10-11-2021, 12:49 PM
अपडेट-9
ऐसे ही कुछ देर बाद नाज़ी ने मेरे दवाई लगा दी... ऑर फिर हम सब खाना ख़ाके सो गये
अगले दिन मैं नाज़ी ऑर फ़िज़ा शहर जाके फसल बेच आए ऑर हमें ज़मींदार से दुगुनी कीमत मिली फसल की जिससे सब लोग बहुत खुश थे... फिर हमने शहर से ही घर का ज़रूरी समान खरीदा ऑर नाज़ी कहने लगी कि उसको नये कपड़े लेने है सबके लिए... उसकी ज़िद के कारण हम तीनो एक दुकान पर गये जहाँ सबके लिए कपड़े खरीदने लग गये... इतने मे फ़िज़ा को एक चक्कर सा आया ऑर वो मेरे कंधे पर गिर गई जिसे मैने ज़मीन पर गिरने से पहले ही संभाल लिया... उसने सिर्फ़ इतना ही कहा कि कमज़ोरी की वजह से चक्कर आ गया होगा ऑर हम सब फिर से कपड़े देखने मे लग गये... ऐसे ही सारा दिन खरीद दारी करने के बाद बस मे घर आ गये... आज घर मे सब बहुत खुश थे सिवाए क़ासिम के... मैने एक जोड़ी कपड़े उठाए ओर क़ासिम को देने उसके कमरे मे चला गया लेकिन उसने वो कपड़े ज़मीन पर फेंक दिए... मैने भी ज़्यादा उसको कुछ नही कहा ऑर कमरे से बाहर आके बाबा के पास बैठ गया जहाँ नाज़ी बाबा को नये कपड़े दिखा रही थी... थोड़ी देर बाद मैं ऑर बाबा ही कमरे मे बैठे थे... रात को सबने मिलकर खाना खाया ऑर सो गये क़ासिम आज भी घर मे नही था... अभी मेरी आँख ही लगी थी कि किसी ने मुझे कंधे से पकड़कर हिलाया तो मेरी नींद खुल गई... ये फ़िज़ा थी जो मुझे उठा रही थी ऑर बाहर चलने का इशारा कर रही थी... मैं उसके पिछे-पिछे कमरे के बाहर आ गया...
मैं: क्या हुआ इतनी रात को क्या काम है
फ़िज़ा: मुझे आपसे एक ज़रूरी बात करनी थी
मैं: इस वक़्त... बोलो क्या काम है
फ़िज़ा: एक गड़-बड हो गई है समझ नही आ रहा है कैसे कहूँ
मैं: क्या हुआ खुलकर बताओ ना
फ़िज़ा: वो मैं माँ बनने वाली हूँ
मैं: तो ये तो खुशी की बात है इसमे मेरी नींद क्यो खराब की ये बात तो तुम सुबह भी बता सकती थी
फ़िज़ा: (झुंझलाते हुए) आप बात नही समझ रहे... मैं आपके बच्चे की माँ बनने वाली हूँ
मैं: क्या... (हैरानी से) ये कैसे हो सकता है...
फ़िज़ा: उस दिन वो सब हुआ था ना शायद तब ही हो गया...
मैं: ये भी तो सकता है कि ये क़ासिम का बच्चा हो
फ़िज़ा: मुझे पूरा यक़ीन है ये आपका बच्चा है क्योंकि क़ासिम जबसे जैल से आया है उसने मुझे हाथ तक नही लगाया... जाने उस दिन मुझे क्या हो गया था... (ये कहते हुए वो चुप हो गई)
मैं: तो किसी को क्या पता ये किसका बच्चा है तुम बोल देना क़ासिम का है ऑर क्या... मैं भी किसी से कुछ नही कहूँगा
फ़िज़ा: नही क़ासिम को पता चल जाएगा ऑर वो सबको बोल देगा कि ये मेरा बच्चा नही है... क्योंकि उसने तो मुझे छुआ भी नही तो मैं माँ कैसे बन गई (परेशान होते हुए)
मैं: चलो जो होगा देखा जाएगा अभी तुम भी सो जाओ बहुत रात हो गई है हम सुबह कुछ सोच लेंगे तुम फिकर ना करो मैं तुम्हारे साथ हूँ
फ़िज़ा: पक्का मेरे साथ हो ना
मैं: हाँ बाबा
फ़िज़ा: मुझे छोड़ कर कभी मत जाना नीर मैं तुम्हारे बिना बहुत अकेली हूँ (मुझे गले लगाते हुए ऑर रोते हुए)
मैं: नही जाउन्गा मेरी जान चुप हो जाओ (उसके माथे को चूमते हुए) अब जाओ जाके तुम भी सो जाओ बहुत रात हो गई
फ़िज़ा: (हाँ मे सिर हिलाते हुए ओर मेरे गाल को चूम कर) अच्छा आप सो जाओ अब...
फिर हम एक दूसरे से अलग हुए ओर अपने-अपने कमरे मे जाके बिस्तर पर लेट गये नींद दोनो की आँखो से कोसो दूर थी शायद आज हम दोनो ही एक ही चीज़ के बारे मे सोच रहे थे... मेरे अंदर उस दिन के सोए जज़्बात आज फिर जाग गये थे... लंड फिर से खड़ा हो गया था फिर वही एक अजीब सा अहसास महसूस होने लग गया था लेकिन खुद को काबू करते हुए मैने आँखे बंद कर ली ऑर सोने की कोशिश करने लगा... मैं अब बस आने वाले दिन के बारे मे सोच रहा था मेरे दिमाग़ मे कई सारे सवाल थे जिनका जवाब सिर्फ़ आने वाले वक़्त के पास था...
मैं अपनी सोचो के साथ बिस्तर पर आके लेट गया ऑर जल्दी ही नींद ने अपनी आगोश मे मुझे ले लिया...