10-11-2021, 12:55 PM
फ़िज़ा: मैने कब कहाँ बच्चे हो... तुम बच्चे नही मेरी जान तुम तो मेरे होने वाले बच्चे के बाप हो... (मेरे होंठों को चूमते हुए)
मैं: हाँ बच्चे से याद आया इसका अब हम क्या करेंगे?
फ़िज़ा: करना क्या है मेरा बच्चा है मैं पैदा करूँगी ऑर क्या
मैं: लेकिन अगर किसी को पता चल गया कि ये क़ासिम का बच्चा नही तो... ?
फ़िज़ा: कुछ भी पता नही चलेगा वो तो वैसे भी जैल मे है जब तक वो बाहर निकलेगा हमारा बच्चा चलने फिरने लगेगा वैसे भी वो आया था ना कुछ दिन के लिए यहाँ तो मैं बोल दूँगी कि उसका है... तुम फिकर मत करो मैने सब कुछ सोच लिया है ऑर किसी को पता भी नही चलेगा...
मैं: लेकिन उस दिन तो तुम कह रही थी कि वो जो तुमने उस दिन कोठरी मे मेरे साथ किया था जैल से आने के बाद क़ासिम ने तुम्हारे साथ एक बार भी नही किया तो फिर उसको पता नही चल जाएगा?
फ़िज़ा: कुछ पता नही चलेगा उस शराबी को अपनी होश नही होती वो मेरी परवाह कहाँ से करेगा कुछ होगा तो कह दूँगी कि क़ासिम ने नशे मे मेरे साथ किया था वैसे भी नशे मे उसको कौनसा होश होता है... अब अगर तुमको तुम्हारे सारे सवालो का जवाब मिल गया हो तो मेहरबानी करके बेड पर लेट जाओ कब से जिन्न की तरह मेरे सिर पर बैठे हुए हो... (हँसती हुई)
मैं: वो तो ठीक है लेकिन तुम जानती हो जब मुझे सब कुछ याद आ जाएगा तो हो सकता है मेरे घरवाले मुझे यहाँ से ले जाए तब तुम क्या करोगी?
फ़िज़ा: कोई बात नही मैने तुम्हे ये तो नही कहा कि मुझसे शादी भी करो... तुम जितना वक़्त भी मेरे साथ हो मैं बस उस हर पल को जी भरके जीना चाहती हूँ तुम्हारे साथ ऑर फिर तुम चले जाओगे तो क्या हुआ तुम्हारी निशानी तो हमेशा मेरे पास रहेगी ना जिसमे मैं हमेशा तुम्हारा अक्स देखूँगी...
मैं: जैसी तुम्हारी मर्ज़ी...
फ़िज़ा: चलो अब बाते बंद करो ऑर लेट जाओ मेरे साथ...
मैं: यहाँ क्यो मैं तो बाहर बाबा के पास सोता हूँ ना...
फ़िज़ा: आज एक दिन मेरे पास सो जाओगे तो तूफान नही आ जाएगा चलो चुप करके लेट जाओ नही तो मैं तुमसे बात नही करूँगी...
मैं: अच्छा ठीक है लेट रहा हूँ...
फ़िज़ा: इसलिए तुम मुझे बहुत प्यारे लगते हो जब मेरी हर बात इतनी आसानी से मान जाते हो (मुस्कुराते हुए) ...
मेरे बेड पर लेट ते ही फ़िज़ा ने मेरा बायां हाथ अपने हाथो मे लिया ऑर अपने गाल सहलाने लगी ऑर मैं करवट लेके उसकी तरफ मुँह करके लेट गया... ये देखकर उसने भी मेरी तरफ करवट कर ली... अब हम दोनो के चेहरे एक दूसरे के पास थे यहाँ तक कि हम एक दूसरे की साँस की गर्माहट अपने चेहरे पर महसूस कर रहे थे...
फ़िज़ा: मैं तुम्हारे उपर आके लेट जाउ...
मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म...
फ़िज़ा: ऐसे नही तुम खुद मुझे अपने उपर लो...
मैं: ठीक है (मैने फ़िज़ा को कमर से पकड़कर अपने उपर लिटा लिया)
फ़िज़ा: चलो अब अपनी आँखें बंद करो
मैं: कर ली अब...
फ़िज़ा: अब कुछ नही बस मुँह बंद करो नही तो मुझे करना पड़ेगा...
मैं: वो कैसे (मुस्कुराते हुए)
फ़िज़ा: बोल कर बताऊ या करके बताऊ?
मैं: जो तुमको अच्छा लगे
फ़िज़ा: पहले अपनी आँखें बंद करो मुझे शरम आती है...
मैं: तुमको शरम भी आती है (हँसते हुए)
फ़िज़ा: म्म्म्मीमम... आँखें बंद करो ना नीर
मैं: अच्छा ये लो अब...
फ़िज़ा: हम्म तो अब पुछो क्या पूछ रहे थे
मैं: मैं पुछ रहा था कीईईई... (अचानक फ़िज़ा ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए)
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