04-11-2021, 12:47 AM
वैसे तो देखने में बिल्लू एक दुबला पतला लड़का था लेकिन आज मुझे पता चला कि उसकी दोनों टांगों के बीच एक 9 इंच का काला मोटा अजगर है.. जो आज मेरे रूपाली दीदी की ठुकाई कर रहा है.. उसका लंड मेरी बहन की गुलाबी चुनमुनिया को चीरता हुआ आधा अंदर घुस चुका था....
मेरी रूपाली दीदी: आह मम्मी... मर गई रे... बिल्लू तेरा औजार तो बहुत बड़ा है रे..
बिल्लू: चुप कर साली रंडी.... ज्यादा नखरे मत दिखा.... मजे कर और मुझे भी मजे करने दे....
बोलते हुए उसने मेरी बहन की जबरदस्त ठुकाई शुरू कर दी थी... और मेरी रूपाली दीदी भी अपनी गांड उठा उठा दो उसका साथ देने लगी थी..
दोनों के बीच एक भयंकर संभोग चल रहा था... दोनों एक दूसरे के अंदर समा जाना चाहते थे...
वह मेरी रुपाली दीदी की पागलों की तरह ठुकाई करने लगा था.... मेरी बहन की गुलाबी चिकनी चुनमुनिया को अपने लोड़े से चौड़ा कर रहा है गहरा कर रहा था... बड़ी रफ्तार से धक्के लगा रहा था...
मेरी रुपाली दीदी भी अपनी गांड उछाल उछाल के उसको सहयोग देने का प्रयास कर रही थी...
मेरी रूपाली दीदी की गांड के नीचे मिट्टी के ढेले पड़े हुए थे... मेरी बहन को मिट्टी के ढेले अपनी गांड पर चुभन का एहसास दे रहे थे... शायद इसीलिए मेरी बहन अपनी गांड नीचे जमीन पर नहीं टिक आ रही थी..
लेकिन बिल्लू को तो कोई परवाह नहीं थी इस बात की... उसने अपनी रफ्तार और और अपनी ताकत से मिट्टी के ढेले तोड़ दिए थे और मेरी दीदी की गांड के नीचे की जमीन को समतल बना दिया था.......
मेरी रूपाली दीदी उसकी मर्दानगी के नीचे लेटी हुई उसकी दीवानी होती जा रही थी...
मेरी बहन बिल्लू की मर्दानगी की तारीफ करती हुई अपने मुंह से सिसकियां ले रही थी.....
मेरी रूपाली दीदी को बाहों में भर के वह जोर-जोर से ठाप लगा रहा था. मेरी बहन दर्द और मजे के मारे ओफ़्फ़्फ़ उफ़्फ़्फ़ कर रही थी. कुछ देर बाद दीदी अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर गपागप लंड अन्दर करवाने लगी. और कह रही थी,
"और जोर से राजा! और जोर से पूरा पेलो! और डालो अपना लंड!"
ब्लू ने पैंतरा बदल लिया था..... उसने अपना मुंह मेरी बहन की चूची से अलग कर लिया था... और मेरी रूपाली दीदी की दोनों कलाई को थाम के नीचे जमीन पर लगा दिया था... मेरी रूपाली दीदी के हाथों की चूड़ियां टूटने लगी थी... मेरी बहन भी बेबस होकर हिरनी जैसी आंखों से उसकी आंखों में देखने लगी थी.... वह भी बड़े प्यार से और बड़े कामुक अंदाज में मेरी बहन की आंखों में देखता हुआ मेरी बहन का बैंड बजा रहा था.... मेरी रुपाली दीदी की ठुकाई कर रहा है...... दोनों में से कोई भी झड़ने का नाम नहीं ले रहे थे... दोनों अपनी कामुकता की चरम सीमा पर पहुंच चुके थे...
बिल्लू: साली रंडी... तेरे अंदर तो बहुत गर्मी है बहन चोद.... तेरा हिजड़ा पति तो तुझे कभी भी मजा नहीं देता होगा...
मेरी रूपाली दीदी: बिल्लू.... आआहह………….. मेरे पति की बात मत कर... उनका तो अभी खड़ा भी नहीं होता है...आआहह………….. मैं तो कोशिश करती हूं...
बिल्लू: तेरा पति नामर्द हो चुका है.... उसमें ताकत नहीं बची है तुझे अब और मजा देने का....
मेरी रुपाली दीदी: तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो बिल्लू.. मेरा पति तो अब किसी काम का नहीं रह गया.... वह साला मुझे दूसरे मर्दों के पास ले जाता है... अपने दोस्तों के पास अपने बॉस के पास..... और फिर खुद सामने बैठ कर देखता है..... मैं क्या क्या बताऊं तुम्हें अपने पति के बारे में...
मेरी रूपाली दीदी: आह मम्मी... मर गई रे... बिल्लू तेरा औजार तो बहुत बड़ा है रे..
बिल्लू: चुप कर साली रंडी.... ज्यादा नखरे मत दिखा.... मजे कर और मुझे भी मजे करने दे....
बोलते हुए उसने मेरी बहन की जबरदस्त ठुकाई शुरू कर दी थी... और मेरी रूपाली दीदी भी अपनी गांड उठा उठा दो उसका साथ देने लगी थी..
दोनों के बीच एक भयंकर संभोग चल रहा था... दोनों एक दूसरे के अंदर समा जाना चाहते थे...
वह मेरी रुपाली दीदी की पागलों की तरह ठुकाई करने लगा था.... मेरी बहन की गुलाबी चिकनी चुनमुनिया को अपने लोड़े से चौड़ा कर रहा है गहरा कर रहा था... बड़ी रफ्तार से धक्के लगा रहा था...
मेरी रुपाली दीदी भी अपनी गांड उछाल उछाल के उसको सहयोग देने का प्रयास कर रही थी...
मेरी रूपाली दीदी की गांड के नीचे मिट्टी के ढेले पड़े हुए थे... मेरी बहन को मिट्टी के ढेले अपनी गांड पर चुभन का एहसास दे रहे थे... शायद इसीलिए मेरी बहन अपनी गांड नीचे जमीन पर नहीं टिक आ रही थी..
लेकिन बिल्लू को तो कोई परवाह नहीं थी इस बात की... उसने अपनी रफ्तार और और अपनी ताकत से मिट्टी के ढेले तोड़ दिए थे और मेरी दीदी की गांड के नीचे की जमीन को समतल बना दिया था.......
मेरी रूपाली दीदी उसकी मर्दानगी के नीचे लेटी हुई उसकी दीवानी होती जा रही थी...
मेरी बहन बिल्लू की मर्दानगी की तारीफ करती हुई अपने मुंह से सिसकियां ले रही थी.....
मेरी रूपाली दीदी को बाहों में भर के वह जोर-जोर से ठाप लगा रहा था. मेरी बहन दर्द और मजे के मारे ओफ़्फ़्फ़ उफ़्फ़्फ़ कर रही थी. कुछ देर बाद दीदी अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर गपागप लंड अन्दर करवाने लगी. और कह रही थी,
"और जोर से राजा! और जोर से पूरा पेलो! और डालो अपना लंड!"
ब्लू ने पैंतरा बदल लिया था..... उसने अपना मुंह मेरी बहन की चूची से अलग कर लिया था... और मेरी रूपाली दीदी की दोनों कलाई को थाम के नीचे जमीन पर लगा दिया था... मेरी रूपाली दीदी के हाथों की चूड़ियां टूटने लगी थी... मेरी बहन भी बेबस होकर हिरनी जैसी आंखों से उसकी आंखों में देखने लगी थी.... वह भी बड़े प्यार से और बड़े कामुक अंदाज में मेरी बहन की आंखों में देखता हुआ मेरी बहन का बैंड बजा रहा था.... मेरी रुपाली दीदी की ठुकाई कर रहा है...... दोनों में से कोई भी झड़ने का नाम नहीं ले रहे थे... दोनों अपनी कामुकता की चरम सीमा पर पहुंच चुके थे...
बिल्लू: साली रंडी... तेरे अंदर तो बहुत गर्मी है बहन चोद.... तेरा हिजड़ा पति तो तुझे कभी भी मजा नहीं देता होगा...
मेरी रूपाली दीदी: बिल्लू.... आआहह………….. मेरे पति की बात मत कर... उनका तो अभी खड़ा भी नहीं होता है...आआहह………….. मैं तो कोशिश करती हूं...
बिल्लू: तेरा पति नामर्द हो चुका है.... उसमें ताकत नहीं बची है तुझे अब और मजा देने का....
मेरी रुपाली दीदी: तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो बिल्लू.. मेरा पति तो अब किसी काम का नहीं रह गया.... वह साला मुझे दूसरे मर्दों के पास ले जाता है... अपने दोस्तों के पास अपने बॉस के पास..... और फिर खुद सामने बैठ कर देखता है..... मैं क्या क्या बताऊं तुम्हें अपने पति के बारे में...