10-11-2021, 12:34 PM
फ़िज़ा: नाज़ी कल याद करवाना मुझे इनकी दाढ़ी ऑर बाल भी काटेंगे इतने महीनो से यह बेहोश थे तो देखो इनकी दाढ़ी ऑर बाल कितने बड़े हो गये हैं बुरा मत मानना लेकिन अभी आप किसी जोगी-बाबा से कम नही लग रहे हो कोई अजनबी देखे तो डर ही जाए (दोनो आपस मे ही हँसने लगी)
नाज़ी: कोई बात नही भाभी यह काम मैं कर दूँगी बाबा की दाढ़ी बनाते ऑर बाल काट ते हुए मैं अब माहिर हो गई हूँ इस काम मे
मैं: ( मैने दोनो का चेहरा देख कर सिर्फ़ हाँ मे सिर हिलाते हुए) ठीक है
नाज़ी: चलो "नीर" जी कपड़े उतारो
मैं: (चोन्क्ते हुए) क्यो कपड़े क्यो उतारू?
नाज़ी: दवाई नही लगवानी आपने?
मैं: अर्रे हाँ मैं तो भूल ही गया (ऑर अपनी कमीज़ के बटन खोलने की कोशिश करने लगा)
फ़िज़ा: आप रहने दीजिए रोज़ हम खुद ही यह सब काम कर लेती थी आज भी कर लेंगी आप अपने हाथ-पैर ज़्यादा हिलाइए मत नही तो दर्द होगा...
मैं: (खामोशी से सिर्फ़ हाँ में सिर हिलाते हुए)
नाज़ी: फिकर मत कीजिए हम रोज़ आप चद्दर डाल देते थे दवाई लगाने से पहले (उसके चेहरे पर यह बात कहते हुए मुस्कुराहट ऑर शरम दोनो थी)
दोनो ने मेरी कमीज़ उतारी ऑर पाजामा भी उतार दिया जो मेरे पैर से थोड़ा उँचा था शायद फ़िज़ा के पति का होगा या फिर बाबा का होगा ओर मेरी टाँगो पर एक चद्दर डाल दी... मैं दवाई लगवाते हुए भी अपनी पिच्छली जिंदगी के बारे मे सोच रहा था लेकिन मुझे कोशिश करने पर भी कुछ याद नही आ रहा था... मैं बस अपनी ही सोचो मे गुम था कि अचानक मुझे एक कोमल हाथ अपने सिर पर ऑर आँखो पर घूमता महसूस हुआ साथ ही (एक आवाज़ आई कि अब आँखें मत खोलना) फिर दूसरा हाथ अपनी बाजू पर ऑर 2 हाथ एक साथ चद्दर के अंदर आते हुए मेरी टाँगो से रेंगते हुए जाँघो पर महसूस हुए मेरी आँखें बंद थी फिर भी मैं सॉफ महसूस कर रहा था कि जब 2 हाथ मेरी जाँघो पर चल रहे थे तो मेरे लंड मे कुछ हरकत हुई जो कि अकड़ रहा था ऑर इस हरकत के बाद जो हाथ मेरी जाँघो पर दवाई लगा रहे थे उनमे एक अजीब सी कंपन मैने महसूस की... मुझे उस वक़्त नही पता था कि यह अहसास क्या है लेकिन मुझे उससे सुकून भी मिल रहा था ऑर एक अजीब सी बेचैनी भी हो रही थी... इस मिले-जुले अहसास को शायद मैं समझ नही पा रहा था कि यह मेरे साथ क्या अजीब सी बात हुई ऑर चन्द सेकेंड्स मे मेरा लंड पूरी तरफ खड़ा होके छत को सलामी दे रहा था ऑर लंड महाराज ने चद्दर मे एक तंबू बना दिया था... अचानक एक हाथ मेरे लंड से टकराया कुछ पल के लिए उसने मेरे लंड को पकड़ा ऑर फिर एक दम से छोड़ दिया साथ ही एक मीठी सी आवाज़ मेरे कानो से टकराई... भाभी बाकी लेप आप ही लगा दो मैने नीचे तो लगा दिया है अब मैं सोने जा रही हूँ... शायद यह आवाज़ नाज़ी की थी... उसके बाद मुझे नीचे वो अजीब से मज़े वाला अहसास नही महसूस हुआ मैं वैसे ही आज बिना किसी कपड़े के सिर्फ़ चादर मे लिपटा हुआ सो रहा था
फ़िज़ा जाते हुए 2 कंबल भी मेरे उपेर डाल गई यह कहकर कि यहाँ रात मे अक्सर ठंड हो जाती है... फ़िज़ा ने भी मुझे कपड़े नही पहनाए ऑर ऐसे ही खिड़की बंद करके चली गई शायद उसकी नज़र भी मेरे खड़े हुए लंड पर पड़ गई थी मेरी उस वक़्त आँखें तो बंद थी लेकिन पैरो की दूर होती हुई आवाज़ से मैने अंदाज़ा लगा लिया था कि शायद अब कमरे मे कोई नही सिवाए मेरे ऑर मेरी तन्हाई के... रात को मुझे नींद ने कब अपनी आगोश मे ले लिया मैं नही जानता... सुबह मुझे नाश्ता करवाने के बाद फ़िज़ा ऑर नाज़ी ने मेरी शेव भी की ऑर बाल भी काट दिए... शीशे मे अपना यह नया रूप देखकर मुझे खुशी भी हो रही थी ऑर बेचैनी भी हुई... लेकिन दिल मे अब यही सवाल बार-बार आके मुझे बेचैन कर देता था कि मैं कौन हूँ... आख़िर कौन हूँ मैं...
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