10-11-2021, 12:55 PM
अपडेट-12
फ़िज़ा अपने रसभरे ऑर नाज़ुक होंठ कुछ देर ऐसे ही मेरे होंठ के साथ जोड़ कर मेरे उपर पड़ी रही... फिर कुछ देर बाद उसने मेरे चेहरे को अपने हाथो से पकड़ लिया ऑर मेरी आँखो पर, माथे पर, नाक पर, गालो पर हल्के-हल्के चूमने लगी... कुछ देर वो मेरे चेहरे को ऐसे ही धीरे-धीरे चूमती रही फिर वो रुक गई ऑर मेरी आँखो पर हाथ रख लिया... मैं कुछ देर ऐसे ही उसके अगले कदम का इंतज़ार करता रहा तभी मुझे मेरे होंठों पर कुछ गीलापन महसूस हुआ जैसे मेरे होंठों पर कुछ रेंग रहा हो... फिर फ़िज़ा ने अपना हाथ भी मेरी आँखो से उठा दिया ये फ़िज़ा की ज़ुबान थी जो वो मेरे होंठों पर फेर रही थी ऑर मेरे होंठों को अपनी रसभरी ज़ुबान से गीला कर रही थी... अब मज़े से मेरी खुद ही आँखें बंद हो गई ऑर धीरे-धीरे मेरा मुँह खुलने लगा... मेरे मुँह ने फ़िज़ा की ज़ुबान को खुद ही अंदर आने का रास्ता दे दिया ऑर अब मैं धीरे-धीरे फ़िज़ा की ज़ुबान को चूस रहा था ऑर अपने दोनो हाथ फ़िज़ा की कमर पर उपर नीचे फेर रहा था... ये मज़ा मेरे लिए एक दम अनोखा था इससे मेरी साँसे भी तेज़ होने लगी ओर मेरे पाजामे मे भी हरकत शुरू हो गई... मेरा सोया हुआ लंड अब जागने लगा था... मैने अपने दोनो हाथो फ़िज़ा को ज़ोर से अपने गले से लगा लिया ओर नीचे अपनी दोनो टांगे फैला कर फ़िज़ा की टाँगो को अपनी टाँगो मे जाकड़ लिया...
अब हम दोनो ही मज़े की वादियो मे खो चुके थे हम दोनो बारी-बारी एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे ओर काट रहे थे... पूरे कमरे मे हमारे चूमने से पुच... पुच... जैसी आवाज़े आ रही थी... इधर फ़िज़ा का बदन भी गरम होने लगा था उसने सलवार के उपर से अपनी चूत को मेरे लंड पर रगड़ना शुरू कर दिया था जिससे मेरा लंड अब पूरी तरह से जाग चुका था ऑर अपने असल रूप मे आ चुका था... फ़िज़ा बार-बार मेरे लंड को अपनी टाँगो के बीच मे दबा रही थी... वैसे तो ये अहसास मुझे पहले भी महसूस हो चुका था लेकिन जाने आज क्या खास था कि मुझे उस दिन से भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था... अचानक फ़िज़ा ने मेरे चेहरा पकड़ा ऑर मेरे उपर उठकर मेरे लंड पर बैठ गई साथ ही मुझे भी बिठा लिया... अब हम दोनो बैठ कर एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे फ़िज़ा ने अपना मुँह मेरे होंठों से हटाया ऑर मेरे मुँह को पकड़कर अपने गले पर लगा दिया मैने उसके इशारे को समझकर उसके गले पर चूसना ऑर काटना शुरू कर दिया इधर वो मेरी कमीज़ के बटन जल्दी-जल्दी खोल रही थी...
फ़िज़ा: अपने हाथ उपर करो मैं तुम्हे बिना कपड़ो के गले से लगाना चाहती हूँ...
मैने भी उसकी मदद के लिए अपनी दोनो बाहे उपर हवा मे उठा दी ताकि उसको आसानी हो जाए ऑर उसने मेरी कमीज़ उतार दी अब मेरा उपर का बदन एक दम नंगा हो चुका था... कमीज़ के उतरते ही वो किसी जंगली बिल्ली की तरह मेरे सीने पर टूट पड़ी ओर मेरी छाती पर कभी चूम रही थी कभी काट रही थी ऑर कभी काटी हुई जगह को चूस रही थी साथ मे नीचे से वो बार-बार मेरे लंड पर अपनी चूत कभी दबा रही थी तो कभी रगड़ रही थी जिससे उसकी सलवार एक दम गीली हो गई थी उसका गीलापन मुझे भी मेरे लंड पर महसूस हो रहा था...
अब उसने मेरे सीने पर हाथ रखकर पिच्चे को दबाया ओर अब मैं फिर से बेड पर लेट चुका था ओर वो मेरे उपर आके फिर से लेट गई लेकिन इस बार वो मेरी पूरी छाती को जगह-जगह चूस रही थी ऑर चूम रही थी... मुझे उसकी इस हरकत से बहुत मज़ा मिल रहा था... अब मुझसे बर्दाश्त करना बहुत मुश्किल हो रहा था... मैने उससे गर्दन से पकड़कर गला दबाने जैसे अंदाज़ मे उपर की तरफ लाया ऑर उसके होंठ जबरदस्त तरीके से चूस लिए जैसे उसके मुँह से अलग करना चाहता हूँ... अब मैने उसको बालो से पकड़ा ऑर बेड पर पटक दिया ऑर खुद उसके उपर आ गया... मैं उसकी आँखो मे देख रहा था कि क्या उसको मेरी ये हरकत बुरी लगी लेकिन उसने खुद ही एक प्यारी सी मुस्कुराहट के साथ मेरे स्वाल का जवाब दे दिया... मैं भी अब उसकी गर्दन को चूस ऑर काट रहा था ऑर साथ मे उसके बड़े-बड़े मम्मे दोनो हाथो से दबा रहा था... वो बस मज़े से सस्सिईइ... ससिईईईईई... कर रही थी ऑर मेरे बालो मे हाथ फेर रही थी अचानक मैने उसकी कमीज़ को दाएँ कंधे की तरफ से ज़ोर से खींच दिया जिससे उसका बयाँ कंधा एक दम नंगा होके मेरी आँखो के सामने आ गया मैने उसके गले से होता हुआ कंधे पर पहले चूमना फिर काटना शुरू कर दिया... वो बस मज़े से बार-बार सीईईई... सीईइ... ऑर आअहह करके ऑर करूऊ... ऑर करूऊ ही कहे जा रही थी...
फ़िज़ा: जाआअँ कमीज़्ज़्ज़्ज़्ज़ उतार दूओ नाआअ मेरिइई भीईीईईई...
उसकी ये शब्द ऐसे थे जैसे वो बहुत ताक़त लगाके इतना कह पाई हो... मैने उसको फिर से बिठाया ऑर उसने अपनी दोनो टांगे मेरी टाँगो की दोनो तरफ करके बैठ गई ऐसे ही मैने उसकी कमीज़ भी उतार दी अब वो सिर्फ़ ब्रा ओर सलवार मे थी... उसकी कमीज़ के उतरते ही उसने मुझे गले से लगा लिया ऑर एक आअहह की आवाज़ उसके मुँह से निकली... उसने जैसे ही मुझे गले लगाया मेरे भी हाथ उसकी पीठ पर चले गये मैं अब उसको अपने गले से लगाए उसकी पीठ पर हाथ फेर रहा था ऑर मेरे हाथ बार-बार उसकी ब्रा के स्टॅप से टकरा रहे थे इसलिए मैने उसकी ब्रा के स्टॅप खोल दिए अब उसकी ब्रा सिर्फ़ कंधे के सहारे ही उसके शरीर से जुड़ी हुई थी ऑर मैं उसकी नंगी पीठ पर हाथ फेर था था नीचे से वो बार-बार मेरे लंड पर अपनी चूत रगड़ रही थी... अचानक उसने धीरे से मेरे कान मे कहा...
फ़िज़ा: सारे कपड़े उतार दे मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा अब...
मैं: हमम्म्म