01-11-2021, 04:48 PM
तो फिर में वापस तुम्हारा चुंबन ले लूँ, दीदी? फिर मुझे मालूम पड़ जाएगा के आगे क्या होनेवाला था." मेने उसे आँख मारते हुए कहा.
"हे! ज़्यादा शरारत मत करो हम, सागर.. और क्या रे. तू तो झट से चुंबन लेने वाला था ना? तो फिर इतना सम'य क्यों लगाया लेने में?"
"अब क्या बताउ, दीदी. तुम्हें तो मालूम है ना. एक बार हम दोनो चालू हो गये तो रुक ही नही सकते थे. तुम भी मेरा अच्छी तरह से साथ दे रही थी."
"साथ नही दूँगी तो क्या?? तुम'ने क्यों अप'नी जीभ मेरे होठों के बीच डाल दी? कहाँ से सीखा ये तुम'ने? उस गंदी किताब में पढ़ा होगा शायद?"
"दीदी! वो किताब गंदी नही थी. काम शास्त्र का अच्छा ज्ञान देने वाली किताब थी."
"अच्छा?. तो फिर क्या ज्ञान 'प्राप्त' किया तुम'ने उस किताब में से??"
"बहुत कुच्छ, दीदी. स्त्री को कैसे उत्तेजीत किया जाता है. स्त्री ज़्यादा काम-उत्तेजीत किस बात से होती है. उनकी कॉयम्ट्र्प्टी कैसे होती है. वग़ैरा वग़ैरा."
"अच्च्छा! तो फिर इसका मतलब तुम्हें ये सब मालूम है?"
"हां ! बता दूं तुम्हें??"
"नही! नही!. मुझे मेरा ज्ञान नही बढ़ाना है."
"बढ़ाना?? तुम्हें थोडा ज्ञान होगा तो ही तुम बढ़ाओगी ना?"
"क्या बोले तुम, सागर? खुद को क्या 'वात्सायन' समझ रहे हो तुम?? मेने कहा मेरी शादी हो गई है.. तुम्हें तो अभी मुन्छे आना चालू हुआ है!"
"हे! ज़्यादा शरारत मत करो हम, सागर.. और क्या रे. तू तो झट से चुंबन लेने वाला था ना? तो फिर इतना सम'य क्यों लगाया लेने में?"
"अब क्या बताउ, दीदी. तुम्हें तो मालूम है ना. एक बार हम दोनो चालू हो गये तो रुक ही नही सकते थे. तुम भी मेरा अच्छी तरह से साथ दे रही थी."
"साथ नही दूँगी तो क्या?? तुम'ने क्यों अप'नी जीभ मेरे होठों के बीच डाल दी? कहाँ से सीखा ये तुम'ने? उस गंदी किताब में पढ़ा होगा शायद?"
"दीदी! वो किताब गंदी नही थी. काम शास्त्र का अच्छा ज्ञान देने वाली किताब थी."
"अच्छा?. तो फिर क्या ज्ञान 'प्राप्त' किया तुम'ने उस किताब में से??"
"बहुत कुच्छ, दीदी. स्त्री को कैसे उत्तेजीत किया जाता है. स्त्री ज़्यादा काम-उत्तेजीत किस बात से होती है. उनकी कॉयम्ट्र्प्टी कैसे होती है. वग़ैरा वग़ैरा."
"अच्च्छा! तो फिर इसका मतलब तुम्हें ये सब मालूम है?"
"हां ! बता दूं तुम्हें??"
"नही! नही!. मुझे मेरा ज्ञान नही बढ़ाना है."
"बढ़ाना?? तुम्हें थोडा ज्ञान होगा तो ही तुम बढ़ाओगी ना?"
"क्या बोले तुम, सागर? खुद को क्या 'वात्सायन' समझ रहे हो तुम?? मेने कहा मेरी शादी हो गई है.. तुम्हें तो अभी मुन्छे आना चालू हुआ है!"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
