02-11-2021, 11:05 PM
थानेदार साहब मुझे यह सब कुछ बता ही रहे थे कि हम लोग थाने पहुंच गए थे... अब वहां पर ज्यादा बातचीत करना संभव नहीं था...
थानेदार साहब ने मेरी मम्मी को जेल से बाहर निकाला... और मुझे और मेरी मम्मी को अपनी जीप में बिठाकर बड़ी इज्जत से हमारे घर पर पहुंचा दिया... मेरी चंदा भाभी ने दरवाजा खोला था.... वह तुम मेरी मम्मी को गले लगा कर रोने लगी थी...
थानेदार साहब मुझे एकांत में ले गए और बोले...
इंस्पेक्टर हरिलाल: देख सैंडी.. मैं बहुत खुश हूं तुम्हारे व्यवहार से... तुम्हारी दोनों बहनों ने ही खूब मजा दिया है मुझे... लेकिन मुझे भी कानून का फर्ज निभाना है.... क्या तुम मेरे लिए एक काम कर सकते हो..
मैं: क्या थानेदार साहब मुझे क्या करना होगा...
मैं उत्सुक होकर पूछ रहा था....
इंस्पेक्टर हरिलाल: यह केस बहुत ही ज्यादा पेचीदा हो चुका है... इसमें जुनैद का खूनी कोई भी हो सकता है... हमारे पास जो जानकारी है उसकी डिटेल में अभी तुम्हारे साथ शेयर नहीं कर सकता हूं...
मैं: मुझे क्या करना है सर... मैं कुछ भी कर सकता हूं अपने परिवार की रक्षा करने के लिए...
इंस्पेक्टर हरिलाल: मुझे पता है तुम बहुत अच्छे लड़के हो... तुमको बस अपनी रुपाली दीदी करना नजर रखनी है.. वह कहां जाती है.. किसके साथ मिलती है... किसके साथ फोन पर बात करती है.. मुझे तुम्हारी दीदी की पल-पल की हरकत की जानकारी चाहिए..
मैं: लेकिन मेरी रूपाली दीदी की क्यों सर...
इंस्पेक्टर हरिलाल: अभी तो मैं तुम्हारे साथ पूरा डिटेल शेयर नहीं कर सकता हूं... तुम्हारी प्रियंका दीदी तो शरीफ है... इस बात का तो मुझे पूरी तरह से अंदाजा हो चुका है... मुझे शक है तुम्हारी रुपाली दीदी पर...
मैं: सर आप कैसी बात कर रहे हो... मेरी रूपाली दीदी तो बेहद शरीफ औरत है... वह भला किसी का मर्डर कैसे करेगी... जरूर आपको कुछ गलतफहमी हो रही है... सर प्लीज हमारे परिवार के ऊपर दया कीजिए..
इंस्पेक्टर हरिलाल: सैंडी.... मैं एक सिक्युरिटी वाला हूं... अपने कर्तव्य का पालन करना मेरा धर्म है... मुझे विश्वास है तेरी रूपाली दीदी ने जुनैद का मर्डर नहीं किया है.... लेकिन कुछ ना कुछ कनेक्शन है जो मैं अभी तुम्हें नहीं बता सकता... मैं वादा करता हूं कि तुम्हारी दीदी ने अगर मर्डर किया भी होगा तो भी मैं तुम्हारे परिवार के ऊपर आंच नहीं आने दूंगा...
मैं: सर आप वादा करते हैं ना...
इंस्पेक्टर हरिलाल: हां मैं वादा करता हूं... बस तुम्हें एक काम करना है.. अपनी रुपाली दीदी के ऊपर नजर रखनी है.... उसके पल-पल की जानकारी मुझे चाहिए... मेरा मोबाइल नंबर अपने मोबाइल में फीड कर लो...
हम दोनों ने एक दूसरे का मोबाइल नंबर अपने मोबाइल में फीड कर लिया... और फिर इंस्पेक्टर साहब चले गए...
मैं अपने घर में घुसा ... हमारे परिवार का माहौल एक बार फिर से खुशनुमा हो चुका था.... सब लोग बेहद खुश दिख रहे थे... मेरी चंदा भाभी तो ऐसा लग रहा था आसमान में उड़ रही है... मेरी रूपाली दीदी और प्रियंका दीदी भी खुश दिखाई दे रहे थे... उन दोनों की मेहनत से ही मेरी मम्मी आजाद हुई थी...
मेरी मम्मी ने जब मुझसे पूछा कि मुझे सिक्युरिटी वाले गिरफ्तार करके क्यों ले गए थे.... तो मैंने उनको समझा दिया किसी गुंडे का मर्डर हुआ था... और उसी चक्कर में उन लोगों ने आपको मर्डर करने वाली समझ लिया था... पूरी तरह से गलतफहमी की वजह से यह हुआ था..
सब कुछ ठीक है कोई समस्या नहीं है...
सब लोग खुशी-खुशी अपने कमरों में सोने के लिए चले गए थे... क्योंकि रात भर कोई सोया तो था नहीं...
अगले 2 दिन में हमारे घर का माहौल नॉर्मल हो गया था... सब लोग हंसी-खुशी रह रहे थे... बस मैं चिंतित था....
मैं घर में हर होने वाली घटना का जिक्र इंस्पेक्टर हरिलाल के साथ शेयर कर रहा था रात में... मेरी रूपाली दीदी पिछले 2 दिनों में घर में ही थी... वह घर से बाहर गई ही नहीं थी.... इसीलिए ज्यादा कुछ बताने का था नहीं..
इंस्पेक्टर साहब ने भी मुझे शाबाशी दी थी कि तू बहुत अच्छा काम कर रहा है...
नवरात्रि का पहला दिन आ गया था...
हमारे गांव में दुर्गा पूजा धूमधाम से मनाई मनाई जाती है... बहुत बड़ा मेला लगता है हमारे गांव के बाहर में... जहां पर सिर्फ अगल बगल के गांव के लोग ही नहीं बल्कि दूर दूर से लोग आते हैं...
दरअसल दुर्गा पूजा में पूरे 10 दिन तक हमारे गांव के ठीक बाहर ही मेला लगता था.... बहुत ही जबरदस्त मेला... इतनी भीड़ रहती थी कुछ पता नहीं चलता था कि कौन कहां पर है..
और आज मेले का पहला दिन था...
मेरी रुपाली दीदी की शादी के बाद पहला मौका था उनके लिए इस मेले में फिर से शामिल होने के लिए... मेले में हजारों की संख्या में युवा मर्द और शादीशुदा औरतें, कुंवारी कन्या अभी आती थी...
औरतों के लिए यह मेला अपने सौंदर्य प्रदर्शन और अपने अंग प्रदर्शन का एक बेहतरीन मौका था..... और मर्दों के लिए तो एक शानदार मौका जहां पर वह किसी भी लड़की या औरत के साथ छेड़खानी करने का या फिर पटाने का अवसर हो...
शाम 5:00 बजे से ही मेरे घर में चहल पहल हो रही थी..
मेले में जाने के लिए तैयारी हो रही थी...
मेरी रूपाली दीदी लाल रंग के लहंगा और गुलाबी रंग की चोली में आज तो कामदेवी बनी हुई थी.... उनकी शादी के बाद यह उनके लिए पहला अवसर था मेले में जाने का... अपने सीने पर हरा रंग का दुपट्टा लिए हुए मेरी रूपाली दीदी सज धज के पूरी तैयार हो चुकी थी... होठों पर लाल लाल लिपस्टिक, बालों में गजरा , आंखों में कजरा.... देख कर ऐसा लग रहा था जैसे मेरी रूपाली दीदी एक फटने वाला बम हो....
क्या उबलती, फ़ड़कती जवानी ! गुलाबी, रेशमी त्वचा, गहरे भूरे रंग के घनेरे बाल, निखरता गोरा रंग !
फिगर ऐसी कि जोगी को भी भोगी बना डाले, बहुत ही सुन्दर पाँव, मुलायम और सुडौल, जिनको बार बार चूमने और चाटने का दिल करे !
मर्दों को चुनौती सी देते हुए सामने चूचुक और पीछे उसके मस्त नितम्ब !
क्या करे बेचारा आदमी, पागल ना हो जाये और क्या करे !
मेरी रूपाली दीदी एक ऐसा पूरा पका हुआ फल थी जिसको चूसने में देरी करना महा अपराध था...
मेरी रुपाली दीदी की दुधारू चूचियां चोली को फाड़ देने के लिए बेताब हो रही थी...
मेरी प्रियंका दीदी भी बिल्कुल मेरी रुपाली दीदी की तरह सजी हुई थी... बस चुचियों का फर्क था... वरना मेरी रूपाली दीदी और प्रियंका दीदी तो जुड़वा लग रही थी...
मेरी चंदा भाभी नीले रंग की लहंगा चोली में अपनी 40 साइज की चुचियों को किसी तरह से दबा के उछलते हुई हिरनी बनी हुई थी... सबके मन में बेहद उमंग था... सबके चेहरे पर खुशी दिखाई दे रही थी...
मैंने भी एक नया कुर्ता पजामा पहन लिया था... और मेले में जाने के लिए तैयार हो गया था... मेरे सभी दोस्त आ गए थे.... राजू ,बिल्लू, मुन्ना , यह सब मेरे दोस्त हैं... जिनके साथ में मेला देखने के लिए निकल पड़ा था..
महिलाओं की टोली अलग चल रही थी... जिसमें मेरी बहने ही आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी... गांव की सारी लड़कियां और औरतें मेरी रूपाली दीदी को छेड़ रही थी.... चंदा भाभी उनका साथ देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी..
दूसरी तरफ गांव की जवान मर्द जिनमें दिनेश ,रवि, मेरे होने वाले जीजू( अजय), और उनके साथियों की टोली चल रही थी...
सब लोग मस्ती में थे..
कुछ ही देर में हम लोग मेले के अंदर पहुंच चुके थे और वहां की भीड़ में खोने लगे थे.....
भीड़ इतनी ज्यादा थी कि कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि कौन कहां पर है... लेकिन एक बात जो मुझे सबसे ज्यादा परेशान कर रही थी वह यह थी कि पूरे रास्ते मेरी रूपाली दीदी और मेरे दोस्त बिल्लू के बीच में नैन मटक्का चल रहा था... दोनों अपनी आंखों से एक दूसरे को ना जाने क्या इशारा कर रहे हैं... मुझे शक होने लगा था कि मेरी रूपाली दीदी और बिल्लू के बीच कुछ ना कुछ तो पक रहा है...
मेले की भीड़ में मैं खो गया था.... और अपनी बहनों को ढूंढने की कोशिश कर रहा था.
मुझे ना तो मेरी बहने दिखाई दे रही थी ना ही मेरी चंदा भाभी... मेरे दोस्त भी मुझसे अलग हो चुके थे.. मैं एक चाट की दुकान के सामने जाकर खड़ा हो गया और स्टूल पर खड़ा होकर मेले में अपनी बहनों को ढूंढने लगा..
मुझे मेरी प्रियंका दीदी दिखाई देने लगी... चार आवारा लड़कों ने उनको घेर रखा था... कोई उनकी चोली को खींच रहा था तो कोई उनकी गांड को मसल रहा था.... मेरी दीदी तड़प रही थी लेकिन उन आवारा लड़कों ने मेरी बहन को खूब मसला....
यह एक आम बात थी इस मेले में जो हर औरत के साथ होता था...
मेरी प्रियंका दीदी कुछ भी नहीं कर सकती थी इस हालत में.... मैं भी कुछ नहीं कर सकता था सिर्फ देखने के अलावा... जिन लड़कों ने मेरी प्रियंका दीदी को दबोच रखा था वह देखने में मेरी उम्र के ही लग रहे थे.
मुझे ना तो मेरी बहने दिखाई दे रही थी ना ही मेरी चंदा भाभी... मेरे दोस्त भी मुझसे अलग हो चुके थे.. मैं एक चाट की दुकान के सामने जाकर खड़ा हो गया और स्टूल पर खड़ा होकर मेले में अपनी बहनों को ढूंढने लगा..
मुझे मेरी प्रियंका दीदी दिखाई देने लगी... चार आवारा लड़कों ने उनको घेर रखा था... कोई उनकी चोली को खींच रहा था तो कोई उनकी गांड को मसल रहा था.... मेरी दीदी तड़प रही थी लेकिन उन आवारा लड़कों ने मेरी बहन को खूब मसला....
यह एक आम बात थी इस मेले में जो हर औरत के साथ होता था...
मेरी प्रियंका दीदी कुछ भी नहीं कर सकती थी इस हालत में.... मैं भी कुछ नहीं कर सकता था सिर्फ देखने के अलावा... जिन लड़कों ने मेरी प्रियंका दीदी को दबोच रखा था वह देखने में मेरी उम्र के ही लग रहे थे.
मेरी प्रियंका दीदी भी कुछ ज्यादा विरोध नहीं कर रही थी... उनको अच्छी तरह पता था इस मेले में ऐसा तो होता ही है... मेरी दीदी हर साल इस मेले में आ रही थी... वह चारों लड़के मेरी प्रियंका दीदी को नोच रहे थे हर तरफ से... पर उन्होंने कपड़ा नहीं खोला था मेरी बहन का... यह देखकर मेरे मन में थोड़ी संतुष्टि हुई...
दूसरी तरफ मेरी चंदा भाभी खुद ही भीड़ के अंदर घुस गई थी... और सारे मर्द मेरी चंदा भाभी को चूम रहे थे चाट रहे थे... एक लड़के ने उनकी चोली को ऊपर उठा कर उनका चूची मुंह में ले लिया था चूसने लगा था...
भरे मेले में मेरी चंदा भाभी की चोली खुलने लगी थी...
पीछे से किसी ने उनका लहंगा उठा दिया था.... और चड्डी के ऊपर से उन की कमर को थाम के उनकी ठुकाई कर रहा था...
मेरी चंदा भाभी की चूची ऊपर न जाने कितने मर्द अपना हाथ साफ कर रहे थे मुंह में भी लेकर चूसने लगे थे.... मेरी भाभी को कोई एतराज नहीं था...
मेरी चंदा भाभी मदमस्त हो चुकी थी मर्दों की भीड़ में... उस भीड़ भाड़ में खुद को न्योछावर कर के मेरी चंदा भाभी मजे ले रही थी...
वह चार नौजवान लड़के जो मेरी प्रियंका दीदी के साथ छेड़छाड़ कर रहे थे... वह मेरी दीदी को हाथ पकड़े हुए उनको मेले से बाहर ले जा रहे थे गन्ने के खेत में... मेरी दीदी भी उनका विरोध नहीं कर रही थी बल्कि उनके साथ जा रही थी....
लेकिन मुझे मेरी रुपाली दीदी दिखाई नहीं दे रही थी... जो मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात थी.... इंस्पेक्टर हरिलाल को रिपोर्ट जो करना था...
काफी देर मेले में इधर-उधर भटकने के बाद मुझे मेरे रूपाली दीदी एक चूड़ी की दुकान पर खड़ी हुई दिखाई दी.... लेकिन हैरानी की बात यह थी कि मेरा दोस्त बिल्लू ठीक मेरी बहन के पीछे खड़ा था... उसका लौड़ा उसके पजामे में तना हुआ था और मेरी रूपाली दीदी की गांड पर दस्तक देने वाला था... यह दे दृश्य देखकर मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ मगर मैंने अपने आप पर काबू रखा..
मेरी रूपाली दीदी दुकान पर खड़ी हुई कांच की चूड़ियां खरीदने का प्रयास कर रही थी... और पीछे से बिल्लू लहंगे के ऊपर से ही मेरी बहन की गांड के ऊपर अपने खड़े लंड से ठोकर लगा रहा था..
चूड़ी वाले को भी देखकर अजीब लग रहा था कि वह मेरी बहन के साथ ऐसा क्यों कर रहा है....
मेरी दीदी ने भी पीछे हाथ करके बिल्लू को इशारा किया कि वह ऐसा ना करें सबके सामने..... लेकिन बिल्लू मान नहीं रहा था.... वह मेरी बहन की गांड के ऊपर दबाव बनाते जा रहा था.
मेरी दीदी कसमसा रही थी....
अचानक एक भीड़ का ठेला आया और मैं मेले की भीड़ में गुम हो गया.. मैं यहां वहां अपनी रूपाली दीदी को ढूंढता रहा.... लेकिन मेरी दीदी मुझे दिखाई नहीं दी.... मैंने उस मेले का हर कोना छान मारा लेकिन मेरी रूपाली दीदी गायब थी... और मुझे बिल्लू भी दिखाई नहीं दे रहा था...
मैं परेशान तकरीबन 30 मिनट तक मेरी रूपाली दीदी को ढूंढता रहा मेले में हर दुकान पर... ना तो मुझे रूपाली दीदी दिखाई दी और ना ही मेरा दोस्त बिल्लू... मेरे मन का यकीन में बदल चुका था... दोनों के बीच जरूर कोई सांठगांठ है.... मैं मेले से बाहर निकल कर आ गया... और एक पुल के ऊपर बैठकर सोचने लगा था... सामने गन्ने का खेत था... जिसमें गांव के युवक और युवती एक दूसरे का हाथ पकड़ कर जा रहे थे... मुझे पूरा यकीन था कि मेरी प्रियंका दीदी और मेरी चंदा भाभी भी इन्हीं गन्ने के खेत में मर्दों के साथ रंगरेलियां मना रही होगी..... लेकिन मेरी रूपाली दीदी... बिल्लू आखिर मेरी रूपाली दीदी को किस जगह पर ले गया होगा..
मेरे दिमाग में एक बिजली सी दौड़ गई... गन्ने के खेतों के पीछे एक पुराना खंडहर था.... जहां पर मैं और बिल्लू अक्सर रात में जाया करते थे... मुझे समझ में आ चुका था कि मेरी रूपाली दीदी बिल्लू के साथ कहां पर होगी....
गन्ने का खेत पार करने के दौरान मैंने अपने गांव की कई लड़कियों को नीचे बिछे हुए देखा.... जिन लड़कियों को मैं गांव में दीदी बोलता था वह गन्ने के खेत में टांग पसारे हुए लेटी हुई थी... और अनजान मर्द उनकी कस के ठुकाई कर रहे थे... मैंने कोई परवाह नहीं की..
मैं खंडहर के पास पहुंच गया था... वह एक पुराना खंडहर था.... भूत प्रेत की वजह से वहां पर कोई भी नहीं जाता था... इतने सारे टूटे-फूटे कमरे बने हुए थे वहां पर... मैं बारी-बारी से हर कमरे के अंदर झांक कर देखने की कोशिश करने लगा...
एक कमरे के अंदर से मुझे मेरे रुपाली दीदी की आवाज सुनाई देने लगी.
सिसकती हुई मेरी बहन की आवाज...
मैंने जो करना हो कर उस कमरे के अंदर झांका तो अंदर का दृश्य ही अजीब था..... मेरे रूपाली दीदी की दोनों चूचियां चोली के बाहर झूल रही थी..... और बिल्लू मेरी बहन की चूचियां के साथ खेल रहा है..
वह मेरी रूपाली दीदी की एक चूची को मुंह में लेकर दूध पीता हुआ दूसरी चूची को दबाता हुआ दूध निकाल रहा था....
और मेरी दीदी आंखें बंद किए हुए सिसकारियां ले रही थी...
मेरी रूपाली दीदी बिल्लू की लप-लप आती जीव काहे सास अपनी चुचियों पर पाकर बुरी तरह से मचल लगी थी..... मेरी रुपाली दीदी बिल्लू का सर अपने सीने से दबाए हुए उसको अपना दूध पिला रही थी...
मेरी रूपाली दीदी( सिसकते हुए कामुकता से): आअहह... बिल्लू... दांत से तो मत काटो ना.... हमारा दूध पी लो.... जितना पीना है..
बिल्लू चूची बदल बदल कर मेरी रूपाली दीदी का दूध पी रहा है.... और मेरी बहन भी उसको अपने सीने से चिपका कर अपना दूध पिला रही थी.
मेरी बहन की चूचियों का दूध खत्म नहीं हुआ था... लेकिन बिल्लू का पेट भर गया था.... मेरी रूपाली दीदी के निप्पल को अपने मुंह से निकाल कर वह बोला...
बिल्लू: बहुत ही मीठा दूध है तेरा बहन की लोड़ी....
चटकार लेता हुआ बिल्लू मेरी रूपाली दीदी की आंखों में देख रहा था.
मेरी रूपाली दीदी: तुमने मेरा दूध तो पी लिया.. अब क्या चाहते हो बिल्लू......?
बिल्लू: तेरे हरे भरे खेत की जुताई करना चाहता हूं... तेरी मुनिया में अपना मक्खन डालना चाहता हूं बहन की लोड़ी ...
मेरी बहन नीचे लेट गई... अपना लहंगा उठा कर और अपनी चड्डी को नीचे सरकार के टांगे फैलाए हुए मेरी दीदी उसको आमंत्रित करने लगी..
बिल्लू का लौड़ा तो पहले से ही फनफन आया हुआ था.
उसने मेरी बहन की टांगों को और भी चौड़ा किया और फिर मेरी दीदी के अंदर ठोक दिया... अपना मुसल जैसा लोड़ा....
थानेदार साहब ने मेरी मम्मी को जेल से बाहर निकाला... और मुझे और मेरी मम्मी को अपनी जीप में बिठाकर बड़ी इज्जत से हमारे घर पर पहुंचा दिया... मेरी चंदा भाभी ने दरवाजा खोला था.... वह तुम मेरी मम्मी को गले लगा कर रोने लगी थी...
थानेदार साहब मुझे एकांत में ले गए और बोले...
इंस्पेक्टर हरिलाल: देख सैंडी.. मैं बहुत खुश हूं तुम्हारे व्यवहार से... तुम्हारी दोनों बहनों ने ही खूब मजा दिया है मुझे... लेकिन मुझे भी कानून का फर्ज निभाना है.... क्या तुम मेरे लिए एक काम कर सकते हो..
मैं: क्या थानेदार साहब मुझे क्या करना होगा...
मैं उत्सुक होकर पूछ रहा था....
इंस्पेक्टर हरिलाल: यह केस बहुत ही ज्यादा पेचीदा हो चुका है... इसमें जुनैद का खूनी कोई भी हो सकता है... हमारे पास जो जानकारी है उसकी डिटेल में अभी तुम्हारे साथ शेयर नहीं कर सकता हूं...
मैं: मुझे क्या करना है सर... मैं कुछ भी कर सकता हूं अपने परिवार की रक्षा करने के लिए...
इंस्पेक्टर हरिलाल: मुझे पता है तुम बहुत अच्छे लड़के हो... तुमको बस अपनी रुपाली दीदी करना नजर रखनी है.. वह कहां जाती है.. किसके साथ मिलती है... किसके साथ फोन पर बात करती है.. मुझे तुम्हारी दीदी की पल-पल की हरकत की जानकारी चाहिए..
मैं: लेकिन मेरी रूपाली दीदी की क्यों सर...
इंस्पेक्टर हरिलाल: अभी तो मैं तुम्हारे साथ पूरा डिटेल शेयर नहीं कर सकता हूं... तुम्हारी प्रियंका दीदी तो शरीफ है... इस बात का तो मुझे पूरी तरह से अंदाजा हो चुका है... मुझे शक है तुम्हारी रुपाली दीदी पर...
मैं: सर आप कैसी बात कर रहे हो... मेरी रूपाली दीदी तो बेहद शरीफ औरत है... वह भला किसी का मर्डर कैसे करेगी... जरूर आपको कुछ गलतफहमी हो रही है... सर प्लीज हमारे परिवार के ऊपर दया कीजिए..
इंस्पेक्टर हरिलाल: सैंडी.... मैं एक सिक्युरिटी वाला हूं... अपने कर्तव्य का पालन करना मेरा धर्म है... मुझे विश्वास है तेरी रूपाली दीदी ने जुनैद का मर्डर नहीं किया है.... लेकिन कुछ ना कुछ कनेक्शन है जो मैं अभी तुम्हें नहीं बता सकता... मैं वादा करता हूं कि तुम्हारी दीदी ने अगर मर्डर किया भी होगा तो भी मैं तुम्हारे परिवार के ऊपर आंच नहीं आने दूंगा...
मैं: सर आप वादा करते हैं ना...
इंस्पेक्टर हरिलाल: हां मैं वादा करता हूं... बस तुम्हें एक काम करना है.. अपनी रुपाली दीदी के ऊपर नजर रखनी है.... उसके पल-पल की जानकारी मुझे चाहिए... मेरा मोबाइल नंबर अपने मोबाइल में फीड कर लो...
हम दोनों ने एक दूसरे का मोबाइल नंबर अपने मोबाइल में फीड कर लिया... और फिर इंस्पेक्टर साहब चले गए...
मैं अपने घर में घुसा ... हमारे परिवार का माहौल एक बार फिर से खुशनुमा हो चुका था.... सब लोग बेहद खुश दिख रहे थे... मेरी चंदा भाभी तो ऐसा लग रहा था आसमान में उड़ रही है... मेरी रूपाली दीदी और प्रियंका दीदी भी खुश दिखाई दे रहे थे... उन दोनों की मेहनत से ही मेरी मम्मी आजाद हुई थी...
मेरी मम्मी ने जब मुझसे पूछा कि मुझे सिक्युरिटी वाले गिरफ्तार करके क्यों ले गए थे.... तो मैंने उनको समझा दिया किसी गुंडे का मर्डर हुआ था... और उसी चक्कर में उन लोगों ने आपको मर्डर करने वाली समझ लिया था... पूरी तरह से गलतफहमी की वजह से यह हुआ था..
सब कुछ ठीक है कोई समस्या नहीं है...
सब लोग खुशी-खुशी अपने कमरों में सोने के लिए चले गए थे... क्योंकि रात भर कोई सोया तो था नहीं...
अगले 2 दिन में हमारे घर का माहौल नॉर्मल हो गया था... सब लोग हंसी-खुशी रह रहे थे... बस मैं चिंतित था....
मैं घर में हर होने वाली घटना का जिक्र इंस्पेक्टर हरिलाल के साथ शेयर कर रहा था रात में... मेरी रूपाली दीदी पिछले 2 दिनों में घर में ही थी... वह घर से बाहर गई ही नहीं थी.... इसीलिए ज्यादा कुछ बताने का था नहीं..
इंस्पेक्टर साहब ने भी मुझे शाबाशी दी थी कि तू बहुत अच्छा काम कर रहा है...
नवरात्रि का पहला दिन आ गया था...
हमारे गांव में दुर्गा पूजा धूमधाम से मनाई मनाई जाती है... बहुत बड़ा मेला लगता है हमारे गांव के बाहर में... जहां पर सिर्फ अगल बगल के गांव के लोग ही नहीं बल्कि दूर दूर से लोग आते हैं...
दरअसल दुर्गा पूजा में पूरे 10 दिन तक हमारे गांव के ठीक बाहर ही मेला लगता था.... बहुत ही जबरदस्त मेला... इतनी भीड़ रहती थी कुछ पता नहीं चलता था कि कौन कहां पर है..
और आज मेले का पहला दिन था...
मेरी रुपाली दीदी की शादी के बाद पहला मौका था उनके लिए इस मेले में फिर से शामिल होने के लिए... मेले में हजारों की संख्या में युवा मर्द और शादीशुदा औरतें, कुंवारी कन्या अभी आती थी...
औरतों के लिए यह मेला अपने सौंदर्य प्रदर्शन और अपने अंग प्रदर्शन का एक बेहतरीन मौका था..... और मर्दों के लिए तो एक शानदार मौका जहां पर वह किसी भी लड़की या औरत के साथ छेड़खानी करने का या फिर पटाने का अवसर हो...
शाम 5:00 बजे से ही मेरे घर में चहल पहल हो रही थी..
मेले में जाने के लिए तैयारी हो रही थी...
मेरी रूपाली दीदी लाल रंग के लहंगा और गुलाबी रंग की चोली में आज तो कामदेवी बनी हुई थी.... उनकी शादी के बाद यह उनके लिए पहला अवसर था मेले में जाने का... अपने सीने पर हरा रंग का दुपट्टा लिए हुए मेरी रूपाली दीदी सज धज के पूरी तैयार हो चुकी थी... होठों पर लाल लाल लिपस्टिक, बालों में गजरा , आंखों में कजरा.... देख कर ऐसा लग रहा था जैसे मेरी रूपाली दीदी एक फटने वाला बम हो....
क्या उबलती, फ़ड़कती जवानी ! गुलाबी, रेशमी त्वचा, गहरे भूरे रंग के घनेरे बाल, निखरता गोरा रंग !
फिगर ऐसी कि जोगी को भी भोगी बना डाले, बहुत ही सुन्दर पाँव, मुलायम और सुडौल, जिनको बार बार चूमने और चाटने का दिल करे !
मर्दों को चुनौती सी देते हुए सामने चूचुक और पीछे उसके मस्त नितम्ब !
क्या करे बेचारा आदमी, पागल ना हो जाये और क्या करे !
मेरी रूपाली दीदी एक ऐसा पूरा पका हुआ फल थी जिसको चूसने में देरी करना महा अपराध था...
मेरी रुपाली दीदी की दुधारू चूचियां चोली को फाड़ देने के लिए बेताब हो रही थी...
मेरी प्रियंका दीदी भी बिल्कुल मेरी रुपाली दीदी की तरह सजी हुई थी... बस चुचियों का फर्क था... वरना मेरी रूपाली दीदी और प्रियंका दीदी तो जुड़वा लग रही थी...
मेरी चंदा भाभी नीले रंग की लहंगा चोली में अपनी 40 साइज की चुचियों को किसी तरह से दबा के उछलते हुई हिरनी बनी हुई थी... सबके मन में बेहद उमंग था... सबके चेहरे पर खुशी दिखाई दे रही थी...
मैंने भी एक नया कुर्ता पजामा पहन लिया था... और मेले में जाने के लिए तैयार हो गया था... मेरे सभी दोस्त आ गए थे.... राजू ,बिल्लू, मुन्ना , यह सब मेरे दोस्त हैं... जिनके साथ में मेला देखने के लिए निकल पड़ा था..
महिलाओं की टोली अलग चल रही थी... जिसमें मेरी बहने ही आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी... गांव की सारी लड़कियां और औरतें मेरी रूपाली दीदी को छेड़ रही थी.... चंदा भाभी उनका साथ देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी..
दूसरी तरफ गांव की जवान मर्द जिनमें दिनेश ,रवि, मेरे होने वाले जीजू( अजय), और उनके साथियों की टोली चल रही थी...
सब लोग मस्ती में थे..
कुछ ही देर में हम लोग मेले के अंदर पहुंच चुके थे और वहां की भीड़ में खोने लगे थे.....
भीड़ इतनी ज्यादा थी कि कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि कौन कहां पर है... लेकिन एक बात जो मुझे सबसे ज्यादा परेशान कर रही थी वह यह थी कि पूरे रास्ते मेरी रूपाली दीदी और मेरे दोस्त बिल्लू के बीच में नैन मटक्का चल रहा था... दोनों अपनी आंखों से एक दूसरे को ना जाने क्या इशारा कर रहे हैं... मुझे शक होने लगा था कि मेरी रूपाली दीदी और बिल्लू के बीच कुछ ना कुछ तो पक रहा है...
मेले की भीड़ में मैं खो गया था.... और अपनी बहनों को ढूंढने की कोशिश कर रहा था.
मुझे ना तो मेरी बहने दिखाई दे रही थी ना ही मेरी चंदा भाभी... मेरे दोस्त भी मुझसे अलग हो चुके थे.. मैं एक चाट की दुकान के सामने जाकर खड़ा हो गया और स्टूल पर खड़ा होकर मेले में अपनी बहनों को ढूंढने लगा..
मुझे मेरी प्रियंका दीदी दिखाई देने लगी... चार आवारा लड़कों ने उनको घेर रखा था... कोई उनकी चोली को खींच रहा था तो कोई उनकी गांड को मसल रहा था.... मेरी दीदी तड़प रही थी लेकिन उन आवारा लड़कों ने मेरी बहन को खूब मसला....
यह एक आम बात थी इस मेले में जो हर औरत के साथ होता था...
मेरी प्रियंका दीदी कुछ भी नहीं कर सकती थी इस हालत में.... मैं भी कुछ नहीं कर सकता था सिर्फ देखने के अलावा... जिन लड़कों ने मेरी प्रियंका दीदी को दबोच रखा था वह देखने में मेरी उम्र के ही लग रहे थे.
मुझे ना तो मेरी बहने दिखाई दे रही थी ना ही मेरी चंदा भाभी... मेरे दोस्त भी मुझसे अलग हो चुके थे.. मैं एक चाट की दुकान के सामने जाकर खड़ा हो गया और स्टूल पर खड़ा होकर मेले में अपनी बहनों को ढूंढने लगा..
मुझे मेरी प्रियंका दीदी दिखाई देने लगी... चार आवारा लड़कों ने उनको घेर रखा था... कोई उनकी चोली को खींच रहा था तो कोई उनकी गांड को मसल रहा था.... मेरी दीदी तड़प रही थी लेकिन उन आवारा लड़कों ने मेरी बहन को खूब मसला....
यह एक आम बात थी इस मेले में जो हर औरत के साथ होता था...
मेरी प्रियंका दीदी कुछ भी नहीं कर सकती थी इस हालत में.... मैं भी कुछ नहीं कर सकता था सिर्फ देखने के अलावा... जिन लड़कों ने मेरी प्रियंका दीदी को दबोच रखा था वह देखने में मेरी उम्र के ही लग रहे थे.
मेरी प्रियंका दीदी भी कुछ ज्यादा विरोध नहीं कर रही थी... उनको अच्छी तरह पता था इस मेले में ऐसा तो होता ही है... मेरी दीदी हर साल इस मेले में आ रही थी... वह चारों लड़के मेरी प्रियंका दीदी को नोच रहे थे हर तरफ से... पर उन्होंने कपड़ा नहीं खोला था मेरी बहन का... यह देखकर मेरे मन में थोड़ी संतुष्टि हुई...
दूसरी तरफ मेरी चंदा भाभी खुद ही भीड़ के अंदर घुस गई थी... और सारे मर्द मेरी चंदा भाभी को चूम रहे थे चाट रहे थे... एक लड़के ने उनकी चोली को ऊपर उठा कर उनका चूची मुंह में ले लिया था चूसने लगा था...
भरे मेले में मेरी चंदा भाभी की चोली खुलने लगी थी...
पीछे से किसी ने उनका लहंगा उठा दिया था.... और चड्डी के ऊपर से उन की कमर को थाम के उनकी ठुकाई कर रहा था...
मेरी चंदा भाभी की चूची ऊपर न जाने कितने मर्द अपना हाथ साफ कर रहे थे मुंह में भी लेकर चूसने लगे थे.... मेरी भाभी को कोई एतराज नहीं था...
मेरी चंदा भाभी मदमस्त हो चुकी थी मर्दों की भीड़ में... उस भीड़ भाड़ में खुद को न्योछावर कर के मेरी चंदा भाभी मजे ले रही थी...
वह चार नौजवान लड़के जो मेरी प्रियंका दीदी के साथ छेड़छाड़ कर रहे थे... वह मेरी दीदी को हाथ पकड़े हुए उनको मेले से बाहर ले जा रहे थे गन्ने के खेत में... मेरी दीदी भी उनका विरोध नहीं कर रही थी बल्कि उनके साथ जा रही थी....
लेकिन मुझे मेरी रुपाली दीदी दिखाई नहीं दे रही थी... जो मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात थी.... इंस्पेक्टर हरिलाल को रिपोर्ट जो करना था...
काफी देर मेले में इधर-उधर भटकने के बाद मुझे मेरे रूपाली दीदी एक चूड़ी की दुकान पर खड़ी हुई दिखाई दी.... लेकिन हैरानी की बात यह थी कि मेरा दोस्त बिल्लू ठीक मेरी बहन के पीछे खड़ा था... उसका लौड़ा उसके पजामे में तना हुआ था और मेरी रूपाली दीदी की गांड पर दस्तक देने वाला था... यह दे दृश्य देखकर मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ मगर मैंने अपने आप पर काबू रखा..
मेरी रूपाली दीदी दुकान पर खड़ी हुई कांच की चूड़ियां खरीदने का प्रयास कर रही थी... और पीछे से बिल्लू लहंगे के ऊपर से ही मेरी बहन की गांड के ऊपर अपने खड़े लंड से ठोकर लगा रहा था..
चूड़ी वाले को भी देखकर अजीब लग रहा था कि वह मेरी बहन के साथ ऐसा क्यों कर रहा है....
मेरी दीदी ने भी पीछे हाथ करके बिल्लू को इशारा किया कि वह ऐसा ना करें सबके सामने..... लेकिन बिल्लू मान नहीं रहा था.... वह मेरी बहन की गांड के ऊपर दबाव बनाते जा रहा था.
मेरी दीदी कसमसा रही थी....
अचानक एक भीड़ का ठेला आया और मैं मेले की भीड़ में गुम हो गया.. मैं यहां वहां अपनी रूपाली दीदी को ढूंढता रहा.... लेकिन मेरी दीदी मुझे दिखाई नहीं दी.... मैंने उस मेले का हर कोना छान मारा लेकिन मेरी रूपाली दीदी गायब थी... और मुझे बिल्लू भी दिखाई नहीं दे रहा था...
मैं परेशान तकरीबन 30 मिनट तक मेरी रूपाली दीदी को ढूंढता रहा मेले में हर दुकान पर... ना तो मुझे रूपाली दीदी दिखाई दी और ना ही मेरा दोस्त बिल्लू... मेरे मन का यकीन में बदल चुका था... दोनों के बीच जरूर कोई सांठगांठ है.... मैं मेले से बाहर निकल कर आ गया... और एक पुल के ऊपर बैठकर सोचने लगा था... सामने गन्ने का खेत था... जिसमें गांव के युवक और युवती एक दूसरे का हाथ पकड़ कर जा रहे थे... मुझे पूरा यकीन था कि मेरी प्रियंका दीदी और मेरी चंदा भाभी भी इन्हीं गन्ने के खेत में मर्दों के साथ रंगरेलियां मना रही होगी..... लेकिन मेरी रूपाली दीदी... बिल्लू आखिर मेरी रूपाली दीदी को किस जगह पर ले गया होगा..
मेरे दिमाग में एक बिजली सी दौड़ गई... गन्ने के खेतों के पीछे एक पुराना खंडहर था.... जहां पर मैं और बिल्लू अक्सर रात में जाया करते थे... मुझे समझ में आ चुका था कि मेरी रूपाली दीदी बिल्लू के साथ कहां पर होगी....
गन्ने का खेत पार करने के दौरान मैंने अपने गांव की कई लड़कियों को नीचे बिछे हुए देखा.... जिन लड़कियों को मैं गांव में दीदी बोलता था वह गन्ने के खेत में टांग पसारे हुए लेटी हुई थी... और अनजान मर्द उनकी कस के ठुकाई कर रहे थे... मैंने कोई परवाह नहीं की..
मैं खंडहर के पास पहुंच गया था... वह एक पुराना खंडहर था.... भूत प्रेत की वजह से वहां पर कोई भी नहीं जाता था... इतने सारे टूटे-फूटे कमरे बने हुए थे वहां पर... मैं बारी-बारी से हर कमरे के अंदर झांक कर देखने की कोशिश करने लगा...
एक कमरे के अंदर से मुझे मेरे रुपाली दीदी की आवाज सुनाई देने लगी.
सिसकती हुई मेरी बहन की आवाज...
मैंने जो करना हो कर उस कमरे के अंदर झांका तो अंदर का दृश्य ही अजीब था..... मेरे रूपाली दीदी की दोनों चूचियां चोली के बाहर झूल रही थी..... और बिल्लू मेरी बहन की चूचियां के साथ खेल रहा है..
वह मेरी रूपाली दीदी की एक चूची को मुंह में लेकर दूध पीता हुआ दूसरी चूची को दबाता हुआ दूध निकाल रहा था....
और मेरी दीदी आंखें बंद किए हुए सिसकारियां ले रही थी...
मेरी रूपाली दीदी बिल्लू की लप-लप आती जीव काहे सास अपनी चुचियों पर पाकर बुरी तरह से मचल लगी थी..... मेरी रुपाली दीदी बिल्लू का सर अपने सीने से दबाए हुए उसको अपना दूध पिला रही थी...
मेरी रूपाली दीदी( सिसकते हुए कामुकता से): आअहह... बिल्लू... दांत से तो मत काटो ना.... हमारा दूध पी लो.... जितना पीना है..
बिल्लू चूची बदल बदल कर मेरी रूपाली दीदी का दूध पी रहा है.... और मेरी बहन भी उसको अपने सीने से चिपका कर अपना दूध पिला रही थी.
मेरी बहन की चूचियों का दूध खत्म नहीं हुआ था... लेकिन बिल्लू का पेट भर गया था.... मेरी रूपाली दीदी के निप्पल को अपने मुंह से निकाल कर वह बोला...
बिल्लू: बहुत ही मीठा दूध है तेरा बहन की लोड़ी....
चटकार लेता हुआ बिल्लू मेरी रूपाली दीदी की आंखों में देख रहा था.
मेरी रूपाली दीदी: तुमने मेरा दूध तो पी लिया.. अब क्या चाहते हो बिल्लू......?
बिल्लू: तेरे हरे भरे खेत की जुताई करना चाहता हूं... तेरी मुनिया में अपना मक्खन डालना चाहता हूं बहन की लोड़ी ...
मेरी बहन नीचे लेट गई... अपना लहंगा उठा कर और अपनी चड्डी को नीचे सरकार के टांगे फैलाए हुए मेरी दीदी उसको आमंत्रित करने लगी..
बिल्लू का लौड़ा तो पहले से ही फनफन आया हुआ था.
उसने मेरी बहन की टांगों को और भी चौड़ा किया और फिर मेरी दीदी के अंदर ठोक दिया... अपना मुसल जैसा लोड़ा....