10-11-2021, 01:09 PM
रात को हमने तीनो ने मिलकर ही खाना खाया लेकिन दोनो आज एक दम खामोश थी ऑर चुप-चाप खाना खा रही थी मैं जानता था कि दोनो मुझसे नाराज़ है इसलिए मुझसे बात नही कर रही है... मैने फ़िज़ा को मनाने के लिए खाना खाते हुए ही एक तरीका सोचा मैने जान-बूझकर चम्मच नीचे गिरा दिया ऑर टेबल से नीचे झुक गया ऑर चम्मच उठाने के बहाने फ़िज़ा की जाँघो पर हाथ रख दिए ऑर सहलाने लगा उसने अपना घुटना झटक दिया मैने फिर से उसके घुटने पर हाथ रख दिया ऑर फिर से अपना हाथ फेरने लगा उसने फिर से मेरा हाथ झटकने के लिए अपनी टाँग हिलाई लेकिन इस बार मैने अपना हाथ झटकने नही दिया बल्कि सीधा हाथ उसकी चूत पर रख दिया उसने दोनो टांगे एक दम से बंद कर ली ऑर मेरा हाथ अपनी टाँगो के बीच मे दबा लिया...
अब मैं अपना हाथ हिला भी नही पा रहा था तभी मुझे फ़िज़ा की आवाज़ आई नीचे जाके सो गये हो क्या उपर आओ जाने दो दूसरा चम्मच लेलो ऑर उसने अपनी टांगे खोल दी ताकि मैं अपना हाथ बाहर निकाल सकूँ लेकिन मैने हाथ निकलने से पहले अपनी उंगलियो से उसकी चूत को अच्छे से मरोड़ दिया ऑर फिर उपर आके अपनी कुर्सी पर बैठ गया... जब उपर आया तो मेरे चेहरे पर एक मुस्कान थी ऑर उसके चेहरे पर मुस्कान ऑर दर्द दोनो थे जैसे वो इशारे से कह रही हो कि मुझे नीचे दर्द हो रहा है...
मैने उसकी तरफ मुस्कुरा कर देखा ऑर फिर से खाना खाने लग गया हालाकी उस वक़्त हमारे साथ नाज़ी भी बैठी थी लेकिन मैने अभी फ़िज़ा के साथ क्या किया ये सिर्फ़ मैं ओर फ़िज़ा ही जानते थे नाज़ी को इस बारे मे कोई खबर नही थी क्योंकि वो तो मज़े से अपना खाना खा रही थी...
थोड़ी देर बाद मैने नीचे से पैर लंबा किया ऑर उसके पैर पर रख दिया उसने एक पल के लिए मेरी तरफ देखा ऑर फिर खामोशी से खाना खाने लगी मैने थोड़ी देर अपने पैर से उसके पैर को सहलाया ऑर फिर अपना पैर उपर की तरफ ले जाने लगा वो मुझे इशारे से नही कहने लगी लेकिन मेरा पैर धीरे-धीरे उपर की तरफ जा रहा था ऑर उसकी टाँगो के बीच मे ले जाके मैने अपना पैर रोक दिया अब मेरे पैर के अंगूठे का निशाना उसकी चूत पर था मैं धीरे-धीरे खाना भी खा रहा था ऑर साथ मे पैर के अंगूठे से उसकी चूत को मस्सल रहा था...
फ़िज़ा की ना चाहते हुए भी मज़े से बार-बार आँखें बंद हो रही थी ऑर वो मुझे बार-बार सिर नही मे हिलाकर ना का इशारा कर रही थी ऑर मैं बस उसको देखता हुआ मुस्कुरा रहा था... उसकी चूत अब पानी छोड़ने लगी थी जिससे उसकी सलवार भी गीली होने लगी थी ऑर मुझे भी उसकी चूत का गीलापन अपने पैर के अंगूठे पर महसूस हो रहा था... मैं लगातार उसकी चूत के दाने को मसलता जा रहा था अब फ़िज़ा ने भी अपनी दोनो टांगे पूरी तरह से खोल दी थी...
कुछ देर की रगड़ाई के बाद वो फारिग हो गई जिससे उसके मुँह से एक ज़ोर से सस्सिईईईईई की आवाज़ निकल गई... मैने जल्दी से अपना पैर हटा लिया ऑर नीचे रख लिया ताकि मेरे पैर पर नाज़ी की नज़र ना पड़ जाए...
नाज़ी: क्या हुआ भाभी ठीक तो हो...
फ़िज़ा: हाँ ठीक हूँ वो बस मिर्ची खा ली थी तो मुँह जल रहा है
नाज़ी: अच्छा... लो पानी पी लो...
मैं: (मुस्कुराते हुए) पानी नही इनको कुछ मीठा खिलाओ ताकि मीठा बोल सकें
फ़िज़ा: मुझे तो आपका ही मीठा पसंद है आप ने मुँह मीठा नही करवाया इसलिए पानी से काम चलना पड़ रहा है (मुस्कुरा कर देखते हुए)
मैं: खाने के बाद मीठा खाना अच्छा होता है मुँह से कड़वाहट निकल जाती है...
फ़िज़ा: आज तो खाने के बाद मुँह मीठा कर ही लूँगी (शरारती हँसी के साथ)
नाज़ी: तुम दोनो ये क्या मीठा-मीठा कर रहे हो मुझे तो कुछ समझ नही आ रहा चलो दोनो चुप-चाप खाना खाओ
मैं: अच्छा ठीक है...
फिर हम तीनो ने मिलकर खाना खाया ऑर खाने खाते हुए फ़िज़ा मुझे बार-बार बस मुस्कुरा कर देखती रही मुझे यक़ीन ही नही हो रहा था कि जो फ़िज़ा थोड़ी देर पहले मुझे ढंग से देख भी नही रही थी वो अब मुझे बार-बार मुस्कुरा कर पहले की तरह बड़े प्यार से देख रही है अब उसकी आँखो मे मेरे लिए प्यार ही प्यार था...
खाने के बाद मैं बाबा के पैर दबाने चला गया ऑर फ़िज़ा ऑर नाज़ी रसोई के कामों मे लग गई
अब मैं अपना हाथ हिला भी नही पा रहा था तभी मुझे फ़िज़ा की आवाज़ आई नीचे जाके सो गये हो क्या उपर आओ जाने दो दूसरा चम्मच लेलो ऑर उसने अपनी टांगे खोल दी ताकि मैं अपना हाथ बाहर निकाल सकूँ लेकिन मैने हाथ निकलने से पहले अपनी उंगलियो से उसकी चूत को अच्छे से मरोड़ दिया ऑर फिर उपर आके अपनी कुर्सी पर बैठ गया... जब उपर आया तो मेरे चेहरे पर एक मुस्कान थी ऑर उसके चेहरे पर मुस्कान ऑर दर्द दोनो थे जैसे वो इशारे से कह रही हो कि मुझे नीचे दर्द हो रहा है...
मैने उसकी तरफ मुस्कुरा कर देखा ऑर फिर से खाना खाने लग गया हालाकी उस वक़्त हमारे साथ नाज़ी भी बैठी थी लेकिन मैने अभी फ़िज़ा के साथ क्या किया ये सिर्फ़ मैं ओर फ़िज़ा ही जानते थे नाज़ी को इस बारे मे कोई खबर नही थी क्योंकि वो तो मज़े से अपना खाना खा रही थी...
थोड़ी देर बाद मैने नीचे से पैर लंबा किया ऑर उसके पैर पर रख दिया उसने एक पल के लिए मेरी तरफ देखा ऑर फिर खामोशी से खाना खाने लगी मैने थोड़ी देर अपने पैर से उसके पैर को सहलाया ऑर फिर अपना पैर उपर की तरफ ले जाने लगा वो मुझे इशारे से नही कहने लगी लेकिन मेरा पैर धीरे-धीरे उपर की तरफ जा रहा था ऑर उसकी टाँगो के बीच मे ले जाके मैने अपना पैर रोक दिया अब मेरे पैर के अंगूठे का निशाना उसकी चूत पर था मैं धीरे-धीरे खाना भी खा रहा था ऑर साथ मे पैर के अंगूठे से उसकी चूत को मस्सल रहा था...
फ़िज़ा की ना चाहते हुए भी मज़े से बार-बार आँखें बंद हो रही थी ऑर वो मुझे बार-बार सिर नही मे हिलाकर ना का इशारा कर रही थी ऑर मैं बस उसको देखता हुआ मुस्कुरा रहा था... उसकी चूत अब पानी छोड़ने लगी थी जिससे उसकी सलवार भी गीली होने लगी थी ऑर मुझे भी उसकी चूत का गीलापन अपने पैर के अंगूठे पर महसूस हो रहा था... मैं लगातार उसकी चूत के दाने को मसलता जा रहा था अब फ़िज़ा ने भी अपनी दोनो टांगे पूरी तरह से खोल दी थी...
कुछ देर की रगड़ाई के बाद वो फारिग हो गई जिससे उसके मुँह से एक ज़ोर से सस्सिईईईईई की आवाज़ निकल गई... मैने जल्दी से अपना पैर हटा लिया ऑर नीचे रख लिया ताकि मेरे पैर पर नाज़ी की नज़र ना पड़ जाए...
नाज़ी: क्या हुआ भाभी ठीक तो हो...
फ़िज़ा: हाँ ठीक हूँ वो बस मिर्ची खा ली थी तो मुँह जल रहा है
नाज़ी: अच्छा... लो पानी पी लो...
मैं: (मुस्कुराते हुए) पानी नही इनको कुछ मीठा खिलाओ ताकि मीठा बोल सकें
फ़िज़ा: मुझे तो आपका ही मीठा पसंद है आप ने मुँह मीठा नही करवाया इसलिए पानी से काम चलना पड़ रहा है (मुस्कुरा कर देखते हुए)
मैं: खाने के बाद मीठा खाना अच्छा होता है मुँह से कड़वाहट निकल जाती है...
फ़िज़ा: आज तो खाने के बाद मुँह मीठा कर ही लूँगी (शरारती हँसी के साथ)
नाज़ी: तुम दोनो ये क्या मीठा-मीठा कर रहे हो मुझे तो कुछ समझ नही आ रहा चलो दोनो चुप-चाप खाना खाओ
मैं: अच्छा ठीक है...
फिर हम तीनो ने मिलकर खाना खाया ऑर खाने खाते हुए फ़िज़ा मुझे बार-बार बस मुस्कुरा कर देखती रही मुझे यक़ीन ही नही हो रहा था कि जो फ़िज़ा थोड़ी देर पहले मुझे ढंग से देख भी नही रही थी वो अब मुझे बार-बार मुस्कुरा कर पहले की तरह बड़े प्यार से देख रही है अब उसकी आँखो मे मेरे लिए प्यार ही प्यार था...
खाने के बाद मैं बाबा के पैर दबाने चला गया ऑर फ़िज़ा ऑर नाज़ी रसोई के कामों मे लग गई