10-11-2021, 12:37 PM
रात को फ़िज़ा मेरे लिए खाना लेके आई ऑर चेहरे पर अपनी सदाबहार मुस्कान के साथ... लेकिन मैं इस मुस्कान के पिछे का दर्द जान गया था इसलिए शायद फ़िज़ा की हालत पर उदास था फिर भी मैं नही चाहता था कि उसको मेरी वजह से किसी क़िस्म का दुख हो इसलिए उसको कुछ नही कहा... लेकिन ना चाहते हुए भी मेरे मूह से यह सवाल निकल गया...
मैं: आपके शोहर आ गये?
फ़िज़ा: हंजी आ गये तभी तो आज मैं बोहोत खुश हूँ... (बनावटी मुस्कुराहट के साथ)
मैं:अच्छी बात है मैं तो चाहता हूँ आप सब लोग हमेशा ही खुश रहें...
फ़िज़ा: मैं आपके लिए खाना लाई हूँ जल्दी से खाना खा लो नही तो ठंडा हो जाएगा
मैं: आपने खा लिया
फ़िज़ा: हंजी मैने क़ासिम के साथ ही खा लिया था
मैं: मेरा तो आपको देखकर ही पेट भर गया अब इस खाने की ज़रूरत मुझे भी नही
फ़िज़ा: (चोन्कते हुए) क्या मतलब?
मैं: आपने मुझसे झूठ क्यो बोला था क़ासिम के बारे मे... माफ़ करना लेकिन मैने आपके कमरे मे झाँक लिया था...
फ़िज़ा यह सुनकर खामोश हो गई ऑर मूह नीचे करके अचानक रो पड़ी... मेरी समझ मे नही आया कि उसको चुप कैसे करवाऊ इसलिए पास पड़ा पानी का ग्लास उसके आगे कर दिया... कुछ देर रोने के बाद फ़िज़ा चुप हो गई ऑर पानी का ग्लास हाथ मे पकड़ लिया...
मैं: जब आपको पता था कि क़ासिम ऐसा घटिया इंसान है तो आपने उससे शादी ही क्यो की?
फ़िज़ा: हर चीज़ पर हमारा ज़ोर नही होता मुझे जो मिला है वो मेरा नसीब है
मैं: आप चाहे तो मुझसे अपनी दिल की बात कर सकती है आपके दिल का बोझ हल्का हो जाएगा
फ़िज़ा: (नज़रे झुका कर कुछ सोचते हुए) इस दिल का बोझ शायद कभी हल्का नही होगा... शादी के शुरू मे क़ासिम ठीक था फिर उसकी दोस्ती गाव के सरपंच के खेतो मे काम करने वाले लोगो से हुई उनके साथ रहकर यह रोज़ शराब पीने लगा जुआ खेलने लगा इसके घटिया दोस्तो ने क़ासिम को कोठे पर भी ले जाना शुरू कर दिया... क़ासिम रात-रात भर घर नही आता था... लेकिन मैं सब कुछ चुप-चाप सहती रही कहती भी तो किसको मुझ अनाथ का था भी कौन जो मेरी मदद करता... वक़्त के साथ-साथ क़ासिम ऑर बुरा होता गया ऑर वो रोज़ शराब पीकर घर आता ऑर कोठे पर जाने के लिए मुझसे पैसे माँगता... हम जो खेती करके थोडा बोहोट पैसा कमाते हैं वो भी छीन कर ले जाता... एक दिन क़ासिम ने मुझसे कहा कि मैं उसके दोस्तो के साथ रात गुजारू जब मैने मना किया तो क़ासिम ने मुझे बोहोत मारा ऑर घर छोड़ कर चला गया... कुछ दिन बाद क़ासिम ने चौधरी के गोदाम से अपने दोस्तो के साथ मिलकर अनाज की कुछ बोरिया चुराई ऑर बेच दी अपने रंडीबाजी के शॉंक के लिए... सुबह पोलीस इसको ऑर इसके दोस्तो को पकड़ कर ले गई ऑर इसको 5 महीने की सज़ा हो गई... अब यह बाहर आया है जैल से तो अब भी वैसा है मैने सोचा था शायद जैल मे यह सुधर जाएगा लेकिन नही मेरी तो किस्मत ही खराब है (ऑर फ़िज़ा फिर से रोने लग गई)
मैं: (फ़िज़ा के कंधे पर हाथ रखकर) फिकर मत करो सब ठीक हो जाएगा... अगर मैं आपके किसी भी काम आ सकूँ तो मेरी खुश-किस्मती समझूंगा...
फ़िज़ा: (मेरे कंधे पर अपने गाल सहला कर) आपने कह दिया मेरे लिए इतना ही काफ़ी है
मैं: पहले जो हो गया वो हो गया लेकिन अब खुद को अकेला मत समझना मैं आपके साथ हूँ
फ़िज़ा: कब तक साथ हो आप... तब तक ही ना जब तक आपकी याददाश्त नही आती उसके बाद?
मैं: (कुछ सोचते हुए) अगर यहाँ से जाना भी पड़ा तो भी जब भी आप लोगो को मेरी ज़रूरत होगी मैं आउन्गा यह मेरा वादा है
फ़िज़ा: (हैरानी से मुझे देखते हुए) चलो इस दुनिया मे कोई तो है जो मेरा भी सोचता है... (मुस्कुराते हुए) शुक्रिया!!!
उसके बाद कोठरी मे खामोशी छा गई ऑर जब तक मैं खाना ख़ाता रहा फ़िज़ा मुझे देखती रही... फिर वो भी मुझे दवाई लगा कर नीचे चली गई...