30-10-2021, 09:57 AM
(13-11-2020, 02:55 PM)neerathemall Wrote: भैया फिर से मेरे होंठों को चूसने लगे और एक हाथ से नाईटी के ऊपर से मेरे उरोजों को भी दबाने लग गए।
भैया का उत्तेजित लिंग मेरी जाँघ पर चुभता हुआ सा महसूस हो रहा था मेरे पूरे बदन में चींटियां सी काटती महसूस होने लगीं.. और ऊपर से मौसम भी इतना सुहावना हो रहा था, अब तो मुझे भी कुछ होने लगा था।
मैंने भी भैया को अपनी बाँहों में भर लिया.. मगर तभी मुझे ख्याल आया कि यह मैं क्या कर रही हूँ.. भैया नशे में हैं.. मैं नहीं.. मुझे समाज का और भाई-बहन के रिश्ते का ख्याल था।
मेरा भी दिल तो मचलने लगा था.. मगर मैं भाई-बहन के रिश्ते को कलंकित नहीं करना चाहती थी.. इसलिए मैंने भैया को अपने ऊपर से धकेल कर अपने आपको छुड़वा लिया और फिर से कहा- भैया.. आप ये क्या कर रहे हैं.. होश में आओ.. मैं आपकी बहन हूँ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.