29-10-2021, 12:51 PM
बुआ का प्यार
यह कहानी एक ऐसी औरत की है जो सती सावित्री थी, परंतु एक नाटकीय मोड़ ने उसे कुछ और ही बना दिया। यह कहानी उसी की जुबानी।
मेरा नाम उषा है। मेरी उम्र 39 साल है। मेरे पति विवेक एक मल्टीनेशनल कंपनी में बडे़ अधिकरी हैं। मेरा बेटा मानव अभी 18 साल का है और बंगलौर में इंजीनियरिंग कर रहा है। मैं अपने पति के साथ मुंबई में रहती हुँ। हमारे साथ मेरे भाई का बेटा रवि भी रहता है जो कोई कंप्यूटर कोर्स कर रहा है। उसकी उम्र तेईस साल है।
##
एक दिन टीवी पर योग का कोई प्रोग्राम दिखाया जा रहा था जिसमें गोमुत्र के बारे में बताया जा रहा था। चूँकि मेरे पति औफिस गये हुए थे इसीलिए मैं और रवि घर पर समय बिताने के लिए टीवी देख रहे थे।
उस प्रोग्राम को देखते हुए मैंने कहा "कोई कैसे गोमुत्र पी सकता है। यह तो बहुत ही गंदा होता है।"
तभी रवि ने कहा"बुआ उसे मशीन से साफ करके पीने लायक बनाया जाता है। तब उसे पीते हैं।"
मेरा भतीजा कभी कभी मुझसे चुहलबाजी भी करता है और मैं उसका मजा लेती हुँ।
मैंने बात बढा़ते हुए कहा"तभी तो कोई किसी का मुत्र ऐसे कैसे कोई पीये।"
तभी रवि ने कहा"कोई किसी का क्या मतलब । युँ तो दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं। आपने लोगो को लोगों का न पीने का तो सुना ही होगा तो मूत पीना कौन सी बडी़ बात है।"
मैने कहा"दुसरों की छोड़ तु बता। बडी़ डींग हाँकता है। तु कर सकता है क्या।"
मेरी डींग हाँकने वाली बात पर वह उत्तेजित होते हुए बोला"इसमें कौन सी बडी़ बात है, जरुर करके दिखा सकता हुँ।"
"लगी शर्त तु नहीं कर पाएगा।"
"करुँगा जरुर,लगी शर्त।"
"परंतु अपनी नहीं किसी और की। समझे। मेरे सामने पीनी होगी। अगर मर्द हो तो इनकार मत करना।"ऐसा कहकर मैं हँसने लगी।
फिर उसने मेरी शर्त मानते हुए बोला "बुआ यहाँ कोई और तो है नहीं, मैं तुम्हारी मूत ही पियुँगा वह भी सीधे बिना कोई अन्य चीज के।"
अब मैं शर्मिंदा हो ग़ई। मैने उसे यह बात भुलने को कहा। परंतु उसने कहा"न करना हो तो ठीक ही है। सभी औरतें अपने बात से मुकरती ही हैं।"
अब मैने ताव में उसकी बात मानी पर यह काम अभी न करने को कहा।
तब रवि ने कहा कि अगर वह यह काम कर लेगा तो मुझे उसकी एक बात माननी होगी।झिझकते हुए मैनें उसकी बात मानी और कहा"परंतु ये बातें किसी को पता नहीं लगनी चाहिए।"
उसके बाद मैं अपने घर के काम में लग गयी। मेरे पति शाम को घर आए तब तक रवि से कोई विशेष बात नहीं हुई।
##
दो दिनों के बाद मेरे पति ने औफिस जाने के बाद फोन कर कहा कि उन्हें 10 दिनों के लिए काम से यूरोप टुर पर जाना है, इसलिए उनका सामान तैयार कर दूँ। मैंने उनका सामान तैयार कर पैक कर दिया। विवेक शाम को आए और सो गये। उनकी फ्लाइट सुबह 4बजे की थी। सुबह उनके जाने के बाद मैं थोडी़ देर सोयी।
फिर सुबह के कामकाज समाप्त होने के बाद मैं टीवी पर सीरियल देख रही थी,उसी समय रवि आया और पूछा "बुआ फुफा तो विदेश गये हैं कब तक आएँगें।"
मैने कहा कि दस दिनों में आएँगे। तभी मैं बाथरुम जाने को उठी तब उसने पूछा "बुआ आप मुझसे गुस्सा तो नहीं हो क्योंकि उस दिन के बाद से आपने मुझसे विशेष बात भी नहीं की और थोडा़ दुर रहने लगी हो"। मैंने कहा "ऐसी कोई बात नहीं है"।
"बुआ अगर बुरा न लगे तो उस दिन की शर्त याद है न।"
"बुरा मानने वाली कोई बात तो नहीं है। फिर बात तो मैंने ही शुरु की थी। मैंने मजाक किया था।" मैंने बात टालने के मूड में कहा।
परंतु वह आज बात टालना नहीं चाहता था। उसने फिर कहा "बुआ तो फिर आज देख ही लो मैं मर्द हुँ या नहीं। तुम भी अपनी जुबान से मत फिरना। मैं यह बाय किसी को नहीं बताऊँगा।"
मुझे बडी़ कोफ्त होने लगी कि मैंने एक साधारण बात को कहाँ से कहाँ ला दिया।
आखिर झिझकते हुए मैंने कहा "पर मैं तुम्हारे आँख पर पट्टी बाँधुंगी और इस बात पर आगे कोई बात नहीं होगी, समझे।" मैं अपने कमरे में कोई कपडा़ लाने गयी।
उसने हाँ कहा और वहीं बैठा रहा। कमरे से आकर मैंने उसे अपने कपडे़ खोलकर बाथरुम में जाने को कहा। बाथरुम में जब मैं गयी तो वह तौलिया लपेट कर खडा़ था। मैंने उसके आँखों पर मोटी पट्टी बाँधी जिससे उसे कुछ दिखाई न दे। फिर सहारा देकर मैंने उसके सिर को नीचे किया। उस समय मैं साडी़ पहने हुए थी। अब मुझे भी सिहरन हो रही थी। फिर मैं उसके सिर पर अपनी चुत को उसके मुँह के पास रखकर पिशाब करने लगी। उत्तेजनावश पिशाब की एक मोटी धार उसके मुँह में गिरी और मैं पिशाब करने के बाद उठी। उसे देखा तो मैं आश्चर्यचकित हो गयी। उसने मेरा पूरा मूत पी लिया था। मैंने बिना कुछ कहे उसके आँखों की पट्टी खोली और उसे नहाने को बोलकर बाररुम से बाहर आ गयी।
बाहर आकर मैं अपने दुसरे कामों में व्यस्त हो गयी। रवि से नजरें मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। खैर किसी तरह दो दिन बित गये।
##
इन दो दिनों में जब भी वह बात याद आती मेरी चूत गीली हो जाती थी।
तिसरे दिन मेरे टीवी देखते समय रवि मेरे पास आया। वह बोला "बुआ जो हुआ सो हुआ। मैं यह बात किसी को नहीं बताऊँगा और यह बात सताने वाली है भी नहीं कि मैंने आपका मूत पिया है।"
मैंने भी कहा कि यह बात किसी हालत में कोई न जाने क्योंकि इससे मेरी बदनामी होगी।
"बुआ ऐसे देखा आपने मैंने असंभव वाला काम कर दिया। मूत पीने समय तो बहुत ही खारा लगा पर मैं किसी तरह पी ही गया। आपके बाथरुम से निकलने के बाद थोडी़ उबकाई हुई पर सब ठीक हो गया। वैसे मेरी शर्त तो याद है ना।"
"हाँ याद है, बोलो क्या करना है।" मैनें थोडे़ कडे़ लहजे में उससे पूछा।
"रहने दीजिए बुआ आप नहीं कर पाएँगी।"
"ऐसा कौन सा काम है जो मैं नहीं कर पाउँगी।"
"आप मुझसे नाराज हो जाएँगी। और फिर आप से नहीं हो पाएगा।"
"अगर तुम वह वाली बात किसी को न बताओ तो मैं नाराज नहीं होउँगी और तुम जो कहोगे मैं करुँगी।"
"मैं किसी को कुछ नहीं कहुँगा, लेकिन आप कर नहीं पाएँगीं।"
"ऐसा क्या है जो मैं नहीं कर पाऊँगी।"
"बुआ वो...वो...।"
"क्या वो... बोलकर देखो, मैं कुछ भी कर सकती हुँ।"
"मैं चाहता हूँ कि...।"
"क्या चाहते हो? मुझे कमजोर मत समझो। मैं तुम्हें कुछ भी करके दिखा सकती हूँ।"
"बुआ, मैं आपके चूत के दर्शन करना चाहता हूँ और उसे जीभर के चूमना चाहता हूँ। उसकी गंध अभी भी मुझे बेचैन कर रही है।"
अब मैं चौंक उठी।
मैं कुछ बोलती इससे पहले ही रवि ने कहा "बुआ आपने पहले ही कहा है आप नाराज नहीं होंगीं और आप कुछ भी कर सकती हैं। अगर नहीं करना चाहती हैं तो कोई बात नहीं। मुझे पहले ही मालुम था कि आपसे नहीं होगा।पर आप नाराज ना हों।"
मैंने उससे कहा "क्या मालुम था मुझे कि तुम ऐसा कुछ कहोगे और औरतें भी अपने जुबान की पक्की होती है।" ऐसा कहकर मैं अपने कमरे में चली गयी।
वहाँ मैं सोचने लगी कि ये मैंने क्या कर दिया। खैर बहुत सोचने के बाद मैंने अपनी चड्डी उतारी और रवि को आवाज दिया।
थोडी़ देर में रवि आया और बिस्तर पर बैठा। मैंने कहा "देखो बेटा, यह जो तुम कह रहे हो वह कहीं से भी सही नहीं है। परंतु चुँकि शुरुआत मैंने की और मुझे तुम्हारी शर्त पूरी करनी है, इसीलिए मैं तुम्हारी बात मानूँगी। लेकिन यह सब बातें किसी को भी पता नहीं चलनी चाहिए।"
तब रवि ने कहा "बुआ यह बातें मैं किसी को नहीं बताऊँगा चाहे कुछ भी हो जाए।"
मैंने उसे आँख बंद करने को कहा और अपना पेटिकोट उठाया। फिर उसे आँख खोलने को कहा। वह कुछ देर युँ ही मेरी नंगी जाँघ और चूत को निहारता रहा, फिर काफी करीब से देखने लगा। फिर तेजी से उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर फिरायी। मेरी तो हालत खराब हो गयी। मेरी जिंदगी में यह पहली बार था कि कोई मेरी चूत पर जीभ फिरा रहा हो। मेरे पति ने भी मेरे साथ ऐसा कभी नहीं किया।
पति के साथ मेरी सेक्स लाइफ सामान्य ही थी। हमनें कुछ नया करने की कभी सोची ही नहीं।
इधर मेरी चूत पर जीभ फिरने से मुझे अजीब सी सिहरन महसूस हो रही थी। मैंने अपनी आँखे बंद कर लीं। अब उसने तेजी से अपनी जीभ चलाना शुरु किया। मेरी हालत पतली हो रही थी। एक अजीब सी मदहोशी मुझ पर छा रही थी। उसके जीभ से चाटते चाटते लगा कि मैं सातवें आसमान पर पहुँच गयीं हूँ। अब उसने अपनी जीभ अंदर डालनी शुरु। कब तो मुझे लगा कि मैं मर ही जाऊँगी।
अचानक मेरे अंदर कुछ अजीब लगने लगा। अब मैं नहीं चाहती थी कि वह रुके कि तभी वह रुका और बोला "बुआ मैं तो और भी चाटना चाहता हूँ। "
"तो चाटो न रुक क्यों गये।" मेरी बात सुनकर वह मुस्कुराया और बोला कि जबतक फुफा जी नहीं आते हैं तबतक दिन में एक बार मैं आपका चूत जमकर चाटुँगा। अगर मंजुर हो तो बोलिये।
मेरी हालत यह थी कि मुझे अपनी चूत चटवाने के अलावा कुछ नहीं सूझ रहा था।
मैंने कहा "तुम जो कहो मुझे मंजूर है पर अभी रुको मत अपना काम जारी रखो।"
मेरी बात सुनकर उसने मेरी चूत को जमकर चाटना चालू कर दिया। दो मिनट बाद ही ऐसा लगा जैसे मेरे अंदर का सबकुछ बाहर निकल आएगा। और फिर मैंने अचानक उसका सिर पकड़ कर अपने चूत पर कसकर सटाया कि तभी मेरी चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया। मैं झड़कर निढाल पर गयी। ऐसा लगा मानो मेरी पूरी ताकत किसी ने निचोड़ ली हो। परंतु उसने मेरी चूत को चाटना नहीं छोडा़। तभी फिर एक बार मैं झड़ने लगी । ऐसा उसने दो बार और मुझे झडा़या। फिर मैंने उसे जबरदस्ती हटाया और मैं निढा़ल होकर पडी़ रही। फिर कब मुझे नींद आ गयी पता ही चला।
##
यह कहानी एक ऐसी औरत की है जो सती सावित्री थी, परंतु एक नाटकीय मोड़ ने उसे कुछ और ही बना दिया। यह कहानी उसी की जुबानी।
मेरा नाम उषा है। मेरी उम्र 39 साल है। मेरे पति विवेक एक मल्टीनेशनल कंपनी में बडे़ अधिकरी हैं। मेरा बेटा मानव अभी 18 साल का है और बंगलौर में इंजीनियरिंग कर रहा है। मैं अपने पति के साथ मुंबई में रहती हुँ। हमारे साथ मेरे भाई का बेटा रवि भी रहता है जो कोई कंप्यूटर कोर्स कर रहा है। उसकी उम्र तेईस साल है।
##
एक दिन टीवी पर योग का कोई प्रोग्राम दिखाया जा रहा था जिसमें गोमुत्र के बारे में बताया जा रहा था। चूँकि मेरे पति औफिस गये हुए थे इसीलिए मैं और रवि घर पर समय बिताने के लिए टीवी देख रहे थे।
उस प्रोग्राम को देखते हुए मैंने कहा "कोई कैसे गोमुत्र पी सकता है। यह तो बहुत ही गंदा होता है।"
तभी रवि ने कहा"बुआ उसे मशीन से साफ करके पीने लायक बनाया जाता है। तब उसे पीते हैं।"
मेरा भतीजा कभी कभी मुझसे चुहलबाजी भी करता है और मैं उसका मजा लेती हुँ।
मैंने बात बढा़ते हुए कहा"तभी तो कोई किसी का मुत्र ऐसे कैसे कोई पीये।"
तभी रवि ने कहा"कोई किसी का क्या मतलब । युँ तो दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं। आपने लोगो को लोगों का न पीने का तो सुना ही होगा तो मूत पीना कौन सी बडी़ बात है।"
मैने कहा"दुसरों की छोड़ तु बता। बडी़ डींग हाँकता है। तु कर सकता है क्या।"
मेरी डींग हाँकने वाली बात पर वह उत्तेजित होते हुए बोला"इसमें कौन सी बडी़ बात है, जरुर करके दिखा सकता हुँ।"
"लगी शर्त तु नहीं कर पाएगा।"
"करुँगा जरुर,लगी शर्त।"
"परंतु अपनी नहीं किसी और की। समझे। मेरे सामने पीनी होगी। अगर मर्द हो तो इनकार मत करना।"ऐसा कहकर मैं हँसने लगी।
फिर उसने मेरी शर्त मानते हुए बोला "बुआ यहाँ कोई और तो है नहीं, मैं तुम्हारी मूत ही पियुँगा वह भी सीधे बिना कोई अन्य चीज के।"
अब मैं शर्मिंदा हो ग़ई। मैने उसे यह बात भुलने को कहा। परंतु उसने कहा"न करना हो तो ठीक ही है। सभी औरतें अपने बात से मुकरती ही हैं।"
अब मैने ताव में उसकी बात मानी पर यह काम अभी न करने को कहा।
तब रवि ने कहा कि अगर वह यह काम कर लेगा तो मुझे उसकी एक बात माननी होगी।झिझकते हुए मैनें उसकी बात मानी और कहा"परंतु ये बातें किसी को पता नहीं लगनी चाहिए।"
उसके बाद मैं अपने घर के काम में लग गयी। मेरे पति शाम को घर आए तब तक रवि से कोई विशेष बात नहीं हुई।
##
दो दिनों के बाद मेरे पति ने औफिस जाने के बाद फोन कर कहा कि उन्हें 10 दिनों के लिए काम से यूरोप टुर पर जाना है, इसलिए उनका सामान तैयार कर दूँ। मैंने उनका सामान तैयार कर पैक कर दिया। विवेक शाम को आए और सो गये। उनकी फ्लाइट सुबह 4बजे की थी। सुबह उनके जाने के बाद मैं थोडी़ देर सोयी।
फिर सुबह के कामकाज समाप्त होने के बाद मैं टीवी पर सीरियल देख रही थी,उसी समय रवि आया और पूछा "बुआ फुफा तो विदेश गये हैं कब तक आएँगें।"
मैने कहा कि दस दिनों में आएँगे। तभी मैं बाथरुम जाने को उठी तब उसने पूछा "बुआ आप मुझसे गुस्सा तो नहीं हो क्योंकि उस दिन के बाद से आपने मुझसे विशेष बात भी नहीं की और थोडा़ दुर रहने लगी हो"। मैंने कहा "ऐसी कोई बात नहीं है"।
"बुआ अगर बुरा न लगे तो उस दिन की शर्त याद है न।"
"बुरा मानने वाली कोई बात तो नहीं है। फिर बात तो मैंने ही शुरु की थी। मैंने मजाक किया था।" मैंने बात टालने के मूड में कहा।
परंतु वह आज बात टालना नहीं चाहता था। उसने फिर कहा "बुआ तो फिर आज देख ही लो मैं मर्द हुँ या नहीं। तुम भी अपनी जुबान से मत फिरना। मैं यह बाय किसी को नहीं बताऊँगा।"
मुझे बडी़ कोफ्त होने लगी कि मैंने एक साधारण बात को कहाँ से कहाँ ला दिया।
आखिर झिझकते हुए मैंने कहा "पर मैं तुम्हारे आँख पर पट्टी बाँधुंगी और इस बात पर आगे कोई बात नहीं होगी, समझे।" मैं अपने कमरे में कोई कपडा़ लाने गयी।
उसने हाँ कहा और वहीं बैठा रहा। कमरे से आकर मैंने उसे अपने कपडे़ खोलकर बाथरुम में जाने को कहा। बाथरुम में जब मैं गयी तो वह तौलिया लपेट कर खडा़ था। मैंने उसके आँखों पर मोटी पट्टी बाँधी जिससे उसे कुछ दिखाई न दे। फिर सहारा देकर मैंने उसके सिर को नीचे किया। उस समय मैं साडी़ पहने हुए थी। अब मुझे भी सिहरन हो रही थी। फिर मैं उसके सिर पर अपनी चुत को उसके मुँह के पास रखकर पिशाब करने लगी। उत्तेजनावश पिशाब की एक मोटी धार उसके मुँह में गिरी और मैं पिशाब करने के बाद उठी। उसे देखा तो मैं आश्चर्यचकित हो गयी। उसने मेरा पूरा मूत पी लिया था। मैंने बिना कुछ कहे उसके आँखों की पट्टी खोली और उसे नहाने को बोलकर बाररुम से बाहर आ गयी।
बाहर आकर मैं अपने दुसरे कामों में व्यस्त हो गयी। रवि से नजरें मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। खैर किसी तरह दो दिन बित गये।
##
इन दो दिनों में जब भी वह बात याद आती मेरी चूत गीली हो जाती थी।
तिसरे दिन मेरे टीवी देखते समय रवि मेरे पास आया। वह बोला "बुआ जो हुआ सो हुआ। मैं यह बात किसी को नहीं बताऊँगा और यह बात सताने वाली है भी नहीं कि मैंने आपका मूत पिया है।"
मैंने भी कहा कि यह बात किसी हालत में कोई न जाने क्योंकि इससे मेरी बदनामी होगी।
"बुआ ऐसे देखा आपने मैंने असंभव वाला काम कर दिया। मूत पीने समय तो बहुत ही खारा लगा पर मैं किसी तरह पी ही गया। आपके बाथरुम से निकलने के बाद थोडी़ उबकाई हुई पर सब ठीक हो गया। वैसे मेरी शर्त तो याद है ना।"
"हाँ याद है, बोलो क्या करना है।" मैनें थोडे़ कडे़ लहजे में उससे पूछा।
"रहने दीजिए बुआ आप नहीं कर पाएँगी।"
"ऐसा कौन सा काम है जो मैं नहीं कर पाउँगी।"
"आप मुझसे नाराज हो जाएँगी। और फिर आप से नहीं हो पाएगा।"
"अगर तुम वह वाली बात किसी को न बताओ तो मैं नाराज नहीं होउँगी और तुम जो कहोगे मैं करुँगी।"
"मैं किसी को कुछ नहीं कहुँगा, लेकिन आप कर नहीं पाएँगीं।"
"ऐसा क्या है जो मैं नहीं कर पाऊँगी।"
"बुआ वो...वो...।"
"क्या वो... बोलकर देखो, मैं कुछ भी कर सकती हुँ।"
"मैं चाहता हूँ कि...।"
"क्या चाहते हो? मुझे कमजोर मत समझो। मैं तुम्हें कुछ भी करके दिखा सकती हूँ।"
"बुआ, मैं आपके चूत के दर्शन करना चाहता हूँ और उसे जीभर के चूमना चाहता हूँ। उसकी गंध अभी भी मुझे बेचैन कर रही है।"
अब मैं चौंक उठी।
मैं कुछ बोलती इससे पहले ही रवि ने कहा "बुआ आपने पहले ही कहा है आप नाराज नहीं होंगीं और आप कुछ भी कर सकती हैं। अगर नहीं करना चाहती हैं तो कोई बात नहीं। मुझे पहले ही मालुम था कि आपसे नहीं होगा।पर आप नाराज ना हों।"
मैंने उससे कहा "क्या मालुम था मुझे कि तुम ऐसा कुछ कहोगे और औरतें भी अपने जुबान की पक्की होती है।" ऐसा कहकर मैं अपने कमरे में चली गयी।
वहाँ मैं सोचने लगी कि ये मैंने क्या कर दिया। खैर बहुत सोचने के बाद मैंने अपनी चड्डी उतारी और रवि को आवाज दिया।
थोडी़ देर में रवि आया और बिस्तर पर बैठा। मैंने कहा "देखो बेटा, यह जो तुम कह रहे हो वह कहीं से भी सही नहीं है। परंतु चुँकि शुरुआत मैंने की और मुझे तुम्हारी शर्त पूरी करनी है, इसीलिए मैं तुम्हारी बात मानूँगी। लेकिन यह सब बातें किसी को भी पता नहीं चलनी चाहिए।"
तब रवि ने कहा "बुआ यह बातें मैं किसी को नहीं बताऊँगा चाहे कुछ भी हो जाए।"
मैंने उसे आँख बंद करने को कहा और अपना पेटिकोट उठाया। फिर उसे आँख खोलने को कहा। वह कुछ देर युँ ही मेरी नंगी जाँघ और चूत को निहारता रहा, फिर काफी करीब से देखने लगा। फिर तेजी से उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर फिरायी। मेरी तो हालत खराब हो गयी। मेरी जिंदगी में यह पहली बार था कि कोई मेरी चूत पर जीभ फिरा रहा हो। मेरे पति ने भी मेरे साथ ऐसा कभी नहीं किया।
पति के साथ मेरी सेक्स लाइफ सामान्य ही थी। हमनें कुछ नया करने की कभी सोची ही नहीं।
इधर मेरी चूत पर जीभ फिरने से मुझे अजीब सी सिहरन महसूस हो रही थी। मैंने अपनी आँखे बंद कर लीं। अब उसने तेजी से अपनी जीभ चलाना शुरु किया। मेरी हालत पतली हो रही थी। एक अजीब सी मदहोशी मुझ पर छा रही थी। उसके जीभ से चाटते चाटते लगा कि मैं सातवें आसमान पर पहुँच गयीं हूँ। अब उसने अपनी जीभ अंदर डालनी शुरु। कब तो मुझे लगा कि मैं मर ही जाऊँगी।
अचानक मेरे अंदर कुछ अजीब लगने लगा। अब मैं नहीं चाहती थी कि वह रुके कि तभी वह रुका और बोला "बुआ मैं तो और भी चाटना चाहता हूँ। "
"तो चाटो न रुक क्यों गये।" मेरी बात सुनकर वह मुस्कुराया और बोला कि जबतक फुफा जी नहीं आते हैं तबतक दिन में एक बार मैं आपका चूत जमकर चाटुँगा। अगर मंजुर हो तो बोलिये।
मेरी हालत यह थी कि मुझे अपनी चूत चटवाने के अलावा कुछ नहीं सूझ रहा था।
मैंने कहा "तुम जो कहो मुझे मंजूर है पर अभी रुको मत अपना काम जारी रखो।"
मेरी बात सुनकर उसने मेरी चूत को जमकर चाटना चालू कर दिया। दो मिनट बाद ही ऐसा लगा जैसे मेरे अंदर का सबकुछ बाहर निकल आएगा। और फिर मैंने अचानक उसका सिर पकड़ कर अपने चूत पर कसकर सटाया कि तभी मेरी चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया। मैं झड़कर निढाल पर गयी। ऐसा लगा मानो मेरी पूरी ताकत किसी ने निचोड़ ली हो। परंतु उसने मेरी चूत को चाटना नहीं छोडा़। तभी फिर एक बार मैं झड़ने लगी । ऐसा उसने दो बार और मुझे झडा़या। फिर मैंने उसे जबरदस्ती हटाया और मैं निढा़ल होकर पडी़ रही। फिर कब मुझे नींद आ गयी पता ही चला।
##