10-11-2021, 12:57 PM
मुझे नीचे से कोई लड़की के पैर ही नज़र आए शायद ये नाज़ी थी जो जल्दी उठ गई थी... मैं नीचे से ही उनकी बाते सुनने लगा...
फ़िज़ा: क्या बात है नाज़ी ख़ैरियत है इतनी रात को
नाज़ी: भाभी रात कहाँ बाहर देखो दिन निकलने वाला है
फ़िज़ा: अच्छा मैं तो सो रही थी आज नींद ही नही खुली
नाज़ी: कोई बात नही मैं बस आपको उठाने ही आई थी
फ़िज़ा: तुम चलो मैं आती हूँ
नाज़ी: ठीक है तब तक मैं नीर को भी उठा देती हूँ आज पता नही वो भी नही उठा अभी तक
फ़िज़ा: (घबरा कर) नीर को... तुम रहने दो उसको मैं उठा दूँगी तुम जाके नहा लो फिर तुम्हारे बाद मैं भी नहा लूँगी
नाज़ी: अच्छा भाभी... (अंदर कमरे मे झाँकते हुए) अर्रे भाभी रात को चद्दर के साथ कुश्ती कर रही थी क्या (मुस्कुराते हुए)
फ़िज़ा: नही तो क्या हुआ
नाज़ी: आपकी चद्दर कैसे बिखरी पड़ी है
फ़िज़ा: (ज़मीन पर देखते हुए) वो मैं सो रही थी हो गई होगी...
नाज़ी: हाँ भाई अकेले बेड पर आप ही शहंशाहों की तरह सोती हो कैसे भी सो जाओ आपका अपना बेड है (मुस्कुराते हुए)
फ़िज़ा: अच्छा... अच्छा अब ज़्यादा बाते ना बना ऑर जाके नहा ले
नाज़ी: ठीक है मेरी प्यारी भाभी (फ़िज़ा के गाल पकड़ते हुए)
इसके साथ ही नाज़ी नहाने चली गई ऑर फ़िज़ा कमरा बंद करके जल्दी से मेरे पास आई...
फ़िज़ा: नीर जल्दी बाहर निकलो
मैं: क्या हुआ नाज़ी थी ना
फ़िज़ा: हम को पता ही नही चला हम रात भर लगे रहे (मुस्कुराते हुए)
मैं: हाँ
फ़िज़ा: चलो अब तुम भी अपने कमरे मे जाओ नही तो किसी को शक़ हो जाएगा ऑर सुनो जाके कुछ देर बेड पर लेट जाना ताकि थोड़ी देर बाद आके मैं तुमको उठा सकूँ...
मैं: अच्छा जाता हूँ
फ़िज़ा: सुनो नीर रात को कैसा लगा मेरे साथ (मुस्कुराते हुए)
मैं: (पलटते हुए) म्म्म्मरममम... बोल कर बताऊ या करके (हँसते हुए)
फ़िज़ा: अच्छा बदमाश मेरे अल्फ़ाज़ मुझे ही सुना रहे हो... चलो करके ही दिखा दो (फ़िज़ा ने अपना मुँह आगे कर लिया ऑर आँखें बंद)
मैं: चलो फिर तैयार हो जाओ ऑर चीखना मत
फ़िज़ा: हमम्म्म (आँखें बंद किए हुए ही)
मैं: (मैने उसके दाएँ मम्मे पर काट लिया)
फ़िज़ा: आईईईईई... बदमाश काटा क्यो... मुझे लगा था मेरे होंठों को चूमोगे तुम (अपने मम्मे को मसल्ति हुई)
मैं: मेरी मर्ज़ी जैसे चाहूं वैसे बताऊ (मुस्कुराते हुए)
फ़िज़ा: रात को आना बच्चू तब बताउन्गी
मैं: मैं रात को आउन्गा ही नही (हँसते हुए)
फ़िज़ा: हाए सच मे नही आओगे (रोने जैसी शक़ल बनाके)
मैं: अच्छा अब रोने मत लग जाना आ जाउन्गा बस... मैं तो ऐसे ही कह रहा था
फ़िज़ा: नही आए तो देख लेना फिर... (अपने दोनो हाथ कमर पर रखकर)
मैं: अच्छा-अच्छा अब जाने दोगि तो रात को आउन्गा ना
फ़िज़ा: लो जी मैं तो भूल ही गई चलो जल्दी जाओ
मैं धीरे से फ़िज़ा के कमरे से निकल कर जल्दी से अपने बिस्तर पर आके लेट गया ऑर रात भर जागने की वजह से मुझे थकावट सी हो रही थी इसलिए मुझे पता ही नही चला कब मेरी आँख लग गई ऑर मैं सो गया...