10-11-2021, 01:06 PM
अपडेट-18
इतना मे नाज़ी की आवाज़ आई ऑर हम को ना चाहते हुए भी अलग होना पड़ा...
नाज़ी: क्या बात है आज तुम भी रसोई मे (मुझे देखते हुए) बर्तन धुलवाने आए हो क्या...
फ़िज़ा: जी नही इनको मैने बुलाया था
नाज़ी: क्यो कोई काम था तो मुझे बुला लेती...
फ़िज़ा: अर्रे नही वो बस कल से तुम दोनो ने ही खेत जाना है तो इनको सब काम अच्छे से समझा रही थी ऑर कौनसा समान मैने कहाँ रखा है वो सब बता रही थी...
नाज़ी: वो सब तो इनको पहले से ही पता है भाभी तुम तो ऐसे कर रही हो जैसे हम पहली बार खेत जा रहे हैं (हँसती हुई)
फ़िज़ा: नही फिर भी बताना तो मेरा फ़र्ज़ है ना...
फिर हम तीनो रसोई से अपने-अपने कमरो मे चले गये ऑर कमरे मे जाते हुए फ़िज़ा बार-बार मुझे पलटकर देखती रही ऑर मैं बस उसको देखकर मुस्कुराता रहा... फिर मैं भी अपने कमरे मे आके अपने बिस्तर पर लेट गया उस रात चुदाई वाला काम तो हो नही सकता था इसलिए मैं भी करवट बदलता हुआ आख़िर सो ही गया...
सुबह मैं ऑर नाज़ी तेयार होके खेत चले गये ऑर अपने-अपने कामो मे फ़िज़ा वाले काम भी शामिल करके अपना काम बाँट लिया...
दोपहर को मैं ऑर नाज़ी खाना खा रहे थे तभी हीना भी वहाँ आ गई...
हीना: सलाम जनाब... लगता है मैं ग़लत वक़्त पर आ गई (मुस्कुराते हुए)
मैं: वालेकुम... सलाम छोटी मालकिन (खाने से उठते हुए)
हीना: अर्रे उठो मत बैठे रहो खाना खाते हुए उठना नही चाहिए पहले खाना खा लो मैं बाहर इंतज़ार कर रही हूँ
मैं: बाहर क्यो यहीं आ जाइए... आप भी आइए ना हमारे साथ ही खाना खा लीजिए...
हीना: नही शुक्रिया मैं खा कर आई हूँ आप लोग खाओ
मैं हीना की वजह से जल्दी-जल्दी खाना ख़तम करने लगा कि तभी नाज़ी मुझे धीमी आवाज़ मे बोली...
नाज़ी: ये चुड़ैल यहाँ क्यो आई है...
मैं: मुझे क्या पता मैने थोड़ी बुलाया है तुम्हारे सामने तो बात हुई है अभी जाके देखते हूँ
नाज़ी: मुझे इसकी शक़ल पसंद नही है जल्दी दफ्फा करो इसे यहाँ से चैन से खाना भी नही खाने देती (मुँह बनाते हुए)
मैं: अर्रे तो क्या हो गया अब आ गई है तो उसको धक्का मारकर तो नही निकाल सकते ना...
नाज़ी: (हवा मे सिर झटकते हुए) हहुूहह...
इतना मे नाज़ी की आवाज़ आई ऑर हम को ना चाहते हुए भी अलग होना पड़ा...
नाज़ी: क्या बात है आज तुम भी रसोई मे (मुझे देखते हुए) बर्तन धुलवाने आए हो क्या...
फ़िज़ा: जी नही इनको मैने बुलाया था
नाज़ी: क्यो कोई काम था तो मुझे बुला लेती...
फ़िज़ा: अर्रे नही वो बस कल से तुम दोनो ने ही खेत जाना है तो इनको सब काम अच्छे से समझा रही थी ऑर कौनसा समान मैने कहाँ रखा है वो सब बता रही थी...
नाज़ी: वो सब तो इनको पहले से ही पता है भाभी तुम तो ऐसे कर रही हो जैसे हम पहली बार खेत जा रहे हैं (हँसती हुई)
फ़िज़ा: नही फिर भी बताना तो मेरा फ़र्ज़ है ना...
फिर हम तीनो रसोई से अपने-अपने कमरो मे चले गये ऑर कमरे मे जाते हुए फ़िज़ा बार-बार मुझे पलटकर देखती रही ऑर मैं बस उसको देखकर मुस्कुराता रहा... फिर मैं भी अपने कमरे मे आके अपने बिस्तर पर लेट गया उस रात चुदाई वाला काम तो हो नही सकता था इसलिए मैं भी करवट बदलता हुआ आख़िर सो ही गया...
सुबह मैं ऑर नाज़ी तेयार होके खेत चले गये ऑर अपने-अपने कामो मे फ़िज़ा वाले काम भी शामिल करके अपना काम बाँट लिया...
दोपहर को मैं ऑर नाज़ी खाना खा रहे थे तभी हीना भी वहाँ आ गई...
हीना: सलाम जनाब... लगता है मैं ग़लत वक़्त पर आ गई (मुस्कुराते हुए)
मैं: वालेकुम... सलाम छोटी मालकिन (खाने से उठते हुए)
हीना: अर्रे उठो मत बैठे रहो खाना खाते हुए उठना नही चाहिए पहले खाना खा लो मैं बाहर इंतज़ार कर रही हूँ
मैं: बाहर क्यो यहीं आ जाइए... आप भी आइए ना हमारे साथ ही खाना खा लीजिए...
हीना: नही शुक्रिया मैं खा कर आई हूँ आप लोग खाओ
मैं हीना की वजह से जल्दी-जल्दी खाना ख़तम करने लगा कि तभी नाज़ी मुझे धीमी आवाज़ मे बोली...
नाज़ी: ये चुड़ैल यहाँ क्यो आई है...
मैं: मुझे क्या पता मैने थोड़ी बुलाया है तुम्हारे सामने तो बात हुई है अभी जाके देखते हूँ
नाज़ी: मुझे इसकी शक़ल पसंद नही है जल्दी दफ्फा करो इसे यहाँ से चैन से खाना भी नही खाने देती (मुँह बनाते हुए)
मैं: अर्रे तो क्या हो गया अब आ गई है तो उसको धक्का मारकर तो नही निकाल सकते ना...
नाज़ी: (हवा मे सिर झटकते हुए) हहुूहह...