02-11-2021, 03:31 PM
बुआ की वासना की आग बुझाई
प्यारे दोस्तो, मैं एक नार्मल सा लड़का हूँ। मेरी उम्र 23 साल है। यह कहानी मेरी और मेरी बुआ की है जिनका एक साल पहले तलाक हो गया था। मेरी बुआ जी दिखने में गोरी, उठे हुए चूतड़ और बदन थोड़ा सा मोटा है, पर दिखने में स्मार्ट हैं। उस टाइम उनकी उम्र 32 साल की रही होगी।
वो मुझे अक्सर चुम्बन कर लेती या मेरी गर्दन में दांत से काट लेती थीं, पर इससे मुझे किसी तरह की कोई प्रॉब्लम नहीं होती थी। जब मैं 23 साल का हुआ तो एक
बार मैं अपनी बुआ से मिलने गया जहाँ पर वो मेरे साथ बाजार की सैर करने के लिए बाइक पर निकलीं। उन्होंने मुझे बड़े प्यार से एक बार नहीं बल्कि कई बार मेरी गर्दन पर दांत से काट लिया और मेरी कमर पर हाथ रख कर अजीब ढंग से बैठी हुई थीं। मुझे बहुत अजीब लग रहा था, पर बहुत मज़ा भी आ रहा था, मेरा दिल धड़क रहा था। हमने शॉपिंग की और घर वापिस आ गए।
रात को मुझे कुछ थकान हो रही थी और जगह न होने की वजह से जहाँ मेरी बुआ अपने दो साल के बेटे के साथ लेटी थीं, मैं वहीं उनके बेड पर ही लेट कर उनसे बात करने लगा। बातें करते-करते बुआ जी और मैं दोनों वहीं सो गए। करीब रात के 3 बजे मेरी आँख खुली तो देखा बुआ जी की का मुँह मेरी ओर था और उनकी गरम साँसें मेरी साँसों से टकरा रही थीं। मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा.. मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ..! मेरे दिमाग पर काम-वासना हावी हो रही थी।
फिर मैंने बड़ी हिम्मत करके बुआ की कमर पर हाथ रख दिया और सोचने लगा कि शायद उन्हें ये बुरा नहीं लगेगा, पर पता नहीं कैसे बुआ मेरे और नजदीक आ गईं और मेरा लौड़ा ना चाहते हुए भी खड़ा हो गया..! अब मेरा सब्र टूटता जा रहा था और दिल की धड़कनें बढ़ती ही जा रही थीं। मैंने धीरे से अपना हाथ उठा कर उनके मम्मों पर रख दिया और सोचा कि अगर वो अचानक से उठीं तो कह दूँगा कि नींद में था सो पता नहीं लगा। पर ऐसा नहीं हुआ, वो चुपचाप लेटी रहीं और मैं धीरे से उनके मम्मों को मसलने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि उनके निप्पल कड़क हो गए हैं ! मेरे दिल ने कहा कि शायद वो यही चाहती हैं और मैं उनके साथ धीरे से आ कर चिपक गया..!
अब मेरा लौड़ा भी खड़ा होकर उनके पेट से टकरा रहा था और मेरी सांसें बिल्कुल उनकी साँसों से टकरा रही थीं। मेरा दिल पागलों की तरह धड़क रहा था। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उनका सूट ऊपर किया और उनकी कमर पर हाथ रख कर सहलाना शुरू कर दिया। एक हाथ मम्मों पर था और दूसरा हाथ उनकी कमर को सहला रहा था। उनकी साँसे और तेज और गरम होती जा रही थीं। मैंने हिम्मत की और उनकी पजामी का नाड़ा ढीला कर दिया और धीरे-धीरे अपना हाथ उनकी पैन्टी के अन्दर डालने लगा।
मैंने महसूस किया कि वो कसमसा रही हैं और उनकी कमर तेजी से ऊपर-नीचे हो रही थी। शायद वो तड़पने लगी थीं।
जैसे ही मेरे हाथ ने उनके चूत के बालों को छुआ.. बुआ ने मेरे हाथ को अपने हाथों से दबा लिया और मेरे हाथों को रोकने एक नाकाम सी कोशिश करने लगीं। मैं समझ गया कि आग दोनों तरफ लगी है। मैंने धीरे से बुआ का हाथ हटाया और चूत में उंगली डाल दी और अन्दर-बाहर करनी शुरू कर दी। वो तड़पने लगी और अपनी कमर को ऊपर-नीचे करने लगीं। मैं उठ कर बैठ गया और धीरे से उनकी पैन्टी नीचे की और अपनी जीभ उनकी चूत पर लगा दी। वो बच्चों की तरह उछल पड़ीं और अपने दोनों हाथ मेरे सर पर रख कर दबा दिया।मैं पागलों की तरह उनकी चूत चाटता रहा और पता नहीं कब उनका सारा पानी निकल कर मेरे होंठों से टकरा गया।
फिर बुआ ने मुझे अपनी ओर खींच लिया और मेरे साथ जोर से चिपक कर सो गईं। उस रात मैं बुआ को चोद नहीं पाया और बुआ से एक भी लफ्ज़ की बात नहीं हुई। बस आँखों ही आँखों में हम एक-दूसरे को प्यार कर बैठे। उस रात पहली बार किसी लड़की ने मेरा लौड़ा हाथ में ले कर मसला था और मेरा सारा पानी निकाल दिया था। अगले दिन बुआ और मुझे दोनों को ही चुदाई की आग लगी थी। शाम से ही समय नहीं कट रहा था। वो मुझे बड़ी प्यासी नजरों से देखती थीं और मैं उनको भूखी नजरों से देख रहा था, पर न ही मैंने कुछ कहा और न ही उन्होंने मुझसे कुछ कहा।
रात हुई तो मैं खुद ब खुद उनके बेड पर जाकर उनके बगल में लेट गया। जैसे ही उनका बच्चा सोया, वे मेरी तरफ घूम गईं।
मुझे जैसे इसी बात का इन्तजार था। मैंने उन्हें अपनी बांहों में भर लिया और वे भी मेरी महबूबा की तरह मेरे आगोश में खो गईं। धीरे-धीरे कब कपड़ों ने हम दोनों का साथ छोड़ दिया मालूम ही नहीं पड़ा। वासना का झंझावत अपने पूरे चरम पर बह रहा था। कब मेरा हथियार उनकी चिकनी चमेली में पेवस्त हो गया मुझे मालूम ही नहीं पड़ा। दो उन्मत साँडों की तरह लगभग 45 मिनट तक हमारी चुदाई चलती रही और एक साथ कब झड़ गए कोई होश ही नहीं था।
चुदाई के बाद थक कर निढाल हो कर हम दोनों नंगे ही एक-दूसरे से चिपक कर कब सो गए कुछ याद ही नहीं रहा।
उस दिन के बाद से दिन में तो हम जैसे बुआ और भतीजा बात करते हैं और वैसे ही रहते थे, पर रात को हमारा रिश्ता बदल जाता था। मैंने कभी भी अपनी बुआ जी से गन्दी बातें नहीं की, पर अब जब भी मिलने जाता हूँ उनके साथ नंगा सोकर आता हूँ और कई बार रात में 3 या 4 बार चुदाई हो जाती है।
प्यारे दोस्तो, मैं एक नार्मल सा लड़का हूँ। मेरी उम्र 23 साल है। यह कहानी मेरी और मेरी बुआ की है जिनका एक साल पहले तलाक हो गया था। मेरी बुआ जी दिखने में गोरी, उठे हुए चूतड़ और बदन थोड़ा सा मोटा है, पर दिखने में स्मार्ट हैं। उस टाइम उनकी उम्र 32 साल की रही होगी।
वो मुझे अक्सर चुम्बन कर लेती या मेरी गर्दन में दांत से काट लेती थीं, पर इससे मुझे किसी तरह की कोई प्रॉब्लम नहीं होती थी। जब मैं 23 साल का हुआ तो एक
बार मैं अपनी बुआ से मिलने गया जहाँ पर वो मेरे साथ बाजार की सैर करने के लिए बाइक पर निकलीं। उन्होंने मुझे बड़े प्यार से एक बार नहीं बल्कि कई बार मेरी गर्दन पर दांत से काट लिया और मेरी कमर पर हाथ रख कर अजीब ढंग से बैठी हुई थीं। मुझे बहुत अजीब लग रहा था, पर बहुत मज़ा भी आ रहा था, मेरा दिल धड़क रहा था। हमने शॉपिंग की और घर वापिस आ गए।
रात को मुझे कुछ थकान हो रही थी और जगह न होने की वजह से जहाँ मेरी बुआ अपने दो साल के बेटे के साथ लेटी थीं, मैं वहीं उनके बेड पर ही लेट कर उनसे बात करने लगा। बातें करते-करते बुआ जी और मैं दोनों वहीं सो गए। करीब रात के 3 बजे मेरी आँख खुली तो देखा बुआ जी की का मुँह मेरी ओर था और उनकी गरम साँसें मेरी साँसों से टकरा रही थीं। मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा.. मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ..! मेरे दिमाग पर काम-वासना हावी हो रही थी।
फिर मैंने बड़ी हिम्मत करके बुआ की कमर पर हाथ रख दिया और सोचने लगा कि शायद उन्हें ये बुरा नहीं लगेगा, पर पता नहीं कैसे बुआ मेरे और नजदीक आ गईं और मेरा लौड़ा ना चाहते हुए भी खड़ा हो गया..! अब मेरा सब्र टूटता जा रहा था और दिल की धड़कनें बढ़ती ही जा रही थीं। मैंने धीरे से अपना हाथ उठा कर उनके मम्मों पर रख दिया और सोचा कि अगर वो अचानक से उठीं तो कह दूँगा कि नींद में था सो पता नहीं लगा। पर ऐसा नहीं हुआ, वो चुपचाप लेटी रहीं और मैं धीरे से उनके मम्मों को मसलने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि उनके निप्पल कड़क हो गए हैं ! मेरे दिल ने कहा कि शायद वो यही चाहती हैं और मैं उनके साथ धीरे से आ कर चिपक गया..!
अब मेरा लौड़ा भी खड़ा होकर उनके पेट से टकरा रहा था और मेरी सांसें बिल्कुल उनकी साँसों से टकरा रही थीं। मेरा दिल पागलों की तरह धड़क रहा था। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उनका सूट ऊपर किया और उनकी कमर पर हाथ रख कर सहलाना शुरू कर दिया। एक हाथ मम्मों पर था और दूसरा हाथ उनकी कमर को सहला रहा था। उनकी साँसे और तेज और गरम होती जा रही थीं। मैंने हिम्मत की और उनकी पजामी का नाड़ा ढीला कर दिया और धीरे-धीरे अपना हाथ उनकी पैन्टी के अन्दर डालने लगा।
मैंने महसूस किया कि वो कसमसा रही हैं और उनकी कमर तेजी से ऊपर-नीचे हो रही थी। शायद वो तड़पने लगी थीं।
जैसे ही मेरे हाथ ने उनके चूत के बालों को छुआ.. बुआ ने मेरे हाथ को अपने हाथों से दबा लिया और मेरे हाथों को रोकने एक नाकाम सी कोशिश करने लगीं। मैं समझ गया कि आग दोनों तरफ लगी है। मैंने धीरे से बुआ का हाथ हटाया और चूत में उंगली डाल दी और अन्दर-बाहर करनी शुरू कर दी। वो तड़पने लगी और अपनी कमर को ऊपर-नीचे करने लगीं। मैं उठ कर बैठ गया और धीरे से उनकी पैन्टी नीचे की और अपनी जीभ उनकी चूत पर लगा दी। वो बच्चों की तरह उछल पड़ीं और अपने दोनों हाथ मेरे सर पर रख कर दबा दिया।मैं पागलों की तरह उनकी चूत चाटता रहा और पता नहीं कब उनका सारा पानी निकल कर मेरे होंठों से टकरा गया।
फिर बुआ ने मुझे अपनी ओर खींच लिया और मेरे साथ जोर से चिपक कर सो गईं। उस रात मैं बुआ को चोद नहीं पाया और बुआ से एक भी लफ्ज़ की बात नहीं हुई। बस आँखों ही आँखों में हम एक-दूसरे को प्यार कर बैठे। उस रात पहली बार किसी लड़की ने मेरा लौड़ा हाथ में ले कर मसला था और मेरा सारा पानी निकाल दिया था। अगले दिन बुआ और मुझे दोनों को ही चुदाई की आग लगी थी। शाम से ही समय नहीं कट रहा था। वो मुझे बड़ी प्यासी नजरों से देखती थीं और मैं उनको भूखी नजरों से देख रहा था, पर न ही मैंने कुछ कहा और न ही उन्होंने मुझसे कुछ कहा।
रात हुई तो मैं खुद ब खुद उनके बेड पर जाकर उनके बगल में लेट गया। जैसे ही उनका बच्चा सोया, वे मेरी तरफ घूम गईं।
मुझे जैसे इसी बात का इन्तजार था। मैंने उन्हें अपनी बांहों में भर लिया और वे भी मेरी महबूबा की तरह मेरे आगोश में खो गईं। धीरे-धीरे कब कपड़ों ने हम दोनों का साथ छोड़ दिया मालूम ही नहीं पड़ा। वासना का झंझावत अपने पूरे चरम पर बह रहा था। कब मेरा हथियार उनकी चिकनी चमेली में पेवस्त हो गया मुझे मालूम ही नहीं पड़ा। दो उन्मत साँडों की तरह लगभग 45 मिनट तक हमारी चुदाई चलती रही और एक साथ कब झड़ गए कोई होश ही नहीं था।
चुदाई के बाद थक कर निढाल हो कर हम दोनों नंगे ही एक-दूसरे से चिपक कर कब सो गए कुछ याद ही नहीं रहा।
उस दिन के बाद से दिन में तो हम जैसे बुआ और भतीजा बात करते हैं और वैसे ही रहते थे, पर रात को हमारा रिश्ता बदल जाता था। मैंने कभी भी अपनी बुआ जी से गन्दी बातें नहीं की, पर अब जब भी मिलने जाता हूँ उनके साथ नंगा सोकर आता हूँ और कई बार रात में 3 या 4 बार चुदाई हो जाती है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.