10-11-2021, 01:01 PM
सुबह बाबा को नाज़ी ने बता दिया तो वो भी फ़िज़ा के बारे मे सुनकर बहुत खुश हुए ऑर उसको बहुत सी दुआएँ दी...
अगले दिन मैने शहर जाना था फसल के लिए नये बीज लेने के लिए इसलिए जल्दी ही तेयार हो गया... आज मैं पहली बार अकेला शहर जा रहा था क्योंकि 2 बार हम जब भी शहर गये थे तो फ़िज़ा ऑर नाज़ी भी मेरे साथ जाती थी... फ़िज़ा मुझे जाने से पहले तमाम हिदायते दे रही थी जैसे मैं शहर नही किसी जंग पर जा रहा हूँ...
जब मैं घर से निकला तो नाज़ी ऑर फ़िज़ा दोनो दरवाज़े पर खड़ी मुझे जाता हुआ देखती रही...
फिर मैं बस स्टॅंड आ गया जहाँ शहर जाने के लिए बस आती थी ऑर वहाँ खड़े तमाम लोगो के साथ बस का इंतज़ार करने लगा तभी एक काले रंग की कार मेरे सामने आके रुकी जिसका काँच नीचे हुआ तो अंदर सरपंच की बेटी बैठी थी...
मैं: सलाम छोटी मालकिन...
छोटी मालकिन: वालेकुम... सलाम शहर जा रहे हो?
मैं: हंजी
छोटी मालकिन: चलो अंदर गाड़ी मे आ जाओ मैं भी शहर ही जा रही हूँ
मैं: जी नही शुक्रिया मैं बस मे चला जाउन्गा बेकार मे आपको तक़लीफ़ होगी...
छोटी मालकिन: इसमे तक़लीफ़ की क्या बात है वैसे भी मैं अकेली ही तो हूँ आ जाओ अंदर चलो शाबाश... (कार का दरवाज़ा खोलते हुए)
मैं: जी आपका बहुत-बहुत शुक्रिया... (कार मे बैठ ते हुए)
छोटी मालकिन: कल मैने तुमको बुलाया था तुम आए नही...
मैं: माफ़ करना काम मे मसरूफ़ था फिर भूल गया...
छोटी मालकिन: कोई बात नही ऑर ये तुम मुझे क्या छोटी मालकिन-छोटी मालकिन बुलाते हो मैं तुम्हारी थोड़ी ना मालकिन हूँ...
मैं: सारा गाँव आपको यही कहता है तो मैने भी यही बुला दिया
छोटी मालकिन: गाव वालो मे ऑर तुम मे फ़र्क है...
मैं: क्या फ़र्क है जी मैं भी तो उन जैसा ही हूँ...
छोटी मालकिन: (हँसती हुई) गाँव मे किसी की हिम्मत नही कि मेरे घर मे इस तरह घुस कर मेरे ही लोगो की पिटाई कर दे...
मैं: जी माफी चाहता हूँ वो मैं...
छोटी मालकिन: अर्रे मैं नाराज़ नही हूँ उल्टा खुश हूँ कि कोई तो है जिसमे इतनी हिम्मत है बस कल थोड़ा सा बुरा लगा...
मैं: जी... क्या हुआ मुझसे कोई ग़लती हो गई क्या...
छोटी मालकिन: आप मिलने जो नही आए बस यही खता हुई पहले मैने सोचा कि मैं चलती हूँ फिर अब्बा जान घर थे तो आपकी समस्या याद आ गयी फिर मैने बात की थी अब्बू से...
मैं: अच्छा फिर क्या कहा उन्होने छोटी मालकिन...
छोटी मालकिन: वो कह रहे थे कि अब कुछ नही हो सकता क़ासिम को सज़ा एलान हो चुकी है अब तो सज़ा पूरी ही काटनी पड़ेगी... (नज़रें झुका कर) माफ़ करना मैं आपकी मदद नही कर सकी...
मैं: कोई बात नही छोटी मालकिन आपने कोशिश की यही मेरे लिए बहुत है... (मुस्कुराते हुए)
छोटी मालकिन: ये तुम क्या मुझे छोटी मालकिन बुला रहे हो हीना नाम है मेरा...
मैं: लेकिन मैं आपको आपके नाम से कैसे बुला सकता हूँ
हीना: क्यो नही बुला सकते मैं भी तो तुमको नीर ही कहती हूँ ना
मैं: ठीक है जैसा आप बेहतर समझे हीना जी...
हीना: हीना जी नही सिर्फ़ हीना...
मैं: अच्छा हीना
हीना: अच्छा मैं तो शहर नये कपड़े खरीदने जा रही हूँ तुम शहर क्यो जा रहे हो...
मैं: वो मैने फसल के लिए नये बीज लेने थे इसलिए जा रहा हूँ...
हीना: अच्छा... तुमको मैने पहले इस गाँव मे कभी देखा नही तुम कही बाहर रहते थे क्या पहले... ?
मैं: जी... (मुझे याद आ गया कि फ़िज़ा ने अपने बारे मे किसी को भी बताने से मुझे मना किया हुआ है)
हीना: अच्छा तुमने ऐसा लड़ना कहाँ सीखा?
मैं: पता नही जब ज़रूरत होती है खुद ही सब कुछ आ जाता है...
हीना: हथियार भी चला सकते हो?
ये बात सुनकर मुझे जाने क्या हो गया ऑर मुझे अजीब सी तस्वीरें नज़र आने लगी जिसमे मैं लोगो पर गोलियाँ चला रहा हूँ मैने शहर के लोगो जैसे कपड़े पहने है मेरे आस-पास बहुत सारे लोग है तभी मेरे सिर मे दर्द होने लगा ऑर मुझे चक्कर से आने लगे ओर मेरा पूरा बदन पसीने से भीग गया...
............
अगले दिन मैने शहर जाना था फसल के लिए नये बीज लेने के लिए इसलिए जल्दी ही तेयार हो गया... आज मैं पहली बार अकेला शहर जा रहा था क्योंकि 2 बार हम जब भी शहर गये थे तो फ़िज़ा ऑर नाज़ी भी मेरे साथ जाती थी... फ़िज़ा मुझे जाने से पहले तमाम हिदायते दे रही थी जैसे मैं शहर नही किसी जंग पर जा रहा हूँ...
जब मैं घर से निकला तो नाज़ी ऑर फ़िज़ा दोनो दरवाज़े पर खड़ी मुझे जाता हुआ देखती रही...
फिर मैं बस स्टॅंड आ गया जहाँ शहर जाने के लिए बस आती थी ऑर वहाँ खड़े तमाम लोगो के साथ बस का इंतज़ार करने लगा तभी एक काले रंग की कार मेरे सामने आके रुकी जिसका काँच नीचे हुआ तो अंदर सरपंच की बेटी बैठी थी...
मैं: सलाम छोटी मालकिन...
छोटी मालकिन: वालेकुम... सलाम शहर जा रहे हो?
मैं: हंजी
छोटी मालकिन: चलो अंदर गाड़ी मे आ जाओ मैं भी शहर ही जा रही हूँ
मैं: जी नही शुक्रिया मैं बस मे चला जाउन्गा बेकार मे आपको तक़लीफ़ होगी...
छोटी मालकिन: इसमे तक़लीफ़ की क्या बात है वैसे भी मैं अकेली ही तो हूँ आ जाओ अंदर चलो शाबाश... (कार का दरवाज़ा खोलते हुए)
मैं: जी आपका बहुत-बहुत शुक्रिया... (कार मे बैठ ते हुए)
छोटी मालकिन: कल मैने तुमको बुलाया था तुम आए नही...
मैं: माफ़ करना काम मे मसरूफ़ था फिर भूल गया...
छोटी मालकिन: कोई बात नही ऑर ये तुम मुझे क्या छोटी मालकिन-छोटी मालकिन बुलाते हो मैं तुम्हारी थोड़ी ना मालकिन हूँ...
मैं: सारा गाँव आपको यही कहता है तो मैने भी यही बुला दिया
छोटी मालकिन: गाव वालो मे ऑर तुम मे फ़र्क है...
मैं: क्या फ़र्क है जी मैं भी तो उन जैसा ही हूँ...
छोटी मालकिन: (हँसती हुई) गाँव मे किसी की हिम्मत नही कि मेरे घर मे इस तरह घुस कर मेरे ही लोगो की पिटाई कर दे...
मैं: जी माफी चाहता हूँ वो मैं...
छोटी मालकिन: अर्रे मैं नाराज़ नही हूँ उल्टा खुश हूँ कि कोई तो है जिसमे इतनी हिम्मत है बस कल थोड़ा सा बुरा लगा...
मैं: जी... क्या हुआ मुझसे कोई ग़लती हो गई क्या...
छोटी मालकिन: आप मिलने जो नही आए बस यही खता हुई पहले मैने सोचा कि मैं चलती हूँ फिर अब्बा जान घर थे तो आपकी समस्या याद आ गयी फिर मैने बात की थी अब्बू से...
मैं: अच्छा फिर क्या कहा उन्होने छोटी मालकिन...
छोटी मालकिन: वो कह रहे थे कि अब कुछ नही हो सकता क़ासिम को सज़ा एलान हो चुकी है अब तो सज़ा पूरी ही काटनी पड़ेगी... (नज़रें झुका कर) माफ़ करना मैं आपकी मदद नही कर सकी...
मैं: कोई बात नही छोटी मालकिन आपने कोशिश की यही मेरे लिए बहुत है... (मुस्कुराते हुए)
छोटी मालकिन: ये तुम क्या मुझे छोटी मालकिन बुला रहे हो हीना नाम है मेरा...
मैं: लेकिन मैं आपको आपके नाम से कैसे बुला सकता हूँ
हीना: क्यो नही बुला सकते मैं भी तो तुमको नीर ही कहती हूँ ना
मैं: ठीक है जैसा आप बेहतर समझे हीना जी...
हीना: हीना जी नही सिर्फ़ हीना...
मैं: अच्छा हीना
हीना: अच्छा मैं तो शहर नये कपड़े खरीदने जा रही हूँ तुम शहर क्यो जा रहे हो...
मैं: वो मैने फसल के लिए नये बीज लेने थे इसलिए जा रहा हूँ...
हीना: अच्छा... तुमको मैने पहले इस गाँव मे कभी देखा नही तुम कही बाहर रहते थे क्या पहले... ?
मैं: जी... (मुझे याद आ गया कि फ़िज़ा ने अपने बारे मे किसी को भी बताने से मुझे मना किया हुआ है)
हीना: अच्छा तुमने ऐसा लड़ना कहाँ सीखा?
मैं: पता नही जब ज़रूरत होती है खुद ही सब कुछ आ जाता है...
हीना: हथियार भी चला सकते हो?
ये बात सुनकर मुझे जाने क्या हो गया ऑर मुझे अजीब सी तस्वीरें नज़र आने लगी जिसमे मैं लोगो पर गोलियाँ चला रहा हूँ मैने शहर के लोगो जैसे कपड़े पहने है मेरे आस-पास बहुत सारे लोग है तभी मेरे सिर मे दर्द होने लगा ऑर मुझे चक्कर से आने लगे ओर मेरा पूरा बदन पसीने से भीग गया...
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