28-10-2021, 04:32 PM
(मैं ज्योति)
हमें 4:00 बजे निकलना था. कुछ ही देर में मैं तैयार हो चुकी थी. मेरे आलता लगे हुए पैर मेरे लहंगे के नीचे छुपे हुए थे. मेरे लिए यह अच्छा ही था. रश्मि यदि मेरे पैर देखती तो 10 सवाल पूछती. मैंने रश्मि को फोन किया..
" आई एम रेडी"
" अरे मेरी जान अभी रेडी होने से कोई फायदा नहीं अभी सील टूटने में 6 घंटे बाकी हैं"
" हट पगली, मैंने वो थोड़ी कहा"
"अरे वाह, तुम्हीं ने तो कहा आई एम रेडी"
मैं हंसने लगी "अरे मेरी मां, चलने के लिए कहा, चु**ने के लिए नहीं"
"तो क्या, आज तो फिर वैसे ही वापस आ जाओगी?"
"नहीं- नहीं मेरा मतलब वह नहीं था"
"साफ-साफ बताना"
"यार मजाक मत कर अब आ भी जा" मैंने बात खत्म की.
मैंने महसूस किया कि मेरी मुनिया आज इन सब बातों पर तुरंत ही सचेत हो जा रही थी. वह ध्यान से हमारी बातें सुनती और मन ही मन कभी डरती कभी प्रसन्न होती.
हम दोनों को हास्टल के गेट पर आ चुके थे. जीवनी हमारा गेट पर ही इंतजार कर रही थी. कुछ ही देर में हम तीनों सहेलियां ओला की सेडान कार में बैठ शहर की तरफ निकल पड़ीं. वह दोनों मुझे देखकर मुस्कुरा रही थीं. मुझे अब अफसोस हो रहा था कि मैंने अपने कौमार्य भंग के लिए आज का ही दिन क्यों चुना था. वह भी अपनी दो सहेलियों की उपस्थिति में .
वैसे यह काम एकांत में ही होता. पर मेरी इन दो सहेलियों को कमरे में होने वाली गतिविधियों की विधिवत जानकारी होगी. एक तरफ यह मेरी शर्म को तो बढ़ा रहा था तो दूसरी तरफ मेरी उत्तेजना को और भी जागृत कर रहा था.
मनीष का घर बेहतरीन था. घर क्या वो एक आलीशान कोठी थी. उसने आज वैलेंटाइन डे के लिए विशेष पार्टी की व्यवस्था की थी. इस पार्टी का आनंद हम सभी उठाते पर मैं और जीवन आज के विशेष अतिथि थे. असली वैलेंटाइन डे हम दोनों का ही होना था. आज हम दोनों को एक साथ देखकर सभी मन ही मन आनंदित थे. वह सच में हमारे अच्छे दोस्त थे.
मेरी नजरें शर्म से झुकीं हुईं थीं. मैं मनीष और राहुल से नजर नहीं मिला पा रही थी. वह दोनों मेरी खूबसूरती का आनंद जरूर ले रहे थे. आखिर मनीष ने बोल ही दिया
"ज्योति आज जीवन तो गया. भाई पहले राउंड में तो यह हिट विकेट हो जाएगा . थोड़ा धीरज रखना उसे फॉलोऑन खिलाना. लड़का ठीक है और तुम्हारे लायक है. पर तुम अद्भुत हो विशेषकर आज तो कयामत लग रही हो"
मैं शर्म से पानी पानी होती जा रही थी. मेरी दोनों सहेलियां मुझे लेकर अंदर आ गयीं हम एक बड़े से हॉल में बैठे हुए थे. मेरी निगाह जीवन पर पड़ी आज वह भी सज धज कर आया हुआ था. ऐसा लग रहा था जैसे इस अवसर के लिए उसने विशेष कपड़े खरीदे थे. एक पल के लिए मुझे लगा जैसे हम दोनों का छद्म विवाह होने वाला हो.
हमें 4:00 बजे निकलना था. कुछ ही देर में मैं तैयार हो चुकी थी. मेरे आलता लगे हुए पैर मेरे लहंगे के नीचे छुपे हुए थे. मेरे लिए यह अच्छा ही था. रश्मि यदि मेरे पैर देखती तो 10 सवाल पूछती. मैंने रश्मि को फोन किया..
" आई एम रेडी"
" अरे मेरी जान अभी रेडी होने से कोई फायदा नहीं अभी सील टूटने में 6 घंटे बाकी हैं"
" हट पगली, मैंने वो थोड़ी कहा"
"अरे वाह, तुम्हीं ने तो कहा आई एम रेडी"
मैं हंसने लगी "अरे मेरी मां, चलने के लिए कहा, चु**ने के लिए नहीं"
"तो क्या, आज तो फिर वैसे ही वापस आ जाओगी?"
"नहीं- नहीं मेरा मतलब वह नहीं था"
"साफ-साफ बताना"
"यार मजाक मत कर अब आ भी जा" मैंने बात खत्म की.
मैंने महसूस किया कि मेरी मुनिया आज इन सब बातों पर तुरंत ही सचेत हो जा रही थी. वह ध्यान से हमारी बातें सुनती और मन ही मन कभी डरती कभी प्रसन्न होती.
हम दोनों को हास्टल के गेट पर आ चुके थे. जीवनी हमारा गेट पर ही इंतजार कर रही थी. कुछ ही देर में हम तीनों सहेलियां ओला की सेडान कार में बैठ शहर की तरफ निकल पड़ीं. वह दोनों मुझे देखकर मुस्कुरा रही थीं. मुझे अब अफसोस हो रहा था कि मैंने अपने कौमार्य भंग के लिए आज का ही दिन क्यों चुना था. वह भी अपनी दो सहेलियों की उपस्थिति में .
वैसे यह काम एकांत में ही होता. पर मेरी इन दो सहेलियों को कमरे में होने वाली गतिविधियों की विधिवत जानकारी होगी. एक तरफ यह मेरी शर्म को तो बढ़ा रहा था तो दूसरी तरफ मेरी उत्तेजना को और भी जागृत कर रहा था.
मनीष का घर बेहतरीन था. घर क्या वो एक आलीशान कोठी थी. उसने आज वैलेंटाइन डे के लिए विशेष पार्टी की व्यवस्था की थी. इस पार्टी का आनंद हम सभी उठाते पर मैं और जीवन आज के विशेष अतिथि थे. असली वैलेंटाइन डे हम दोनों का ही होना था. आज हम दोनों को एक साथ देखकर सभी मन ही मन आनंदित थे. वह सच में हमारे अच्छे दोस्त थे.
मेरी नजरें शर्म से झुकीं हुईं थीं. मैं मनीष और राहुल से नजर नहीं मिला पा रही थी. वह दोनों मेरी खूबसूरती का आनंद जरूर ले रहे थे. आखिर मनीष ने बोल ही दिया
"ज्योति आज जीवन तो गया. भाई पहले राउंड में तो यह हिट विकेट हो जाएगा . थोड़ा धीरज रखना उसे फॉलोऑन खिलाना. लड़का ठीक है और तुम्हारे लायक है. पर तुम अद्भुत हो विशेषकर आज तो कयामत लग रही हो"
मैं शर्म से पानी पानी होती जा रही थी. मेरी दोनों सहेलियां मुझे लेकर अंदर आ गयीं हम एक बड़े से हॉल में बैठे हुए थे. मेरी निगाह जीवन पर पड़ी आज वह भी सज धज कर आया हुआ था. ऐसा लग रहा था जैसे इस अवसर के लिए उसने विशेष कपड़े खरीदे थे. एक पल के लिए मुझे लगा जैसे हम दोनों का छद्म विवाह होने वाला हो.