10-11-2021, 12:56 PM
हम दोनो एक दूसरे से अलग हुए ऑर जल्दी जल्दी अपने सारे कपड़े उतारकर बेड से नीचे ज़मीन पर फेंक दिया... उसने मुझसे पहले कपड़े उतार दिए थे इसलिए वो बस मुझे नंगा होता देख रही थी ऑर मुस्कुरा रही थी... जैसे ही मैने अपना आखरी कपड़ा यानी अंडरवेर उतारा वो मेरे उपर टूट पड़ी ऑर मुझे बेड पर गिरा लिया अब वो फिर से मेरे उपर थी ऑर मेरे पूरे बदन पर हाथ फेर रही थी ऑर मेरे होंठों को चूम रही थी ऑर चूस रही थी... साथ ही बार-बार अपने बड़े-बड़े मम्मे मेरे मुँह पर दबा रही थी... कुछ देर बाद उसने मुझे अपने मम्मे चूसने को कहा ऑर मैं किसी छोटे बच्चे की तरह उसके निपल को चूसे ऑर काटने लगा वो मेरे उपर पड़ी बारी-बारी अपने दोनो मम्मे चुस्वा रही थी ऑर मेरे सिर पर हाथ फेर रही थी... साथ मे सीईइ... सीईइ... कर रही थी मेरा काटना शायद उसको चूसने से भी ज़्यादा पसंद था इसलिए जब भी मैं उसके निपल पर काट ता तो वो ऑर ज़ोर से... ऑर ज़ोर से... कहती... ऐसे ही काफ़ी देर तक मैं उसके निपल्स को चूस्ता रहा उसके निपल्स को मैने चूस-चूस कर लाल कर दिया था ऑर उसके मम्मों के जगह-जगह पर मेरे काटने से गोल चक्रियो के निशान से पड़ गये थे जिसको वो देखकर बार-बार खुश हो रही थी ऑर अपनी उंगली के इशारे से मुझे दिखाकर मुस्कुरा रही थी... ऐसे ही काफ़ी देर हम लोग लगे रहे फिर अचानक वो मुझे बोली...
फ़िज़ा: एक नया मज़ा डून?
मैं: क्या मज़ा
फ़िज़ा: दिखाती हूँ अभी
मैं उसकी बात पर सिर हिला कर उसके अगले कदम का इंतज़ार करने लगा कि वो क्या नया करती है... वो फिर से मेरे सीने पर चूमने लगी लेकिन इस बार वो उपर से लगातार नीचे की तरफ जा रही थी... अचानक उसका हाथ मेरे लंड पर पड़ा तो उसने मेरे लंड को झट से पकड़ लिया ऑर हैरत से मेरी ओर देखकर बोली...
फ़िज़ा: ये इतना बड़ा कैसे हो गया उस दिन भी इतना ही था क्या जब पहली बार किया था तो... ?
मैं: पता नही शायद इतना ही होगा
फ़िज़ा: हमम्म्म... अब पता चला उस दिन इतना दर्द क्यो हुआ था मुझे
मैं: किस दिन दर्द हुआ था?
फ़िज़ा: उस दिन कोठरी मे जब हमने किया तब... जानते हो अगला पूरा दिन मैं ठीक से चल नही पाई थी... नाज़ी ने मुझसे पूछा भी था कि भाभी आज लंगड़ा के क्यो चल रही हो तो मैने उससे झूठ बोल दिया कि पैर मे मोच आ गई है...
मैं: (हँसते हुए) तो मैने कहा था रात को मेरे पास आने को?
फ़िज़ा: नही आना चाहिए था (मुस्कुराते हुए)
मैं भी उसकी इस बात पर मुस्कुरा दिया ऑर वो वापिस मेरे पेट पर चूमने लगी ओर मेरे लंड को पकड़ कर उपर-नीचे करने लगी मुझे उसका ऐसा करने से एक अलग ही किस्म का मज़ा मिल रहा था तभी मेरे लंड पर मुझे कुछ गीलापन महसूस हुआ ऑर मेरे मुँह से एक जोरदार आआहह... निकल गई... ये सुनकर फ़िज़ा एक दम से रुक गई ऑर मेरा लंड अपने मुँह से निकालकर ऑर अपने मुँह पर उंगली रखकर ज़ोर से मुझे सस्शह... किया ऑर बोला कि आवाज़ मत करो कोई जाग जाएगा ऑर फिर से वो मेरे लंड के उपर के हिस्से को ज़ुबान से चाटने लगी... धीरे-धीरे उसने पूरा लंड अपने मुँह मे ले लिया ओर चूसना शुरू कर दिया ये मज़ा मेरे लिए एक दम नया था मैं मज़े की वादियो मे गोते लगा रहा था कुछ देर मेरा लंड चूसने के बाद वो फिर से मेरे उपर आ गई ऑर मेरे होंठ चूसने लगी... लेकिन अब उसने मुझे अपने उपर आने को कहा...
मैं: फ़िज़ा मैं भी ऐसे ही करूँ जैसे तुमने मेरे साथ किया?
फ़िज़ा: आज नही कल कर लेना अभी बस डाल दो अब मुझसे ऑर बर्दाश्त नही हो रहा है...
मैं: ठीक है
इसके साथ ही उसने आपनी टांगे चौड़ी कर ली ऑर मुझे बीच मे आने का इशारा किया... मैने जैसे ही अपना लंड उसकी चूत पर रखा उसने एक दम से मुझे रुकने को कहा...
मैं: क्या हुआ
फ़िज़ा: आराम से डालना उस दिन जैसे मत करना नही तो मेरी चीख निकल जाएगी...
मैं: तुम खुद ही डाल लो ना फिर अपने हिसाब से...
फ़िज़ा: ठीक है फिर मैं उपर आती हूँ ऑर खबरदार जो नीचे से झटका मारा तो (मुस्कुराते हुए) ...
मैं: अच्छा... (हाँ मे सिर हिलाकर मुस्कुराते हुए)
...