10-11-2021, 12:58 PM
मैं अभी सोया ही था कि कुछ ही देर मे मुझे कोई कंधे पर हाथ रखकर ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगा जिससे मेरी आँख खुल गई... मैं हड़बड़ा कर उठा मेरी आँखो मे अभी तक रात की नींद थी जिससे मेरी आँखें लाल हो गई ऑर मेरी आँखें ठीक से खुल भी नही रही थी... मुझे नज़र नही आ रहा था कि मुझे कौन उठा रहा है इसलिए मैने अपने दोनो हाथो से अपनी आँखो को मसला तो मुझे कुछ सॉफ नज़र आने लगा ये फ़िज़ा थी जो मुझे उठा रही थी... जिसको देखते ही मुस्कान अपने आप मेरे चेहरे पर आ गई...
फ़िज़ा: नीर क्या हुआ सो गये थे क्या?
मैं: हाँ ज़रा आँख लग गई थी...
फ़िज़ा: अगर रात की थकान है तो तुम आराम कर लो आज मैं ओर नाज़ी ही खेत चली जाएँगी...
मैं: अकेले जाओगी?
फ़िज़ा: तुम्हारे आने से पहले भी तो अकेली ही जाती थी ना कोई बात नही हम चली जाएँगी तुम आराम से सो जाओ वैसे भी मेरे शेर ने रात को बहुत मेहनत की है (आँख मारकर मुस्कुराते हुए)
मैं: नही मैं ठीक हूँ मैं भी चलूँगा तुम दोनो के साथ
फ़िज़ा: रहने दो ना जान नींद पूरी नही होगी तो बीमार पड़ जाओगे...
मैं: तुम्हारी भी नींद पूरी नही हुई बीमार तो तुम भी पड़ सकती हो ना... चलो कोई बात नही दोनो साथ मे बीमार पड़ेंगे फिर तो ऑर भी अच्छा होगा ऑर ये जान क्या नया नाम रख दिया है मेरा
फ़िज़ा: आज से मैं तुमको अकेले में हमेशा जान ही बुलाउन्गी क्योंकि तुम मेरी जान हो इसलिए (मुस्कुराते हुए) अच्छा बाबा कहाँ है?
मैं: पता नही जब मैं कमरे मे आया था तो बाबा यहाँ नही थे...
फ़िज़ा: अच्छा ज़रूर बाहर घूमने गये होंगे इनको कितनी बार मना किया है कि अकेले बाहर ना जाया करो लेकिन सुनते ही नही है किसीकि... (सिर को झाड़ते हुए)
मैं: कोई बात नही जब आएँगे तब मैं समझा दूँगा फिर तो ठीक है (मुस्कुराते हुए)
फ़िज़ा: हाँ ये ठीक है तुम्हारी बात तो मान ही जाते हैं हमारी सुनते भी नही... अच्छा एक मिंट रूको मैं अभी आती हूँ...
मैं: अब तुम कहाँ जा रही हो मुझे नहाना भी तो है...
फ़िज़ा: बस 1 मिंट अभी आ रही हूँ जाना मत ठीक है
मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) जो हुकुम सरकार का...
अपडेट-14
फ़िज़ा बाहर चली गई ऑर मैं बैठा उसको बाहर जाते देखता रहा ऑर अपनी दोनो बाहें उपर हवा मे उठाए अंगड़ाई लेने लगा... अभी 1 मिंट भी नही हुआ था कि फ़िज़ा वापिस आ गई ऑर कमरे मे घुसते हुए उसके चेहरे पर उसकी प्यारी सी सदा-बाहर मुस्कान थी...
फ़िज़ा: उठो ऑर इधर आओ...
मैं: आता हूँ रूको (मैं उठकर चलता हुआ उसके सामने जाके खड़ा हो गया)
फ़िज़ा: (पिछे मुड़कर एक बार फिर देखते हुए) यहाँ नही दरवाज़े के पिछे
मैं: ये लो जी ऑर कोई हुकुम सरकार
फ़िज़ा: अच्छा सुनो आज मैं नाज़ी ऑर बाबा को अपने माँ बनने के बारे मे बताना चाहती हूँ तो तुम उनके सामने ऐसे ही बर्ताव करना जैसे तुम्हे भी उनके सामने ही पता लगा हो ज़्यादा खुश मत होने लग जाना कही उनको शक़ ही ना हो जाए...
मैं: ठीक है फिर मैं भी उनके साथ ही मुबारकबाद दूँगा (आँख मारते हुए)
फ़िज़ा: हमम्म ये ठीक है...
मैं: ऑर कोई हुकुम सरकार
फ़िज़ा: कुछ खास नही... अब बस मुझे थोड़ा सा प्यार करो सुबह जो रह गया था
मैं: सारी रात तो किया था दिल नही भरा क्या
फ़िज़ा: उउउहहुउऊ वो वाला नही बुधु... रूको हर काम मुझे ही बताना पड़ता है (मुँह चिड़ाकर)
मैं: (कुछ ना समझने जैसा मुँह बनाके फ़िज़ा को देखते हुए)
फ़िज़ा: दरवाज़े के पिछे आओ बाहर कोई आ गया तो देख सकता है हम को इसलिए
मैं: हमम्म्म आ गया अब...
फ़िज़ा: थोड़ा नीचे तो झुको लंबू... (हँसते हुए)
मैं: (अपने आपको थोड़ा नीचे झुकाते हुए) अब ठीक है
फ़िज़ा: हमम्म्म अब एक दम ठीक है...
..
फ़िज़ा: नीर क्या हुआ सो गये थे क्या?
मैं: हाँ ज़रा आँख लग गई थी...
फ़िज़ा: अगर रात की थकान है तो तुम आराम कर लो आज मैं ओर नाज़ी ही खेत चली जाएँगी...
मैं: अकेले जाओगी?
फ़िज़ा: तुम्हारे आने से पहले भी तो अकेली ही जाती थी ना कोई बात नही हम चली जाएँगी तुम आराम से सो जाओ वैसे भी मेरे शेर ने रात को बहुत मेहनत की है (आँख मारकर मुस्कुराते हुए)
मैं: नही मैं ठीक हूँ मैं भी चलूँगा तुम दोनो के साथ
फ़िज़ा: रहने दो ना जान नींद पूरी नही होगी तो बीमार पड़ जाओगे...
मैं: तुम्हारी भी नींद पूरी नही हुई बीमार तो तुम भी पड़ सकती हो ना... चलो कोई बात नही दोनो साथ मे बीमार पड़ेंगे फिर तो ऑर भी अच्छा होगा ऑर ये जान क्या नया नाम रख दिया है मेरा
फ़िज़ा: आज से मैं तुमको अकेले में हमेशा जान ही बुलाउन्गी क्योंकि तुम मेरी जान हो इसलिए (मुस्कुराते हुए) अच्छा बाबा कहाँ है?
मैं: पता नही जब मैं कमरे मे आया था तो बाबा यहाँ नही थे...
फ़िज़ा: अच्छा ज़रूर बाहर घूमने गये होंगे इनको कितनी बार मना किया है कि अकेले बाहर ना जाया करो लेकिन सुनते ही नही है किसीकि... (सिर को झाड़ते हुए)
मैं: कोई बात नही जब आएँगे तब मैं समझा दूँगा फिर तो ठीक है (मुस्कुराते हुए)
फ़िज़ा: हाँ ये ठीक है तुम्हारी बात तो मान ही जाते हैं हमारी सुनते भी नही... अच्छा एक मिंट रूको मैं अभी आती हूँ...
मैं: अब तुम कहाँ जा रही हो मुझे नहाना भी तो है...
फ़िज़ा: बस 1 मिंट अभी आ रही हूँ जाना मत ठीक है
मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) जो हुकुम सरकार का...
अपडेट-14
फ़िज़ा बाहर चली गई ऑर मैं बैठा उसको बाहर जाते देखता रहा ऑर अपनी दोनो बाहें उपर हवा मे उठाए अंगड़ाई लेने लगा... अभी 1 मिंट भी नही हुआ था कि फ़िज़ा वापिस आ गई ऑर कमरे मे घुसते हुए उसके चेहरे पर उसकी प्यारी सी सदा-बाहर मुस्कान थी...
फ़िज़ा: उठो ऑर इधर आओ...
मैं: आता हूँ रूको (मैं उठकर चलता हुआ उसके सामने जाके खड़ा हो गया)
फ़िज़ा: (पिछे मुड़कर एक बार फिर देखते हुए) यहाँ नही दरवाज़े के पिछे
मैं: ये लो जी ऑर कोई हुकुम सरकार
फ़िज़ा: अच्छा सुनो आज मैं नाज़ी ऑर बाबा को अपने माँ बनने के बारे मे बताना चाहती हूँ तो तुम उनके सामने ऐसे ही बर्ताव करना जैसे तुम्हे भी उनके सामने ही पता लगा हो ज़्यादा खुश मत होने लग जाना कही उनको शक़ ही ना हो जाए...
मैं: ठीक है फिर मैं भी उनके साथ ही मुबारकबाद दूँगा (आँख मारते हुए)
फ़िज़ा: हमम्म ये ठीक है...
मैं: ऑर कोई हुकुम सरकार
फ़िज़ा: कुछ खास नही... अब बस मुझे थोड़ा सा प्यार करो सुबह जो रह गया था
मैं: सारी रात तो किया था दिल नही भरा क्या
फ़िज़ा: उउउहहुउऊ वो वाला नही बुधु... रूको हर काम मुझे ही बताना पड़ता है (मुँह चिड़ाकर)
मैं: (कुछ ना समझने जैसा मुँह बनाके फ़िज़ा को देखते हुए)
फ़िज़ा: दरवाज़े के पिछे आओ बाहर कोई आ गया तो देख सकता है हम को इसलिए
मैं: हमम्म्म आ गया अब...
फ़िज़ा: थोड़ा नीचे तो झुको लंबू... (हँसते हुए)
मैं: (अपने आपको थोड़ा नीचे झुकाते हुए) अब ठीक है
फ़िज़ा: हमम्म्म अब एक दम ठीक है...
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