31-10-2021, 12:19 AM
इंस्पेक्टर हरिलाल बेहद थक चुके थे... मेरी दोनों बहनों पर अपनी ताकत की आजमाइश करने के बाद... वह थोड़ी देर सुस्ताने लगे और आराम करने के बाद उठकर खड़े हो गए और अपनी वर्दी पहनने लगे...
इंस्पेक्टर हरिलाल कमरे से बाहर निकलकर मुझे सामने पाया देखकर मुस्कुराने लगे और बोले...
इंस्पेक्टर हरिलाल: चल सैंडी तू मेरे साथ चल... मैं तेरी मम्मी को अब छोड़ दूंगा... आजा मेरे साथ जीप में..
मैं थानेदार साहब के पीछे पीछे उनकी जीत में बैठने के लिए अपने घर से बाहर निकलने लगा था कि मेरी दोनों बहने लड़खड़ा रही चाल से किसी तरह से अपने कपड़े पहन कर दरवाजे तक आई और जाने से पहले थानेदार साहब को धन्यवाद किया...
थानेदार साहब मेरी बहनों की इस अदा पर बेहद खुश थे...
मेरे मन में भी राहत थी कि अब कम से कम मेरी मम्मी को हवालात में तो नहीं रहना पड़ेगा... भले ही इसकी कीमत मेरी प्रियंका दीदी ने और मेरी रूपाली दीदी ने भी चुकाई है....
कीमत चुकाना तो दूर की बात है... दरअसल सच तो यह है कि मेरी दोनों बहनों ने इंस्पेक्टर हरिलाल के साथ संभोग का भरपूर मजा लिया था... मेरी बहनों के चेहरे पर थकान तो दिख रही थी... पर एक मजबूत मुसल के द्वारा ठुकाई की संतुष्टि भी मुझे साफ साफ दिखाई दे रही थी उनके चेहरों पर... एक भाई होने के नाते मुझे इस बात का बहुत बुरा तो लग रहा था पर मैं क्या कर सकता था...
मैं इंस्पेक्टर हरिलाल के साथ उनकी जीप में उनकी आगे की सीट के बगल में बैठ गया.. वह ड्राइविंग सीट पर थे...
अचानक मेरी नजर मेरे घर के पास में ही भटक रहे बिल्लू के ऊपर गई...
वह हमारे घर से थोड़ी दूर खड़ा सब कुछ देख रहा था... थानेदार साहब को मेरे घर से निकलते हुए... और मेरी बहनों को अलविदा करते हुए... सब कुछ उसने देख लिया था... मेरा दिल कांप उठा था... जब थानेदार साहब की जीप बिल्लू के बगल से गुजरी थी... तब वह मुझे अजीब नजरों से देख रहा था.... मैंने उस वक्त उसकी परवाह नहीं की...
मैं थानेदार साहब के साथ उनकी जीप में बैठकर थाने की तरफ रवाना हो चुका था..
रास्ते में थानेदार साहब बार बार मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रहे थे पर कुछ बोल नहीं रहे थे.... उनके चेहरे पर खुशी छुपाए नहीं छुप रही थी..
वह मुझे बताना चाहते थे... लेकिन शायद उनके मन में कुछ संकोच था.
थानेदार साहब: सैंडी.... तुझे एक बात बताऊं... अगर तुम बुरा नहीं मानेगा तो..
मैं: नहीं सर मैं बिल्कुल बुरा नहीं मानूंगा...
थानेदार साहब: तेरी दोनों बहने बहुत ही मस्त पटाखा माल है... मैंने अपनी जिंदगी में बहुत सारी औरतों को चोदा है... लेकिन जो मजा कल रात तेरी प्रियंका दीदी ने मुझे दिया... वह मैं बता नहीं सकता .... और तेरी रुपाली दीदी.... वह तो काम देवी है बस... साला... मेरे लोड़े में दर्द हो रहा है... तेरी दोनों बहनों ने निचोड़ लिया है मुझे..
थानेदार साहब आपने मुसल के ऊपर हाथ रख कर अपनी ही धुन में बड़ा-बड़ा रहे थे... और मुझे शर्मसार कर रहे थे...
थानेदार साहब: साला मेरे लंड मैं सूजन आ गई है... बहुत टाइट आगे वाला छेद है तेरी प्रियंका दीदी का... साली ... बिल्कुल नेचुरल है तेरी बहन... तुझे बुरा तो नहीं लग रहा है सैंडी?
उनकी जीप की रफ्तार बेहद धीमी हो चुकी थी... वह अपनी बातों से मुझे जलील कर रहे थे... मुझे पता नहीं क्यों उनको इस बात का एहसास था भी कि नहीं...
लेकिन उनके सवाल का जवाब देना तो था ही मुझे..
मैं: नहीं सर.. मुझे बुरा नहीं लग रहा है.. आप बहुत अच्छे इंसान हैं..
अपने दिल पर पत्थर रखकर मैंने कह दिया...
इंस्पेक्टर हरिलाल: (अपने मूछों पर ताव देते हुए)- वाह सैंडी... तू भी सच में बहुत अच्छा लड़का है... अपनी बहनों का अच्छे से ख्याल रखना.. वरना तेरे गांव में बहुत सारे भंवरे है.. जो तेरी बहनों का रस पीना चाहते हैं...
मैं( घबराते हुए): आप क्या कहना चाहते हो थानेदार साहब... मैं आपकी बात समझा नहीं...
इंस्पेक्टर हरिलाल: अबे साले तू बेवकूफ है क्या... तूने देखा नहीं कि तेरे घर के सामने वह लड़का खड़ा था... वही लड़का है ना जिसकी आंखों में बिठाकर कल रात तू अपनी प्रियंका दीदी को मेरी खोली के मे लाया था...
मैं: हां सर आपने ठीक पहचाना..
थानेदार साहब: उस हरामजादे की नीयत ठीक नहीं है... मौका मिलते ही वह तुम्हारी किसी ना किसी बहन को दबोच लेगा.. और फिर कौन है मैं ले जाकर उसके साथ....
मैं( उनकी बात को बीच में काट कर): नहीं सर वो ऐसा लड़का नहीं है.. वह तो मेरा सबसे अच्छा दोस्त है.. वह तो कभी भी ऐसा नहीं करेगा..
थानेदार साहब: चल मान लिया तेरी बात... लेकिन फिर भी ख्याल रखना अपनी बहनों का... कभी भी कुछ भी हो सकता है...
मैं: हां सर मैं बिल्कुल ख्याल रखूंगा... आप चिंता मत कीजिए... आप तो बस मेरी मम्मी को रिहा कर दीजिए..
इंस्पेक्टर हरिलाल: तेरी मम्मी को मैं रिहा कर दूंगा अभी के अभी... और तेरी मम्मी को अपनी जीप में बिठाकर तुम्हारे घर पहुंचा भी दूंगा.. तू उसकी टेंशन मत ले... मुझे तो पक्का विश्वास हो गया है कि तेरी प्रियंका दीदी ने जुनेद का मर्डर नहीं किया... वह भला मर्डर कैसे कर सकती है...
मैं: आपका बहुत-बहुत आभारी हूं सर.... मेरी दीदी किसी भी इंसान का मर्डर नहीं कर सकती.... आपका बहुत-बहुत धन्यवाद हमारे ऊपर विश्वास करने के लिए...
इंस्पेक्टर हरिलाल: मेरे विश्वास करने से कुछ नहीं होता... यहां से तेरी मम्मी छूट के तो चली जाएगी... लेकिन असलम अभी जिंदा है... तू तो अच्छी तरह जानता हुआ असलम को.. तुझे तो सब पता है ना...
मैं: हां सर... मैं अच्छी तरह से जानता हूं दोनों को.. मेरे सामने ही उन दोनों ने मेरी रूपाली दीदी का बलात्कार किया था... उनका वीडियो भी बनाया था... हमारे परिवार की बदनामी होने की वजह से हमने इस बात को किसी को नहीं बताया...... और इसी का नतीजा मेरी प्रियंका दीदी को भी भोगना पड़ा...
इंस्पेक्टर हरिलाल: तो तुझे लगता है कि तेरी रूपाली दीदी का उस दिन बलात्कार हुआ था... तेरी बहन को उन दोनों ने उस दिन जबरदस्ती ठोका था... लेकिन यह पूरा सच नहीं है... मेरे पास इसके से रिलेटेड सारी कॉल रिकॉर्डिंग है... पूरे पुख्ता सबूत मौजूद है मेरे पास..
मैं( हैरानी से): तो फिर सच क्या है सर... मुझे बताइए...
इंस्पेक्टर साहब: सच बात तो यह है कि उस दिन तेरी रुपाली दीदी ने अपने बलात्कार का इंतजाम खुद ही करवाया था... तुझे तो बस बेवकूफ बनाया गया था उस दिन...
मैं: मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है सर... आप क्या बात कर रहे हो.. यह तो कुछ दिन पहले की ही बात है... मुझे तो अच्छी तरह याद है कि उन दोनों ने मेरी रूपाली दीदी को जबरदस्ती...( आगे के शब्द मेरे मुंह में ही रुक गए)...
इंस्पेक्टर हरिलाल: तुम बहुत भोले हो सैंडी... तुम्हें तो दूर-दूर तक कुछ भी आईडिया नहीं है.... वहां पर एक और भी इंसान मौजूद था... सुरेश ऑटो वाला... वह हमारे सिक्युरिटी का इनफॉर्मर है.. हम लोग कब से जुनैद और असलम की तलाश में थे... जिस दिन तुम्हारी रुपाली दीदी के साथ कांड हुआ था उस दिन सुरेश ने हमें फोन किया था... लेकिन हम लोग समय पर पहुंच नहीं पाए थे... जब तक हम लोग पहुंचे थे.. तब तक काफी देर हो चुकी थी...
मैं: सर फिर आपने आगे की कार्रवाई क्यों नहीं की थी... आपको तो पता था कि मेरी बहन के साथ बलात्कार हुआ है वहां पर...
इंस्पेक्टर हरिलाल: साले इतनी देर से तुझे यही तो समझा रहा हूं... उस दिन तेरी रुपाली दीदी के साथ बलात्कार नहीं हुआ था... बल्कि तेरी दीदी ने खुद ही अरेंज किया था पूरा माजरा.. तुझे बेवकूफ बनाया गया था..
मैं: सर आप यह बात इतने भरोसे के साथ कैसे कह सकते हो..
इंस्पेक्टर हरिलाल: क्योंकि मेरे पास तेरी बहन के खिलाफ पूरे सबूत है.. उसकी सारी कॉल रिकॉर्डिंग, उसके सारे व्हाट्सएप चैट हमारे पास है..
दरअसल तेरी रुपाली दीदी और जुनैद के बीच में पहले से ही चक्कर चल रहा था... तेरी रुपाली दीदी की शादी के पहले से.. दोनों के बीच में अवैध संबंध थे... तेरे बाप ने जबरदस्ती शादी करवा दी तेरे जीजा के साथ...
शादी के बाद भी तेरी बहन जुनैद के पास या फिर जुनेद तेरी बहन के पास जाता रहा है... व्हाट्सएप चैट और कॉल रिकॉर्डिंग सुन कर साफ पता चलता है कि तेरे जीजा का लिंग छोटा है और वह तेरी बहन को अच्छे से मजा नहीं देता है रात में... इसीलिए तेरी बहन शादी के बाद भी जुनैद के साथ संभोग करती रही... जब इस बात की भनक तेरे जीजा को लगी तो उसने तेरी बहन के साथ मारपीट की और उसको बहुत भला बुरा कहा.......
तेरे जीजा से बदला लेने के लिए तेरी रुपाली दीदी ने तुझे मोहरा बनाया और फिर आगे की कहानी तो तू अच्छी तरह समझ रहा है... लेकिन उस दिन जुनैद ने गद्दारी कर दी थी.. उसने अपने दोस्त असलम को भी बुला लिया था.. मजा लेने के लिए... सुरेश ने मुझे पूरी कहानी बताई थी ...कैसे उन दोनों ने मिलकर तुम्हारी रुपाली दीदी के साथ मस्त मजा लिया था.. तेरी आंखों के सामने...
मेरी आंखों के सामने तारे घूमने लगे थे... मेरी आंखों के सामने अंधेरा होने लगा था... थानेदार हरिलाल जो बात मुझे बता रहा था वह सुन के मुझे चक्कर आने लगे थे.. लेकिन उसकी बातों में सच्चाई मुझे साफ-साफ झलक रही थी और दिखाई देने लगी थी मुझे..
मैं: सर मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा है... क्या सच में ऐसा संभव है.. मेरी दीदी मेरे सामने ही क्यों करेगी( मेरी जुबान लड़खड़ाने लगी)..
थानेदार साहब: क्योंकि तू अभी छोटा है... तुझे अभी कुछ भी समझ नहीं आता है.... और बुरा ना मानो तो एक बात कहूं कि तू बहुत बड़ा बेवकूफ है... क्या उस दिन झोपड़ी के बाहर तुझे कुछ देर के लिए भेजा गया था?
मैं: हां सर मुझे कुछ देर के लिए उन लोगों ने झोपड़ी के बाहर भेज दिया था.. जब दोनों साइड से मेरी बहन की...
इंस्पेक्टर हरिलाल: हां उसी वक्त मामला तय हुआ था... तेरे जीजू के सामने ही उन लोगों ने वीडियो कॉल पर दिखा कर तेरी बहन को आगे पीछे से ठोका था... उस वीडियो में जिस प्रकार से तेरी बहन उछल उछल कर उन दोनों का साथ दे रही थी देखकर बिल्कुल भी ऐसा नहीं लगता है कि तेरी बहन के साथ जबरदस्ती हुई थी.... तेरी दीदी ने खुल कर मजा लिया था... और तू झोपड़ी के बाहर खड़ा चौकीदारी कर रहा था..
मैं: नहीं सर मैं चौकीदारी नहीं कर रहा था.. मुझे तो अच्छी तरह पता था कि अंदर क्या हो रहा है.. लेकिन मैं क्या कर सकता था... मुझे उन लोगों ने बाहर खड़ा होने के लिए मजबूर कर दिया था...
थानेदार हरिलाल: तू सच में अच्छा बच्चा है... सुन तू अपनी बहनों का ध्यान रखना अगले कुछ दिन... असलम कुछ भी कर सकता है.. अपने दोस्त की मौत का बदला लेने के लिए..
मैं: लेकिन सर आखिर जुनैद की मौत कैसे हुई.... कुछ तो सुराग होगा आपके पास..
इंस्पेक्टर हरिलाल: यह तो कानूनी मसला है
..लेकिन फिर भी तुम इतने भोले और नासमझ हो मैं तुमको बता देता हूं.. दरअसल तुम्हारी प्रियंका दीदी कल दिन में दोपहर 12:00 बजे जुनैद के फार्म हाउस पर गई... वहां पर तकरीबन 4:30 बजे तक तेरी बहन रुकी रही... जाहिर है इस दौरान उसने तुम्हारी बहन का ढोल पीटा होगा... दोनों छेद फाड़ के रख दिया होगा..
इंस्पेक्टर हरिलाल कमरे से बाहर निकलकर मुझे सामने पाया देखकर मुस्कुराने लगे और बोले...
इंस्पेक्टर हरिलाल: चल सैंडी तू मेरे साथ चल... मैं तेरी मम्मी को अब छोड़ दूंगा... आजा मेरे साथ जीप में..
मैं थानेदार साहब के पीछे पीछे उनकी जीत में बैठने के लिए अपने घर से बाहर निकलने लगा था कि मेरी दोनों बहने लड़खड़ा रही चाल से किसी तरह से अपने कपड़े पहन कर दरवाजे तक आई और जाने से पहले थानेदार साहब को धन्यवाद किया...
थानेदार साहब मेरी बहनों की इस अदा पर बेहद खुश थे...
मेरे मन में भी राहत थी कि अब कम से कम मेरी मम्मी को हवालात में तो नहीं रहना पड़ेगा... भले ही इसकी कीमत मेरी प्रियंका दीदी ने और मेरी रूपाली दीदी ने भी चुकाई है....
कीमत चुकाना तो दूर की बात है... दरअसल सच तो यह है कि मेरी दोनों बहनों ने इंस्पेक्टर हरिलाल के साथ संभोग का भरपूर मजा लिया था... मेरी बहनों के चेहरे पर थकान तो दिख रही थी... पर एक मजबूत मुसल के द्वारा ठुकाई की संतुष्टि भी मुझे साफ साफ दिखाई दे रही थी उनके चेहरों पर... एक भाई होने के नाते मुझे इस बात का बहुत बुरा तो लग रहा था पर मैं क्या कर सकता था...
मैं इंस्पेक्टर हरिलाल के साथ उनकी जीप में उनकी आगे की सीट के बगल में बैठ गया.. वह ड्राइविंग सीट पर थे...
अचानक मेरी नजर मेरे घर के पास में ही भटक रहे बिल्लू के ऊपर गई...
वह हमारे घर से थोड़ी दूर खड़ा सब कुछ देख रहा था... थानेदार साहब को मेरे घर से निकलते हुए... और मेरी बहनों को अलविदा करते हुए... सब कुछ उसने देख लिया था... मेरा दिल कांप उठा था... जब थानेदार साहब की जीप बिल्लू के बगल से गुजरी थी... तब वह मुझे अजीब नजरों से देख रहा था.... मैंने उस वक्त उसकी परवाह नहीं की...
मैं थानेदार साहब के साथ उनकी जीप में बैठकर थाने की तरफ रवाना हो चुका था..
रास्ते में थानेदार साहब बार बार मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रहे थे पर कुछ बोल नहीं रहे थे.... उनके चेहरे पर खुशी छुपाए नहीं छुप रही थी..
वह मुझे बताना चाहते थे... लेकिन शायद उनके मन में कुछ संकोच था.
थानेदार साहब: सैंडी.... तुझे एक बात बताऊं... अगर तुम बुरा नहीं मानेगा तो..
मैं: नहीं सर मैं बिल्कुल बुरा नहीं मानूंगा...
थानेदार साहब: तेरी दोनों बहने बहुत ही मस्त पटाखा माल है... मैंने अपनी जिंदगी में बहुत सारी औरतों को चोदा है... लेकिन जो मजा कल रात तेरी प्रियंका दीदी ने मुझे दिया... वह मैं बता नहीं सकता .... और तेरी रुपाली दीदी.... वह तो काम देवी है बस... साला... मेरे लोड़े में दर्द हो रहा है... तेरी दोनों बहनों ने निचोड़ लिया है मुझे..
थानेदार साहब आपने मुसल के ऊपर हाथ रख कर अपनी ही धुन में बड़ा-बड़ा रहे थे... और मुझे शर्मसार कर रहे थे...
थानेदार साहब: साला मेरे लंड मैं सूजन आ गई है... बहुत टाइट आगे वाला छेद है तेरी प्रियंका दीदी का... साली ... बिल्कुल नेचुरल है तेरी बहन... तुझे बुरा तो नहीं लग रहा है सैंडी?
उनकी जीप की रफ्तार बेहद धीमी हो चुकी थी... वह अपनी बातों से मुझे जलील कर रहे थे... मुझे पता नहीं क्यों उनको इस बात का एहसास था भी कि नहीं...
लेकिन उनके सवाल का जवाब देना तो था ही मुझे..
मैं: नहीं सर.. मुझे बुरा नहीं लग रहा है.. आप बहुत अच्छे इंसान हैं..
अपने दिल पर पत्थर रखकर मैंने कह दिया...
इंस्पेक्टर हरिलाल: (अपने मूछों पर ताव देते हुए)- वाह सैंडी... तू भी सच में बहुत अच्छा लड़का है... अपनी बहनों का अच्छे से ख्याल रखना.. वरना तेरे गांव में बहुत सारे भंवरे है.. जो तेरी बहनों का रस पीना चाहते हैं...
मैं( घबराते हुए): आप क्या कहना चाहते हो थानेदार साहब... मैं आपकी बात समझा नहीं...
इंस्पेक्टर हरिलाल: अबे साले तू बेवकूफ है क्या... तूने देखा नहीं कि तेरे घर के सामने वह लड़का खड़ा था... वही लड़का है ना जिसकी आंखों में बिठाकर कल रात तू अपनी प्रियंका दीदी को मेरी खोली के मे लाया था...
मैं: हां सर आपने ठीक पहचाना..
थानेदार साहब: उस हरामजादे की नीयत ठीक नहीं है... मौका मिलते ही वह तुम्हारी किसी ना किसी बहन को दबोच लेगा.. और फिर कौन है मैं ले जाकर उसके साथ....
मैं( उनकी बात को बीच में काट कर): नहीं सर वो ऐसा लड़का नहीं है.. वह तो मेरा सबसे अच्छा दोस्त है.. वह तो कभी भी ऐसा नहीं करेगा..
थानेदार साहब: चल मान लिया तेरी बात... लेकिन फिर भी ख्याल रखना अपनी बहनों का... कभी भी कुछ भी हो सकता है...
मैं: हां सर मैं बिल्कुल ख्याल रखूंगा... आप चिंता मत कीजिए... आप तो बस मेरी मम्मी को रिहा कर दीजिए..
इंस्पेक्टर हरिलाल: तेरी मम्मी को मैं रिहा कर दूंगा अभी के अभी... और तेरी मम्मी को अपनी जीप में बिठाकर तुम्हारे घर पहुंचा भी दूंगा.. तू उसकी टेंशन मत ले... मुझे तो पक्का विश्वास हो गया है कि तेरी प्रियंका दीदी ने जुनेद का मर्डर नहीं किया... वह भला मर्डर कैसे कर सकती है...
मैं: आपका बहुत-बहुत आभारी हूं सर.... मेरी दीदी किसी भी इंसान का मर्डर नहीं कर सकती.... आपका बहुत-बहुत धन्यवाद हमारे ऊपर विश्वास करने के लिए...
इंस्पेक्टर हरिलाल: मेरे विश्वास करने से कुछ नहीं होता... यहां से तेरी मम्मी छूट के तो चली जाएगी... लेकिन असलम अभी जिंदा है... तू तो अच्छी तरह जानता हुआ असलम को.. तुझे तो सब पता है ना...
मैं: हां सर... मैं अच्छी तरह से जानता हूं दोनों को.. मेरे सामने ही उन दोनों ने मेरी रूपाली दीदी का बलात्कार किया था... उनका वीडियो भी बनाया था... हमारे परिवार की बदनामी होने की वजह से हमने इस बात को किसी को नहीं बताया...... और इसी का नतीजा मेरी प्रियंका दीदी को भी भोगना पड़ा...
इंस्पेक्टर हरिलाल: तो तुझे लगता है कि तेरी रूपाली दीदी का उस दिन बलात्कार हुआ था... तेरी बहन को उन दोनों ने उस दिन जबरदस्ती ठोका था... लेकिन यह पूरा सच नहीं है... मेरे पास इसके से रिलेटेड सारी कॉल रिकॉर्डिंग है... पूरे पुख्ता सबूत मौजूद है मेरे पास..
मैं( हैरानी से): तो फिर सच क्या है सर... मुझे बताइए...
इंस्पेक्टर साहब: सच बात तो यह है कि उस दिन तेरी रुपाली दीदी ने अपने बलात्कार का इंतजाम खुद ही करवाया था... तुझे तो बस बेवकूफ बनाया गया था उस दिन...
मैं: मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है सर... आप क्या बात कर रहे हो.. यह तो कुछ दिन पहले की ही बात है... मुझे तो अच्छी तरह याद है कि उन दोनों ने मेरी रूपाली दीदी को जबरदस्ती...( आगे के शब्द मेरे मुंह में ही रुक गए)...
इंस्पेक्टर हरिलाल: तुम बहुत भोले हो सैंडी... तुम्हें तो दूर-दूर तक कुछ भी आईडिया नहीं है.... वहां पर एक और भी इंसान मौजूद था... सुरेश ऑटो वाला... वह हमारे सिक्युरिटी का इनफॉर्मर है.. हम लोग कब से जुनैद और असलम की तलाश में थे... जिस दिन तुम्हारी रुपाली दीदी के साथ कांड हुआ था उस दिन सुरेश ने हमें फोन किया था... लेकिन हम लोग समय पर पहुंच नहीं पाए थे... जब तक हम लोग पहुंचे थे.. तब तक काफी देर हो चुकी थी...
मैं: सर फिर आपने आगे की कार्रवाई क्यों नहीं की थी... आपको तो पता था कि मेरी बहन के साथ बलात्कार हुआ है वहां पर...
इंस्पेक्टर हरिलाल: साले इतनी देर से तुझे यही तो समझा रहा हूं... उस दिन तेरी रुपाली दीदी के साथ बलात्कार नहीं हुआ था... बल्कि तेरी दीदी ने खुद ही अरेंज किया था पूरा माजरा.. तुझे बेवकूफ बनाया गया था..
मैं: सर आप यह बात इतने भरोसे के साथ कैसे कह सकते हो..
इंस्पेक्टर हरिलाल: क्योंकि मेरे पास तेरी बहन के खिलाफ पूरे सबूत है.. उसकी सारी कॉल रिकॉर्डिंग, उसके सारे व्हाट्सएप चैट हमारे पास है..
दरअसल तेरी रुपाली दीदी और जुनैद के बीच में पहले से ही चक्कर चल रहा था... तेरी रुपाली दीदी की शादी के पहले से.. दोनों के बीच में अवैध संबंध थे... तेरे बाप ने जबरदस्ती शादी करवा दी तेरे जीजा के साथ...
शादी के बाद भी तेरी बहन जुनैद के पास या फिर जुनेद तेरी बहन के पास जाता रहा है... व्हाट्सएप चैट और कॉल रिकॉर्डिंग सुन कर साफ पता चलता है कि तेरे जीजा का लिंग छोटा है और वह तेरी बहन को अच्छे से मजा नहीं देता है रात में... इसीलिए तेरी बहन शादी के बाद भी जुनैद के साथ संभोग करती रही... जब इस बात की भनक तेरे जीजा को लगी तो उसने तेरी बहन के साथ मारपीट की और उसको बहुत भला बुरा कहा.......
तेरे जीजा से बदला लेने के लिए तेरी रुपाली दीदी ने तुझे मोहरा बनाया और फिर आगे की कहानी तो तू अच्छी तरह समझ रहा है... लेकिन उस दिन जुनैद ने गद्दारी कर दी थी.. उसने अपने दोस्त असलम को भी बुला लिया था.. मजा लेने के लिए... सुरेश ने मुझे पूरी कहानी बताई थी ...कैसे उन दोनों ने मिलकर तुम्हारी रुपाली दीदी के साथ मस्त मजा लिया था.. तेरी आंखों के सामने...
मेरी आंखों के सामने तारे घूमने लगे थे... मेरी आंखों के सामने अंधेरा होने लगा था... थानेदार हरिलाल जो बात मुझे बता रहा था वह सुन के मुझे चक्कर आने लगे थे.. लेकिन उसकी बातों में सच्चाई मुझे साफ-साफ झलक रही थी और दिखाई देने लगी थी मुझे..
मैं: सर मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा है... क्या सच में ऐसा संभव है.. मेरी दीदी मेरे सामने ही क्यों करेगी( मेरी जुबान लड़खड़ाने लगी)..
थानेदार साहब: क्योंकि तू अभी छोटा है... तुझे अभी कुछ भी समझ नहीं आता है.... और बुरा ना मानो तो एक बात कहूं कि तू बहुत बड़ा बेवकूफ है... क्या उस दिन झोपड़ी के बाहर तुझे कुछ देर के लिए भेजा गया था?
मैं: हां सर मुझे कुछ देर के लिए उन लोगों ने झोपड़ी के बाहर भेज दिया था.. जब दोनों साइड से मेरी बहन की...
इंस्पेक्टर हरिलाल: हां उसी वक्त मामला तय हुआ था... तेरे जीजू के सामने ही उन लोगों ने वीडियो कॉल पर दिखा कर तेरी बहन को आगे पीछे से ठोका था... उस वीडियो में जिस प्रकार से तेरी बहन उछल उछल कर उन दोनों का साथ दे रही थी देखकर बिल्कुल भी ऐसा नहीं लगता है कि तेरी बहन के साथ जबरदस्ती हुई थी.... तेरी दीदी ने खुल कर मजा लिया था... और तू झोपड़ी के बाहर खड़ा चौकीदारी कर रहा था..
मैं: नहीं सर मैं चौकीदारी नहीं कर रहा था.. मुझे तो अच्छी तरह पता था कि अंदर क्या हो रहा है.. लेकिन मैं क्या कर सकता था... मुझे उन लोगों ने बाहर खड़ा होने के लिए मजबूर कर दिया था...
थानेदार हरिलाल: तू सच में अच्छा बच्चा है... सुन तू अपनी बहनों का ध्यान रखना अगले कुछ दिन... असलम कुछ भी कर सकता है.. अपने दोस्त की मौत का बदला लेने के लिए..
मैं: लेकिन सर आखिर जुनैद की मौत कैसे हुई.... कुछ तो सुराग होगा आपके पास..
इंस्पेक्टर हरिलाल: यह तो कानूनी मसला है
..लेकिन फिर भी तुम इतने भोले और नासमझ हो मैं तुमको बता देता हूं.. दरअसल तुम्हारी प्रियंका दीदी कल दिन में दोपहर 12:00 बजे जुनैद के फार्म हाउस पर गई... वहां पर तकरीबन 4:30 बजे तक तेरी बहन रुकी रही... जाहिर है इस दौरान उसने तुम्हारी बहन का ढोल पीटा होगा... दोनों छेद फाड़ के रख दिया होगा..