29-10-2021, 01:50 PM
जब मैं उठी तो शाम ढ़ल चुकी थी। मैं नहाने चली गयी। नहाने वक्त भी मैंने अपनी चूत को रगड़कर झाडा़ पर मुझे वैसा शुकुन नहीं मिला जैसा कि चूत चटवाते वक्त मिला था।
फिर मैं नहाकर निकली और तैयार होकर बैठी ही थी कि रवि आ गया। उसने मेरा हाल पूछा।
मैने कहा कि मैं ठीक हूँ। मैंने उससे पूछा कि उसने यह सब कहाँ से सीखा।
उसने कहा कि यह सब उसने विडियो देखकर और किताबों से सीखा है। फिर उसने पूछा "बुआ कैसा लगा, ये तो बताइए।"
तब मैंने कहा कि जैसे मैं स्वर्ग में पहुँच गयी हुँ। मैंने पहली बार अपनी चूत चटवायी। इसका अनुभव मैं बयां नहीं कर सकती। तुमने मेरी हरकतों से पकड़ लिया होगा।
मेरी बात सुनकर वह मुस्कुराने लगा और बोला अब तो जब भी मन होगा तब करवाओगी न।
मैंने झेंपते हुए कहा "ऐसा कोई जरुरी थोडे़ ही है। ऐसे भी हमें अपने रिश्ते की देखते हुए ही कोई काम करना है। अगर तुम इसे राज रखो तो करने में कोई हर्ज नहीं।" अब मैं भी बहकने लगी थी।
तभी रवि मेरे गोद में आकर बैठ गया और मुझे तुरंत करने के लिए मनाने लगा। मैंने उसकी बात को अनसुना करते हुए उसे अपने गोद से उतारते हुए किचेन में चली गयी। फिर रवि भी मेरे पीछे पीछे किचेन आ गया। उसने मेरी गाँड सहलाते हुए मुझसे जिद्द करने लगा। मै युँ ही इनकार करती रही।
तभी वह मेरे कदमों में गिर कर मनुहार करने लगा। फिर भी मैं इनकार करती रही। मेरे अंदर भी खलबली मची थी। मैं भी उससे अपने चूत को जमकर चटवाना चाहती थी। इसीलिए मैं उसे अनमने ढंग से मना कर रही थी।
तभी उसने मेरी साडी़ उठायी और अंदर घुस गया। फिर तेजी से उसने मेरी पैंटी नीचे सरकायी और मेरे चूत पर अपनी ऊँगली फिराने लगा। मैं अब पूरी तरह मस्त हो चुकी थी। मैंने उसे इशारे से मेरी पैंटी उतारने को कहा। उसने मेरी पैंटी उतारने के बाद मेरे चूत को चाटना शुरु किया। अब मैं साँतवे आसमान पर पहुँच गयी थी। चूत चाटते चाटते कब उसने मेरी साडी़ पेटीकोट सहित उतारा मुझे इसका भी ध्यान नहीं रहा। अब मैं पूरी तरह उसके नियंत्रण में थी। तभी उसने मेरी झाँटो भरी चूत को चाटना छोड़ मुझे झाँट साफ करने को कहा।
मैंने उससे कहा कि उसका जो भी मन है वो करे। तब उसने रेजर लाकर मेरे झाँटो को साफ करना शुरु किया। जैसे जैसे झाँट साफ होते गये मुझे अजीब सा महसूस होने लगा।
मेरे झाँटों को साफ करने के बाद उसने फिर से चूत को चाटना शुरु किया। अब मेरे अपने जाँघों से उसके सिर को दबाने लगी। अचानक मुझे अपने अंदर अजीब सा सिहरन होने लगा और मैं तेजी से झड़ गयी। मैं किचेन में ही फर्श पर बैठ गयी।
फिर न जाने मुझे क्या हुआ कि मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिया और उसे चूमना चालू कर दिया। पाँच मिनट तक ऐसे ही चूमने के बाद मैंने उसे खाने के लिए इंतजार करने को कहा।
फिर मैंने अपने कपडे़ समेट कर रखा और आधे नंगे रहकर ही खाना बनाया और खाने को डायनिंग टेबल पर लगाया। फिर मैं और रवि दोनों खाना खाने लगे।
खाना खाने के बाद सारे काम निपटाकर मैं अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी। मैं अब तक अर्धनग्न ही चादर ओढ़कर लेटी थी।
तभी रवि केवल अंडरवियर में आया और बोला "बुआ मुझे नींद नहीं आ रही है और मुझे फिर तुम्हारा चूत चाटने की इच्छा है।" यह कहकर वह मेरे बगल में चादर के अंदर आकर लेट गया और मेरे जाँघों को फैलाने लगा।
मैंने भी उसे पूरी छुट देते हुए अपने कमर को हिलाने लगी। थोडी़ ही देर में मैं झड़ गयी।
मैं बिस्तर पर ही लेटी थी कि रवि ने मुझे अपना लंड चूसने को कहा। थोडी़ ना नुकुर के बाद मैं उसका लंड चूसने को तैयार हो गयी। फिर मैंने उसके अंडरवियर को नीचे सरकाया।
उसका लंड सामान्य से थोडा़ मोटा और एकदम तन कर खडा़ था। यह पहली बार था जब मैं अपने पति के अलावा किसी और का लंड देख रही थी। मैंने इससे पहले अपने पति का भी लंड कभी नहीं चूसा था।
सबसे पहले मैंने अपने जीभ से उसके लंड के सुपारे को चाटा। थोडा़ नमकीन जैसा जरुर था पर स्वाद उतना बुरा भी नहीं था।
फिर मैंने उसके पूरे लंड को मुँह में भर लिया। मुँह में भरकर मैं उसे जीभ से ही हिलाने लगी। अब रवि साँतवें आसमान पर था। लगभग दस मिनट लंड चूसने के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा।
तभी रवि बोला "उषा डार्लिंग कसकर चूसो मेरा लंड अब मैं झड़ने वाला हूँ।" उसके मुँह से इसतरह अपना नाम सुनकर मैं चौंक उठी पर मैंने उसका लंड चूसना जारी रखा। तभी उसने मेरे सिर को कसकर पकडा़ और अपने लंड को तेजी से मेरे मुँह में हिलाने लगा। थोडी़ ही देर में उसके लंड ने वीर्य का फव्वारा मेरे मुँह में छोडा़।
मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने जबरदस्ती मेरे मुँह मे गर्म पानी डाल दिया हो। परंतु पता नहीं मुझे क्या हुआ मैंने उसे उगला नहीं बल्कि किचेन में जाकर एक गिलास पानी के साथ पी गयी।
उसके बाद मैं अपने बिस्तर पर रवि के बगल में ही सो गयी।
सुबह मेरी नींद रवि के मेरे चूत चाटते समय ही खुली। अचानक मुझे उत्तेजना महसूस हुई और मैंने रवि के सिर को कसकर पकडा़ और मैं झड़ गयी। फिर मैं उठकर बाथरुम चली गयी और रवि सो गया।
सुबह का काम खत्म होने के बाद अपने लिभिंग रुम में बैठकर सोच रही थी कि मैंने अपने भतीजे के साथ इस नये संबंध से कैसे निपटुँ। हालांकि अभी तक मैंने संभोग नहीं किया था फिर भी मुझे अजीब लग रहा था।
तभी रवि आया और बोला "क्या कर रही हो उषा"।
मैं उसके मुँह से इस तरह अपना नाम सुनकर चौंकि और बोली "ये क्या बार बार मेरा नाम लेकर बुला रहे हो"।
तब उसने कहा "देखो उषा यह सच है कि तुम मेरी बहुत ही प्यारी बुआ हो पर अब मैं तुमसे सच्चा प्यार करने लगा हूँ और प्यार में और कोई रिश्ता तो होता नहीं। फिर तुम इतनी प्यारी और खुबसूरत हो कि मैं बयां नहीं कर सकता। वैसे ये सब तभी होगा जब हम दोनों अकेले होंगें। सबके सामने हम बुआ भतीजा ही रहेंगें।"
उसके इस तरह कहने पर मैं थोडा़ आश्वशत हुई।
तभी वह मेरे पास आया और मुझे स्मूच करने लगा।
अब मैं भी उसका साथ देने लगी। उसने मेरा गाउन निकाल फेंका। गाउन के नीचे मैं पूरी तरह नंगी थी। फिर उसने मुझे सोफे पर लिटा कर चूत चाटने लगा।
अब मैं मदमस्त हो चूकी थी। मैंने उसे उठाकर उसका पजामा खोला और उसके लंड से खेलने लगी।
उसने मुझे फिर लिटाया और चूत को चाटने लगा। अब हम एक दुसरे के अंगों को एक साथ चाट रहे थे। मैं अब पूरी तरह उसके काबू में थी।
तभी उसने मेरे निप्पल को जमकर मसलना शुरु किया। मैं तुरंत ही झड़ गयी। उस दिन एक बार और हमने ऐसा किया।
फिर रात भर हम दोनों नंगे ही एक साथ सोये।
फिर मैं नहाकर निकली और तैयार होकर बैठी ही थी कि रवि आ गया। उसने मेरा हाल पूछा।
मैने कहा कि मैं ठीक हूँ। मैंने उससे पूछा कि उसने यह सब कहाँ से सीखा।
उसने कहा कि यह सब उसने विडियो देखकर और किताबों से सीखा है। फिर उसने पूछा "बुआ कैसा लगा, ये तो बताइए।"
तब मैंने कहा कि जैसे मैं स्वर्ग में पहुँच गयी हुँ। मैंने पहली बार अपनी चूत चटवायी। इसका अनुभव मैं बयां नहीं कर सकती। तुमने मेरी हरकतों से पकड़ लिया होगा।
मेरी बात सुनकर वह मुस्कुराने लगा और बोला अब तो जब भी मन होगा तब करवाओगी न।
मैंने झेंपते हुए कहा "ऐसा कोई जरुरी थोडे़ ही है। ऐसे भी हमें अपने रिश्ते की देखते हुए ही कोई काम करना है। अगर तुम इसे राज रखो तो करने में कोई हर्ज नहीं।" अब मैं भी बहकने लगी थी।
तभी रवि मेरे गोद में आकर बैठ गया और मुझे तुरंत करने के लिए मनाने लगा। मैंने उसकी बात को अनसुना करते हुए उसे अपने गोद से उतारते हुए किचेन में चली गयी। फिर रवि भी मेरे पीछे पीछे किचेन आ गया। उसने मेरी गाँड सहलाते हुए मुझसे जिद्द करने लगा। मै युँ ही इनकार करती रही।
तभी वह मेरे कदमों में गिर कर मनुहार करने लगा। फिर भी मैं इनकार करती रही। मेरे अंदर भी खलबली मची थी। मैं भी उससे अपने चूत को जमकर चटवाना चाहती थी। इसीलिए मैं उसे अनमने ढंग से मना कर रही थी।
तभी उसने मेरी साडी़ उठायी और अंदर घुस गया। फिर तेजी से उसने मेरी पैंटी नीचे सरकायी और मेरे चूत पर अपनी ऊँगली फिराने लगा। मैं अब पूरी तरह मस्त हो चुकी थी। मैंने उसे इशारे से मेरी पैंटी उतारने को कहा। उसने मेरी पैंटी उतारने के बाद मेरे चूत को चाटना शुरु किया। अब मैं साँतवे आसमान पर पहुँच गयी थी। चूत चाटते चाटते कब उसने मेरी साडी़ पेटीकोट सहित उतारा मुझे इसका भी ध्यान नहीं रहा। अब मैं पूरी तरह उसके नियंत्रण में थी। तभी उसने मेरी झाँटो भरी चूत को चाटना छोड़ मुझे झाँट साफ करने को कहा।
मैंने उससे कहा कि उसका जो भी मन है वो करे। तब उसने रेजर लाकर मेरे झाँटो को साफ करना शुरु किया। जैसे जैसे झाँट साफ होते गये मुझे अजीब सा महसूस होने लगा।
मेरे झाँटों को साफ करने के बाद उसने फिर से चूत को चाटना शुरु किया। अब मेरे अपने जाँघों से उसके सिर को दबाने लगी। अचानक मुझे अपने अंदर अजीब सा सिहरन होने लगा और मैं तेजी से झड़ गयी। मैं किचेन में ही फर्श पर बैठ गयी।
फिर न जाने मुझे क्या हुआ कि मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिया और उसे चूमना चालू कर दिया। पाँच मिनट तक ऐसे ही चूमने के बाद मैंने उसे खाने के लिए इंतजार करने को कहा।
फिर मैंने अपने कपडे़ समेट कर रखा और आधे नंगे रहकर ही खाना बनाया और खाने को डायनिंग टेबल पर लगाया। फिर मैं और रवि दोनों खाना खाने लगे।
खाना खाने के बाद सारे काम निपटाकर मैं अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी। मैं अब तक अर्धनग्न ही चादर ओढ़कर लेटी थी।
तभी रवि केवल अंडरवियर में आया और बोला "बुआ मुझे नींद नहीं आ रही है और मुझे फिर तुम्हारा चूत चाटने की इच्छा है।" यह कहकर वह मेरे बगल में चादर के अंदर आकर लेट गया और मेरे जाँघों को फैलाने लगा।
मैंने भी उसे पूरी छुट देते हुए अपने कमर को हिलाने लगी। थोडी़ ही देर में मैं झड़ गयी।
मैं बिस्तर पर ही लेटी थी कि रवि ने मुझे अपना लंड चूसने को कहा। थोडी़ ना नुकुर के बाद मैं उसका लंड चूसने को तैयार हो गयी। फिर मैंने उसके अंडरवियर को नीचे सरकाया।
उसका लंड सामान्य से थोडा़ मोटा और एकदम तन कर खडा़ था। यह पहली बार था जब मैं अपने पति के अलावा किसी और का लंड देख रही थी। मैंने इससे पहले अपने पति का भी लंड कभी नहीं चूसा था।
सबसे पहले मैंने अपने जीभ से उसके लंड के सुपारे को चाटा। थोडा़ नमकीन जैसा जरुर था पर स्वाद उतना बुरा भी नहीं था।
फिर मैंने उसके पूरे लंड को मुँह में भर लिया। मुँह में भरकर मैं उसे जीभ से ही हिलाने लगी। अब रवि साँतवें आसमान पर था। लगभग दस मिनट लंड चूसने के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा।
तभी रवि बोला "उषा डार्लिंग कसकर चूसो मेरा लंड अब मैं झड़ने वाला हूँ।" उसके मुँह से इसतरह अपना नाम सुनकर मैं चौंक उठी पर मैंने उसका लंड चूसना जारी रखा। तभी उसने मेरे सिर को कसकर पकडा़ और अपने लंड को तेजी से मेरे मुँह में हिलाने लगा। थोडी़ ही देर में उसके लंड ने वीर्य का फव्वारा मेरे मुँह में छोडा़।
मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने जबरदस्ती मेरे मुँह मे गर्म पानी डाल दिया हो। परंतु पता नहीं मुझे क्या हुआ मैंने उसे उगला नहीं बल्कि किचेन में जाकर एक गिलास पानी के साथ पी गयी।
उसके बाद मैं अपने बिस्तर पर रवि के बगल में ही सो गयी।
सुबह मेरी नींद रवि के मेरे चूत चाटते समय ही खुली। अचानक मुझे उत्तेजना महसूस हुई और मैंने रवि के सिर को कसकर पकडा़ और मैं झड़ गयी। फिर मैं उठकर बाथरुम चली गयी और रवि सो गया।
सुबह का काम खत्म होने के बाद अपने लिभिंग रुम में बैठकर सोच रही थी कि मैंने अपने भतीजे के साथ इस नये संबंध से कैसे निपटुँ। हालांकि अभी तक मैंने संभोग नहीं किया था फिर भी मुझे अजीब लग रहा था।
तभी रवि आया और बोला "क्या कर रही हो उषा"।
मैं उसके मुँह से इस तरह अपना नाम सुनकर चौंकि और बोली "ये क्या बार बार मेरा नाम लेकर बुला रहे हो"।
तब उसने कहा "देखो उषा यह सच है कि तुम मेरी बहुत ही प्यारी बुआ हो पर अब मैं तुमसे सच्चा प्यार करने लगा हूँ और प्यार में और कोई रिश्ता तो होता नहीं। फिर तुम इतनी प्यारी और खुबसूरत हो कि मैं बयां नहीं कर सकता। वैसे ये सब तभी होगा जब हम दोनों अकेले होंगें। सबके सामने हम बुआ भतीजा ही रहेंगें।"
उसके इस तरह कहने पर मैं थोडा़ आश्वशत हुई।
तभी वह मेरे पास आया और मुझे स्मूच करने लगा।
अब मैं भी उसका साथ देने लगी। उसने मेरा गाउन निकाल फेंका। गाउन के नीचे मैं पूरी तरह नंगी थी। फिर उसने मुझे सोफे पर लिटा कर चूत चाटने लगा।
अब मैं मदमस्त हो चूकी थी। मैंने उसे उठाकर उसका पजामा खोला और उसके लंड से खेलने लगी।
उसने मुझे फिर लिटाया और चूत को चाटने लगा। अब हम एक दुसरे के अंगों को एक साथ चाट रहे थे। मैं अब पूरी तरह उसके काबू में थी।
तभी उसने मेरे निप्पल को जमकर मसलना शुरु किया। मैं तुरंत ही झड़ गयी। उस दिन एक बार और हमने ऐसा किया।
फिर रात भर हम दोनों नंगे ही एक साथ सोये।