10-11-2021, 12:31 PM
जब आँख खुली तो खुद को एक छोटे से कमरे मे पाया लेकिन जब मैने चारपाई से उठने की कोशिश की तो मेरे हाथ-पैर मेरा साथ नही दे रहे थे ऑर ज़ोर लगाने पर पूरे शरीर मे दर्द की एक लहर दौड़ गई... इतने मे अचानक एक बूढ़ा आदमी मेरे पास जल्दी से आया ऑर मेरे कंधे पर हाथ रखकर मुझे लेटने का इशारा किया...
बाबा: बेटा तुम कौन हो क्या नाम है तुम्हारा?
मैं: (मुझे कुछ भी याद नही था कि मैं कौन हूँ बोहोत याद करने पर भी कुछ याद नही आ रहा था कि मेरी पिच्छली जिंदगी क्या थी ऑर मैं कौन हूँ... इसलिए बस उस बूढ़े आदमी को ऑर इस जगह को देख रहा था कि अचानक एक आवाज़ मेरे कानो से टकराई)
बाबा: क्या हुआ बेटा बताओ ना कौन हो तुम कहाँ से आए हो?
मैं: मुझे कुछ याद नही है कि मैं कौन हूँ... (अपने सिर पर हाथ रखकर) यह जगह कोन्सि है
बाबा: बेटा हम ने तुम्हे पानी से निकाला है मेरी बेटी अक्सर नदी किनारे जाती है वहाँ उसको किनारे पर पड़े तुम मिले... जब तुम उनको मिले तो बोहोत बुरी तरह ज़ख़्मी ओर बेहोश थे वो ऑर मेरी बहू तुम्हे यहाँ ले आई...
मैं: अच्छा!!!!!! बाबा मैं यहाँ कितने दिन से हूँ?
बाबा: बेटा तुमको यहाँ 3 महीने से ज़्यादा होने वाले हैं तुम इतने दिन यहाँ बेहोश पड़े थे... जितना हो सका मेरी बेटी ऑर बहू ने तुम्हारा इलाज किया हम ग़रीबो से जितना हो सका हम ने तुम्हारी खिदमत की...
मैं: ऐसा मत कहिए बाबा आपने जो मेरे लिए किया आप सबका बोहोत-बोहोत शुक्रिया... लेकिन मुझे कुछ भी याद क्यो नही है...
बाबा: बेटा तुम्हारे सिर मे बोहोत गहरी चोट थी जिसको भरने मे बोहोत वक़्त लग गया मुमकिन है उस घाव की वजह से तुम्हारी याददाश्त चली गई हो...
इतने मे एक लड़की की आवाज़ सुनाई दी... बाबा अकेले-अकेले किससे बात कर रहे हो... सठिया गये हो क्या ऑर कमरे मे आ गई... (मेरी नज़र उस पर पड़ी तो मैने सिर से पैर तक उसको देखा ऑर उसका पूरा जायेज़ा लिया) दिखने मे पतली सी लेकिन लंबी, काले बाल, बड़ी-बड़ी आँखें, गोरा रंग, काले रंग का सलवार कमीज़ जिसपर छोटे-छोटे फूल बने थे ऑर कंधे से कमर पर बँधा हुआ दुपट्टा चाल मे अज़ीब सा बे-ढांगापन...
बाबा:- देख बेटी इनको होश आ गया (खुश होते हुए)
नाज़ी:- अर्रे!!! आपको होश आ गया अब कैसे हो... क्या नाम है आपका... कहाँ से आए हो आप (एक साथ कई सवाल)
बाबा: बेटी ज़रा साँस तो ले इतने सारे सवाल एक साथ पुछ लिए पहले पूरी बात तो सुना कर...
नाज़ी:- (मूह बनाकर) अच्छा बोलो क्या है?
बाबा:- बेटी इनको होश तो आ गया है लेकिन इनको याद कुछ भी नही है यह सब अपना पिच्छला भूल चुके हैं...
नाज़ी:- (अपने मूह पर हाथ रखते हुए) हाए! अब इनके घरवालो को कैसे ढूंढ़ेंगे?
इतने मे बाबा मेरी तरफ देखते हुए...
बाबा:- बेटा तुम अभी ठीक नही हो ऑर बोहोत कमजोर हो इसलिए आराम करो यह मेरी बेटी है नाज़ी यह तुम्हारी अच्छे से देख-भाल करेगी ऑर तुम फिकर ना करो सब ठीक हो जाएगा... हम सब तुम्हारे लिए दुआ करेंगे... (ऑर दोनो बाप बेटी कमरे से बाहर चले गये)
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बाबा: बेटा तुम कौन हो क्या नाम है तुम्हारा?
मैं: (मुझे कुछ भी याद नही था कि मैं कौन हूँ बोहोत याद करने पर भी कुछ याद नही आ रहा था कि मेरी पिच्छली जिंदगी क्या थी ऑर मैं कौन हूँ... इसलिए बस उस बूढ़े आदमी को ऑर इस जगह को देख रहा था कि अचानक एक आवाज़ मेरे कानो से टकराई)
बाबा: क्या हुआ बेटा बताओ ना कौन हो तुम कहाँ से आए हो?
मैं: मुझे कुछ याद नही है कि मैं कौन हूँ... (अपने सिर पर हाथ रखकर) यह जगह कोन्सि है
बाबा: बेटा हम ने तुम्हे पानी से निकाला है मेरी बेटी अक्सर नदी किनारे जाती है वहाँ उसको किनारे पर पड़े तुम मिले... जब तुम उनको मिले तो बोहोत बुरी तरह ज़ख़्मी ओर बेहोश थे वो ऑर मेरी बहू तुम्हे यहाँ ले आई...
मैं: अच्छा!!!!!! बाबा मैं यहाँ कितने दिन से हूँ?
बाबा: बेटा तुमको यहाँ 3 महीने से ज़्यादा होने वाले हैं तुम इतने दिन यहाँ बेहोश पड़े थे... जितना हो सका मेरी बेटी ऑर बहू ने तुम्हारा इलाज किया हम ग़रीबो से जितना हो सका हम ने तुम्हारी खिदमत की...
मैं: ऐसा मत कहिए बाबा आपने जो मेरे लिए किया आप सबका बोहोत-बोहोत शुक्रिया... लेकिन मुझे कुछ भी याद क्यो नही है...
बाबा: बेटा तुम्हारे सिर मे बोहोत गहरी चोट थी जिसको भरने मे बोहोत वक़्त लग गया मुमकिन है उस घाव की वजह से तुम्हारी याददाश्त चली गई हो...
इतने मे एक लड़की की आवाज़ सुनाई दी... बाबा अकेले-अकेले किससे बात कर रहे हो... सठिया गये हो क्या ऑर कमरे मे आ गई... (मेरी नज़र उस पर पड़ी तो मैने सिर से पैर तक उसको देखा ऑर उसका पूरा जायेज़ा लिया) दिखने मे पतली सी लेकिन लंबी, काले बाल, बड़ी-बड़ी आँखें, गोरा रंग, काले रंग का सलवार कमीज़ जिसपर छोटे-छोटे फूल बने थे ऑर कंधे से कमर पर बँधा हुआ दुपट्टा चाल मे अज़ीब सा बे-ढांगापन...
बाबा:- देख बेटी इनको होश आ गया (खुश होते हुए)
नाज़ी:- अर्रे!!! आपको होश आ गया अब कैसे हो... क्या नाम है आपका... कहाँ से आए हो आप (एक साथ कई सवाल)
बाबा: बेटी ज़रा साँस तो ले इतने सारे सवाल एक साथ पुछ लिए पहले पूरी बात तो सुना कर...
नाज़ी:- (मूह बनाकर) अच्छा बोलो क्या है?
बाबा:- बेटी इनको होश तो आ गया है लेकिन इनको याद कुछ भी नही है यह सब अपना पिच्छला भूल चुके हैं...
नाज़ी:- (अपने मूह पर हाथ रखते हुए) हाए! अब इनके घरवालो को कैसे ढूंढ़ेंगे?
इतने मे बाबा मेरी तरफ देखते हुए...
बाबा:- बेटा तुम अभी ठीक नही हो ऑर बोहोत कमजोर हो इसलिए आराम करो यह मेरी बेटी है नाज़ी यह तुम्हारी अच्छे से देख-भाल करेगी ऑर तुम फिकर ना करो सब ठीक हो जाएगा... हम सब तुम्हारे लिए दुआ करेंगे... (ऑर दोनो बाप बेटी कमरे से बाहर चले गये)
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