सारा गाँव तुम्हारा गुलाम है...
हीना: औकात मे रहकर बात करो समझी...
नाज़ी गुस्से मे उसको कुछ बोलने वाली थी तभी मुझे बीच मे बोलना पड़ा दोनो को शांत करने के लिए क्योंकि दोनो ही झगड़े पर उतारू थी जिसको मुझे रोकना था...
मैं: यार दोनो चुप हो जाओ क्यो लड़ाई कर रही हो... नाज़ी तुम हीना को ग़लत मत समझो ये सिर्फ़ कार चलानी सीखने आई है ऑर कुछ नही इसलिए घर जाने के लिए मना कर रही थी...
नाज़ी: तो हर बात कहने का तरीका होता है ये क्या बात हुई
हीना: तो मैने क्या ग़लत बोला जो तुम मुझसे लड़ाई करने पर आमादा हो गई...
मैं: दोनो एक दम चुप हो जाओ अब कोई नही बोलेगा नही तो ना मैं तुम्हारे साथ जाउन्गा ना तुम्हारे समझी... (दोनो की तरफ उंगली करते हुए)
हीना और नाज़ी: (दोनो हाँ मे सिर हिलाते हुए)
मैं: नाज़ी कल बाबा ने वादा किया था सरपंच जी को इसलिए मुझे जाना होगा लेकिन पहले मैं तुमको घर छोड़ देता हूँ ठीक है...
नाज़ी: नही मैं चली जाउन्गी आप जाओ इनके साथ
हीना: चलो नीर चलें
मैं: नही... नाज़ी मेरे साथ आई थी मेरे साथ ही जाएगी रात होने वाली है इस वक़्त इसका अकेले जाना ठीक नही...
हीना: अर्रे तुम तो बेकार मे ही घबरा रहे हो ये कोई बच्ची थोड़ी है चलो एक काम करते हैं इसको मेरा ड्राइवर घर छोड़ आएगा फिर तो ठीक है...
मैं: मैने बोला ना मेरे साथ ही जाएगी तुम कार मे हमारे घर की तरफ चलो हम पैदल आ रहे हैं...
हीना: जब कार है तो पैदल क्यो जाओगे चलो पहले इसको कार मे घर छोड़ देते हैं फिर हम कार सीखने चलेंगे...
मैं: (नाज़ी की तरफ सवालिया नज़रों से देखते हुए) ठीक है...
नाज़ी: (हाँ मे सिर हिलाके मुझे मुस्कुरकर देखते हुए) हमम्म ठीक है...
हीना: (अपने ड्राइवर से) बशीर तुम जाओ मुझे नीर घर छोड़ देंगे अब्बू पुच्छे तो कह देना मैं 2-3 घंटे तक घर आ जाउन्गी... (मुझे देखते हुए) इतना वक़्त काफ़ी होगा ना
मैं: हमम्म काफ़ी है...
नाज़ी: (हैरान होते हुए) 2-3 घंटे... तो फिर नीर खाना कब खाएँगे...
मैं: अर्रे फिकर मत करो मैं जल्दी ही वापिस आ जाउन्गा तब साथ मे ही खाएँगे रोज़ जैसे ठीक है (मुस्कुरा कर नाज़ी को देखते हुए)
नाज़ी: अच्छा... लेकिन ज़्यादा देर मत करना ऑर अपना ख्याल रखना...