09-11-2021, 05:34 PM
(This post was last modified: 09-11-2021, 05:36 PM by Snigdha. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मधु को गए एक हफ्ता ही बिता था कि आम दिन की तरह अनुराग मायूस ऑफिस मे बैठा काम कर रहा था और तभी मधु का कॉल आया यू बेवक्त मधु के कॉल से अनुराग चिंतित हो गया और घबराए स्वर मे बोला सब ठीक है ना, मधु हँसते हुए बोली जी सब बढ़िया है आप खा मखा डरते रहते और अनुराग के डर को शान्त करने के पश्चात बोलती है आप क्या मिलने आ सकते है और अनुराग कहता कुछ बिशेष बात तभी मधु हँसते बोलती है बस आ जाईये न प्लीज और अनुराग हाँ बोल देता है और अपने मालिक से अनुमति ले घर पहुँच नाहा धो कर दो जोड़ी कपड़े ले बाइक स्टार्ट कर ससुराल की और निकल पड़ता है जो पूरे तीन घंटे की लंबी राह है ।
अनुराग मन है मन सहवास और मधु के बारे मे सोचता बड़े आराम से चलता रहता और बीच बीच मैं रुक अपनी कमर सीधे करता और जब महज़ ससुराल और मधु से दूरी आधे घंटे की बाकी रहती वो रुक कर अपना मोबाइल देखने लगता है जिसमें मधु ने लोकेशन शेयर करी होती है और अनुराग गूगल मैप पर वो लोकेशन डाल चल पड़ता है ।
चालीस मिनट चलने के बाद शाम शाम को वो मधु के दिये लिकाशन पर रुकता है जो एक नदी के किनारे बड़े से बरगद पेड़ के पास की रहती है और वो गाड़ी से उतर मधु को फ़ोन मिलाता है और मधु कहती है रुकिए दस मिनट मे आई और अनुराग नज़रे घुमा चारों और देखता है तोह बस घने जंगल और सन्नाटे के सिवा बस चिड़ियों की चहचहाट के सिवा और कुछ नही दिखता ।
अनुराग बड़े शान्त मन से मधु की राह तकते रहता और बार बार चारों तरफ नज़रे दौड़ाता रहता पर हर बार उसे सन्नाटे के सिवा कुछ नज़र नही आता और अचानक उसे पीले साड़ी मे मधु नज़र आती है और वो चैन की सास लेता मधु को घूरता रहता और मधु पास आते ही अनुराग के हाथो को पकड़ उसे पेड़ के बड़े जड़ पर बिठा देती है और अपनी साड़ी उठा कर उसके मुँह को अपनी चुत पर चिपका कहती है चख कर बताइए न कैसा है और अनुराग अशमंजस मैं पड़ मधु के चुत को चाटने लगता है और उसे एहसास होते पल भर नही लगता कि मधु की चुत वीर्य से भरी पड़ी है और वो मधु के कमर को ज़ोर से पकड़ बड़े चाव से वीर्य चाटने लगता है और मधु अपने हाथों से अनुराग के बालो को पकड़ चुत चटवाती रहती है और आधे घंटे तक दोनों बस चुप चाप से रहते है और अनुराग चुत की गहराई तक जीभ डाल मधु के चुत से एक एक बूँद वीर्य चट कर उसके झाघो पर बहे वीर्य के बूंदों को चाट साड़ी के नीचे से निकल उठ खड़ा होता है और मधु को चूमने लगता है और मधु अपने पति को बाहों मैं जकड़ लिपट जाती है और अनुराग बड़े मासूम अंदाज़ मे बोलता हैं आखिर मेरी बीवी ने मेरी मुराद पूर्ण कर दी और मधु शर्मा के कहती है बस आप यही रुकिए मैं आती हु और वो वापस जंगल के झाड़ियों मे अंधेरे मे खो जाती है और अनुराग सख्त लड़ लिए वहीं खड़ा विचारहीन हो जाता है ।
करीब घंटे भर से अनुराग राह तकता एक जैसा खड़ा रहता है और उसके मस्तिष्क मे कोई ख्याल नहीं न कोई चिंता न कोई सवाल बस वो उस रास्ते को घूरता जहाँ मधु गई और गायब हो गई थी ।
दो घंटे के बाद मधु धीरे धीरे आती दिखती है ,चारों और अंधेरा फैला हुआ होता है पर अनुराग पीले साड़ी की परछाई को देख समझता है कि मधु आ गई है और वो पहले से पेड़ की जड़ पर आ बैठ जाता है और मधु करिब आ कर साड़ी उठा देती है और अनुराग भूखे कुत्ते की तरह लप लप करता मधु के चुत से वीर्य चाट खाने लगता है और मधु हल्की आहे भर्ती अपनी वीर्य से भरी चुत चटवाती थोड़ी कमुक हो जाती है और हल्के सिसकियों को भरने लगती है और एक लंबे मेहनत के बाद अनुराग वापस से मधु के चुत से वीर्य चट कर उठ खड़ा होता है और मधु के होंठो को बेताहाशा चूमने लगता है और मधु उसके लिंग को सहलाने लगती है और नीचे बैठ अनुराग की पैंट खोल लड़ को चुसने के लिए जैसे ही मुँह मे डालती है अनुराग का वीर्य बह उठता हैं और वो मधु के सर को पकड़ हल्के झटके मार ठंडा पड़ जाता है और मधु अपने पति के वीर्य को गटक कर उसके लबों को चूम कहती है क्या आपको इतना मज़ा आया जी और अनुराग हाँ बोलता मधु के साथ ससुराल की ओर चल पड़ता है ।
अनुराग मन है मन सहवास और मधु के बारे मे सोचता बड़े आराम से चलता रहता और बीच बीच मैं रुक अपनी कमर सीधे करता और जब महज़ ससुराल और मधु से दूरी आधे घंटे की बाकी रहती वो रुक कर अपना मोबाइल देखने लगता है जिसमें मधु ने लोकेशन शेयर करी होती है और अनुराग गूगल मैप पर वो लोकेशन डाल चल पड़ता है ।
चालीस मिनट चलने के बाद शाम शाम को वो मधु के दिये लिकाशन पर रुकता है जो एक नदी के किनारे बड़े से बरगद पेड़ के पास की रहती है और वो गाड़ी से उतर मधु को फ़ोन मिलाता है और मधु कहती है रुकिए दस मिनट मे आई और अनुराग नज़रे घुमा चारों और देखता है तोह बस घने जंगल और सन्नाटे के सिवा बस चिड़ियों की चहचहाट के सिवा और कुछ नही दिखता ।
अनुराग बड़े शान्त मन से मधु की राह तकते रहता और बार बार चारों तरफ नज़रे दौड़ाता रहता पर हर बार उसे सन्नाटे के सिवा कुछ नज़र नही आता और अचानक उसे पीले साड़ी मे मधु नज़र आती है और वो चैन की सास लेता मधु को घूरता रहता और मधु पास आते ही अनुराग के हाथो को पकड़ उसे पेड़ के बड़े जड़ पर बिठा देती है और अपनी साड़ी उठा कर उसके मुँह को अपनी चुत पर चिपका कहती है चख कर बताइए न कैसा है और अनुराग अशमंजस मैं पड़ मधु के चुत को चाटने लगता है और उसे एहसास होते पल भर नही लगता कि मधु की चुत वीर्य से भरी पड़ी है और वो मधु के कमर को ज़ोर से पकड़ बड़े चाव से वीर्य चाटने लगता है और मधु अपने हाथों से अनुराग के बालो को पकड़ चुत चटवाती रहती है और आधे घंटे तक दोनों बस चुप चाप से रहते है और अनुराग चुत की गहराई तक जीभ डाल मधु के चुत से एक एक बूँद वीर्य चट कर उसके झाघो पर बहे वीर्य के बूंदों को चाट साड़ी के नीचे से निकल उठ खड़ा होता है और मधु को चूमने लगता है और मधु अपने पति को बाहों मैं जकड़ लिपट जाती है और अनुराग बड़े मासूम अंदाज़ मे बोलता हैं आखिर मेरी बीवी ने मेरी मुराद पूर्ण कर दी और मधु शर्मा के कहती है बस आप यही रुकिए मैं आती हु और वो वापस जंगल के झाड़ियों मे अंधेरे मे खो जाती है और अनुराग सख्त लड़ लिए वहीं खड़ा विचारहीन हो जाता है ।
करीब घंटे भर से अनुराग राह तकता एक जैसा खड़ा रहता है और उसके मस्तिष्क मे कोई ख्याल नहीं न कोई चिंता न कोई सवाल बस वो उस रास्ते को घूरता जहाँ मधु गई और गायब हो गई थी ।
दो घंटे के बाद मधु धीरे धीरे आती दिखती है ,चारों और अंधेरा फैला हुआ होता है पर अनुराग पीले साड़ी की परछाई को देख समझता है कि मधु आ गई है और वो पहले से पेड़ की जड़ पर आ बैठ जाता है और मधु करिब आ कर साड़ी उठा देती है और अनुराग भूखे कुत्ते की तरह लप लप करता मधु के चुत से वीर्य चाट खाने लगता है और मधु हल्की आहे भर्ती अपनी वीर्य से भरी चुत चटवाती थोड़ी कमुक हो जाती है और हल्के सिसकियों को भरने लगती है और एक लंबे मेहनत के बाद अनुराग वापस से मधु के चुत से वीर्य चट कर उठ खड़ा होता है और मधु के होंठो को बेताहाशा चूमने लगता है और मधु उसके लिंग को सहलाने लगती है और नीचे बैठ अनुराग की पैंट खोल लड़ को चुसने के लिए जैसे ही मुँह मे डालती है अनुराग का वीर्य बह उठता हैं और वो मधु के सर को पकड़ हल्के झटके मार ठंडा पड़ जाता है और मधु अपने पति के वीर्य को गटक कर उसके लबों को चूम कहती है क्या आपको इतना मज़ा आया जी और अनुराग हाँ बोलता मधु के साथ ससुराल की ओर चल पड़ता है ।
समाप्त