10-11-2021, 01:15 PM
शाम को नाज़ी सब समान समेट रही थी ऑर उनकी मुकम्मल जगह पर सारा समान रख रही थी... मैं दिन भर के काम ऑर खेतो की मिट्टी से काफ़ी गंदा हुआ पड़ा था इसलिए नाले मे अपने हाथ पैर अच्छे से धो रहा था मेरे साथ नाज़ी भी अपने हाथ पैर धोने के लिए आ गई ऑर मेरे पास ही बैठ गई... नाज़ी के हाथ-पैर धोने के बाद मैने उसकी तरफ मुस्कुरा कर देखा ऑर उसकी तरफ अपने साफ़ा कर दिया जिसे उसने हँस कर पकड़ लिया ऑर अपने हाथ ऑर बाजू पोंच्छने लगी... अभी उसने अपनी बाजू ही पोन्छि थी कि मैने उससे अपना साफा वापिस खींच लिया वो सवालिया नज़रों से मेरी तरफ देखने लगी मैं नीचे बैठा ऑर खुद उसके पैर ऑर टांगे पोंच्छने लगा ऑर उसकी तरफ एक बार नज़र उठाके देखा वो मुझे ही देखकर मुस्कुरा रही थी... हम दोनो मे कोई बात नही हो रही थी बस एक दूसरे से मुस्कुरा कर आँखो ही आँखो मे बात कर रहे थे...
उसके हाथ पैर सॉफ करने के बाद मैं अपने पैर पोंछ रहा था कि उसने मेरा साफा खींच लिया ऑर गर्दन से नही मे इशारा किया ऑर खुद मेरे पैर पोंछने लगी मुझे उसकी ये अदा बहुत अच्छी लगी ऑर मैं प्यार भरी नज़रों से उसकी तरफ देखने लगा वो बस मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी ऑर अपने काम मे लगी हुई थी मैने उसको उसकी दोनो बाजू से पकड़ा तो वो मुझे देखने लगी...
मैं: पास आओ
नाज़ी: (नज़रे झुकाकर) पास ही तो हूँ
मैं: और पास आओ
नाज़ी: (थोड़ा ऑर नज़दीक आते हुए) अब ठीक है...
मैं: और पास
नाज़ी: क्या है क्यो तंग कर रहे हो
मैं: सुना नही क्या कहा मैने
नाज़ी: (ना मे सिर हिलाते हुए)
मैने उसे कंधे से पकड़ा ऑर अपने सीने से लगा लिया...
नाज़ी: (तेज़-तेज़ साँस लेते हुए) छोड़ो ना कोई आ जाएगा
मैं: कोई नही आएगा
नाज़ी: (खामोशी से मेरे सीने से लगी रही) हमम्म
मैं: एक पप्पी दो ना
नाज़ी: थप्पड़ खाना है (हँसते हुए)
मैं: क्यो
नाज़ी: उउउहहुउऊ (ना मे सिर हिलाते हुए)
मैने अपने दोनो हाथो से उसके चेहरे को पकड़ा ऑर उसकी आँखो मे देखने लगा... वो खामोश होके कुछ देर मेरी आँखों मे देखती रही ऑर फिर अपनी आँखें बंद कर ली... शायद वो भी यही चाहती थी मैं धीरे-धीरे अपना चेहरा उसके चेहरे के करीब ले गया उस वक़्त उसकी साँस बहुत तेज़ चल रही थी...
मैं: आँखें खोलो
नाज़ी: (आँखें खोलते हुए) हमम्म
मैं: नही... (मुस्कुराते हुए)
नाज़ी: (मुस्कुराते हुए ना मे सिर हिलाते हुए)
मैं: ठीक है फिर थप्पड़ ही मार दो मैं तो करने जा रहा हूँ
नाज़ी: (फिर से आँखें बंद करते हुए)
मैने अपने होंठ नाज़ी के नरम ऑर रसीले होंठों पर रख दिए जिससे उसे एक झटका सा लगा... कुछ देर उसने अपने होंठों को सख्ती से बंद करे रखा ऑर मेरे हाथो को पकड़े रखा जिससे मैने उसके चेहरे को पकड़ा था... कुछ देर उसके होंठों के साथ अपने होंठ जोड़े रखे अब धीरे धीरे उसके होंठ जो सख्ती से एक दूसरे से जुड़े हुए थे अब कुछ ढीले महसूस होने लगे मैने सबसे पहले उसके नीचे वाले होंठ को चूसना शुरू कर दिया वो मेरा साथ नही दे रही थी लेकिन मना भी नही कर रही थी मैं लगातार उसके नीचे वाले होंठ को चूस रहा था अब धीरे-धीरे उसने भी मेरे उपर वाले होंठ को चूसना शुरू कर दिया मैने अपने दोनो हाथो से उसका चेहरा आज़ाद कर दिया लेकिन वो अब भी मेरे होंठों से होंठ जोड़े बैठी थी ऑर अपनी दोनो आँखें बंद किए बैठी थी अब हम दोनो एक दूसरे को शिद्दत से चूम ऑर चूस रहे थे... हम दोनो की आँखें बंद थी ऑर हम एक दूसरे मे खोए हुए थे मुझे नही पता कब उसने मुझे गले से लगाया ऑर कब मैं ज़मीन पर लेट गया ऑर वो मेरे उपर आके लेट गई हम दोनो किसी अजीब से मज़े के नशे मे मदहोश थे मेरे दोनो हाथ उसकी कमर पर लिपटे थे ऑर उसने अपनी दोनो बाजू मेरे गले मे किसी हार की तरह डाल रखी थी ऑर मेरे उपर लेटी हुई थी... हमें दुनिया को कोई होश नही था हम दोनो बस एक दूसरे मे ही गुम्म थे...
तभी मुझे एक कार का हॉर्न सुनाई दिया जिससे हम दोनो की एक दम आँख खुल गई नाज़ी खुद को इस तरह मेरे उपर लेटा देखकर घबरा सी गई ऑर जल्दी से मुझसे अलग होके मेरे उपर से उठ गई उसके दोनो हाथ बुरी तरह काँप रहे थे... उसका ऑर मेरा मुँह हम दोनो की थूक से बुरी तरह गीला हुआ पड़ा था मैं ज़मीन पर पड़ा उसको देख रहा था वो नज़ारे झुकाए खड़ी थी ऑर एक दम खामोश थी...
मैं: क्या हुआ
नाज़ी: (ना में सिर हिलाते हुए) देर हो रही है घर चले... (अपना मुँह अपनी चुन्नि से सॉफ करते हुए)
मैं: हां चलो
हम दोनो को ही समझ नही आ रहा था कि एक दूसरे को अब क्या कहे...
उसके हाथ पैर सॉफ करने के बाद मैं अपने पैर पोंछ रहा था कि उसने मेरा साफा खींच लिया ऑर गर्दन से नही मे इशारा किया ऑर खुद मेरे पैर पोंछने लगी मुझे उसकी ये अदा बहुत अच्छी लगी ऑर मैं प्यार भरी नज़रों से उसकी तरफ देखने लगा वो बस मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी ऑर अपने काम मे लगी हुई थी मैने उसको उसकी दोनो बाजू से पकड़ा तो वो मुझे देखने लगी...
मैं: पास आओ
नाज़ी: (नज़रे झुकाकर) पास ही तो हूँ
मैं: और पास आओ
नाज़ी: (थोड़ा ऑर नज़दीक आते हुए) अब ठीक है...
मैं: और पास
नाज़ी: क्या है क्यो तंग कर रहे हो
मैं: सुना नही क्या कहा मैने
नाज़ी: (ना मे सिर हिलाते हुए)
मैने उसे कंधे से पकड़ा ऑर अपने सीने से लगा लिया...
नाज़ी: (तेज़-तेज़ साँस लेते हुए) छोड़ो ना कोई आ जाएगा
मैं: कोई नही आएगा
नाज़ी: (खामोशी से मेरे सीने से लगी रही) हमम्म
मैं: एक पप्पी दो ना
नाज़ी: थप्पड़ खाना है (हँसते हुए)
मैं: क्यो
नाज़ी: उउउहहुउऊ (ना मे सिर हिलाते हुए)
मैने अपने दोनो हाथो से उसके चेहरे को पकड़ा ऑर उसकी आँखो मे देखने लगा... वो खामोश होके कुछ देर मेरी आँखों मे देखती रही ऑर फिर अपनी आँखें बंद कर ली... शायद वो भी यही चाहती थी मैं धीरे-धीरे अपना चेहरा उसके चेहरे के करीब ले गया उस वक़्त उसकी साँस बहुत तेज़ चल रही थी...
मैं: आँखें खोलो
नाज़ी: (आँखें खोलते हुए) हमम्म
मैं: नही... (मुस्कुराते हुए)
नाज़ी: (मुस्कुराते हुए ना मे सिर हिलाते हुए)
मैं: ठीक है फिर थप्पड़ ही मार दो मैं तो करने जा रहा हूँ
नाज़ी: (फिर से आँखें बंद करते हुए)
मैने अपने होंठ नाज़ी के नरम ऑर रसीले होंठों पर रख दिए जिससे उसे एक झटका सा लगा... कुछ देर उसने अपने होंठों को सख्ती से बंद करे रखा ऑर मेरे हाथो को पकड़े रखा जिससे मैने उसके चेहरे को पकड़ा था... कुछ देर उसके होंठों के साथ अपने होंठ जोड़े रखे अब धीरे धीरे उसके होंठ जो सख्ती से एक दूसरे से जुड़े हुए थे अब कुछ ढीले महसूस होने लगे मैने सबसे पहले उसके नीचे वाले होंठ को चूसना शुरू कर दिया वो मेरा साथ नही दे रही थी लेकिन मना भी नही कर रही थी मैं लगातार उसके नीचे वाले होंठ को चूस रहा था अब धीरे-धीरे उसने भी मेरे उपर वाले होंठ को चूसना शुरू कर दिया मैने अपने दोनो हाथो से उसका चेहरा आज़ाद कर दिया लेकिन वो अब भी मेरे होंठों से होंठ जोड़े बैठी थी ऑर अपनी दोनो आँखें बंद किए बैठी थी अब हम दोनो एक दूसरे को शिद्दत से चूम ऑर चूस रहे थे... हम दोनो की आँखें बंद थी ऑर हम एक दूसरे मे खोए हुए थे मुझे नही पता कब उसने मुझे गले से लगाया ऑर कब मैं ज़मीन पर लेट गया ऑर वो मेरे उपर आके लेट गई हम दोनो किसी अजीब से मज़े के नशे मे मदहोश थे मेरे दोनो हाथ उसकी कमर पर लिपटे थे ऑर उसने अपनी दोनो बाजू मेरे गले मे किसी हार की तरह डाल रखी थी ऑर मेरे उपर लेटी हुई थी... हमें दुनिया को कोई होश नही था हम दोनो बस एक दूसरे मे ही गुम्म थे...
तभी मुझे एक कार का हॉर्न सुनाई दिया जिससे हम दोनो की एक दम आँख खुल गई नाज़ी खुद को इस तरह मेरे उपर लेटा देखकर घबरा सी गई ऑर जल्दी से मुझसे अलग होके मेरे उपर से उठ गई उसके दोनो हाथ बुरी तरह काँप रहे थे... उसका ऑर मेरा मुँह हम दोनो की थूक से बुरी तरह गीला हुआ पड़ा था मैं ज़मीन पर पड़ा उसको देख रहा था वो नज़ारे झुकाए खड़ी थी ऑर एक दम खामोश थी...
मैं: क्या हुआ
नाज़ी: (ना में सिर हिलाते हुए) देर हो रही है घर चले... (अपना मुँह अपनी चुन्नि से सॉफ करते हुए)
मैं: हां चलो
हम दोनो को ही समझ नही आ रहा था कि एक दूसरे को अब क्या कहे...