10-11-2021, 12:48 PM
अगले दिन सुबह जब मैं उठा तो मेरे बिस्तर के पास 2 नयी जोड़ी कपड़े पड़े थे अब बात मेरी समझ मे आ गई कि नाज़ी ने रात भर जाग कर मेरे लिए नये कपड़े सिले हैं मैं वो कपड़े उठाए बाहर आया ऑर नाज़ी को शुक्रिया कहा... तो उसने सिर्फ़ इतना ही कहा कि अब देखती हूँ तुम पर कौन हँसता है... मैं आज बहुत खुश था ऑर नये कपड़े पहनकर खेत के लिए निकल रहा था... आज कोई मुझ पर नही हँस रहा था लेकिन आज फ़िज़ा ऑर नाज़ी मुझे देख कर बहुत खुश थी... शायद कल गाँव वालो का मुझ पर हँसना उनको बुरा लगा था इसलिए उन्होने मेरे लिए नये कपड़े सिले थे... ऐसे ही मैं नाज़ी ऑर फ़िज़ा तीनो पूरा दिन खेतो के काम मे लगे रहे...
दिन गुज़रने लगे रोज़ मैं नाज़ी ऑर फ़िज़ा के साथ खेत जाता ऑर उनकी मदद करता... क़ासिम रोज़ दिन भर अपने आवारा दोस्तो के साथ घूमता रहता ऑर रात को कोठे पर पड़ा रहता... बाबा मेरे काम से मुझसे बहुत खुश रहते थे लेकिन क़ासिम मुझसे नफ़रत करता था इसलिए मेरी मोजूदगी मे बहुत कम घर पर रहता... लेकिन एक नयी चीज़ जो मैने महसूस की थी वो ये कि अब फ़िज़ा मुझसे दूर-दूर रहने लगी थी लेकिन नाज़ी मेरा बहुत ख़याल रखने लगी थी किसी पत्नी की तरह... जब कभी पास के खेतों मे काम करने वाली कोई औरत मुझसे हँस कर बात कर लेती तो नाज़ी का चेहरा गुस्से ऑर जलन से लाल हो जाता ऑर बिना वजहाँ मुझसे झगड़ने लग जाती... कुछ ही दिन मे हमने मिलकर सारी फसल की कटाई कर दी थी अब फसल बेचने का वक़्त था... इसलिए मैने नाज़ी से पूछा कि अब इस फसल का क्या करेंगे तो उसने कहा कि हम सब गाँव वाले अपनी फसल गाँव के बड़े ज़मींदार को बेचते हैं...
फ़िज़ा: ज़मींदार हर साल अपने हिसाब से फसल की कीमत लगाता है ऑर खरीद लेता है ऐसे ही हम सब का किसी तरह गुज़ारा हो जाता है...
मैं: लेकिन अगर तुम किसी ऑर को ये फसल बेचो तो हो सकता है कि तुमको ज़्यादा पैसे मिले...
नाज़ी: ये बात हम सब जानते हैं लेकिन उसके लिए हम को शहर जाना पड़ेगा जो हमारे लिए मुमकिन नही क्यो कि हम लड़कियाँ अकेली कैसे शहर जाए ऑर ज़मींदार ये बात कभी बर्दाश्त नही करेगा कि गाँव का कोई भी अपनी फसल बाहर बेचे वो अपने गुंडे भेज कर उस किसान को बहुत बुरी तरह से मारता है...
मैं: (ये सुनकर जाने क्यो मुझे गुस्सा आ गया ऑर मेरे मुँह से निकल गया) मर गये मारने वाले... शेर की जान लेने के लिए फौलाद का कलेजा चाहिए...
नाज़ी: (हैरान होती हुई) ऐसी बोली तुमने कहाँ से सीखी?
मैं: पता नही जब तुमने मार-पीट का नाम लिया तो खुद ही मुँह से निकल गई
ऐसे ही बाते करते हुए हम घर आ गये देखा फ़िज़ा कमरे मे बैठी रो रही थी... हम भागकर उसके पास गये ऑर पूछा कि क्या हुआ रो क्यो रही हो...
फ़िज़ा: क़ासिम अभी आया था उसने कहा है कि इस बार सारी फसल बेचने वो जाएगा
मैं: तो इसमे रोने की क्या बात है ये तो अच्छी बात है ना वो घर की ज़िम्मेदारी उठा रहा है
फ़िज़ा: नही वो अगर फसल बेचेगा तो सारा पैसा जूए ऑर शराब ऑर कोठे मे उड़ा देगा फिर साल भर हम सब क्या खाएँगे... कुछ भी हो जाए ये फसल क़ासिम को मत बेचने देना नीर मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ...
मैं: तुम घबराओ मत जैसा तुम चाहती हो वैसा ही होगा लेकिन रोना बंद करो
इतने मे क़ासिम कुछ आदमियो के साथ घर आया ऑर आनाज़ की बोरिया उठवाने लगा तो बाबा ने उसको मना किया लेकिन वो उनकी बात को अनसुनी करते हुए बोरिया उठवाने मे उन आदमियो की मदद करने लगा... मैं ये सब कुछ बैठा देख रहा था... इतने मे बाबा ने मुझे आवाज़ लगाई ऑर क़ासिम को बोरिया लेजाने से रोकने का कहा तो मैं खड़ा हुआ ऑर दरवाज़े के पास जाके रुक गया,