10-11-2021, 01:07 PM
मैं खाना खाने के बाद बाहर चला गया ऑर बाहर आके सामने देखने लगा तो मुझे हीना नज़र नही आई तभी मुझे बाई ऑर से किसी ने पुकारा तो मेरा ध्यान उस तरफ गया जब मैने देखा तो हीना पानी के नाले के पास मे बैठी हुई दूर से मुझे हाथ हिला रही थी... मैं भी उस तरफ ही चला गया... जब जाके देखा तो वो अपनी सलवार घुटनो तक उपर किए हुए ठंडे पानी मे पैर डूबाए बैठी थी ऑर मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी... मैं भी उसके पास ही चला गया...
हीना: हंजी हो गया आपका खाना...
मैं: मालिक के करम से हो ही गया जी आप बताओ यहाँ कैसे आना हुआ कोई काम था तो मुझे बुला लेती...
हीना: जैसे मेरे बुलाने से तुम आ जाओगे ना (मुस्कुराते हुए)
मैं: (अपना सिर खुजाते हुए) अब एक बार मसरूफ़ था तो इसका मतलब ये थोड़ी कि हर बार मसरूफ़ रहूँगा... फरमाइए क्या कर सकता हूँ मैं आपके लिए...
हीना: पहले ये बताओ दवाई ली या नही...
मैं: कौनसी दवाई
हीना: अर्रे बाबा जो कल तुमको डॉक्टर ने दी थी वो वाली दवाई ऑर कौनसी तुम भी ना...
मैं: अच्छा वो तो मैं भूल ही गया (मुस्कुरा कर नज़रें नीचे करते हुए)
हीना: बहुत खूब शाबाश... फिर मेरा यहाँ रुकना ही बेकार है मैं चलती हूँ फिर...
मैं: अर्रे नाराज़ क्यो होती हो मैं आज से ही दवाई लेनी शुरू कर दूँगा पक्का...
हीना: (अपना हाथ आगे करते हुए) वादा करो...
मैं: वादा (सिर हाँ मे हिलाते हुए)
हीना: ऐसे नही मेरे हाथ पर अपना हाथ रखो फिर पक्का वाला वादा करो तब मानूँगी...
मैं: अच्छा ये लो अब ठीक है (उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए)
हीना: हमम्म अब ठीक है... (मुस्कुराते हुए)
उसका हाथ जैसे ही मैने अपने हाथ मे लिया दिल मे एक अजीब सी झुरजुरी सी पैदा हो गई... उसका हाथ बेहद कोमल ऑर मुलायम था जबकि मेरे हाथ खेत मे काम करने की वजह से कुछ सख़्त हो गये थे उन चन्द पलों मे जब मैने उससे छुड़वाया तो दिल मे ख्याल आया कि इसका हाथ इतना नाज़ुक है काश कि मैं इससे एक बार गले से लगा सकता... अभी मैं अपनी सोचो मे ही गुम था कि हीना ने मुझे दूसरे हाथ से कंधे से पकड़कर हिलाया...
हीना: कहाँ खो गये जनाब...
मैं: कहीं नही वो मैं बस ऐसे ही...
हीना: लगता है मेरा हाथ आपको काफ़ी पसंद आया है (शरारती हँसी के साथ)
मैं: जी... मैं समझा नही...
हीना: नही मैं देख रही हूँ काफ़ी देर से हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रही हूँ आप छोड़ ही नही रहे... हाहहहहहहाहा
मैं: (शर्मिंदा होते हुए) ओह्ह माफ़ करना मुझे ख्याल ही नही रहा
हीना: कोई बात नही... अच्छा मुझे आपसे एक काम था
मैं: हंजी बोलिए क्या कर सकता हूँ मैं आपके लिए
हीना: वो मुझे भी गाड़ी सीखनी थी अगर आपको कोई तक़लीफ़ ना हो तो सिखा देंगे मैं पैसे भी देने को तेयार हूँ...
मैं: बात पैसे की नही है हीना जी... लेकिन मैं ही क्यो आपके अब्बू के पास तो बहुत सारे लोग है जो आपको कार चलानी सिखा सकते हैं आप मुझसे ही क्यो सीखना चाहती है...
हीना: अब्बू के लोग मुझे गाड़ी चलानी सिखा सकते हैं लेकिन मुझे चलानी नही उड़ानी सीखनी है उस दिन जैसे...
मैं: देखिए सिखाने मे मुझे कोई तक़लीफ़ नही लेकिन वो बाबा ने सारे खेत की ज़िम्मेदारी मुझे दे रखी है तो ऐसे मैं काम छोड़कर आपको गाड़ी चलानी कैसे सीखा सकता हूँ देखिए बुरा मत मानियेगा लेकिन मैं बाबा के हुकुम की ना-फरमानी नही कर सकता...
हीना: एम्म्म (कुछ सोचते हुए) तो फिर आप मुझे शाम को सिखा सकते हैं खेत के काम से फारिग होने के बाद...
मैं: सिखा तो सकता हूँ लेकिन बाबा से पुच्छना पड़ेगा...