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Incest दीदी ने पूरी की भाई की इच्छा
#82
संगीता दीदी के नंगे बदन को आगे से देख'ने के लिए मेने धीरे से उसे पेट से पीठ'पर घुमा लिया. वो घूम गयी और मेने देखा के उस'ने अप'नी आँखें ज़ोर से बंद की थी. जैसे ही वो घूम गई उस'ने अपना एक हाथ अप'नी चूत'पर रख'कर उसे छुपाने की कोशीष की. उसके ब्रा के पत्ते अब भी उसके कन्धोपर थे इस'लिए घूम'ने के बाद भी वो ढीली ब्रेसीयर उसके छाती के उभारो पर थी. और फिर भी उस'ने अपना दूसरा हाथ अप'ने उभारोपर आढा रख'कर उन्हे मेरी नज़ारो से च्छुपाने की कोशीष की.

संगीता दीदी की ब्रेसीयर निकाल'ने के लिए मेने उसके पत्ते दीदी के कंधो से खींच लिए. उसे अप'ने हाथ उठाने पड़े और फिर मेने पूरी ब्रेसीयर निकाल के बाजू में डाल दी. उस'ने वापस अपना हाथ अप'नी छाती पर आढा रख दिया. मेने उस'का हाथ पकड़ा और खींचा लेकिन वो ज़ोर से अपना हाथ छाती पर रखे हुए थी. मेने दो तीन बार खींच'ने की कोशीष की लेकिन उस'का हाथ हटा नही. आखीर मेने ज़ोर लगा के उस'का हाथ खींचा और उसकी छाती से हटा दिया. बड़ी मुश्कील से उस'ने हाथ हटाया और ले जाकर अप'नी चूत पर रख'कर दोनो हाथों से चूत छुपा ली.

अब मुझे संगीता दीदी के गदराई छाती के उभार साफ साफ नज़र आ रहे थे. वो लेटी थी इस'लिए वो बाजू में थोड़े गिरे हुए थे लेकिन फिर भी उनमें अच्च्छा ख़ासा उभार था. उसके छाती पर डार्क चाकलेटी रंग का गोल अरोला और उसके बीच में उस'का निप्पल उभर के दिख रहा था. उस'का निप्पल तकरीबन एक सेंटीमीटर लंबा हो गया था और अच्छा ख़ासा कड़ा हो गया था. उसे देख'कर मुझे तो यकीन हो गया के मेरी बहन उत्तेजीत हो गयी थी. आखीर क्यों नही होंगी?? किसी मर्द के साम'ने नंगी होने के बाद कौन उत्तेजीत नही होंगी? भले वो मर्द खुद का सगा भाई क्यों ना हो.!

अब मेने मेरा ध्यान संगीता दीदी की जांघों के बीच लाया. मेने उसके हाथ उसकी चूत से निकाल'ने की कोशीष की लेकिन यहाँ भी उस'ने ज़ोर से पकड़ के रखे थे. एक दो बार उसके हाथ निकाल'ने की कोशीष कर'ने के बाद मेने उसे कहा,

"कम ऑन, दीदी! देख'ने दो ना. मुझे ये तुम्हारा 'मुख्य' भाग.. औरत का यही तो 'ख़ास' भाग देख'ने के लिए में तरस रहा हूँ." उस'पर संगीता दीदी मूँ'ह से कुच्छ ना बोली लेकिन उस'ने अपना सर हिला के 'नही' का इशारा किया. उस'का चेह'रा शरम से लाल हो गया था और होंठो पर शरारती हँसी थी. मेने फिर ज़ोर लगा के उस'का हाथ चूत से हटा दिया. इस बार उस'ने चूत को च्छुपाया नही और वैसे ही पड़ी रही. फिर मेरी बहन के नंगे बदन पर में अप'नी वास'ना से भरी नज़र उप्पर नीचे घुमाने लगा और उसे निहार'ने लगा. उसके जवाना अंगो को देख'कर अप'ने आप मेरे मूँ'ह से निकल गया,

"वो.! ब्यूटीफूल.! बिल'कुल सेक्सी..!"

"नालायक, कही का!! " संगीता दीदी ने झुटे गुस्से से कहा, "तुम्हें शरम नही आती अप'नी सग़ी बहन को नंगी देख'ते हुए??"

"उस में शरमाना क्या, दीदी?" मेने बेशरामी से हंस के जवाब दिया, "अगर तुम्हें शरम नही आ रही है अप'ने भाई के साम'ने नंगी होने में तो फिर भाई को क्यों शरम आएगी बहन को नंगी देख'ने में??"

"छी, सागर! तुम'ने तो मुझे बिल'कुल निर्लज्ज और बेशरम बना दिया." ऐसा कह'कर संगीता दीदी लज्जा के मारे घूम गयी और मेरी तरफ पीठ करके लेट गयी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: दीदी ने पूरी की भाई की इच्छा - by neerathemall - 29-10-2021, 05:17 PM



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