02-11-2021, 03:32 PM
हॉट लड़की नेहा की चूत
बात तब की है जब मैं डिप्लोमा सेकण्ड ईयर में था और गर्मी की छुट्टी में मुझे कॉलेज से बोला गया कि किसी कंपनी में ट्रेनिंग कर लोगे तो बाद में अच्छा जॉब मिलगा।
मैंने अपने पापा के एक दोस्त से बात की, उन्होंने मुझे उड़ीसा के राउरकेला स्टील प्लांट में ट्रेनिंग करने की सलाह दी और मुझ से कहा कि तुम अपने कॉलेज से लिखवा कर मुझे भेज दो, मैं सब बात कर लूँगा।
मैंने भेज दिया।
कुछ दिन के बाद उनका फोन आया कि सात तारीख से तुम्हारी ट्रेनिंग शुरू हो रही है और तुम पाँच तारीख को आ जाओ।
मैं पटना से ट्रेन पकड़ कर राउरकेला आ गया। चूँकि पापा के दोस्त को थोड़ा काम था तो उन्होंने मुझे लेने के लिए अपनी बेटी को भेज दिया था।
जब मैं राउरकेला स्टेशन पर उतरा और बाहर निकला तो उनकी बेटी का फोन आया।
मैं बोला- मैं पूछताछ खिड़की के पास खड़ा हूँ।
वो बोली- मैं आती हूँ।
तभी मैंने देखा कि एक लड़की मेरी तरफ बढ़ रही है। देखने में तो एकदम माल लग रही थी। एकदम गोरी-चिट्टी, बाल हल्के सुनहरे रंग की बड़ी-बड़ी आँखें, पतले से होंठ, लंबी गर्दन, बड़ी-बड़ी चूचियाँ, ऐसी कि कोई भी उसको देखने से पहली उसकी चूची को ही देखेगा और उसके चूतड़! हे भगवान, नहीं चाहते हुए भी पतली कमर के नीचे उठे हुए चूतड़ देख कर तो मैं गश खाते बचा। कुल मिला कर वो दिखने में किसी हीरोईन की तरह दिख रही थी।
उसने खुले गले का शॉर्ट टाइट गुलाबी टी-शर्ट और ब्लू टाइट कैपरी पहनी थी, जिससे उसकी नंगी गोरी टाँगें दिख रही थीं। उसकी उम्र 22-23 के आस-पास होगी। उसका फिगर भी कमाल का था, 34बी-28-34 होगा।
उसके आस-पास के सारे लड़के उसको घूर रहे थे, मैं भी कहाँ पीछे था।
वो मेरे पास आई और बोली- सुभाष?
तो मैं हड़बड़ाया और ‘हाँ’ बोला तो वो मुस्कुरा दीऔर बोली- मैं नेहा!
और अपना हाथ बढ़ाया तो मैंने भी हाथ मिलाया। इसी बहाने उसको छूने का तो मौका मिला। क्या कोमल हाथ थे उसके! मन कर रहा था कि अभी इसको चोद दूँ।
वो बोली- घर चलें?
मैं बोला- हाँ।
वो आगे-आगे और मैं उसके पीछे-पीछे चलने लगा और उसके चूतड़ देख रहा था। देखता भी कैसे नहीं, उसकी कैपरी एकदम कसी होने के कारण उसके चूतड़ और भी उठे हुए दिख रहे थे। जब वो चल रही थी तो ऐसा लग रहा था कि उसके चूतड़ बंद-खुल रहे हों!
हम लोग कार में बैठ गये और उसके साथ घर चल दिए तो रास्ते में उसने बताया कि वो राउरकेला से ही इंजीनियरिंग कर रही है और वो भी अभी थर्ड ईयर में है, और हम दोनों का ब्रांच भी एक है और वो भी इस बार आर.एस.पी में ट्रेनिंग करेगी।
हम लोग घर पहुँचे और सबको प्रणाम किया उसके घर में 3 लोग थे उसकी मम्मी, पापा और एक भाई जो भोपाल में इंजीनियरिंग कर रहा था, वो इस बार छुट्टी में नहीं आया था।
मैंने उसकी माँ को देखा तो मन में सोचा अब पता चला कि ये इतनी मस्त माल कैसे है!
उसकी माँ की उमर 40 के आस-पास होगी लेकिन देखने में 28-30 की लग रही थीं। उनको देख कर लगता ही नहीं था कि वो नेहा की माँ है मुझे लगा वो नेहा की बड़ी बहन हैं।
वो तब नाइट ड्रेस में थीं, उनका फिगर भी कमाल का था 36ब-30-34 होगी और वो शायद अंदर ब्रा और पैंटी भी नहीं पहनी थी जिससे मुझे उनके भी चूतड़ और चूची बड़ी आसानी से नुमायां हो रहे थे।
आंटी मुझसे बोलीं- तुम थक गये हो गए होगे, जाओ तुम नहा लो, मैं खाना लगा देती हूँ।
नेहा ने मुझे बाथरूम दिखाया। मैं नहाने चला गया। जब मैं नहा कर निकला तो मैं सिर्फ़ तौलिया लपेटे हुए था।
मैंने देखा कि नेहा मुझे निहार रही थी।
फिर हम लोगों ने खाना खाया। तब तक अंकल भी आ गए। उन्होंने मुझसे थोड़ी बात की और बोले कि तुम्हें यहीं रहना है, जब तक तुम्हारी ट्रेनिंग चले। वैसे भी मैं कंपनी के काम से 40 दिन के लिए ओडिशा से बाहर जा रहा हूँ। तुम रहोगे तो मैं आराम से जा सकता हूँ, कोई टेंशन भी नहीं रहेगी।
मैं बोला- जी!
फिर बोले- तुम्हारे पापा मेरे अच्छे दोस्त हैं। हम लोग साथ में पढ़ते थे। वो तो कभी आता नहीं है लेकिन तुम आए हो तो मुझे अच्छा लग रहा है। अच्छा एक काम करना कि कल नेहा के साथ जाकर दोनों का गेट पास ले आना।
दूसरे दिन गए और गेट पास ले कर सात तारीख से आर.एस.पी जाने लगे।
कार तो अंकल ले गये थे। सो हम लोगों को नेहा के स्कूटी से जाना पड़ता था। वैसे स्कूटी से जाने से मुझे फ़ायदा ही मिलता था, वो मुझसे सट कर तो बैठती थी।
इसी तरह 5 दिन बीत गए।
एक दिन सुबह मुझे पेशाब लगी और मैं नींद में ही बाथरूम गया। लेकिन उसका दरवाजा उड़का हुआ था तो मैं खोल कर अंदर गया और अपना लंड निकाल कर शुरू हो गया। तभी मुझे पीछे से किसी की आवाज आई तो मैंने पीछे मुड़ कर देखा कि नेहा नंगी नहा रही है, शायद वो दरवाजे की कुण्डी लगाना भूल गई थी।
उसने मुझे देख कर एक हाथ से अपनी चूची और एक हाथ से अपनी चूत को छुपा ली और बोली- तुम यहाँ क्या कर रहे हो?
मैं बोला- पेशाब करने आया था। तुमको डोर लॉक कर के नहाना चाहिए था ना!
बोली- ठीक है, अब जाओ यहाँ से।
मैं जाने लगा तो मेरे लंड की तरफ इशारा करते हुए बोली- उसको तो अंदर कर लो।
मैंने हँस कर उसको देखा और अपने लंड को अंदर कर के वहाँ से निकल गया।
लेकिन मेरे मन में उसका नंगा बदन घूम रहा था। उसके ऊपर पानी की बूँदें देख कर लग रहा था कि जैसे कोई परी हो, और उसके ऊपर मोती सजे हुए हों।
मैं जाकर क्या सोता! मुझे नींद ही नहीं आ रही थी। बस उसका चेहरा ही घूम रहा था।
तभी आंटी आईं और बोलीं- आज तुम लोगों को जाना नहीं है क्या?
तो मैं जल्दी-जल्दी में तैयार हुआ और नीचे आ गया। नेहा मेरा इन्तजार कर रही थी। मैंने स्कूटी स्टार्ट की, वो पीछे बैठ गई और आर.एस.पी. पहुँचने के बाद कुछ दूर जब पैदल जा रहे थे तब वो बोली- तुमने आज कुछ देखा तो नहीं?
“नहीं, सब कुछ देखा!”
वो बोली- क्यों देखा?
मैं बोला- तुमने भी तो देखा मेरी नुन्नू को।
वो बोली- वो तो ग़लती से दिख गया।
मैं बोला- तो क्या मैं जानबूझ कर तुझे देखने गया था?
तो वो बोली- अगर पता होता तो नहीं आते क्या?
मैं बोला- नहीं, तब मैं नींद में था। अगर पता होता कि तुम मेरा इन्तजार कर रही हो तो मैं आँख खोल कर आता और पूरा मज़ा लेता।
तो वो हँसने लगी और वो मेरा हाथ पकड़ कर चलने लगी। जो भी हमें देख रहा था, उसे लग रहा था कि हम लोग बायफ्रेंड-गर्लफ्रेंड हैं। कुछ दूर चलने के बाद मैं उसे कमर में हाथ डाल के चलने लगा तो वो कुछ नहीं बोली। और मैं मन ही मन में सोच रहा था कि अब तो यह आराम से चुद जाए तो मजा आए।
तब तक हमारे ट्रेनिंग की जगह आ गई और हम अंदर चले गए।
कुछ देर बाद जब हम लोगों को वहाँ से छुट्टी मिली तो मैं बोला- क्यों ना आज हम जंगल से होकर चलें?
तो वो मान गई। मैं उसके कमर में हाथ डाल कर चल रहा था। जैसे ही सुनसान सी जगह आई तो मैंने उसके टी-शर्ट के अंदर हाथ घुसा कर उसकी नंगी कमर को सहलाते हुए चलने लगा और बीच-बीच में उसकी कमर को सहला भी रहा था, लेकिन वो कुछ नहीं बोल रही थी, तो मन ही मन सोचा कि शायद यह भी चुदना चाहती हो।
मैंने अपना हाथ उसकी कमर से हटा कर उसके कंधे पर रखा और टॉप के ऊपर से ही उसकी चूची दबाने लगा। वो तो आँख बंद करके मज़ा ले रही थी तो मैने हाथ उसके टॉप के अंदर डाल दिया वैसे भी वो खुले गले का टॉप पहनती थी तो हाथ डालने में कोई दिक्कत नहीं हुई और मैं उसकी चूची को दबाने लगा।
वो मुझ से चिपक गई और मुझे किस करने लगी, मैं भी साथ देने लगा और अपने हाथ से उसके चूतड़ दबाने लगा।
कुछ देर ऐसा करने के बाद के बाद मैं बोला- नेहा, मुझे तुम्हारी चूची पीनी है!
और उसका टॉप ऊपर कर दिया और ब्रा के उपर से ही उसकी चूची पीने लगा। फिर उसकी ब्रा को भी खोल दिया और उसकी नंगी चूची को चूसने लगा।
कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं उसके कैपरी के बटन को खोलने लगा तो उसने मना कर दिया।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- सब्र करो मेरे राजा, यहाँ कोई आ गया तो हम पकड़े जा सकते हैं। एक काम करो रात को अपने रूम का डोर लॉक मत करना। जब सब सो जायेंगे तब मैं तुम्हारे रूम में आऊँगी।
मैं मान गया तो वो अपने कपड़े ठीक करने लगी। मैंने पूछा- अगर नहीं आईं तो?
वो बोली- आऊँगी ज़रूर आऊँगी, लेकिन अगर भरोसा नहीं हो रहा है तो तुम्हारे हाथ में जो ब्रा है, उसे अपने पास रख लो। मैं जब आऊँगी तो पहना देना।
मैं मान गया और उसको किस करके ब्रा को अपने पास रख कर चलने लगा। हम दोनों स्कूटी से घर पहुँच गए और पूरे रास्ते वो मुझसे चिपक कर अपनी चूची के निप्पल की चुभन मुझे देती रही।
हम लोग घर पहुँच कर रात होने का इंतजार कर रहे थे। सब लोग खाना खाकर अपने-अपने कमरे में सोने चले गये। मैं भी अपने कमरे में जाकर नेहा का इंतजार करने लगा, तब मैंने कुछ नहीं बस एक तौलिया लपेट कर लेटा हुआ था।
मैंने देखा कि दरवाजा खुल रहा है तो मै आँखें बंद करके सोने का नाटक करने लगा। वो अंदर आ गई। उसने कुछ ज्यादा नहीं बस पैंटी और लड़कों की बनियान की तरह कोई जालीदार सी गंजी पहन रखी थी। और वो मुस्कुराते हुए मेरी जाँघों को सहलाने लगी और हाथ अंदर डाल कर मेरे लंड को पकड़ लिया।
मैंने आँख खोल कर उसको देखा, वो मुस्कुराते हुए मुझे देख कर बोली- सब सो गये हैं।
वो मेरी दोनों टाँगों के बीच में आ गई और मेरे तौलिये को खोल दिया। मेरे लंड के पास मुँह लगा कर मेरे लंड को जीभ से चाटने लगी, लंड को पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। वो मेरे लंड को ऐसे चूस रही थी जैसे आइसक्रीम खा रही हो, उसी तरह प्यार से चूस रही थी।
फिर मैं उठा और उसके होंठ चूमने लगा और एक हाथ से उसकी चूची को भी दबा रहा था फिर उसके ऊपर के कपड़े को हटा कर उसकी चूची को निकाल लिया और किस करते हुए उसको मसलने लगा तो वो भी मेरे लंड को सहलाने लगी।
मैं उसके होंठों को छोड़ कर उसकी गर्दन से चूमते हुए उसकी चूची पर अपने होंठों को टिका दिया, उसके निप्पल को अपनी जीभ से चुभलाने लगा और अपने हाथ को उसकी चूत के पास ले जाकर सहलाने लगा और फिर उसको बेड पर लिटा दिया।
उसकी चूत के पास एक हुक था, जो खोल दिया तब मुझे लगा अरे यार ये कोई जालीदार कपड़ा ही था जो चूत से चूची तक था और हुक खोलते ही मुझे उसकी नंगी चूत दिखने लगी और मुझे लगा कि आज इसने अपनी चूत को मुझ से चुदने के लिए ही साफ की है।
मैं उसके चूतड़ों को सहलाते हुए उसकी दोनों टाँगों के बीच में आ गया और उसकी चूत को चाटने लगा। क्या चूत पाई थी! मैं तो खुदकिस्मत था जो चूत को चाट रहा था, फिर जीभ अंदर बाहर करने लगा। मैं तो चूत को ऐसे काटने लगा, जैसे तरबूज को खा रहा हूँ।
उसके मुँह से मीठी सी सीत्कार निकल रही थी। वो अपने हाथों से अपनी ही चूचियों को मसलने लगी।
मैं उठा और आगे बढ़ गया और उसकी दोनों टाँगों को उठा कर चूत के पास लंड को रगड़ने लगा, फिर लंड को चूत के छेद में अंदर डालने की कोशिश करने लगा और हल्का सा धकेला।
मेरा लंड थोड़ा अंदर चला गया और उसके मुँह से ‘आआआहहा’ की आवाज आई लेकिन उसने अपने होंठों को दबा लिया। मैंने एक झटका मारा और पूरा लंड अंदर चला गया। मैंने उसके दोनों पैरों को उठा दिया और अंदर-बाहर करने लगा और बीच-बीच में उसकी चूची और पूरे बदन को सहला और दबा रहा था और कभी-कभी उसके उरोजों को अपने होंठों से चूम भी रहा था।
कुछ देर बाद जब वो भी मजा लेने लगी तो मैं नीचे लेट गया और वो मेरे ऊपर आ गई और खुद ऊपर-नीचे होकर चुदने लगी तो मैंने भी नीचे से झटके मारने लगा।
मैंने उसके पैरों को नीचे करके उसके दोनों चूतड़ों को पकड़ कर उठा लिया, लौड़े को अंदर-बाहर करने लगा और वो भी कमर हिला-हिला कर चुदवा रही थी।
फिर मैंने उसको घोड़ी बनाया और उसको धकाधक चोदने लगा। मैं जितने स्पीड से आगे-पीछे हो रहा था, वो भी उतनी ही स्पीड से आगे-पीछे हो रही थी।
चुदते-चुदते वो सीधी बेड पर लेट गई और मैं ऊपर से ही झटके मारने लगा। पूरे कमरे में “आह हाआआ आअउ उम्म्म्ममा आआ आअ ऊऊ ऊओफ फफ्फ़” की आवाज गूँज रही थी।
और फिर जब मैं झड़ने वाला था तो लंड को बाहर निकाल कर उसके मुँह में अपना माल छोड़ दिया और उसने बड़े स्वाद से मेरा माल चाट-चाट कर मेरे लण्ड को साफ कर दिया।
बहुत थकान हो गई थी, कुछ देर हम लोग लेटे रहे।
नेहा बोली- कैसा लगा? मजा आया ना! अब मैंने अपना वादा निभा दिया है। अब तुम भी अपने हाथ से मुझे ब्रा पहना दो।
मैं मुस्कुराने लगा और उसकी ब्रा पहना दी और वो वहाँ से चली गई।
जब तक राउरकेला में रहा, उसको मैंने कई बार चोदा!
बात तब की है जब मैं डिप्लोमा सेकण्ड ईयर में था और गर्मी की छुट्टी में मुझे कॉलेज से बोला गया कि किसी कंपनी में ट्रेनिंग कर लोगे तो बाद में अच्छा जॉब मिलगा।
मैंने अपने पापा के एक दोस्त से बात की, उन्होंने मुझे उड़ीसा के राउरकेला स्टील प्लांट में ट्रेनिंग करने की सलाह दी और मुझ से कहा कि तुम अपने कॉलेज से लिखवा कर मुझे भेज दो, मैं सब बात कर लूँगा।
मैंने भेज दिया।
कुछ दिन के बाद उनका फोन आया कि सात तारीख से तुम्हारी ट्रेनिंग शुरू हो रही है और तुम पाँच तारीख को आ जाओ।
मैं पटना से ट्रेन पकड़ कर राउरकेला आ गया। चूँकि पापा के दोस्त को थोड़ा काम था तो उन्होंने मुझे लेने के लिए अपनी बेटी को भेज दिया था।
जब मैं राउरकेला स्टेशन पर उतरा और बाहर निकला तो उनकी बेटी का फोन आया।
मैं बोला- मैं पूछताछ खिड़की के पास खड़ा हूँ।
वो बोली- मैं आती हूँ।
तभी मैंने देखा कि एक लड़की मेरी तरफ बढ़ रही है। देखने में तो एकदम माल लग रही थी। एकदम गोरी-चिट्टी, बाल हल्के सुनहरे रंग की बड़ी-बड़ी आँखें, पतले से होंठ, लंबी गर्दन, बड़ी-बड़ी चूचियाँ, ऐसी कि कोई भी उसको देखने से पहली उसकी चूची को ही देखेगा और उसके चूतड़! हे भगवान, नहीं चाहते हुए भी पतली कमर के नीचे उठे हुए चूतड़ देख कर तो मैं गश खाते बचा। कुल मिला कर वो दिखने में किसी हीरोईन की तरह दिख रही थी।
उसने खुले गले का शॉर्ट टाइट गुलाबी टी-शर्ट और ब्लू टाइट कैपरी पहनी थी, जिससे उसकी नंगी गोरी टाँगें दिख रही थीं। उसकी उम्र 22-23 के आस-पास होगी। उसका फिगर भी कमाल का था, 34बी-28-34 होगा।
उसके आस-पास के सारे लड़के उसको घूर रहे थे, मैं भी कहाँ पीछे था।
वो मेरे पास आई और बोली- सुभाष?
तो मैं हड़बड़ाया और ‘हाँ’ बोला तो वो मुस्कुरा दीऔर बोली- मैं नेहा!
और अपना हाथ बढ़ाया तो मैंने भी हाथ मिलाया। इसी बहाने उसको छूने का तो मौका मिला। क्या कोमल हाथ थे उसके! मन कर रहा था कि अभी इसको चोद दूँ।
वो बोली- घर चलें?
मैं बोला- हाँ।
वो आगे-आगे और मैं उसके पीछे-पीछे चलने लगा और उसके चूतड़ देख रहा था। देखता भी कैसे नहीं, उसकी कैपरी एकदम कसी होने के कारण उसके चूतड़ और भी उठे हुए दिख रहे थे। जब वो चल रही थी तो ऐसा लग रहा था कि उसके चूतड़ बंद-खुल रहे हों!
हम लोग कार में बैठ गये और उसके साथ घर चल दिए तो रास्ते में उसने बताया कि वो राउरकेला से ही इंजीनियरिंग कर रही है और वो भी अभी थर्ड ईयर में है, और हम दोनों का ब्रांच भी एक है और वो भी इस बार आर.एस.पी में ट्रेनिंग करेगी।
हम लोग घर पहुँचे और सबको प्रणाम किया उसके घर में 3 लोग थे उसकी मम्मी, पापा और एक भाई जो भोपाल में इंजीनियरिंग कर रहा था, वो इस बार छुट्टी में नहीं आया था।
मैंने उसकी माँ को देखा तो मन में सोचा अब पता चला कि ये इतनी मस्त माल कैसे है!
उसकी माँ की उमर 40 के आस-पास होगी लेकिन देखने में 28-30 की लग रही थीं। उनको देख कर लगता ही नहीं था कि वो नेहा की माँ है मुझे लगा वो नेहा की बड़ी बहन हैं।
वो तब नाइट ड्रेस में थीं, उनका फिगर भी कमाल का था 36ब-30-34 होगी और वो शायद अंदर ब्रा और पैंटी भी नहीं पहनी थी जिससे मुझे उनके भी चूतड़ और चूची बड़ी आसानी से नुमायां हो रहे थे।
आंटी मुझसे बोलीं- तुम थक गये हो गए होगे, जाओ तुम नहा लो, मैं खाना लगा देती हूँ।
नेहा ने मुझे बाथरूम दिखाया। मैं नहाने चला गया। जब मैं नहा कर निकला तो मैं सिर्फ़ तौलिया लपेटे हुए था।
मैंने देखा कि नेहा मुझे निहार रही थी।
फिर हम लोगों ने खाना खाया। तब तक अंकल भी आ गए। उन्होंने मुझसे थोड़ी बात की और बोले कि तुम्हें यहीं रहना है, जब तक तुम्हारी ट्रेनिंग चले। वैसे भी मैं कंपनी के काम से 40 दिन के लिए ओडिशा से बाहर जा रहा हूँ। तुम रहोगे तो मैं आराम से जा सकता हूँ, कोई टेंशन भी नहीं रहेगी।
मैं बोला- जी!
फिर बोले- तुम्हारे पापा मेरे अच्छे दोस्त हैं। हम लोग साथ में पढ़ते थे। वो तो कभी आता नहीं है लेकिन तुम आए हो तो मुझे अच्छा लग रहा है। अच्छा एक काम करना कि कल नेहा के साथ जाकर दोनों का गेट पास ले आना।
दूसरे दिन गए और गेट पास ले कर सात तारीख से आर.एस.पी जाने लगे।
कार तो अंकल ले गये थे। सो हम लोगों को नेहा के स्कूटी से जाना पड़ता था। वैसे स्कूटी से जाने से मुझे फ़ायदा ही मिलता था, वो मुझसे सट कर तो बैठती थी।
इसी तरह 5 दिन बीत गए।
एक दिन सुबह मुझे पेशाब लगी और मैं नींद में ही बाथरूम गया। लेकिन उसका दरवाजा उड़का हुआ था तो मैं खोल कर अंदर गया और अपना लंड निकाल कर शुरू हो गया। तभी मुझे पीछे से किसी की आवाज आई तो मैंने पीछे मुड़ कर देखा कि नेहा नंगी नहा रही है, शायद वो दरवाजे की कुण्डी लगाना भूल गई थी।
उसने मुझे देख कर एक हाथ से अपनी चूची और एक हाथ से अपनी चूत को छुपा ली और बोली- तुम यहाँ क्या कर रहे हो?
मैं बोला- पेशाब करने आया था। तुमको डोर लॉक कर के नहाना चाहिए था ना!
बोली- ठीक है, अब जाओ यहाँ से।
मैं जाने लगा तो मेरे लंड की तरफ इशारा करते हुए बोली- उसको तो अंदर कर लो।
मैंने हँस कर उसको देखा और अपने लंड को अंदर कर के वहाँ से निकल गया।
लेकिन मेरे मन में उसका नंगा बदन घूम रहा था। उसके ऊपर पानी की बूँदें देख कर लग रहा था कि जैसे कोई परी हो, और उसके ऊपर मोती सजे हुए हों।
मैं जाकर क्या सोता! मुझे नींद ही नहीं आ रही थी। बस उसका चेहरा ही घूम रहा था।
तभी आंटी आईं और बोलीं- आज तुम लोगों को जाना नहीं है क्या?
तो मैं जल्दी-जल्दी में तैयार हुआ और नीचे आ गया। नेहा मेरा इन्तजार कर रही थी। मैंने स्कूटी स्टार्ट की, वो पीछे बैठ गई और आर.एस.पी. पहुँचने के बाद कुछ दूर जब पैदल जा रहे थे तब वो बोली- तुमने आज कुछ देखा तो नहीं?
“नहीं, सब कुछ देखा!”
वो बोली- क्यों देखा?
मैं बोला- तुमने भी तो देखा मेरी नुन्नू को।
वो बोली- वो तो ग़लती से दिख गया।
मैं बोला- तो क्या मैं जानबूझ कर तुझे देखने गया था?
तो वो बोली- अगर पता होता तो नहीं आते क्या?
मैं बोला- नहीं, तब मैं नींद में था। अगर पता होता कि तुम मेरा इन्तजार कर रही हो तो मैं आँख खोल कर आता और पूरा मज़ा लेता।
तो वो हँसने लगी और वो मेरा हाथ पकड़ कर चलने लगी। जो भी हमें देख रहा था, उसे लग रहा था कि हम लोग बायफ्रेंड-गर्लफ्रेंड हैं। कुछ दूर चलने के बाद मैं उसे कमर में हाथ डाल के चलने लगा तो वो कुछ नहीं बोली। और मैं मन ही मन में सोच रहा था कि अब तो यह आराम से चुद जाए तो मजा आए।
तब तक हमारे ट्रेनिंग की जगह आ गई और हम अंदर चले गए।
कुछ देर बाद जब हम लोगों को वहाँ से छुट्टी मिली तो मैं बोला- क्यों ना आज हम जंगल से होकर चलें?
तो वो मान गई। मैं उसके कमर में हाथ डाल कर चल रहा था। जैसे ही सुनसान सी जगह आई तो मैंने उसके टी-शर्ट के अंदर हाथ घुसा कर उसकी नंगी कमर को सहलाते हुए चलने लगा और बीच-बीच में उसकी कमर को सहला भी रहा था, लेकिन वो कुछ नहीं बोल रही थी, तो मन ही मन सोचा कि शायद यह भी चुदना चाहती हो।
मैंने अपना हाथ उसकी कमर से हटा कर उसके कंधे पर रखा और टॉप के ऊपर से ही उसकी चूची दबाने लगा। वो तो आँख बंद करके मज़ा ले रही थी तो मैने हाथ उसके टॉप के अंदर डाल दिया वैसे भी वो खुले गले का टॉप पहनती थी तो हाथ डालने में कोई दिक्कत नहीं हुई और मैं उसकी चूची को दबाने लगा।
वो मुझ से चिपक गई और मुझे किस करने लगी, मैं भी साथ देने लगा और अपने हाथ से उसके चूतड़ दबाने लगा।
कुछ देर ऐसा करने के बाद के बाद मैं बोला- नेहा, मुझे तुम्हारी चूची पीनी है!
और उसका टॉप ऊपर कर दिया और ब्रा के उपर से ही उसकी चूची पीने लगा। फिर उसकी ब्रा को भी खोल दिया और उसकी नंगी चूची को चूसने लगा।
कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं उसके कैपरी के बटन को खोलने लगा तो उसने मना कर दिया।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- सब्र करो मेरे राजा, यहाँ कोई आ गया तो हम पकड़े जा सकते हैं। एक काम करो रात को अपने रूम का डोर लॉक मत करना। जब सब सो जायेंगे तब मैं तुम्हारे रूम में आऊँगी।
मैं मान गया तो वो अपने कपड़े ठीक करने लगी। मैंने पूछा- अगर नहीं आईं तो?
वो बोली- आऊँगी ज़रूर आऊँगी, लेकिन अगर भरोसा नहीं हो रहा है तो तुम्हारे हाथ में जो ब्रा है, उसे अपने पास रख लो। मैं जब आऊँगी तो पहना देना।
मैं मान गया और उसको किस करके ब्रा को अपने पास रख कर चलने लगा। हम दोनों स्कूटी से घर पहुँच गए और पूरे रास्ते वो मुझसे चिपक कर अपनी चूची के निप्पल की चुभन मुझे देती रही।
हम लोग घर पहुँच कर रात होने का इंतजार कर रहे थे। सब लोग खाना खाकर अपने-अपने कमरे में सोने चले गये। मैं भी अपने कमरे में जाकर नेहा का इंतजार करने लगा, तब मैंने कुछ नहीं बस एक तौलिया लपेट कर लेटा हुआ था।
मैंने देखा कि दरवाजा खुल रहा है तो मै आँखें बंद करके सोने का नाटक करने लगा। वो अंदर आ गई। उसने कुछ ज्यादा नहीं बस पैंटी और लड़कों की बनियान की तरह कोई जालीदार सी गंजी पहन रखी थी। और वो मुस्कुराते हुए मेरी जाँघों को सहलाने लगी और हाथ अंदर डाल कर मेरे लंड को पकड़ लिया।
मैंने आँख खोल कर उसको देखा, वो मुस्कुराते हुए मुझे देख कर बोली- सब सो गये हैं।
वो मेरी दोनों टाँगों के बीच में आ गई और मेरे तौलिये को खोल दिया। मेरे लंड के पास मुँह लगा कर मेरे लंड को जीभ से चाटने लगी, लंड को पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। वो मेरे लंड को ऐसे चूस रही थी जैसे आइसक्रीम खा रही हो, उसी तरह प्यार से चूस रही थी।
फिर मैं उठा और उसके होंठ चूमने लगा और एक हाथ से उसकी चूची को भी दबा रहा था फिर उसके ऊपर के कपड़े को हटा कर उसकी चूची को निकाल लिया और किस करते हुए उसको मसलने लगा तो वो भी मेरे लंड को सहलाने लगी।
मैं उसके होंठों को छोड़ कर उसकी गर्दन से चूमते हुए उसकी चूची पर अपने होंठों को टिका दिया, उसके निप्पल को अपनी जीभ से चुभलाने लगा और अपने हाथ को उसकी चूत के पास ले जाकर सहलाने लगा और फिर उसको बेड पर लिटा दिया।
उसकी चूत के पास एक हुक था, जो खोल दिया तब मुझे लगा अरे यार ये कोई जालीदार कपड़ा ही था जो चूत से चूची तक था और हुक खोलते ही मुझे उसकी नंगी चूत दिखने लगी और मुझे लगा कि आज इसने अपनी चूत को मुझ से चुदने के लिए ही साफ की है।
मैं उसके चूतड़ों को सहलाते हुए उसकी दोनों टाँगों के बीच में आ गया और उसकी चूत को चाटने लगा। क्या चूत पाई थी! मैं तो खुदकिस्मत था जो चूत को चाट रहा था, फिर जीभ अंदर बाहर करने लगा। मैं तो चूत को ऐसे काटने लगा, जैसे तरबूज को खा रहा हूँ।
उसके मुँह से मीठी सी सीत्कार निकल रही थी। वो अपने हाथों से अपनी ही चूचियों को मसलने लगी।
मैं उठा और आगे बढ़ गया और उसकी दोनों टाँगों को उठा कर चूत के पास लंड को रगड़ने लगा, फिर लंड को चूत के छेद में अंदर डालने की कोशिश करने लगा और हल्का सा धकेला।
मेरा लंड थोड़ा अंदर चला गया और उसके मुँह से ‘आआआहहा’ की आवाज आई लेकिन उसने अपने होंठों को दबा लिया। मैंने एक झटका मारा और पूरा लंड अंदर चला गया। मैंने उसके दोनों पैरों को उठा दिया और अंदर-बाहर करने लगा और बीच-बीच में उसकी चूची और पूरे बदन को सहला और दबा रहा था और कभी-कभी उसके उरोजों को अपने होंठों से चूम भी रहा था।
कुछ देर बाद जब वो भी मजा लेने लगी तो मैं नीचे लेट गया और वो मेरे ऊपर आ गई और खुद ऊपर-नीचे होकर चुदने लगी तो मैंने भी नीचे से झटके मारने लगा।
मैंने उसके पैरों को नीचे करके उसके दोनों चूतड़ों को पकड़ कर उठा लिया, लौड़े को अंदर-बाहर करने लगा और वो भी कमर हिला-हिला कर चुदवा रही थी।
फिर मैंने उसको घोड़ी बनाया और उसको धकाधक चोदने लगा। मैं जितने स्पीड से आगे-पीछे हो रहा था, वो भी उतनी ही स्पीड से आगे-पीछे हो रही थी।
चुदते-चुदते वो सीधी बेड पर लेट गई और मैं ऊपर से ही झटके मारने लगा। पूरे कमरे में “आह हाआआ आअउ उम्म्म्ममा आआ आअ ऊऊ ऊओफ फफ्फ़” की आवाज गूँज रही थी।
और फिर जब मैं झड़ने वाला था तो लंड को बाहर निकाल कर उसके मुँह में अपना माल छोड़ दिया और उसने बड़े स्वाद से मेरा माल चाट-चाट कर मेरे लण्ड को साफ कर दिया।
बहुत थकान हो गई थी, कुछ देर हम लोग लेटे रहे।
नेहा बोली- कैसा लगा? मजा आया ना! अब मैंने अपना वादा निभा दिया है। अब तुम भी अपने हाथ से मुझे ब्रा पहना दो।
मैं मुस्कुराने लगा और उसकी ब्रा पहना दी और वो वहाँ से चली गई।
जब तक राउरकेला में रहा, उसको मैंने कई बार चोदा!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.