03-11-2021, 03:51 PM
नरेन्द्र इतना थके लौटते कि खाना खा कर सो जाते और नयना जब फोन पर बातें करके लेटती तो उसके दिमाग में यह प्रश्न फूलों से भरी क्यारी की तरह खिल उठता कि रविभूषण उसका क्या लगता है दोस्त या भाई?
नयना अपनी सालगिरह के दिन बच्चों के बिना उदास थी। नरेन्द्र भी विदेश गये हुये थे। उस रात फोन पर रवि ने जब उसकी उदासी का कारण जानकर यह कह दिया कि वह नयना को खुश देखना चाहता है
नयना अपनी सालगिरह के दिन बच्चों के बिना उदास थी। नरेन्द्र भी विदेश गये हुये थे। उस रात फोन पर रवि ने जब उसकी उदासी का कारण जानकर यह कह दिया कि वह नयना को खुश देखना चाहता है
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.