10-11-2021, 12:54 PM
अपडेट-11
खाने के वक़्त मैने एक नयी चीज़ नाज़ी ऑर फ़िज़ा मे देखी दोनो मुझे अज़ीब सी नज़रों से देख रही थी ऑर मुझे देखकर बार-बार मुस्कुरा रही थी मैने भी 1-2 बार पूछा कि क्या हुआ लेकिन दोनो ने बस ना मे सिर हिला दिया... रात को खाने के बाद दोनो रसोई मे काम कर रही थी ऑर मैं कमरे मे बैठा था कि फ़िज़ा ने इशारे से मुझे बाहर आने का कहा...
मैं: क्या हुआ
फ़िज़ा: नींद तो नही आ रही?
मैं: ये पूछने के लिए बाहर बुलाया था
फ़िज़ा: (मुस्कुराते हुए) नही कुछ ऑर बात थी
मैं: हाँ बोलो क्या काम है
फ़िज़ा: (झुनझूलाते हुए) हर वक़्त काम हो तभी बुलाऊ ये ज़रूरी है क्या
मैं: नही मैने ऐसा कब कहा बोलो क्या हुआ फिर
फ़िज़ा: कुछ नही बस तुमसे कुछ बात करनी है
मैं: हाँ बोलो
फ़िज़ा: अभी नही रात को जब सब सो जाएँगे तब अकेले मे मेरे कमरे मे आ जाना तब बात करेंगे
मैं: अभी बता दो ना क्या बात है
फ़िज़ा: हर बात का एक वक़्त होता है... रात को मतलब रात को... ठीक है
मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) ठीक है ऑर कोई हुकुम?
फ़िज़ा: नही जी बस इतना ही बस अब सो मत जाना रात को मैं इंतज़ार करूँगी तुम्हारा ठीक है
मैं: ठीक है
मुझे रात को सबके सो जाने के बाद अपने कमरे मे आने का कह कर फ़िज़ा चली गई ऑर मैं वापिस अपने कमरे मे आ गया ऑर अपनी चारपाई पर लेट गया... साथ मे नाज़ी के सो जाने का इंतज़ार करने लगा ताकि मैं फ़िज़ा के कमरे मे जा सकूँ... वैसे तो क़ासिम के जैल से जाने से फ़िज़ा को ऑर बाकी घरवालो को दुखी होना चाहिए था लेकिन 1 ही दिन मे ना-जाने क्यो सब ऐसे बर्ताव कर रहे थे जैसे कुछ हुआ ही ना हो शायद सबने क़ासिम को भुला दिया था... आज फ़िज़ा भी मुझसे बात करते हुए बहुत खुश नज़र आ रही थी... जैसे कुछ हुआ ही ना हो... अभी मैं यही बात सोच ही रहा था कि अचानक मुझे याद आया कि फ़िज़ा ने उस दिन रात को कहा था कि वो माँ बनने वाली है ज़रूर इसी मसले पर बात करने के लिए मुझे बुलाया होगा... लेकिन फिर मैने सोचा कि यार मैं तो खुद हर बात फ़िज़ा ऑर नाज़ी से पूछ कर करता हूँ मैं भला उसकी क्या मदद कर सकता हूँ...
यही सब सोचते हुए काफ़ी वक़्त गुज़र गया ऑर मैं बस अपने बिस्तर पर पड़ा इन सब बातों के बारे मे सोच रहा था कि अचानक मुझे बाहर से किसी के छ्ह्हीई... छ्ह्हीई... की आवाज़ सुनाई दी... मैने आँखें खोलकर बाहर देखा तो फ़िज़ा दरवाज़े पर खड़ी मुस्कुरा रही थी ऑर हाथ हिलाकर मुझे बाहर बुला रही थी... मैने इशारे से उसको नाज़ी के बारे मे पूछा कि क्या वो सो गई तो उसने भी सिर हिला कर हाँ मे जवाब दिया ऑर साथ ही मुझे उंगली से पास आने का इशारा किया जैसे ही मैं अपनी चारपाई से खड़ा हुआ तो फ़िज़ा पलटकर चलने लगी मैं जानता था वो कहाँ जा रही है इसलिए मैं भी उसके पिछे ही चल दिया... वो बिना पिछे देखे सीधा अपने कमरे मे चली गई ऑर अपने कमरे की लाइट बंद कर दी ऑर नाइट बल्ब ऑन कर दिया... मुझे कुछ समझ नही आया कि इसने अगर बात करनी है तो कमरे मे अंधेरा क्यो कर रही है... अभी मैने कमरे मे पहला कदम ही रखा था कि फ़िज़ा ने मेरे दाएँ हाथ को पकड़ कर जल्दी से अंदर खींचा ऑर बाहर की तरफ मुँह करके दाए-बाएँ देखा ऑर कमरा अंदर से बंद कर दिया मुझे बस कुण्डी लगाने की आवाज़ सुनाई दी फिर फ़िज़ा मेरी तरफ पलटी ऑर एक मुस्कुराहट के साथ मुझे देखने लगी मैने भी मुस्कुरा कर उसे देखा...
फ़िज़ा: क्या हुआ ऐसे क्या देख रहे हो...
मैं: वो तुमने कुछ ज़रूरी बात करनी थी ना...
फ़िज़ा: बताती हूँ पहले वहाँ चलो (बेड की तरफ इशारा करते हुए)
मैं: अच्छा... लो आ गया जी अब जल्दी बताओ...
फ़िज़ा: तुमको कोई गाड़ी पकड़नी है क्या?
मैं: नही तो क्यो
फ़िज़ा: तो फिर हर वक़्त इतना जल्दी मे क्यो रहते हो 2 पल मेरे साथ नही गुज़ार सकते?
मैं: ऐसी बात नही है... मैं बस जल्दी के लिए इसलिए कह रहा था कि कोई आ ना जाए कोई हम को ऐसे देखेगा तो अच्छा नही सोचेगा ना इसलिए बस ओर कोई बात नही... (मुस्कुराते हुए)
फ़िज़ा: अच्छा ये बताओ मैं तुमको कैसी लगती हूँ
मैं: बहुत अच्छी लगती हो... तुम, नाज़ी ऑर बाबा तो बहुत अच्छे हो मेरा बहुत ख्याल भी रखते हो...
फ़िज़ा: ऑह्ह्यूनॉवो... (सिर पर हाथ रखते हुए) क्या करूँ मैं तुम्हारा
मैं: क्या हुआ अब मैने क्या किया
फ़िज़ा: मैने सिर्फ़ अपने बारे मे पूछा है सबके बारे मे नही सिर्फ़ मेरे बारे मे बताओ
मैं: म्म्म्मेम तुम बहुत बहुत बहुत अच्छी हो... खुश (मुस्कुराते हुए)
फ़िज़ा: ऐसे नही बाबा... मेरा मतलब देखने मे कैसी लगती हूँ...
मैं: देखने मे भी तुम सुंदर हो... तुम बताओ तुमको मैं कैसा लगता हूँ?
फ़िज़ा: हाए... ऐसे स्वाल मत पूछा करो दिल बाहर निकलने को हो जाता है... तुम तो मुझे मेरी जान से भी ज़्यादा प्यारे हो तुम नही जानते तुम मेरे लिए क्या हो... जानते हो जब तुम नही थे तो मैं हमेशा रात को रोती रहती थी नींद भी नही आती थी खुद को बहुत अकेला महसूस करती थी
मैं: ऑर अब?
फ़िज़ा: अब तो मुझे बहुत सुकून है तुम्हारे आने से जैसे मुझे सारे जहांन की खुशियाँ मिल गई है... जानती हो हर लड़की तुम जैसा पति चाहती है जो उसको बहुत सारा प्यार करे उसकी हर बात माने उसका खूब ख्याल रखे हर तक़लीफ़ मे उसके साथ खड़ा हो तुम मे वो सब खूबियाँ है...
मैं: अर्रे... मुझमे ऐसा क्या देख लिया तुमने... खुद ही तो कहती हो मैं बुद्धू हूँ...
फ़िज़ा: नही पागल वो तो मैं मज़ाक मे कहती हूँ तुम बहुत अच्छे हो (मेरे गाल खींच कर)
मैं: ऐसे मत किया करो यार (अपने गालो को सहलाते हुए) मैं कोई बच्चा थोड़ी हूँ जो मेरे गाल खींच रही हो...